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Sunday, 28 April, 2024
होमफीचरमेट्रो, मैन्युफैक्चरिंग और माफिया मुक्त: योगी ने कैसे गोरखपुर को बनाया ‘सपनों का शहर’

मेट्रो, मैन्युफैक्चरिंग और माफिया मुक्त: योगी ने कैसे गोरखपुर को बनाया ‘सपनों का शहर’

अगर सैफई के विकास का श्रेय मुलायम सिंह यादव को जाता है, ग्रेटर नोएडा का श्रेय मायावती को जाता है तो गोरखपुर भी योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि है.

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गोरखपुर: रामगढ़ ताल झील में सुबह-सुबह एक शव तैर रहा था. एक कूड़ा बीनने वाले ने इसे देखा और जल्द ही, यह शहर में चर्चा का विषय बन गया. पुलिस ने फौरन झील की किलेबंदी कर दी. यह एक हत्या थी. स्थानीय समाचारों में सुर्खियां चीख उठीं: “रामगढ़ ताल झील में फिर मिली एक लाश.”

लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्वाचन क्षेत्र अब एक अलग गोरखपुर में ये दो साल पुरानी बात है. उस समय, रामगढ़ ताल एक ‘खूनी नाला’ था, कुख्यात अपराधियों का हॉटस्पॉट, जहां हत्या कर शवों को फेंका जाता था. आज, झील एक डेटिंग प्वाईंट बन गया है. नए-नए जोड़े हाथ में हाथ डालकर यहां टहलते हैं, आइसक्रीम खाते हैं, सेल्फी लेते हैं और रील्स बनाते हैं. झील अब 50 सीसीटीवी कैमरों से घिरी हुई एक सुरक्षित जगह बन गई है.

गोरखपुर के सांसद रवि किशन ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के मंत्री जितिन प्रसाद के साथ नाव चलाने का एक खुशनुमा पोस्ट भी शेयर किया था. मठ के वर्चस्व वाले गोरखपुर में चल रहे महत्वाकांक्षी बदलावों के तहत इस झील का सौंदर्यीकरण एक शानदार रूपक है–मेट्रो, मॉल, वाटर कॉम्प्लेक्स, लक्ज़री क्रूज़, फ्लोटिंग रेस्तरां, नई चौड़ी सड़कें, एक्सप्रेसवे, एम्स और भारत के ओटीटी प्लेटफॉर्म का भविष्य. ये कभी न खत्म होने वाली लंबी लिस्ट है.

अगर सैफई का विकास मुलायम सिंह यादव के कारण हुआ है, ग्रेटर नोएडा का श्रेय मायावती को जाता है तो गोरखपुर भी योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि है, जो तेज़ी से उत्तर प्रदेश की शोकेस सिटी बन रहा है. पहले तंग गलियों और छोटी कल्पनाओं से भरा एक अराजक शहर हुआ करता था, आज आदित्यनाथ के ‘सपनों का’ शहर है. गोरखपुर ने लखनऊ में उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 में वाराणसी, कानपुर, गाजियाबाद और मुरादाबाद को पछाड़ते हुए 1.71 लाख करोड़ रुपये का निवेश अर्जित किया है.

रेडियो सिटी की आरजे प्रीति त्रिपाठी कभी भी इस झील के पास नहीं गईं. रामगढ़ ताल झील के बारे में बचपन से उनके मन में डर था. उन्होंने कहा, “हम बलात्कार की कहानियों के बारे में सुनते थे. इससे हमारी रूह कांप उठेगी.”

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लेकिन उनकी पहली यात्रा एक रहस्य से पर्दा उठाने वाली थी. कीचड़ भरे रास्तों और बिना रोशनी वाली सड़कों के बजाय, उन्हें एक बढ़िया सैरगाह मिली. अब, वे आत्मविश्वास से देर रात तक झील के पास अपने स्कूटर की सवारी करती हैं, अपनी नई आज़ादी का आनंद लेती हैं.

