इंटरफेथ और इंटरकास्ट कपल्स ने वेलेंटाइन डे पर निकाला दिल्ली में मार्च—आसान नहीं है प्यार
अपने प्यार के रास्ते में आने वाली सामाजिक, कानूनी और धार्मिक बाधाओं के खिलाफ आवाज उठाते हुए, उज्जैन, चंडीगढ़ से लेकर हैदराबाद तक के जोड़े एक गैर सरकारी संगठन धनक द्वारा आयोजित एक वार्षिक कार्यक्रम साहस के तहत एकजुट हुए.
एनजीओ धनक के सह-संस्थापक आसिफ इकबाल नई दिल्ली के आईटीओ पर अंतरधार्मिक और अंतरजातीय जोड़ों के साथ शांतिपूर्ण वैलेंटाइन डे मार्च का नेतृत्व करते हुए। फोटो: मृणालिनी ध्यानी, दिप्रिंट
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नई दिल्ली: प्यार की हिम्मत भरी मिसाल पेश करते हुए 50 से ज्यादा अंतरधार्मिक और अंतरजातीय जोड़ों ने वैलेंटाइन डे पर नई दिल्ली की सड़कों पर कदम से कदम मिलाकर मार्च किया। हाथों में हाथ डाले, उन्होंने एक सुर में नारे लगाए—“जब प्यार किया तो डरना क्या, जाति धर्म का करना क्या?”
सामाजिक, कानूनी और धार्मिक अड़चनों के खिलाफ अपनी पहचान दर्ज कराते हुए, उज्जैन, चंडीगढ़ से लेकर हैदराबाद तक के जोड़े सहस नामक वार्षिक कार्यक्रम के तहत एकजुट हुए, जिसे एनजीओ धनक आयोजित करता है. इस मार्च-कम-सांस्कृतिक कार्यक्रम की अगुवाई कर रहे थे धनक के सह-संस्थापक आसिफ इकबाल—वही शख्स जिन्होंने इन जोड़ों को समाज में अपना अस्तित्व बनाए रखने में मदद की. उनकी एनजीओ ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत हजारों अंतरधार्मिक और अंतरजातीय जोड़ों को शादी करने में सहायता दी है, जिससे उन्हें अपने प्यार को अंजाम तक पहुंचाने का रास्ता मिला.
हम बराबरी के मूल्यों और सिद्धांतों को खोते जा रहे हैं। वैलेंटाइन डे सिर्फ रोमांटिक प्यार के लिए नहीं, बल्कि साझा करने, देखभाल करने और समावेशिता का दिन भी है. यही कारण है कि सहस सिर्फ जोड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें परिवार और बच्चे भी शामिल होते हैं,” 14 फरवरी के इस आयोजन को लेकर इकबाल ने कहा.
‘धनक बनेंगे हम’
वैलेंटाइन डे का यह आयोजन दो हिस्सों में किया गया था. पहले भाग में आईटीओ पर मार्च के साथ-साथ धनक के आउटरीच सेंटरों और दिल्ली विश्वविद्यालय के माता सुंदरी कॉलेज के छात्रों द्वारा दमदार नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किए गए. इन नाटकों ने पारिवारिक हिंसा और किशोर न्याय जैसे ज्वलंत मुद्दों को उजागर किया.
दोपहर के भोजन के बाद, प्रतिभागी राजा राम मोहन रॉय मेमोरियल हॉल में कार्यक्रम के दूसरे भाग के लिए पहुंचे. यहां का ऑडिटोरियम तालियों और उत्साहपूर्ण जयकारों से गूंज उठा जब जोड़ों ने बॉलीवुड गानों पर थिरकते हुए अपनी खुशी का इजहार किया, वहीं बच्चों ने लिंग आधारित हिंसा जैसे गंभीर विषयों पर नाटकों का मंचन किया.
