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Tuesday, 7 May, 2024
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कुछ भी ‘कैज़ुअल’ नहीं – UPSC का मॉक इंटरव्यू लेते-लेते कैसे सोशल मीडिया सनसनी बन गए विजेंदर चौहान

चौहान पर बने मीम्स वायरल होने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई. अब वह रेस्तरां में नहीं जा सकते क्योंकि लोग आकर उनसे बात करना चाहते हैं उनके साथ तस्वीरें खिंचवाना चाहते हैं.

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नई दिल्ली: “बैठने का तरीका थोड़ा कैज़ुअल है”. यूपीएससी के इको सिस्टम और इसके मीम की दुनिया में, इन शब्दों को स्वरूप देना कठिन नहीं है. ये टिप्पणी 51 वर्षीय विजेंदर सिंह चौहान द्वारा दृष्टि आईएएस के लिए यूपीएससी मॉक इंटरव्यू के दौरान की गई. वह लगभग दो दशकों से वे इस इंटरव्यू को उस अथॉरिटी के साथ कर रहे हैं जैसा कि शाहजहां रोड पर धौलपुर हाउस में बैठे एक वास्तविक यूपीएससी बोर्ड से अपेक्षा की जाती है, जिसका सामना एक उम्मीदवार को मुख्य परीक्षा पास करने के बाद करना पड़ता है. सिवाय इसके कि इसे दृष्टि आईएएस स्टूडियो में रिकॉर्ड किया गया था और यह इस हद तक वायरल हो गया कि चौहान को एक अन्य वीडियो में अपनी साक्षात्कार शैली का बचाव करना पड़ा. अब वह भी वायरल हो गया है, जो शॉर्ट वीडियो की एक अंतहीन श्रृंखला का हिस्सा बन गया है, जिसे लाखों अभ्यर्थी देखते हैं.

वीडियो में सफेद शर्ट और नीली जैकेट पहने चौहान कह रहे हैं, “मैं समझता हूं कि ‘कैज़ुअल’ शब्द के उच्चारण में एक समस्या है. लेकिन फिर भी इसे लेकर मीम क्यों बनना चाहिए, कृपया अपने आप से पूछें.”

चौहान उस देश में यूपीएससी के मॉक इंटरव्यू के सरताज हैं जहां लाखों अभ्यर्थियों के सपने इस स्टेज पर आकर चूर-चूर हो जाते हैं. 2020 में, 10343 उम्मीदवारों ने मेन्स की परीक्षा दी, जिनमें से 2,053 ने इसे पास किया और इंटरव्यू में शामिल हुए. और अंततः इनमें से केवल 833 का चयन किया गया.

दिल्ली विश्वविद्यालय के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज में प्रोफेसर चौहान के फैन्स छात्रों के अलावा भी लोग हैं. शिक्षक, मोटीवेशनल स्पीकर और पर्सनैलिटी एवैल्यूएटर, चौहान यूपीएससी जगत में एक सेलिब्रिटी इन्फ्लुएंसर हैं और खान सर व दृष्टि आईएएस के विकास दिव्यकीर्ति जैसे स्टार्स के बीच अपना स्थान रखते हैं. इंस्टाग्राम पर उनके दस लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं और यूट्यूब चैनल विजेंदर मसिजीवी पर उनके 381K सब्सक्राइबर्स हैं. यहां तक कि हिट यूपीएससी शो एस्पिरेंट्स का प्रोमो भी इस स्टार साक्षात्कारकर्ता के बिना अधूरा है.

पिलर ऑफ इंस्पिरेशन शीर्षक से अपने 12 मिनट के टेड टॉक में, चौहान बताते हैं कि कैसे वह फोकस्ड नहीं थे और उन्हें इसका अफसोस नहीं है. “मै फोकस्ड नहीं था. मैं भगवान में विश्वास नहीं करता, नहीं तो मैं कहता कि भगवान का शुक्र है कि मैं फोकस्ड नहीं था.”