Preeti Tripathi, an RJ at Radio City FM, in her studio, in Gorakhpur | Photo: Praveen Jain | ThePrint
गोरखपुर में रेडियो सिटी एफएम की आरजे प्रीती त्रिपाठी अपने स्टूडियो में | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट

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ताज विवांता से गोरखपुर एक्सप्रेसवे

जब आईएएस अधिकारी महेंद्र सिंह तंवर को पिछले साल गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था, तो उन्हें पता था कि 9-10 लाख की आबादी वाले शहर को पूरी तरह से कायापलट की ज़रूरत है. सीएम आदित्यनाथ के पास एक महत्वाकांक्षी दृष्टि थी और एक सतही बदलाव पर्याप्त नहीं था.

पूर्वी उत्तर प्रदेश के मध्य में स्थित, गोरखपुर छोटे चोरों, गैंगस्टरों और अपराधियों का गढ़ था. इसके कम विकास सूचकांक के साथ, गाजियाबाद और नोएडा से निकटता के बावजूद इस शहर की अनदेखी की गई.

तंवर ने शहर को बदलने की सीएम की योजनाओं के बारे में जाना और रामगढ़ ताल झील से शुरुआत करने का फैसला किया. उनके डिज़ाइन में मुंबई का मरीन ड्राइव था. आज, यह क्षेत्र पैदल चलने वालों के लिए एक सैरगाह, वाहन चालकों के लिए एक चार-लेन की सड़क, वरिष्ठ नागरिकों के लिए बेंच, फव्वारे, पेड़ और सफेद तम्बू जैसी छतरियां समेटे हुए है जो गोरखपुर के बढ़ते क्षितिज के एवज में खूबसूरत सूर्यास्त की चाह रखने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के चबूतरे के साथ बेहद लोकप्रिय हैं. इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (आईएचसीएल) के ताज विवांता, रमादा, हॉलिडे इन और मैरियट इस झील के आसपास अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं, जहां निर्माण कार्य पहले से ही चल रहा है. तंवर इन होटलों के प्रस्तावित स्थानों पर प्रकाश डालते हुए गर्व से ब्लूप्रिंट और नक्शे दिखाते हैं.

Visitors at Ramgarh Tap Lake, Gorakhpur | Photo: Praveen Jain | ThePrint
रामगढ़ ताल झील, गोरखपुर में घूमने आए पर्यटक | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Visitors at Shaheed Ashfaq Ullah Khan Zoological Park, commonly known as Gorakhpur Zoo | Photo: Praveen Jain | ThePrint
शहीद अशफाक उल्ला खान प्राणी उद्यान के पर्यटक, जिसे आमतौर पर गोरखपुर चिड़ियाघर के रूप में जाना जाता है | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट

पहले, लोग केवल मठों में जाते थे, लेकिन अब वे झील और 2021 में खुले 21 एकड़ के विशाल चिड़ियाघर के कारण गोरखपुर में आने लगे हैं. सीएम आदित्यनाथ को पिछले साल चिड़ियाघर में अपनी यात्रा के दौरान एक तेंदुए के बच्चे को दूध पिलाते हुए भी देखा गया था.

तंवर ने गोरखपुर के बदलाव का श्रेय आदित्यनाथ को दिया. उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री गोरखपुर को अपने हाथ के पिछले हिस्से की तरह मानते हैं. वे हर नुक्कड़ और कोने से परिचित हैं और हमेशा नए विचारों के लिए तैयार रहते हैं. यह हमारे काम को आसान बनाता है.” अधिकारियों के मुताबिक, आदित्यनाथ महीने में तीन बार गोरखपुर आते हैं और जारी निर्माण कार्यों के अपडेट के लिए अधिकारियों से मिलते हैं.

