जींद/हिसार: हरियाणा के जींद जिले के पीलू खेड़ा गांव के महिला-पुरुष अब अपनी पसंदीदा मीठी दूध वाली चाय नहीं पी रहे हैं. इस चाय बहिष्कार तब से शुरू हुआ जब वेद सिंह और उनके परिवार को उनकी बहू – एक लूटकर भागने वाली दुल्हन द्वारा जहर दिया गया.
लुटेरी दुल्हन, जैसा कि वे आम बोलचाल में बोले जाते हैं, हरियाणा के भीतरी इलाकों में एक बहुत ही भयानक ताकत बन गई हैं. वे इस तरह के विषम लिंगानुपात वाले राज्य में अप्रत्याशित नतीजे हैं कि युवा पुरुषों ने भारत के अन्य हिस्सों से दुल्हनें ‘खरीदनी’ शुरू कर दी हैं. यह एक फलता-फूलता उद्योग है जिसमें दलाल सभी विवरणों को बाहर निकालते हैं ताकि बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और यहां तक कि केरल के गरीब परिवारों की युवा लड़कियों को 10,000 रुपये से भी कम में ‘बेचा’ जा सके.
लेकिन अब पासा पलट गया है. दलालों द्वारा खरीदी गई दुल्हनें उन हरियाणवी पुरुषों को निशाना बना रही हैं जो शादी करने को बेताब हैं. वे विवाह के तामझाम से गुजरती हैं, शर्मीली दुल्हन का किरदार निभाती हैं, कर्तव्यपरायण बहू बन जाती हैं, अपने पति की बात मानती हैं, और फिर बेम! वे सारा पैसा लेकर भाग जाती हैं.
इसमें से कुछ गिरोह में काम करते हैं, जबकि कुछ इसे अकेले ही अंजाम देते हैं. अधिकांश दुल्हनों की उम्र 19 से 21 वर्ष के बीच है, लेकिन वेद सिंह की 26 वर्षीय बहू गीता जैसी कुछ ही हैं जिनकी उम्र अधिक है.
वेद सिंह इस बात से राहत महसूस कर रहे हैं कि वह, उनकी पत्नी खुजानी (78) और उनका बेटा सुरेश (45) एक लुटेरी दुल्हन से बच गए. और उसके पास धन्यवाद करने के लिए उसकी बेटी और पड़ोसी हैं. 9 फरवरी को वे चाय पीने के बाद होश खो बैठे जो उनकी नई बहू गीता ने बड़े आदर-भाव से तैयार की थी. लेकिन इससे पहले कि वह सोने का हार, चूड़ियां और झुमके सहित अन्य आभूषणों के साथ भाग पाती ग्रामीणों ने पुलिस को बुलाकर रंगे हाथ पकड़ लिया. वह नकदी लेकर भागना भी चाहती थी लेकिन गीता को गिरफ्तार कर लिया गया. उनके इस अनुभव ने चाय का स्वाद खट्टा कर दिया.
शुक्रवार की एक सर्द सुबह में, पीलू खेड़ा गांव में गतिविधि शुरू होती है. यह लगभग 700 घरों वाला एक छोटा सा गाँव है. पुरुष सर्पीली गलियों से खाद लेकर खेत की ओर जाते हैं. महिलाएं पेड़ों में बंधी गायों और भैंसों को चारा खिलाती हैं. लेकिन वे अब काम खत्म करने के अंत में या ब्रेक के दौरान गर्मागर्म मीठी चाय की चुस्की लेने के लिए इकट्ठा नहीं होते हैं.
यह उनके पड़ोसी वेद सिंह के साथ हुई त्रासदी और उनमें से किसी के साथ भी हो सकने वाले भय का सामूहिक कारण है. पीलू खेड़ा गांव के कम से कम एक दर्जन परिवारों ने दूसरे राज्यों से आई हुई लड़कियों से शादी की हैं. और मयार गांव में, जो वहां से एक घंटे की दूरी पर है, तीन परिवारों को उनकी नई दुल्हनों ने एक ही समय में लूट लिया था.