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चौहान पर बने मीम्स वायरल होने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई. अब वह रेस्तरां में नहीं जा सकते क्योंकि लोग आकर उनसे बात करने लगते हैं और सेल्फी लेने की कोशिश करते हैं. उन्हें काफी सतर्क रहना होता है क्योंकि वह जो कुछ भी कहते हैं उसे आउट ऑफ कॉन्टेक्स्ट भी यूज़ कर लिया जाता है.

चौहान कहते हैं, “इसने मेरे जीवन पर बेशक अच्छे तरीके से प्रभाव डाला है लेकिन यह हमेशा अच्छा नहीं होता है. मुझे हर वक्त सतर्क रहना पड़ता है.’ रिकॉर्डिंग का डर हमेशा रहता है.”

लोग मुझसे कहते रहे हैं कि मुझे जो अटेंशन मुझे मिल रही है, उसे कमाई का ज़रिया बनाओ. लेकिन यह मेरे दर्शकों के प्रति मेरी ज़िम्मेदारी भी है
– विजेंदर सिंह चौहान, एसोसिएट प्रोफेसर, जाकिर हुसैन कॉलेज

मीम की दुनिया, फैन-फॉलोइंग

अथाह स्क्रॉलिंग के युग में, कौन सा कॉन्टेंट और कौन सा व्यक्ति मीम मटीरियल बनकर रह जाएगा, यह कहना कठिन है. चौहान भी उनमें से एक हैं. “बैठने का तरीका थोड़ा कैज़ुअल है” वाली लाइन पर कई क्लिप हैं. अब, जब भी वह अपने इंस्टाग्राम पर कुछ भी पोस्ट करते हैं, तो कमेंट सेक्शन ऐसे रेफरेंस से भर जाता है.

जब चौहान ने वेब सीरीज एस्पिरेंट्स के कलाकारों के साथ एक तस्वीर पोस्ट की तो एक व्यक्ति ने कॉमेंट सेक्शन में लिखा, “ये कोलैब थोड़ा कैजुअल है.”

इंस्टाग्राम पर एक और तस्वीर, जिसमें विकास दिव्यकीर्ति भी हैं, पर लगभग दो हजार टिप्पणियां हैं और उनमें से कई चौहान की इंटरव्यू लेने की स्टाइल की नकल करते हैं. ऐसा नहीं है कि वे उनका मज़ाक उड़ा रहे हैं; कई फॉलोवर्स के लिए यह महज कुछ हल्का मज़ाक है. और यूपीएससी के उम्मीदवारों के रूप में, यह उस ईको सिस्टम का हिस्सा बनने का उनका तरीका है, भले ही इसका मतलब यह है कि उनका मजाक वीडियो के नीचे हजारों कॉमेंट्स के बीच दब गया है और सभी को चौहान ने नहीं देखा है.

एक अन्य यूजर ने लिखा, “फोटो खिंचवाने का तरीका थोड़ा कैजुअल है.

चौहान ने जो दूसरी तस्वीर इन्स्टाग्राम पर पोस्ट की उस पर कॉमेंट आता है, “आई कॉन्टैक्ट थोड़ा बेहतर हो सकता है”; सर एक नीले रंग की टाई होती तो मजा आ जाता.

वायरल हो चुके ‘कैजुअल’ इंटरव्यू क्लिप के अलावा, चौहान के कई वीडियो हैं, यूपीएससी परीक्षा के मुद्दों पर जिन पर गंभीर चर्चा की जा सकती है.

अपने एक वीडियो में, जिसे छह मिलियन से अधिक बार देखा गया है, चौहान ने आशुतोष कुमार (यूपीएससी एआईआर रैंक 77) से उनकी इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि और यूपीएससी परीक्षा के लिए उनके विषय की पसंद के बारे में पूछा. “अगर आईआईटी-कानपुर अपने ही गोल्ड मेडलिस्ट को अपने ही डिसिप्लिन में परीक्षा देने का आत्मविश्वास नहीं दे सकता है तो कौन सा संस्थान देगा?”