IAS officer Mahendra Singh Tanwar, vice-chairman, Gorakhpur Development Authority | Photo: Praveen Jain | ThePrint
आईएएस अधिकारी महेंद्र सिंह तंवर, उपाध्यक्ष, गोरखपुर विकास प्राधिकरण | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट

गोरखपुर प्रशासन अपने काम में जुट चुका है और इस बार प्रेरणा मुंबई नहीं, बल्कि लंदन है—विशेष रूप से यूनाइटेड किंगडम का बड़ा फेरिस व्हील, दि लंदन आई. तंवर ने कहा कि गोरखपुर आई रामगढ़ ताल झील के तट पर एक भव्य मनोरंजन का साधन होगा.

रियायती दरों पर बड़े घरों और फार्महाउसों को बढ़ावा देने वाले रियल एस्टेट होर्डिंग्स सामने आए हैं, जबकि एक अन्य बैनर ग्लोबल ब्रैंड्स को दर्शा रहा है. सैरगाह के बीच में रामगढ़ ताल पर एक साइनबोर्ड पर लिखा है, “आई लव गोरखपुर”.

जबकि झील क्षेत्र ‘सौंदर्य’ के प्रतीक के रूप में कार्य करता है, गोरखपुर को कई परियोजनाओं द्वारा भी परिभाषित किया जाएगा, जिसमें एक सैटेलाइट सिटी और एक चीज़ शामिल है जो इन दिनों सभी भारतीय शहरों की आकांक्षा है—एक चमचमाती नई मेट्रो जो लोगों की यात्राओं को सुगम बनाने का वादा करती है. हालांकि, ये अभी भी एक प्रस्ताव है, यह एक ऐसे शहर के लिए एक महत्वाकांक्षी सपना है जो न तो राज्य की राजधानी है और न ही एक बड़ा शहर है. अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, गुरुग्राम, हैदराबाद, जयपुर, कानपुर, कोच्चि, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, नोएडा और पुणे की फेहरिस्त में शामिल होने के बाद गोरखपुर भारत का 16वां शहर बन जाएगा जहां मेट्रो होगी.

Visitors at Ramgarh Tap Lake, Gorakhpur | Photo: Praveen Jain | ThePrint
रामगढ़ ताल झील, गोरखपुर में घूमने आए पर्यटक | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Visitors at Ramgarh Tap Lake, Gorakhpur | Photo: Praveen Jain | ThePrint
रामगढ़ ताल झील, गोरखपुर में घूमने आए पर्यटक | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट

तंवर जो गोरखपुर मेट्रो के नक्शे के से जूझ रहे हैं, कहते हैं, “ये विकास शहर के विस्तारित शहरी परिदृश्य को आकार देंगे, इसकी महानगरीय पहचान के लिए एक आधुनिक और गतिशीलता को बढ़ावा देंगे.” नक्शा उनके सामने दीवार पर लटका हुआ है. डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट क्लीयरेंस के लिए केंद्र सरकार को भेजी गई है.

गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने इंट्रा-सिटी सर्विस के लिए दो लाइन ब्लू और रेड प्रस्तावित की है. ये लाइनें बाहरी क्षेत्रों को शहर के करीब लाएंगी, जबकि शहर के भीतर, मेट्रो बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखनाथ मठ, गोरखपुर विश्वविद्यालय और एम्स जैसे प्रमुख प्रतिष्ठानों को जोड़ेगी.

वर्तमान में अधिकांश लोग निजी परिवहन या 60-पुरानी इलेक्ट्रिक बसों, ऑटो और ई-रिक्शा पर निर्भर हैं. तंवर ने कहा, “40 प्रतिशत (सड़क) यातायात मेट्रो के संचालन के बाद स्थानांतरित हो जाएगा.”

