प्रयागराज: अपने आलीशान टेंट में आराम से सात्विक नाश्ता करने के बाद पंकज बख्शी और उनका परिवार प्रयागराज में महाकुंभ में ‘वीआईपी संगम’ के लिए एक प्राइवेट नाव पर सवार होकर निकल पड़े. भीड़-भाड़ वाले घाटों से दूर, जहां पवित्र स्नान के लिए हज़ारों लोग उमड़े थे, उनके पास अपनी अलग जगह है. नया प्रतिष्ठित वीआईपी संगम गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर — ठीक नदी के बीचों-बीच था.
दुबई से आए एनआरआई परिवार ने उस भीड़ से दूर पवित्र स्नान किया. अमीरों के कुंभ में आपका स्वागत है. कोई भगदड़ मचाने वाले भक्त या लाठी लिए हुए पुलिस नहीं. उनके टूर ऑर्गनाइज़र ने उन्हें आश्वस्त किया कि यही “असली संगम” है और इसकी कीमत नाव और उसकी सुविधाओं के आधार पर 5,000-10,000 रुपये तक थी. यह बख्शी का पहला कुंभ था.
दुबई में एक फाइनेंशियल कंसल्टेंसी के लिए काम करने वाले और महाकुंभ का अनुभव करने के लिए यहां आए बख्शी ने कहा, “हम भीड़ को लेकर परेशान थे. हमने कुंभ की भीड़ भरी सड़कों को रील्स में देखा था, लेकिन हम इसका हिस्सा नहीं थे. यहां दी जाने वाली सुविधाएं — हमने कभी नहीं सोचा था कि यह ऐसा होगा.”
दशकों से कुंभ को धर्मपरायण और गरीबों के लिए एक समागम की तरह देखा जाता रहा है, लेकिन इस बार, कुछ खास लोगों को खास जगह मिल रही है. उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा तैयार की गई यह जगह उन एनआरआई और अमीर भारतीयों के लिए एक शानदार और अनोखा अनुभव है जो भीड़ के बिना कुंभ का आनंद लेना चाहते हैं. ऐसा लगता है जैसे चारों ऋतुएं गंगा पर कुंभ से मिल गई हों. यहां तक कि 29 जनवरी को हुई भगदड़, जिसमें कम से कम 30 लोग मारे गए वह भी इस खास जगह को प्रभावित नहीं कर पाई.
पिछले कुछ दिनों में महाकुंभ में सत्तारूढ़ पार्टी के बड़े नेताओं राजनाथ सिंह, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ, सांसद हेमा मालिनी ने संगम में डुबकी लगाई. नेताओं की मौजूदगी के साथ ही सड़कों और पंटून पुलों की नाकेबंदी, वीआईपी को विशेष सुविधाएं और चैक प्वाइंटों पर भीड़भाड़ भी देखी गई, लेकिन, स्नान से पहले मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत के बाद सबकी निगाहें वीआईपी कल्चर पर टिक गई हैं.
प्रशासन द्वारा वीआईपी को विशेष घाट पर स्नान कराने समेत उनके लिए विशेष सुविधाएं दिए जाने को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं. इसके जवाब में प्रशासन ने सभी वीवीआईपी के पास रद्द कर दिए हैं. यह पहली बार नहीं है कि वीआईपी संस्कृति सवालों के घेरे में आई है. आज़ादी के बाद पहले कुंभ 1954 में भगदड़ में 800 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद मामले की जांच के लिए न्यायमूर्ति कमल कांत वर्मा द्वारा गठित संयुक्त समिति ने वीआईपी कल्चर को खत्म करने की सिफारिश की थी.
यह दिखने और अनुभव में एक बहुत ही अलग कुंभ है. आलीशान स्विस शैलेट, फाइव स्टार सुविधाएं, चौड़ी सड़कें, ताड़ के पेड़ों से सजे नदी के किनारे, हेलीकॉप्टर की सवारी, कालीन से सजे आलीशान टेंट, बाथटब, खाने-पीने की सभी सुविधाएं और प्राइवेट VIP घाटों से सजी अमीरों के लिए एक टेंट सिटी. मेहमान सिर्फ खाने-पीने और प्यार करने वाले विदेशी ही नहीं हैं, बल्कि बख्शी जैसे भारतीय परिवार भी हैं.