“मीम्स मनोरंजक हैं लेकिन हमें विश्लेषण करना होगा कि यह कौन कर रहा है और इसके पीछे क्या इरादा है. मैं इस चलन से परेशान नहीं हूं. ज़ाकिर हुसैन कॉलेज में हिंदी साहित्य पढ़ाने वाले चौहान कहते हैं, ”मुझे जो अटेंशन मिल रहा है, मैं उसे एंज्वॉय कर रहा हूं.”

यूपीएससी ईको सिस्टम के मुख्य साक्षात्कारकर्ता बनने से पहले और डीयू प्रोफेसर के रूप में अपने कार्यकाल से पहले, चौहान एक स्कूल शिक्षक थे. उन्होंने केंद्रीय शिक्षा संस्थान से भी अध्ययन किया है और खुद को एक कुशल साक्षात्कारकर्ता, कम्युनिकेटर और पर्सनैलिटी इवैल्युएटर मानते हैं.


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मॉक इंटरव्यू, वास्तविक चुनौतियां

उनके द्वारा किए जाने वाले इंटरव्यू मॉक हैं, लेकिन इसमें रोज़मर्रा की वास्तविकताएं नहीं हैं.

चौहान एक दलित उम्मीदवार के साथ एक साक्षात्कार को याद करते हैं जो यूपीएससी पास करने के बाद भारतीय विदेश सेवा चुनना चाहता था. उनकी दलित पहचान को ध्यान में रखते हुए, चौहान ने उनसे पूछा कि वह आईएफएस जैसी विशिष्ट सेवा में क्यों शामिल होना चाहते हैं. लेकिन उनका सवाल को कैंडीडेट ने ठीक से नहीं समझा.

चौहान ने कहा, “मैंने इस बारे में कुछ रिपोर्ट पढ़ी थी कि कैसे आईएफएस में दलित प्रतिनिधित्व कम है, इसलिए मैं उम्मीदवार से उस उत्तर की उम्मीद कर रहा था, लेकिन उन्होंने मुझे गलत समझा और अपने चयन के बाद, उन्होंने मेरा नाम लिए बिना कहा कि उनसे इसलिए पूछताछ की गई क्योंकि वह दलित थे.”

उन्होंने आगे कहा, “तो कभी-कभी ग़लतफ़हमी हो जाती है. लेकिन मैं कभी भी कैंडीडेट से बात नहीं करता, उनका इंटरव्यू लेता हूं. यही मेरा नियम है. कभी-कभी, सिविल सेवक मुझे पहचानते हैं और बताते हैं कि मैंने उनका साक्षात्कार लिया था. लेकिन अधिकांश समय, मैं उन्हें याद नहीं रखता.”

मीम्स मज़ेदार हैं लेकिन हमें इस बात पर विचार करना होगा कि यह कौन कर रहा है और इसके पीछे क्या मंशा है. मैं इस चलन से परेशान नहीं हूं. मुझे जो अटेंशन मिल रहा है, मैं उसे एंज्वॉय कर रहा हूं.

दो साल पहले यूपीएससी का एग्ज़ाम पास करने वाले एक सिविल सर्वेंट कहते हैं, “मैंने चौहान सर को मॉक इंटरव्यू दिया है और मुझे यह मददगार लगा. मजेदार बात है कि उनके वीडियो का एक हिस्सा वायरल हो रहा है. लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि छात्र अभी भी साक्षात्कार मार्गदर्शन के लिए उनके पास जाएंगे.”

“नेटवर्किंग से सीखना बंद हो जाता है. अगर आप लोगों को खुश करना शुरू कर देंगे तो आप उनसे सवाल नहीं कर पाएंगे.

इंटरव्यूवर और एजुकेटर की दो भूमिकाओं के अलावा, चौहान एक मोटीवेशनल स्पीकर भी हैं, जिन्होंने TEDx और जोश टॉक्स में डेब्यू किया है. यहां तक कि आईआईटी ने भी उनसे इनवाइट किया है.