स्थानीय समाचार पत्र इसे ‘योगी का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट’ कहते हैं, रियल एस्टेट एजेंट संपत्ति की कीमतों पर फिर से विचार कर रहे हैं और नागरिक बेसब्री से अपनी खुद की मेट्रो का इंतज़ार में हैं. ग्रेजुएशन के एक स्टूडेंट रवि कुमार ने कहा, “योगी शीर्ष स्तर के विकास के साथ शहर का सौंदर्यीकरण और मजबूती कर रहे हैं. जल्द ही, हम अन्य महानगरीय शहरों की तरह चमकेंगे.”

Construction work underway at Lucknow-Gorakhpur Road | Photo: Praveen Jain | ThePrint
लखनऊ-गोरखपुर रोड पर जारी निर्माण कार्य | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Construction work underway at Lucknow-Gorakhpur Road | Photo: Praveen Jain | ThePrint
लखनऊ-गोरखपुर रोड पर जारी निर्माण कार्य | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट
Construction work underway at Lucknow-Gorakhpur Road | Photo: Praveen Jain | ThePrint
लखनऊ-गोरखपुर रोड पर जारी निर्माण कार्य | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट

यह गोरखपुर को निवेशक मानचित्र पर ओटीटी (ओवर-द-टॉप) से लेकर ऊर्जा तक लाने की आदित्यनाथ की योजना का हिस्सा है. ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में साइन किए गए एमओयू में से एक अवाडा वेंचर्स के साथ था, जिसमें गोरखपुर में ग्रीन अमोनिया प्लांट लगाने के लिए 22,500 करोड़ रुपये देने का वादा किया गया था. अन्य निवेशकों में 2,935 करोड़ रुपये की पेपर मिल परियोजना के लिए आरजी स्ट्रैटेजी ग्रुप, एलपीजी पाइपलाइन के लिए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, सियान डिस्टिलरीज और पेप्सिको की सहायक कंपनी शामिल हैं.

यह सब गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीआईडीए) को अपना भवन प्रदान करने के साथ शुरू हुआ, व्यापार को आसान बनाने, निवेशकों को आकर्षित करने और नई परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण करने की प्राधिकरण की प्रतिबद्धता को विश्वास दिलाता है.


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निवेशकों का नया घर

बहुत पहले नहीं, 1980-90 के दशक में, गोरखपुर प्रकाश शुक्ला, हरि शंकर तिवारी और उनके प्रतिद्वंद्वी वीरेंद्र प्रताप शाही जैसे गैंगस्टरों का गढ़ था, जिन्हें राजपूत समुदाय का समर्थन प्राप्त था. शहर के वर्चस्व की लड़ाई अक्सर सड़कों पर फैल जाती थी, जो अक्सर राजपूत बनाम ब्राह्मण नारों के साथ विभाजित होती थी. 1997 में कथित तौर पर शाही को मार गिराने के बाद शुक्ला थोड़े समय के लिए विजयी हुए, लेकिन अगले साल पुलिस मुठभेड़ में मारे गए. रक्तपात और गिरोह युद्धों ने बॉलीवुड फिल्मों के लिए चारा प्रदान किया, लेकिन कारोबारी समाज के लिए, यह जबरन वसूली के लगातार खतरे के साथ डर का माहौल था.

लेकिन पिछले महीने हरि शंकर तिवारी की मौत की खबर बमुश्किल एक फुटनोट जैसे आई, उसका अंतिम संस्कार शांत था, जो आदित्यनाथ की माफियाओं पर नकेल कसने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. सीएम ने पिछले साल अगस्त में शहर में विभिन्न परियोजनाओं के शिलान्यास समारोह के दौरान कहा था, “गोरखपुर कभी मच्छरों और माफियाओं के लिए बदनाम था, लेकिन अब विकास के लिए जाना जाता है.”