वेद सिंह कभी-कभी अपनी पत्नी को अपने पक्के मकान के बैठक के कमरे में आराम करते हुए देखते हैं. वह जहरीली चाय से अभी तक उबर नहीं पाई है, और पुलिस अभी तक यह निर्धारित नहीं कर पाई है कि गीता ने पेय में क्या मिलाया था.
जब आगंतुक नवविवाहित जोड़े को बधाई देने के लिए घर में आते थे, तो गीता उनका स्वागत एक कप पारंपरिक अदरक वाली दूध की चाय से करती थी.
उन्होंने कहा, ‘गीता हमारे साथ एक सप्ताह तक रही. हम बहुत खुश थे कि हमारा परिवार आखिरकार पूरा हो गया. लेकिन यह खुशी कुछ दिनों के लिए थी. यह उसकी चाय के ठंडे होने के साथ खत्म हो गई.’
‘परिपूर्ण’ दुल्हन
गीता असल में उत्तर प्रदेश की रहने वाली थी जिसका वास्तविक नाम मीना हैं. जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि जिस महिला ने खुद को मीना की मां बताया, वह उसकी सास थी. दलाल भी शायद इस घोटाले में शामिल था.
पुलिस ने मीना के सावधानीपूर्वक बनाए उपनाम के पीछे छिपी परतों की खोज की. वह न केवल शादीशुदा थी, बल्कि उसके तीन बच्चे भी थे. वह लुटेरी दुल्हनों के एक बड़े गिरोह की एक प्रमुख सदस्य थी. जिसे उन्होंने अपने पति के आशीर्वाद और अपनी सास की सहायता से शुरू किया.
सुरेश के लिए, यह उसकी दूसरी शादी थी और ‘गीता’ उसे एक आदर्श दुल्हन की तरह लग रही थी जो उनके घर की सफाई करेगी, चाय बनाएगी, खाना बनाएगी और उनके बच्चों को जन्म देगी. उन्होंने 3 फरवरी को अपने घर में एक छोटे से समारोह में शादी की थी.
खुजानी ने मोहल्ले में सबको मिठाई बांटी. सुरेश ने पहली शादी तब की थी जब वह 20 साल का था, लेकिन यह मिलन अल्पकालिक था. 12 साल के लंबे कोर्ट केस के बाद एक कड़वे अलगाव के साथ, सुरेश फिर से अकेला था. अब तक वह 32 साल का हो चुका था और पीलू खेड़ा या आसपास के गांवों में कुछ ही युवतियां सिंगल थी.
2011 की जनगणना रिपोर्ट के आंकड़ों से पता चलता है कि हरियाणा में लिंगानुपात 1000 पुरुषों पर 879 महिलाओं का है, जो राष्ट्रीय औसत 940 से बहुत कम है. ‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ जैसी सरकारी पहलों का कुछ प्रभाव पड़ा है. 2022 में जन्म के समय लिंगानुपात (SRB) डाटा के अनुसार, हरियाणा में प्रति 1,000 पुरुषों पर 917 महिला है. लेकिन यह हर जगह एक समान नहीं है. हरियाणा के 22 जिलों में से पांच – हिसार, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र, फरीदाबाद और करनाल – में 2021 की तुलना में SRB में गिरावट देखी गई.
इस साल जनवरी में डेटा जारी होने पर ‘बेटी बचाओ’ कार्यक्रम का हिस्सा रहे एक अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, ‘चार सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों में कुछ गड़बड़ है.’
जब सुरेश को अपने लिए दुल्हन नहीं मिली, तो दूसरे राज्यों से दुल्हन लाने वाले ग्रामीणों ने सुझाव दिया कि वह इस रास्ते को अपनाएं. सुरेश ने एक दलाल से संपर्क किया- और ‘गीता’ ने उनके जीवन में प्रवेश किया.