अभ्यर्थी से लेकर एक्सपर्ट तक

चौहान दिल्ली के भजनपुरा में पले-बढ़े और सरकारी स्कूल में पढ़ाई की. बाद में ज़ाकिर हुसैन कॉलेज में उन्होंने हिंदी साहित्य की पढ़ाई की. दृष्टि आईएएस के विकास दिव्यकीर्ति के साथ उनकी मुलाकात ही उन्हें पहली बार यूपीएससी के भंवर में खींच लाई और तब से उन्हें व्यस्त रखा है.

चौहान याद करते हुए कहते हैं, “ग्रेजुएशन के दौरान हम रूममेट थे, उन्होंने इतिहास की पढ़ाई की थी, लेकिन हम डिबेट करते थे, जिससे हमारी दोस्ती मजबूत हुई. मैंने उन्हें हिंदी साहित्य से परिचित कराया और उन्होंने मुझे यूपीएससी से परिचित कराया.”

पिछले दो दशकों से यूपीएससी मॉक इंटरव्यू लेने वाले चौहान ने कभी इंटरव्यू नहीं दिया. एक अभ्यर्थी के रूप में, शिक्षण के अपने जुनून को फॉलो करने से पहले उन्होंने यूपीएससी की दो मुख्य परीक्षाएं दीं. 2005 में, उन्हें उनके अल्मा मेटर जाकिर हुसैन कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चुना गया था.

कुछ लोग कहना है कि मैंने खुद इंटरव्यू नहीं दिया है, फिर भी वे मुझे एक एक्सपर्ट के रूप में आमंत्रित करते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि मेरे पास एक शिक्षक, इंजीनियर, रिसर्चर के रूप में अनुभव है, इसलिए मैं विभिन्न विषयों से सवाल पूछ सकता हूं.

चौहान कहते हैं, “मेरे दो अटेंप्ट्स के बाद, मैंने यूपीएससी की तैयारी छोड़ दी. मैं अपनी पीएच.डी. कर रहा था. और मुझे अपनी जेआरएफ फ़ेलोशिप से पैसे मिल रहे थे. मेरी पत्नी स्कूल में पढ़ाती थी. तो पैसे को लेकर हमारी समस्याएं खत्म हो गई थीं. लेकिन विकास ने यूपीएससी नहीं छोड़ा, उन्होंने तैयारी के साथ-साथ कुछ यूपीएससी उम्मीदवारों को पढ़ाना भी शुरू कर दिया.”

तभी यह सब शुरू हुआ. 1999 में, जब दिव्यकीर्ति ने छात्रों को पढ़ाना शुरू किया, तब यूपीएससी कोचिंग उद्योग उतना बड़ा नहीं था जितना आज बन गया है. यह अभी भी एक असंगठित व्यवस्था थी जहां हिंदी माध्यम के छात्रों को साक्षात्कार मार्गदर्शन के लिए संघर्ष करना पड़ता था. 2000 में, दृष्टि ने मॉक इंटरव्यू लेना शुरू किया और चौहान को एक एक्सपर्ट के रूप में वहां आमंत्रित किया गया.

चौहान कहते हैं “उस समय दृष्टि हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए मॉक इंटरव्यू शुरू करने वाली पहला कोचिंग सेंटर था. तब से, वे मुझे पैनल का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं. कुछ लोग कहते हैं कि मैंने स्वयं साक्षात्कार नहीं दिया है लेकिन वे मुझे एक एक्सपर्ट के रूप में आमंत्रित करते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि मेरे पास एक शिक्षक, इंजीनियर, रिसर्चर के रूप में अनुभव है, इसलिए मैं विभिन्न विषयों से प्रश्न पूछ सकता हूं.”

लेकिन चौहान इस बात से सहमत हैं कि यह दोतरफा रास्ता है. वे कहते हैं, “मैंने कैंडीडेट्स से भी कुछ सीखा है. यूपीएससी के इंटरव्यू स्तर तक पहुंचना आसान नहीं होता है, इसलिए वे सभी अच्छी तरह से पढ़े-लिखे उम्मीदवार हैं.”