जीआईडीए में आदित्यनाथ की एक फोटो लगी है, जो पूरे हॉल पर हावी है. जीआईडीए के सीईओ पवन अग्रवाल के कार्यालय सहित हर जगह उनकी उपस्थिति महसूस की जाती है, जहां दीवार पर मुख्यमंत्री की एक जैसी तस्वीर टंगी है. जीआईडीए की स्थापना 1989 में हुई थी, लेकिन 2017 तक ये किराए की जगह पर चलता रहा. 2018 तक, सेक्टर-7 में औद्योगिक क्षेत्र के पास इसका अपना बहुमंजिला कार्यालय था, जिससे व्यवसाय को सुविधाजनक बनाना आसान हो गया. अग्रवाल गर्व से अब नए कार्यालय को जीआईडीए का अपना बताते हैं.

Pavan Agrawal, CEO, Gorakhpur Industrial Development Authority (GIDA) | Photo: Praveen Jain | ThePrint
पवन अग्रवाल, सीईओ, गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीआईडीए) | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट

वे हंसते हुए कहते हैं, “अतीत में निवेशक हमें गंभीरता से नहीं लेते थे क्योंकि वे जीआईडीए के सीईओ को किराए के कार्यालय में काम करते हुए देखते थे.इसने निवेशकों पर बुरा प्रभाव डाला था.”

नए निवेशकों को आकर्षित करने के लिए भाजपा सरकार को सबसे पहले बिखरे उद्योग को मजबूत बनाना पड़ा. इसने 1968 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा शुरू किए गए कांग्रेस-युग के अवशेष गोरखपुर उर्वरक संयंत्र को चुना. 1990 में अमोनिया गैस रिसाव के कारण एक इंजीनियर की मौत हो जाने के बाद प्लांट को बंद कर दिया गया था. सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई (पीएसयू) को बहाल करना आदित्यनाथ का मिशन बन गया.

8,603 करोड़ रुपये की लागत से यह प्लांट एक प्रतीक बन गया जो पूर्वी उत्तर प्रदेश में विकास को गति देने वाला था.

सीएम ने इसके उद्घाटन के दौरान कहा, “पिछले 30 वर्षों में यूपी में पांच सरकारें आईं और गईं. गोरखपुर में इस उर्वरक कारखाने को शुरू करने का साहस केवल भाजपा सरकार में था.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद दिसंबर 2021 में एम्स-गोरखपुर और आईएमसीआर क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र के साथ इसके फिर से खुलने पर इसका उद्घाटन किया. प्लांट की सफलता को भाजपा की जीत के रूप में सराहा गया.

Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath at the Mansarovar Temple in Gorakhpur | Photo: Praveen Jain | ThePrint
गोरखपुर के मानसरोवर मंदिर में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट

फैक्ट्री में मानव संसाधन के प्रतिनिधि अरविंद पांडे ने कहा, “कारखाने की यूरिया की आपूर्ति ने इसे घरेलू बाज़ार में एक खास जगह दी है और लगभग 20,000 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से और अप्रत्यक्ष रूप से 1.5 लाख लोगों को रोज़गार मिला है.”

एक सरकारी सूत्र के अनुसार, अपने दूसरे कार्यकाल के पहले वर्ष में आदित्यनाथ सरकार ने 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा जल निकासी और सड़कों को सुधारने में लगाया गया.

क्लासिक की तरह, ‘अगर आप इसे बनाते हैं, तो वे आएंगे’ पेप्सिको की अखिल भारतीय फ्रेंचाइज़ी वरुण बेवरेज के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) कमलेश कुमार जैन को प्रभावित करने वाली सड़कें थीं. कंपनी पहला प्लांट पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के साथ इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में लगाएगी.

उन्होंने पूछा, “क्या आपने गोरखपुर में सड़कें देखी हैं? वे पहले ऐसे नहीं थीं. दो किलोमीटर की यात्रा में एक घंटा लगता था.”