हमने यहां काफी डिमांड देखी है और इसके परिणामस्वरूप हॉस्पिटैलिटी सेक्टर से काफी रेवेन्यू आया है, जिससे उद्यमियों के लिए नए मौके पैदा हुए हैं
— मनोज मिश्रा, जेनिथ हॉस्पिटैलिटी के प्रमुख
जेनिथ हॉस्पिटैलिटी, जिसे भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) द्वारा टेंट लगाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था, इसके प्रमुख मनोज मिश्रा ने कहा, “लोगों की हमेशा से यह छवि रही है कि कुंभ अव्यवस्थित, भीड़भाड़ वाला होता है और केवल ग्रामीण या मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए होता है. इस बार, हमने इस धारणा को तोड़ने का काम किया है.” आईटीडीसी के सभी 80 टेंट बुक हो चुके हैं.
बख्शी ने कहा, “पहले के कुंभों में, लक्जरी सुविधाएं नहीं थीं, इसलिए हमारे जैसे लोग आने से बचते थे.”
पांच सितारा आध्यात्मिकता
सितंबर में जब जेनिथ हॉस्पिटैलिटी को आईटीडीसी से कॉन्ट्रैक्ट मिला, तो मिश्रा के पास अल्ट्रा-लक्जरी टेंट लगाने के लिए मुश्किल से तीन महीने थे.
यह समुद्र तटों और पहाड़ों पर दिए जाने वाले सामान्य रिसॉर्ट अनुभव से कहीं बढ़कर होना था. टब, रेन शॉवर, गर्म और ठंडे पानी के साथ जुड़ा बाथरूम बनाना — पांच सितारा ठहरने की सभी सुविधाएं — सबसे बड़ी चुनौती थी.
मिश्रा ने कहा, “हमें कचरे से ड्रेनेज सिस्टम बनाना पड़ा”, लेकिन यह सफल कोशिश थी. वह स्थानीय व्यंजनों को भी रखना चाहते थे और इसलिए, विशेष रूप से बनारस से लौंग लता, पूर्वांचल से लिट्टी चोखा और मलइयो को दूध से ताज़ा-ताज़ा बनाया गया था. सौ से अधिक कर्मचारी मेहमानों की सेवा में लगे थे, साथ ही सात शेफ की एक टीम उनके स्वाद के हिसाब से खाना बनाती थी. आईटीडीसी ने अपने रसोई घर भी उन श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जो पारंपरिक व्यंजन बनाना सीखना चाहते थे.
मुंबई के एक फाइनेंशियल कंसल्टेंट संदीप गुप्ता ने कुंभ में पहली बार लौंग लता का स्वाद चखा. यह उनके लिए एकदम नया था. उन्हें कभी उम्मीद नहीं थी कि उन्हें स्थानीय व्यंजन परोसे जाएंगे. उन्होंने चीनी-भारतीय व्यंजन और दाल-चावल के लिए खुद को तैयार कर लिया था. इसके बजाय, 26 जनवरी को उन्हें तिरंगा पुलाव परोसा गया. तिरंगा चावल को घी में इलाइची, लौंग और केसर के साथ पकाया जाता है.
दिसंबर में बुकिंग के लिए खुलने पर मिश्रा को भी इतनी बड़ी संख्या में अनुरोध मिले कि वे भी हैरान रह गए. कुछ ही घंटों में कुंभ के पहले पांच दिनों के लिए सभी टेंट बुक हो गए. उन्हें लोगों को वापस इनकार करना पड़ा.
26 फरवरी को कुंभ समाप्त होने में एक महीने से भी कम समय बचा है, लेकिन मांग अभी भी बढ़ रही है. ITDC अब 15 और लग्जरी टेंट जोड़ रहा है. यह अपने प्रतिस्पर्धियों से आगे रहता है क्योंकि यह गंगा के किनारे पर स्थित है. मेहमान इसके डीलक्स सुइट कैंप, सुपर डीलक्स सुइट कैंप, प्रीमियम सुइट कैंप और सुपर प्रीमियम सुइट कैंप में योग, ध्यान, स्वास्थ्य सत्र और स्पा थैरेपी के लिए आते हैं.
मिश्रा ने कहा, “हमने यहां काफी डिमांड देखी है और इसके परिणामस्वरूप हॉस्पिटैलिटी सेक्टर से काफी रेवेन्यू आया है, जिससे उद्यमियों के लिए नए मौके पैदा हुए हैं.”
मनीष कुमार ने 2021 में वाराणसी में गंगा रिट्रीट नामक टेंट सिटी स्थापित करने के बाद इसकी क्षमता को पहचाना.
