बहुत लंबे समय तक विभिन्न समुदायों के बीच जब भी यूपीएससी से जुड़ी चर्चा होती थी तो वह आरक्षण के इर्द-गिर्द ही सीमित होकर रह जाती थी. भारतीय नौकरियों में किसे आरक्षण मिलता है और किसे नहीं. लेकिन जिस बात को नजरअंदाज किया गया वह है कि कैसे जैन, मुस्लिम, दलित और आर्य समाज अपने समुदाय से जुड़े एस्पिरेंट्स की यूपीएससी की परीक्षा क्लियर करने में मदद कर रहे हैं. वो इन्हें फ्री हॉस्टल, स्टडी मटेरियल और स्कॉलरशिप देते हैं.
यूपीएससी की परीक्षा क्लियर करना एकता जैन का सपना था लेकिन इसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ती थी, हर महीने 20 हजार रुपये एक प्राइवेट संस्थान में. लेकिन राजस्थान में बैठा उनका परिवार यह अफोर्ड नहीं कर सकता था. तभी उनकी मदद के लिए जैन समुदाय के लोग आगे आए. एकता के कुछ रिश्तेदारों ने उन्हें जिटो नाम की संस्था के बारे में बताया -जैन एडमिनिस्ट्रेशन ट्रेनिंग फाउंडेशन. दिल्ली में स्थापित संस्था जिसके कोटा, पुणे, जयपुर और इंदौर में भी सेंटर हैं. यह संस्था एस्पिरेंट्स को हॉस्टल, खाने की सुविधा के साथ-साथ गाइंडेंस भी प्रदान करती है.
एकता ने एक शॉर्ट स्क्रीनिंग की, फॉर्म भरे, अपना जैन सर्टिफिकेट दिखाया और दिल्ली सेंटर में टेस्ट दिया. उन्हें एडमिशन मिल गया. इसके बाद उन्हें हॉस्टल समेत कई सुविधाएं मिलीं जिनके लिए उन्हें बहुत कम भुगतान करना पड़ता है. हॉस्टल, बेहतर खाना, गाइडेंस और सपोर्ट इन सारी सुविधाओं का एक जगह पर ही मिलना एक सपना सच होने जैसा था और इसके लिए वह केवल 10,000 रुपये प्रति माह का भुगतान करती हैं.
वह 250 अन्य जैन छात्रों के साथ दिल्ली के करोल बाग में पांच मंजिला जेएटीएफ इमारत में रहती हैं. उन सभी का एक ही लक्ष्य है- खूब पढ़ाई करो और यूपीएससी की परीक्षा पास करो. कैफेटेरिया, पुस्तकालय और चर्चा स्थलों के साथ छात्रावास की इमारत एक कॉर्पोरेट मुख्यालय की तरह दिखती है.
यूपीएससी कोचिंग को स्पॉन्सर करने के लिए ये सामुदायिक आउटरीच पहल गरीब सदस्यों की मदद करने और यह सुनिश्चित करने का नया मॉडल है कि भारत के शक्तिशाली अभिजात वर्ग में उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व हो. इसका परिणाम यह है कि लाखों भारतीय युवाओं के लिए ‘सस्ती यूपीएससी’ का एक मंच तैयार हुआ है. इनके सेंटर्स बड़े महानगरीय शहरों में स्थित हैं और छोटे शहरों और गांवों के उम्मीदवारों को आकर्षित करते हैं.
आर्य प्रतिभा विकास संस्थान, अतिया फाउंडेशन, और संकल्प कुछ सामुदायिक संस्थान हैं जो उम्मीदवारों को मुफ्त में सुविधाएं प्रदान करते हैं. इन कोचिंग से अधिक से अधिक लोग सिविल सेवाओं के लिए चुने जा रहे हैं.
अतिया फाउंडेशन के आसिफ यूसुफ ने 2019 में यूपीएससी क्लियर किया और भारतीय रेलवे लेखा सेवा में शामिल हो गए. JATF से अक्षत जैन और अहिंसा जैन, और आर्य प्रतिभा विकास संस्थान से स्नेहा ने 2020 में इसे क्रैक किया.