इसके बाद एक पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसमें निशा सिद्धू जैसी महिला अधिकार कार्यकर्ता और लेखक इंदु प्रकाश ने भाग लिया. इस चर्चा में भारत में अंतरधार्मिक और अंतरजातीय जोड़ों के खिलाफ बढ़ती हिंसा की मौजूदा स्थिति पर विचार किया गया.
इस वर्ष एसएमए के तहत विवाह करने वाले अंतरधार्मिक और अंतरजातीय जोड़ों को मोमेंटो दिए गए। फोटो: मृणालिनी ध्यानी, दिप्रिंट
हर साल की तरह, साहस ने इस साल शादी करने वाले “सर्वाइवर कपल्स” को सम्मानित किया. उन्हें लकड़ी के मोमेंटो दिए गए. जैसे ही उनकी तस्वीरें स्क्रीन पर प्रदर्शित हुईं और धनक एनजीओ के थीम सॉन्ग “धनक बनेंगे हम” की धुन गूंजने लगी, पूरा हॉल जीत और एकजुटता की भावना से भर उठा.
कार्यक्रम में कपल्स का डांस | फोटो: मृणालिनी ध्यानी, दिप्रिंट
“वो मोमेंटो आज भी मेरे कमरे में टंगा है. यह मुझे उम्मीद देता है और हमें याद दिलाता है कि हमने साथ रहने के लिए कितना कुछ सहा—कठिन समय में एक-दूसरे का साथ न छोड़ने की सीख देता है,” अजय ने पिछले साल मिले ‘सम्मान’ के बारे में कहा.
जड़ें खोजना
इमरान और कोमल जैसे कपल्स के लिए, जिनकी शादी को उनके परिवारों की स्वीकृति पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा, धनक जैसे संगठन और साहस जैसे कार्यक्रम एक जरूरी सहारा बनते हैं. शादी को विशेष विवाह अधिनियम (SMA) के तहत पंजीकृत कराने से लेकर जोड़ों को लिंग-निरपेक्ष आश्रयों में सुरक्षित स्थान दिलाने तक, यह एनजीओ उनके दर्द और संघर्ष को कम करने का काम करता है.
“मैंने यहां कई जोड़ों को देखा है—यह मुझे ताकत देता है,” धनक के वेलेंटाइन डे कार्यक्रम के बारे में एक प्रतिभागी इमरान खान ने कहा. इमरान ने अपनी हिंदू साथी कोमल से लगभग डेढ़ साल पहले विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी की थी, 15 साल के रिश्ते के बाद। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह धनक के बिना संभव नहीं होता.
“यह परिवार जैसा लगता है. यहां हम अलग-अलग राज्यों और धर्मों के लोगों से मिलते हैं, जो साथ रहते हैं. हमारे अपने परिवार हमें स्वीकार नहीं कर पाए, लेकिन यहां हमें एक नया घर मिला. हम साथ बैठते हैं, साथ खाते हैं, बातें करते हैं और एक-दूसरे का सहारा बनते हैं। जब किसी के पास गवाह नहीं होता, तो कुछ लोगों को यहां गवाह भी मिल जाते हैं. यह जगह हमारे लिए एक बढ़ा हुआ परिवार है. यही कारण है कि मैं हर साल वापस आता हूं—सबसे मिलने, सबको देखने. वेलेंटाइन डे मनाने का इससे अच्छा तरीका और क्या हो सकता है?”
दानिश्ता और अजय | फोटो: मृणालिनी ध्यानी, दिप्रिंट
दानिश्ता, जो एक मुस्लिम महिला हैं और जिन्होंने 2022 में अपने हिंदू हाई स्कूल प्रेमी अजय से शादी की, ने याद किया कि उन्होंने 2021 में पहली बार धनक के बारे में एक यूट्यूब वीडियो के जरिए सुना था, जिसमें एक अन्य अंतरधार्मिक जोड़े की कहानी थी. उनकी कहानी से प्रेरित होकर, वे सीधे मायूर विहार स्थित एनजीओ के कार्यालय पहुंचे, जहां संस्थापक आसिफ इकबाल ने पहले दानिश्ता की काउंसलिंग की.