वह खुजानी से हरियाणवी भाषा सीखती और अपना घूंघट बरकरार रखती.
खुजानी ने अपने बेटे की भावनाओं को जाहिर करते हुए कहा, ‘वह मुझे और मेरे पति को काम नहीं करने देती थी. वह खाना बनाती, चाय बनाती और घर संभालती. हमने खुद को धन्य महसूस किया.’
जैसे ही वैवाहिक जीवन का पहला सप्ताह समाप्त हो रहा था, गीता (मीना) ने अपने ससुराल वालों को बताया कि उसकी ‘माँ’ और भाई उससे मिलने आ रहे हैं. खुजानी की नजर में, युवती कोई गलत काम नहीं कर सकती थी, और इसलिए वह उनकी मेजबानी करने के लिए तैयार हो गई. वे 9 फरवरी को देर रात आने वाले थे. लेकिन उनकी बेटी मोनिका को लगा कि कुछ तो गड़बड़ है.
उस शाम, रात का खाना बनाने और परोसने के बाद, गीता ने मेहमानों के आने की प्रतीक्षा करते हुए सभी को एक कप चाय पीने के लिए कहा. मोनिका ने मना कर दिया और एक पड़ोसी से मिलने के लिए घर से निकल गई.
खुजानी ने गीता को चाय का प्याला पकड़े हुए याद किया लेकिन उसमें से चुस्की नहीं ली. वह अपना सिर खुजलाते हुए कहती हैं, ‘मैंने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. चाय कड़वी नहीं थी और ऐसा नहीं लग रहा था कि इसमें कुछ मिला हुआ है.’
आधे घंटे बाद, वे तीनों- वेद सिंह, खुजानी और सुरेश- बेहोश हो गए. गीता की सास और भाई उसके फोन का इंतजार कर रहे थे. दोनों एक साथ पहुंचे और सभी सोने और नकदी की अलमारी को खाली करना शुरू कर दिया.
लेकिन इससे पहले कि वे भाग पाते, मोनिका घर लौट आई, उसे एहसास हुआ कि कुछ गलत हुआ है, जिसके कारण वह मदद के लिए चिल्लाने लगी. गीता की सास, जिसे बाद में ओमवती के रूप में पहचाना गया, को भी गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन उसका ‘भाई’ भागने में सफल रहा.
सुरेश ने इस बारे में मीडिया से बात करने से मना कर दिया.
शर्मिंदगी, गर्व, भय
हालांकि, हिसार जिले के मयार गांव के तीन परिवार उतने भाग्यशाली नहीं थे. पड़ोसी चारदीवारी और दूसरे राज्यों की दुल्हनों से एकजुट थे.
60 साल की कमला ने अपने बेटे ललित के लिए मार्च 2022 में पंजाब के बठिंडा से 20 साल की बहू प्रीति को 30,000 रुपये में खरीदा. एक हफ्ते के भीतर, नई दुल्हन ने कहा कि वह अपनी मां से मिलने जाना चाहती है.
कमला याद करते हुए कहा, ‘मुझे शक हो गया. मैंने उससे कहा कि अभी कुछ ही दिन हुए हैं. कम से कम एक महीना तो रहो. पहले हम एक-दूसरे को जानें और फिर आप जाकर घर पर कुछ समय बिता लेना. लेकिन उसने मुझसे लड़ना शुरू कर दिया.’
एक हफ्ते बाद, जब कमला और ललित खेत में काम करने गए थे, तो प्रीति संदूक से 1.5 लाख रुपये नकद लेकर भाग गई. कमला ने दलाल से संपर्क किया, लेकिन उसने पैसे वापस करने या बहू की कोई भी जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया.
सुरेश की तरह ललित भी जो कुछ हुआ उस पर चर्चा नहीं करना चाहते थे. ड्राइंग रूम में चारपाई पर लेटे-लेटे वह अपनी माँ की बातें चुपचाप सुनता रहा. उसने कहा, ‘मैं इसके बारे में बात नहीं करूंगा.’