इस साल यूपीएससी का प्रीलिम्सलिखने वाली एकता कहती हैं, ‘मैं खर्चों के कारण अपना बैग पैक करने और घर जाने वाला था. लेकिन फिर मेरे रिश्तेदारों ने मुझे जेएटीएफ के बारे में बताया. उन्होंने मेरे सपने को बचा लिया.’
ये सामुदायिक संगठन न केवल वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं और बल्कि वे नियमित रूप से नए उम्मीदवारों के साथ बातचीत करने के लिए स्टार छात्रों को आमंत्रित करते हैं. यह एक फलता-फूलता ‘पूर्व छात्र’ नेटवर्क बनाने का एक प्रभावी तरीका भी है.
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अफ़वाह
शाम 4 बजे जेएटीएफ के छात्रावास में चाय का समय होता है. पढ़ाई के लंबे और बिजी शेड्यूल में यह एक छोटा ब्रेक भी है. छात्र नोट्स का आदान-प्रदान करते हुए सफेद मेजों और लाल कुर्सियों के चारों ओर चक्कर लगाते हैं. यह वह जगह है जहां वे रात में अपने भोजन या एक गिलास गर्म दूध के लिए इकट्ठा होते हैं.
एक यूपीएससी एस्पिरेंट अपने दोस्त से कहता है, ‘मैंने टेस्ट सीरीज़ पूरी कर ली है. मैं अब रिवीजन शुरू करने जा रहा हूं.’
23 वर्षीय मनीष जैन इंस्टाग्राम रील्स को स्क्रॉल करने के लिए इस समय का इस्तेमाल करते हैं.
वो कहते हैं, ‘अपनी चाय के साथ मैं इंस्टाग्राम पर ये मज़ेदार वीडियो देखता हूं और फिर पढ़ाई पर वापस चला जाता हूं. यह मेरा छोटा सा ब्रेक है.’
छात्रावास में छात्र अपनी परीक्षा पर फोकस कर सकें इसके लिए काफी सुविधाएं हैं – एयर कंडीशनिंग, सौर इन्वर्टर, मेहमानों के लिए एक हॉल और प्रोत्साहन भी हैं.
यूपीएससी के लिए गुजरात के भावनगर से यूपीएसी की तैयारी करने आए राहुल जैन कहते हैं, ‘सुविधाएं इतनी अच्छी हैं कि मुझे घर जाने का मन नहीं कर रहा है. हम इन सभी चीजों के लिए 10,000 रुपये देते हैं और अगर कोई प्रिलिम्स पास कर लेता है तो वह यहां मुफ्त में रहता है. यह हमें और अधिक प्रेरणा देता है.’
लेकिन जैन सेंटर के अधिकारी अपनी इस पहल का प्रचार नहीं करना चाहते और न ही इसको लेकर उन्होंने दिप्रिंट के सवालों के जवाब दिए. उन्होंने अपनी वेबसाइट की ओर इशारा किया.
‘वर्ड-ऑफ-माउथ’ जेएटीएफ की मार्केटिंग रणनीति है.
राहुल कहते हैं, ‘उनके पास व्हाट्सएप ग्रुप हैं जिसमें वे कोचिंग से संबंधित जानकारी साझा करते हैं और हम इसे हमारे समुदाय में दूसरों तक फैलाने के लिए कहते हैं.’
लेकिन समुदाय-विशिष्ट कोचिंग फ़ाउंडेशन में प्रवेश आसान नहीं है. मानदंड फिट करने वाले आवेदकों के बीच प्रतिस्पर्धा कड़ी है. एक कड़ी गेटकीपिंग प्रक्रिया है, जहां उम्मीदवारों को विभिन्न स्तरों पर फ़िल्टर किया जाता है – प्रवेश परीक्षा से लेकर साक्षात्कार तक के आवेदन पत्र. संगठन अपनी सफलता दर बढ़ाने के लिए केवल सर्वश्रेष्ठ छात्र चाहता है.