“एक महिला के रूप में, वे यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि यह मेरा अपना फैसला है,” उन्होंने कहा. आज भी, दानिश्ता और अजय के परिवार उनसे बात नहीं करते.
1954 का विशेष विवाह अधिनियम एक कानूनी ढांचा है, जो अंतरधार्मिक और अंतर्जातीय जोड़ों को विवाह की अनुमति देता है. इसके तहत शादी के लिए दोनों भागीदारों की न्यूनतम आयु—पुरुषों के लिए 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 वर्ष—होनी चाहिए, वे स्वस्थ मानसिक स्थिति में हों और पहले से विवाहित न हों.
हिंसा को संबोधित करना
धनक ने अपनी भूमिका विवाह सहायता से आगे बढ़ाकर उन लोगों की सुरक्षा और कानूनी अधिकारों की वकालत तक फैला दी है, जो अपने ही परिवारों द्वारा हिंसा का शिकार हो रहे हैं. यह उन युवाओं की विशिष्ट चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिनके शिक्षा, रोजगार और रिश्तों से जुड़े फैसले पारिवारिक अपेक्षाओं को चुनौती देते हैं और उन्हें कभी-कभी ऑनर किलिंग (सम्मान के नाम पर हत्या) के खतरे में डाल देते हैं.
धनक के सह-संस्थापक आसिफ इकबाल के अनुसार, संगठन का उद्देश्य समाज को सीधे बदलना नहीं, बल्कि परिवारों के साथ काम करना है, क्योंकि परिवार समाज की मूल इकाई है. उन्होंने कहा, “हम परिवारों से संवाद करना चाहते हैं, खासकर वयस्क पीड़ितों के परिवारों से, लेकिन इसमें बहुत कम गुंजाइश होती है. हालांकि, नाबालिग पीड़ितों के मामले में ऐसा संभव होता है.” अब धनक सक्रिय रूप से ‘नैटल फैमिली वायलेंस’ यानी परिवार द्वारा अपने ही बच्चों (चाहे वे नाबालिग हों या वयस्क) पर की जाने वाली किसी भी तरह की हिंसा के मामलों पर काम कर रहा है.
इकबाल ने बताया कि कई युवा वर्ग और जाति की बाधाओं को पार कर स्वाभाविक रूप से प्रेम में पड़ जाते हैं. लेकिन जब वे घर छोड़ते हैं, तो अक्सर पुलिस उन्हें जबरन वापस ले आती है और बाल कल्याण समिति (CWC) के निर्देश पर परिवार को सौंप देती है. “परिवार के पास लौटने के बाद एक खालीपन रह जाता है. परिवार, जो पहले से नाराज होता है, बच्चे को सामान्य रूप से बढ़ने नहीं देता,” उन्होंने कहा. इस अंतर को पाटने के लिए धनक, CWC के दिशानिर्देशों के तहत नियमित रूप से बच्चों की काउंसलिंग करता है और आवश्यक सहायता प्रदान करता है.
धनक की यात्रा को याद करते हुए सह-संस्थापक रानू कुलश्रेष्ठ—जो खुद भी आसिफ इकबाल से विशेष विवाह अधिनियम (SMA) के तहत शादी कर चुकी हैं—ने बताया कि शुरुआत में टीम में सिर्फ तीन लोग थे और साहस तीन दिनों तक चलने वाला बड़ा आयोजन हुआ करता था. लेकिन उन्होंने यह भी एक चिंताजनक सच्चाई बताई कि इस साल कार्यक्रम में भाग लेने वाले जोड़ों की संख्या घटी है.
हालांकि, साहस केवल एक वार्षिक सभा से कहीं अधिक है. यह प्रेम, अस्तित्व और अपने साथी को चुनने के अधिकार के लिए चल रही लड़ाई का प्रतीक है.
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