Construction work underway at Lucknow-Gorakhpur Road | Photo: Praveen Jain | ThePrint
लखनऊ-गोरखपुर रोड पर जारी निर्माण कार्य | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट

पांच साल पहले जैन के दिमाग में गोरखपुर में निवेश करने का ख्याल भी नहीं आया था. शहर में उनकी पिछली यात्राओं में ट्रैफिक जाम, बेतरतीब वाहनों की आवाजाही और आसपास के क्षेत्रों से अलगाव की भावना के कारण निराशा थी.

अधिकतर चार और छह लेन के मार्ग और जल्द ही पूरा होने वाले गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के साथ, पड़ोसी जिलों की यात्रा में तेज़ी आने की उम्मीद है. जैन आत्मविश्वास से गोरखपुर को निवेशकों के लिए “प्रमुख पसंद” के रूप में संदर्भित करते हैं.

उन्होंने कहा, “हमारी टीम के विश्लेषण ने बाज़ार में मांग दिखाई है और सरकार निवेशकों और उद्योगों को प्रेरित कर रही है.”

व्यापार करने में आसानी से जैन को सुखद एहसास हुआ. पिछले जुलाई में एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद, उन्होंने मंजूरी के लिए लंबे इंतज़ार के लिए खुद को तैयार किया था. हालांकि, मंजूरी दो महीने के भीतर मिल गई. सितंबर 2022 तक, उन्हें सेक्टर 27 में दो कारखानों- एक कोल्ड ड्रिंक की सुविधा और एक डेयरी प्लांट लगाने के लिए लिए 50 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी, जो गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के पास स्थित है.

उन्होंने कहा, “मैंने इस स्तर की मुस्तैदी की कभी उम्मीद नहीं की थी. पिछले साल सितंबर में हमें जमीन आवंटित हुई और अक्टूबर में ज़मीन की रजिस्ट्री हुई. फैक्ट्री अगले वित्त वर्ष से चालू हो जाएगी.”

इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में सबसे पहले वरुण बेवरेजेज मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाएगी. जीआईडीए एक प्लास्टिक पार्क भी विकसित कर रहा है, जो उत्तर प्रदेश में पहला और भारत में सातवां होगा.

Construction work underway at Lucknow-Gorakhpur Road | Photo: Praveen Jain | ThePrint
लखनऊ-गोरखपुर रोड पर जारी निर्माण कार्य | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट

जीआईडीए के सीईओ अग्रवाल ने कहा, “प्लास्टिक पार्क पांच हज़ार लोगों को रोज़गार प्रदान करेगा, पार्क का 10-15 प्रतिशत रीसाइक्लिंग कार्य के लिए समर्पित होगा. 2017 से पहले, केवल दो औद्योगिक क्षेत्र थे, लेकिन अब पांच हैं और हम तीन और जोड़ने की योजना बना रहे हैं.”

इतिहासकार पीके लाहिड़ी शहर के विकास के लिए सरकार के 360 डिग्री दृष्टिकोण से प्रभावित हैं. उनके अनुसार, एक शहर का विकास दो कारकों से निर्धारित होता है: सौंदर्यीकरण और अर्थव्यवस्था.

उन्होंने कहा, “सौंदर्यीकरण दिख रहा है और विकास के साथ अर्थव्यवस्था में भी सुधार हुआ है. इसने शिक्षा और रोज़गार के द्वार भी खोल दिए हैं. वो दिन दूर नहीं जब आईटी उद्योग भी गोरखपुर में आएगा और किसी भी युवक-युवती को रोज़गार के लिए दूसरे शहरों में नहीं जाना पड़ेगा.”