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शैलजा चंद्रा कहती हैं, ‘मुझे लगता है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है अगर लोग अपने समुदाय को आगे ले जाना चाहते हैं और अगर उन्हें लगता है कि यह सही तरीका है, लेकिन यूपीएससी क्लियर करने के लिए सिर्फ कोचिंग ही काफी नहीं है. कोचिंग का कोई फायदा नहीं होगा जब तक कि आकांक्षी के भीतर आलोचनात्मक रवैया नहीं डाला जाता है.’
पटेल नगर में चार मंजिला अतिया फाउंडेशन भले ही जेएटीएफ की तरह थोपा हुआ ढांचा न हो, लेकिन यह छात्रों के आईएएस बनने के सपनों को पूरा कर रहा है, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम हैं.
हॉस्टल का प्रबंधन करने वाले यूनुस यूसुफ मीर कहते हैं, ‘फाउंडेशन सभी के लिए खुला है, लेकिन हमारे नाम के कारण आवेदकों की अधिकतम संख्या मुस्लिमों की है, पर हमारे पास अलग-अलग धर्मों के लोग भी हैं.’
यह छह छात्रों के साथ 2018 में खोला गया था, और इस साल 49 को सहयोग दे रहा है, जिनमें से नौ महिलाएं हैं. जेएटीएफ की तरह, अतिया कोचिंग क्लास नहीं चलाता है, लेकिन मुफ्त भोजन, आवास और अध्ययन सामग्री प्रदान करता है. कभी-कभी यह कुछ छात्रों के लिए निजी कोचिंग भी स्पॉन्सर करता है.
‘मैं अक्टूबर में अतिया फाउंडेशन से जुड़ा. सबसे अच्छी बात यह है कि हमारा छात्रावास करोल बाग के पास स्थित है. यहां हर तरह की स्टडी मटेरियल उपलब्ध है. सब कुछ पास है. हमें किसी चीज के लिए कुछ भी भुगतान नहीं करना है. और यह बिल्कुल सुरक्षित है,’ मोहसिना कहती हैं, जिन्होंने पिछले साल यूपी पीएससी पास किया था, और अब नायब तहसीलदार हैं लेकिन अब वह आईएएस अधिकारी बनने के लिए यूपीएससी के लिए समय दे रही हैं.
इनमें कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, कश्मीर और मध्य प्रदेश की युवतियां हैं. बिहार के सआदत अली को जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से नींव के बारे में पता चला.
अली कहते हैं, जिनका वैकल्पिक विषय उर्दू साहित्य है. ‘मैंने पिछले साल यूपीएससी मेन्स लिखा था जिसके लिए फाउंडेशन ने मुझे विजन आईएएस में प्रवेश दिलाया. लेकिन मैं क्लियर नहीं कर पाया. अब मैं अगली प्रिलिम्स की तैयारी कर रहा हूं. खाने से लेकर कोचिंग और टेस्ट सीरीज तक, मुझे यहां हर तरह की सुविधाएं मिलती हैं.’
दो साल पहले पुणे से आए अक्षय ने इंटरव्यू के स्तर तक जगह बना ली है.
वो कहते हैं, ‘अतिया फाउंडेशन प्रत्येक छात्र पर ध्यान केंद्रित करता है. यहां से परीक्षा पास करने वाले सीनियर्स भी संपर्क में रहते हैं.’ वह कहते हैं कि यूपीएससी का चक्र भावनात्मक और मानसिक रूप से थका देने वाला हो सकता है और फाउंडेशन के छात्रों को पिछले छात्रों और सेवारत अधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत परामर्श दिया जाता है.
आसिफ यूसुफ, जो अतिया फाउंडेशन का हिस्सा थे और जिन्होंने 2019 में यूपीएससी पास किया था, ने 2020 में ट्विटर पर फाउंडेशन की तारीफ की.
‘अतिया फाउंडेशन शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम कर रहा है. यह आदर्श रूप से यूपीएससी की तैयारी के लिए छात्रों को सर्वोत्तम वातावरण प्रदान करके समाज की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध है.’
केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू), और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के उम्मीदवारों को मुफ्त कोचिंग प्रदान करते हैं.