चौहान की यात्रा दिल्ली के मुखर्जी नगर के उन हजारों छात्रों के समान है, जो अपने अटेंप्ट खत्म होने के साथ ही एक अभ्यर्थी से एक कोचिंग सेंटर प्रोफेशनल्स बन जाते हैं. कई लोगों के लिए यह प्लान बी काम नहीं करता है. लेकिन चौहान के लिए इसने काम किया.

जब उन्होंने मॉक लेना शुरू किया तो अभ्यर्थी उनसे 4-5 साल बड़े थे.

चौहान कहते हैं, “उस समय, विकास और मैं उम्मीदवार की जन्मतिथि देखते थे और एक-दूसरे को चिढ़ाते थे कि वह हमसे बड़ा है. आज, हम जन्मतिथि देखते हैं और महसूस करते हैं कि उम्मीदवार हमारे बच्चे की उम्र के बराबर है.”

चौहान सैकड़ों साक्षात्कार लेते हैं और उनके प्रश्न इंजीनियरिंग, हिंदी साहित्य, इतिहास से लेकर राजनीति विज्ञान आदि तक होते हैं, लेकिन कैंडीडेट्स के बैठने के तरीके, ड्रेसिंग सेंस इत्यादि पर जो उनके कमेंट्स किए जाते हैं वह उनके द्वारा दिए जाने वाले फीडबैक का सबसे साधारण हिस्सा है. लेकिन इंटरनेट पर लोगों का सबसे ज़्यादा ध्यान इसी ने खींचा.

मॉक इंटरव्यू मीडिया प्रोडक्ट हैं

चौहान इस यूपीएससी साइकिल का हिस्सा हैं लेकिन इस सरकारी नौकरी की सनक का समर्थन नहीं करते हैं. चौहान कहते हैं, “गवर्नमेंट जॉब सिस्टम इतना लोकप्रिय हो गया है कि इससे संबंधित किताबें, सीरीज़, फिल्में और टीचर्स प्रसिद्ध पत्रिकाओं के कवर पर जगह बना रहे हैं. यह भयावह है. यह सिर्फ एक नौकरी है, इसे जीवन बदलने वाली घटना कहना बेवकूफी है.”

उन्होंने आगे कहा, ”हर साल लगभग 200 लोग आईएएस अधिकारी बनते हैं, यह सामान्य बात है.”

यूपीएससी के लिए आवेदन करने वालों की संख्या हर साल बढ़ रही है.

चौहान कहते हैं, “मॉक इंटरव्यू को मीडिया प्रोडक्ट के रूप में कंज़्यूम किया जा रहा है. हम भी एक प्रोडक्ट हैं.”

उनके अधिकांश छात्र हिंदी माध्यम पृष्ठभूमि से हैं और पिछले कुछ वर्षों में यूपीएससी में चयन के मामले में हिंदी माध्यम के छात्रों का ग्राफ गिरा है.

चौहान कहते हैं, “हिंदी बेल्ट में स्थिति डरावनी है लेकिन हमने थोड़ा बदलाव देखा (हिंदी में परीक्षा लिखने वालों से कम चयन). उम्मीद है, यह बेहतर हो जाएगा,”

28 साल के मयंक त्रिपाठी ने इस साल यूपीएससी मेन्स की परीक्षा दी है और अपने रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने उन संस्थानों की एक सूची बनाई है जहां वह मॉक इंटरव्यू देना चाहते हैं और विजेंदर सिंह चौहान उनकी लिस्ट में हैं.

त्रिपाठी कहते हैं, “मैंने उनके वीडियो देखे हैं; वह दिलचस्प सवाल पूछते हैं और इससे उम्मीदवार को एक दृष्टिकोण मिलता है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनके कुछ कॉमेंट्स वायरल हो जाते हैं, वह जो करते हैं उससे कई उम्मीदवारों को मदद मिलती है,”

(संपादनः शिव पाण्डेय)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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