A tea stall owner Vishal Gupta (left) with his employee Ajay Shankar at the Ramgarh Tal Lake Gorakhpur | Photo: Praveen Jain | ThePrint
रामगढ़ ताल झील गोरखपुर में चाय की दुकान के मालिक विशाल गुप्ता (बाएं) अपने कर्मचारी अजय शंकर के साथ | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट

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‘दिल्ली यहां आ गई’

सैटेलाइट शहर का विचार महामारी के वर्षों के दौरान आकार लेना शुरू हुआ जब लोग दिल्ली और गुरुग्राम जैसे शहरों से घर लौटने लगे. रिवर्स माइग्रेशन की बाढ़ ने अधिकारियों को एक आधुनिक, सुनियोजित शहरी केंद्र की आवश्यकता का एहसास कराया जो गोरखपुर की अपनी आकांक्षाओं की भरपाई कर सके.

17 हज़ार करोड़ रुपये के चौंका देने वाले बजट के साथ राज्य सरकार ने न्यू गोरखपुर को 600 एकड़ ज़मीन आवंटित की है. यह मॉडल सैटेलाइट सिटी परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार से 3,000 करोड़ रुपये के पर्याप्त निवेश से समर्थित है. इसके अलावा बाकी निजी निवेशकों द्वारा है.

रियल एस्टेट ठेकेदार चंदन नारायण अपने शहर पर दांव लगा रहे हैं. उन्होंने गुजरात में कपड़ा उद्योग में निवेश करने के लिए 2010 में घर छोड़ दिया, लेकिन 2017 में अपने पिता के बीमार पड़ने पर वापस लौट आए. उस समय, उन्होंने सोचा कि यह एक अस्थायी स्थानांतरण होगा, लेकिन कुछ ही महीनों में, उन्होंने महसूस किया कि सरकार गोरखपुर के लिए अपनी योजनाओं के बारे में गंभीर थी और जबरन वसूली की संस्कृति के बावजूद व्यवसायियों ने नहीं डरने का फैसला किया.

Visitors at Ramgarh Tap Lake, Gorakhpur | Photo: Praveen Jain | ThePrint
रामगढ़ ताल झील, गोरखपुर के आए पर्यटक | फोटोः प्रवीण जैन/ दिप्रिंट

नारायण ने छत पर बने रेस्तरां, सरोवर पोर्टिको में कॉफी की चुस्की लेते हुए याद किया, “पहले हर कोई माफिया के कारण गोरखपुर में निवेश करने से डरता था. वे निवेश का 20 प्रतिशत मांग लेते थे.”

जब नारायण के पिता 2012 में कैंसर से जूझ रहे थे, उस समय एकमात्र बीआरडी अस्पताल में कैंसर रोगियों के लिए सीमित सुविधाएं थीं और उन्हें भर्ती नहीं किया जा सकता था. डॉक्टरों ने उन्हें अपने पिता को मुंबई ले जाने के लिए कहा.

नारायण ने कहा, “हमें पहले लखनऊ जाना था और वहां से हमने टाटा मेमोरियल अस्पताल में एक डॉक्टर से मिलने के लिए मुंबई के लिए उड़ान भरी.” 10 साल बाद, गोरखपुर का अपना अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) है और भारत भर के प्रमुख शहरों को जोड़ने वाली उड़ानें मौजूद हैं.

86 स्थायी फैकल्टी मेंबर्स और 23 डिपार्टमेंट्स के साथ 100 एकड़ में फैले एम्स ने गोरखपुर को पूर्वी उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य राजधानी बना दिया है. महाराजगंज, देवरिया, कुशीनगर और आजमगढ़ के लोग तेज़ी से यहां के डॉक्टरों की ओर रुख कर रहे हैं. 2020 में डॉ सुरेखा किशोर एम्स-गोरखपुर की पहली महिला कार्यकारी निदेशक बनीं.

उन्होंने कहा, “जब मुझे पता चला कि मुझे एम्स-गोरखपुर में निदेशक के रूप में नियुक्त किया जा रहा है, तो मैं बहुत खुश हुई. किशोर इससे पहले एम्स-ऋषिकेश में शिक्षाविदों की डीन थीं. उन्होंने कहा, “काम चुनौतीपूर्ण था, लेकिन एक शहर जो धारणा में बदल रहा है, मुझे लगता है कि मेरा योगदान बहुत महत्वपूर्ण है.”