लेकिन शायद सबसे प्रतिष्ठित स्थानों में से एक जामिया मिल्लिया इस्लामिया में आवासीय कोचिंग अकादमी (आरसीए) ऐसा है, जो निजी संस्थानों, पुस्तकालय पहुंच, मॉक इंटरव्यू और छात्रावास की सुविधा जैसी मुफ्त कोचिंग प्रदान करती है.
यह अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के उम्मीदवारों और महिलाओं के लिए खुला है. 2011 और 2021 के बीच, आरसीए के 220 छात्रों ने सिविल सेवाओं में जगह बनाई है. यूपीएससी सिविल सर्विसेज 2021 ऑल इंडिया रैंक 1 होल्डर श्रुति शर्मा अपनी सफलता का श्रेय इस संस्था को देती हैं.
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ऑनलाइन सहायता
इन आवासीय पहलों के अलावा, कुछ समुदायों ने व्हाट्सएप और टेलीग्राम समूह बनाए हैं, और उन उम्मीदवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं जो उनके समुदाय से संबंधित हैं.
मोहित बंसल मेन्स के लिए अध्ययन सामग्री और परीक्षा शुल्क की व्यवस्था करने के लिए संघर्ष कर रहे थे, तभी बनिया समुदाय के लोग उन्हें स्पॉन्सर करने के लिए आगे आए.
वो कहते हैं, ‘मैंने टेलीग्राम पर अपने दोस्तों से पूछा था कि क्या कोई सस्ता विकल्प है, तभी किसी ने मुझे इन समूहों के बारे में बताया. मैंने उनके साथ अपना रिजल्ट साझा किया और उन्होंने मुझे मेन्स टेस्ट सीरीज़ की फीस प्रदान की.’
ऐसा ही एक सक्रिय समूह है ब्राह्मण समाज कल्याण समिति. यह उन उम्मीदवारों की पहचान करता है जिन्होंने प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण की है और यह देखने के लिए उनसे संपर्क करता है कि क्या उन्हें किसी सहायता की आवश्यकता है.
अपना नाम न बताने की शर्त पर ऐसी ही एक समूह के सदस्य ने कहा , ‘मकसद सरल है: हम अपने समुदाय से अधिक से अधिक सिविल सेवक चाहते हैं. हम गंभीर उम्मीदवारों की पहचान करते हैं और उनसे पूछते हैं कि क्या उन्हें कोचिंग या टेस्ट सीरीज़ या यहां तक कि एक छात्रावास या पीजी की आवश्यकता है. और हम उन्हें वह देने की कोशिश करते हैं.’
महाराष्ट्र में सरकार की पहल जैसे सारथी योजना जो मराठा समुदाय लोगों को स्पॉन्सर करता है, बारती जो अनुसूचित जाति के छात्रों को और महाज्योति जो अन्य पिछड़े वर्ग के छात्रों को स्पॉन्सर करते हैं. इनका चयन एक प्रवेश परीक्षा के बाद किया जाता है. सारथी लगभग 250 छात्रों को स्पॉन्सर करता है, जबकि बारती 200 को स्पॉन्सर करता है और महाज्योति 1,000 को स्पॉन्सर करता है.
सरकार दिल्ली में एक निजी संस्थान में उनकी कोचिंग स्पॉन्सर करती है और छात्रावास आवास, भोजन और अध्ययन सामग्री जैसी अन्य सुविधाओं के साथ-साथ सहायता भी प्रदान करती है.
सारथी योजना का लाभ उठाने वाले एक छात्र ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘मैं कुछ महीने पहले दिल्ली आया था. मैं यहां पहली बार आया हूं. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपनी कोचिंग के लिए यहां आऊंगा.’
वो कहते हैं, ‘मराठी होने के नाते, यहां जीवन कठिन है. मेरे जैसे लोगों के लिए, दिल्ली दूर है.’ वह अच्छी तरह जानते हैं कि सामुदायिक समर्थन ने उन्हें यहां तक पहुंचाया है.
उनके आईएएस अधिकारी बनने के बाद उन्हें दिल्ली को एक्सप्लोर करने का समय मिलेगा.
(इस फीचर रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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