कमला चारपाई की ओर देखते हुए कहा, ‘मेरा बेटा डिप्रेशन में आ गया. वह हमेशा एक दुल्हन खरीदने के लिए अनिच्छुक था, लेकिन मैंने उसे यह कहकर मना लिया कि यह परिवार के लिए सही फैसला था.’
उनके दो पड़ोसियों के पास भी बताने के लिए समान कहानियाँ थीं.
हाल ही में सरपंच पद के लिए चुनाव लड़े एक ग्रामीण संतोष कहते हैं, ‘महिला की बिक्री के बाद, अगर दुल्हन परिवार को लूटती है तो बिचौलिए या दलाल जिम्मेदारी नहीं लेते हैं.’
मयार गांव में, ‘उसकी बहू भाग गई’ एक मानक बयान बन गया है. पिछले एक साल में ही 30 परिवार दुल्हनों की ‘लूटपाट’ का शिकार हो चुके हैं.
यह गांव की सभाओं में चर्चा का बड़ा विषय बन गया है. वे कमीशन के लिए इन गिरोहों के साथ काम करने वाले दलालों के बीच सड़े सेबों को हटाने की कोशिश करते हैं. वे उन गुणों की सूची बनाते हैं जो एक ‘सच्ची’ दुल्हन में देखे जाने चाहिए. संतोष ने कहा, ‘लेकिन शायद ही कोई पुलिस शिकायत दर्ज करता है.’
इससे परिवार की प्रतिष्ठा को खतरा है.
65 वर्षीय बनासपति ने अपने 35 वर्षीय बेटे विजय की चार साल के अंतराल में दो बार शादी कराई. दोनों ही मामलों में दुल्हनें लूट कर फरार हो गई. फिर भी, उनके परिवार ने कभी पुलिस से संपर्क नहीं किया.
‘बनस्पति ने तवे पर रोटी उछालते हुए कहा, ‘शिकायत दर्ज करने से हमें क्या मिलेगा? समाज हमें शर्मिंदा करेगा. लोग कहेंगे कि एक जाट की बहू भाग गई है. पुलिस भी इस तरह की शिकायतों पर कम ही ध्यान देती है.’
सदर पुलिस स्टेशन, हिसार के एसएचओ, मनदीप चहल ने कहा, ‘यह केवल शर्म की बात नहीं है, बल्कि यह तथ्य भी है कि दुल्हनों को पैसे के लिए खरीदा गया था. यह एक प्रकार का मानव तस्करी है.’
पुलिस इन गिरोहों या ‘सिंडिकेट्स’ के बारे में जानती है, जैसा कि उन्हें हरियाणा में सक्रिय कहा जाता है. चहल ने कहा, ‘लेकिन हमें कोई शिकायत नहीं मिलती है क्योंकि परिवार डरते हैं कि दुल्हन खरीदने को लेकर उनकी जांच भी की जाएगी.’
गिरोह ललित और सुरेश जैसे पुरुषों को निशाना बनाते हैं- वे विवाह की उम्र काफी अधिक हो चुकी है हैं और पत्नी के लिए बेताब हैं. मानवाधिकार कार्यकर्ता जगमती सांगवान ने कहा कि वे बेरोजगार पुरुषों को भी निशाना बनाते हैं.
वेद सिंह चाहते हैं कि सरकार दूसरे राज्यों से आने वाली दुल्हनों का रिकॉर्ड रखे. लेकिन तब यह दुल्हन की कीमत और मानव तस्करी को बढ़ावा देगा.
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पुराना वादा, वर्तमान में चिंता
हरियाणा में दुल्हनें या उनकी कमी को वोट से जोड़ा जाता है. राजनेताओं के लिए चुनाव प्रचार के दौरान अविवाहित, ‘अधिक उम्र’ वाले पुरुष के लिए कन्याओं का वादा करना आम बात है.