और अभी उनका काम खत्म नहीं हुआ है. एम्स-गोरखपुर में अभी भी सुपर स्पेशियलिटी वार्ड नहीं है और देरी का कारण डॉक्टरों की कमी बताया जा रहा है.

किशोर ने गोरखपुर की पुरानी इमेज से जुड़े डर की ओर इशारा करते हुए कहा, “डॉक्टर हैं, लेकिन वे गोरखपुर आने के लिए राज़ी नहीं हैं. वे पुराने गोरखपुर से बाहर नहीं आए हैं. यही वो चुनौती है जिसका हम अभी सामना कर रहे हैं.”

शीर्ष डॉक्टरों को छोटे शहरों में आने के लिए मनाना एक बाधा है जिसका सामना पूरे भारत के छोटे शहरों के एम्स कर रहे हैं.

लेकिन गोरखपुर में कनेक्टिविटी में सुधार हो रहा है. हालांकि, हवाई अड्डे में एक विशाल टर्मिनस का अभाव है और इस समय केवल एक रनवे है, दस उड़ानें इसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ, हैदराबाद और बेंगलुरु से जोड़ती हैं, हालांकि, विस्तार हो रहा है. एक बार पूरा हो जाने पर, विस्तारित टर्मिनल दस चेक-इन-काउंटरों और 200 यात्रियों की क्षमता के साथ 3,440 वर्ग मीटर को कवर करेगा.

लेकिन जो चर्चा पैदा कर रहा है वो है कंटेंट निर्माता और वितरक शेमारू एंटरटेनमेंट का आगमन है, जो वर्तमान में शहर में अपनी नई वेब सीरीज़ की शूटिंग कर रहा है. यह गोरखपुर को शूटिंग हब बनाने की आदित्यनाथ की पिछली घोषणाओं को ध्यान में रखते हुए हुआ है.

Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath at the Mansarovar Temple in Gorakhpur | Photo: Praveen Jain | ThePrint
गोरखपुर के मानसरोवर मंदिर में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ | फोटोः प्रवीण जैन/दिप्रिंट

अभिनेताओं में से एक, गजेंद्र बृजराज, जो कि गोरखपुर से हैं, ने कहा कि भविष्य में ऐसे और प्रोडक्शन हाउस आएंगे. ओटीटी इंडस्ट्री लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार भी मुहैया करा रही है.

उन्होंने कहा, “शूटिंग झील और घाटों के आसपास हो रही है. एक्टर्स और डायरेक्टर उत्साहित हैं. उन्होंने कहा कि गोरखपुर की पुरानी छवि उनके दिमाग में बिखर गई है.”

जैसे ही व्यवसायी नारायण इत्मीनान से कॉफी ब्रेक के बाद रेस्तरां से बाहर निकलते हैं और अपनी कार की ओर बढ़ते हैं, आगे ट्रैफिक सिग्नल से एक महिला की आवाज़ आती है.

पुलिस ने गोलघर के पास से एक काला बैग बरामद किया है, ये जिसका भी है कृपया इसे पास के स्थानीय पुलिस स्टेशन से ले सकते हैं.

नारायण दो कैमरों और एक साउंडबोर्ड से लगी ट्रैफिक लाइट की ओर इशारा करते हैं.

वे कहते हैं, “यह आपके लिए नया गोरखपुर है. शहर को बेहतर बनाने के लिए हर कोई सीएम के साथ आया है.”

इतिहासकार लाहिड़ी अपने कभी सुप्त शहर में तीव्र गति से हो रहे परिवर्तनों से अभिभूत हैं. एक समय था जब लोग दिल्ली जाने का सपना देखा करते थे क्योंकि वहां सभी सुविधाएं उपलब्ध थीं.

उन्होंने कहा, “अब, दिल्ली गोरखपुर आ गई है.”

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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