2014 में विधानसभा चुनाव से पहले, बीजेपी हरियाणा के अध्यक्ष ओपी धनखड़ ने युवाओं को बिहार से दुल्हनों लाने का वादा किया था.
जींद के नरवाना में एक किसान महासम्मेलन को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा, ‘बीजेपी को मजबूत करने का मतलब यह भी है कि कई गांवों में बिना दुल्हन के घूम रहे युवाओं को एक दुल्हन मिल जाएगी.’
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी 2019 में धारा 370 के निरस्त होने के बाद यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था, ‘अब कुछ लोग कहते हैं, कश्मीर खुला है, उन्हें (दुल्हनों को) वहां से लाया जाएगा.’
हालांकि, लोगों का दुख है कि जब दुल्हनें उन्हें लूटती हैं तो यही सरकार उनकी सुध नहीं लेती है.
हरियाणा में खाप चाहती हैं कि सरकार दूसरे राज्यों से दुल्हन लाने की प्रक्रिया को कारगर बनाए. कंडेला खाप पंचायत प्रमुख टेक राम कंडेला हर उस दुल्हन का पुलिस सत्यापन चाहते हैं जो हरियाणा से नहीं है.
कंडेला कहते हैं, ‘हम जानते हैं कि हरियाणा में कम महिलाएं हैं. लेकिन उन्हें क्यों खरीदें? उन्हें अपने आप आना चाहिए, वे तब नहीं जाएंगी.’
तलाश जारी है
हरियाणा के परिवारों ने निराश और लूटे जाने के बावजूद अपने बेटों के लिए पत्नियों की तलाश बंद नहीं किया है. राज्य में महिलाओं की संख्या कम होने और जातिगत भेदभाव के कारण, पुरुषों, विशेष रूप से जाट समुदाय में, सीमित विकल्प हैं. हरियाणा में अविवाहित होने का दर्जा मर्दाना गौरव को ठेस पहुंचाता है.
मयार गांव की शांति, जिसकी गर्भवती बहू उनका सारा सोना लेकर भाग गई थी, अपने बेटे के लिए दूसरी पत्नी की तलाश कर रही है. उनका दाहिना पैर लकवाग्रस्त है और उन्हें किसी की देखभाल की जरूरत है.
वह नकली गहनों, कपड़ों और मेकअप के डिब्बे खोलती है जो उसने अपनी बहू को उपहार में दिए थे. दुल्हन सोने, चांदी और नकदी को साथ लेकर चली गई, बस अपनी लाल और सफेद शादी की चूड़ियों को पीछे छोड़ गई.
शांति कहती हैं, ‘हमने उसे वह सब कुछ दिया जो उसने माँगा. फिर भी वह हमें छोड़कर चली गई. पहले हमें परोसे बिना वह रात का खाना नहीं खाती थी. मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि वह हमें धोखा दे रही थी.’
पिछले कुछ हफ्तों की घटनाओं ने वेद सिंह को यह स्वीकार करने के लिए मजबूर किया है कि ग्रामीण ‘लड़के’ अपनी पसंद के लिए एक भारी कीमत चुका रहे हैं.
वो कहते हैं, ‘हमारा समाज इसका हकदार है. यह कर्म हमें वापस मार रहा है. यह कन्या भ्रूण हत्या और भ्रूण हत्या की पुरानी पितृसत्तात्मक परंपरा का परिणाम है.’
वह चाहते हैं कि पोते उसके साथ खेलें. वह चाहते हैं कि उनका बेटा सेटल हो जाए. और वह एक बहू चाहते हैं जो बुढ़ापे में उसकी और उसकी पत्नी की देखभाल करे.
इसके बजाय, उसका बेटा और दूसरे आदमी ‘एक साथी ढूंढने की कोशिश में इधर-उधर भटक रहे हैं और लूट रहे हैं.’
(संपादनः ऋषभ राज)
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