यह कुंभ जैसा नहीं लगता. इतनी खुली और खाली सड़कें. अमीर और गरीब के बीच की खाई धर्म में भी आ गई है
— मुकेश सिंह, कुंभ आए एक विजिटर
कुमार ने कहा, “काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के बदलाव के बाद, लोग यहां रहने के लिए वाराणसी आने लगे, लेकिन उनके लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं थी, इसलिए हमने एक टेंट रिसॉर्ट स्थापित करने के बारे में सोचा.”
जब पिछले साल राम मंदिर को जनता के लिए खोला गया था, तो उन्होंने सरयू के किनारे भक्तों के लिए आलीशान कॉटेज बनाए थे और अब, उन्होंने कुंभ के लिए प्रयागराज के वीआईपी घाटों पर 36 कॉटेज बनाए हैं.
उन्होंने कहा, “मेरे कमरे हाई मिडिल-क्लास के लोगों के लिए हैं, जो शायद एक रात में 1 लाख रुपये खर्च नहीं कर सकते.”
उन्होंने अपने एक कमरे वाले कॉटेज की कीमत लगभग 20,000 रुपये प्रतिदिन रखी है, जिसमें फूड, प्राइवेट पार्किंग, संगम की यात्रा और अखाड़ों का सांस्कृतिक दौरा शामिल है.
कॉटेज का उद्देश्य घास के फर्श के साथ एक सादे गांव का अनुभव देना है. मेहमान एक आउटडोर लाउंज क्षेत्र में इकट्ठा हो सकते हैं, नींबू पानी का आनंद लेते हुए संगम पर सूर्यास्त देख सकते हैं.
कुमार और उनकी टीम ने एक साल पहले कुंभ के लिए प्रार्थना करना शुरू कर दिया था. उन्होंने कहा, “जैसे ही निविदा आई, हमने इसके लिए आवेदन कर दिया. यह हमारे लिए अपने कारोबार का विस्तार करने का एक मौका है.”
उत्तर प्रदेश सरकार के लिए यह अन्य धार्मिक त्योहारों और मंदिर शहरों के लिए खाका हो सकता है.
एक सरकारी अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “एक पूरी अर्थव्यवस्था नए तरीके से जन्म ले रही है. उन्होंने अनुमान लगाया कि अकेले महाकुंभ के दौरान हॉस्पिटैलिटी एरिया से लगभग 2,500 करोड़ रुपये का रेवेन्यू आने की उम्मीद है. हमारा ध्यान गरीब से लेकर सुपर-अमीर तक सभी वर्गों को एक छत के नीचे लाने पर है, लेकिन वीआईपी लोगों के लिए अलग से व्यवस्था की गई है.”
आलीशान ‘ग्राम’
मुंबई के एक फाइनेंशियल कंसल्टेंट संदीप गुप्ता के लिए महाकुंभ अपने आध्यात्मिक पक्ष को तलाशने का एक मौका था. बख्शी परिवार की तरह, वे सिर्फ एक दिन और रात के लिए आए, उन्होंने 50,000 रुपये प्रतिदिन के किराए पर प्रीमियम ITDC टेंट में बुकिंग कराई.
गुप्ता ने कहा, “इस आलीशान जगह ने आराम, सुविधा और आध्यात्मिक समृद्धि का एक अनूठा मिश्रण प्रदान किया.”
यह कुंभ में उनकी पहली यात्रा थी और जब वे इस दुर्लभ अनुभव के लिए प्रीमियम पैकेज ले रहे थे, तो वे अपने आवास की “गांव वाले लुक” पर हैरान थे. 550 वर्ग फीट के टेंट में हाथ से बनी कपड़े की छत, एक निजी छायादार बैठने की जगह और पारंपरिक लकड़ी के फर्श थे. एक हीटर ने कमरे को आरामदायक बनाए रखा और फ्री वाईफाई ने सुनिश्चित किया कि वे बाहरी दुनिया से जुड़े रहें.
इस लुक को डिजाइन करने वाले मिश्रा ने उत्तर प्रदेश के एक गांव से प्रेरणा ली. ITDC की वेबसाइट पर डिटेल में लिखा है, “हर कुटिया में स्टाइलिश बाथरूम और और ऑरेंज कलर के कपड़े मौजूद हैं, जो मध्य भारतीय डिजाइन को दर्शाते हैं.”
इसमें इस साइट को ‘महाकुंभ ग्राम: पवित्र आराम के लिए आदर्श तीर्थस्थल’ के रूप में वर्णित किया गया है. मेहमानों को प्रकृति के करीब लाने के लिए इस क्षेत्र में हज़ारों पेड़ लगाए गए थे.
मिश्रा ने कहा, “हम अपने मेहमानों के लिए पूरे दिन की योजना बनाते हैं ताकि उनका एक भी पल बर्बाद न हो. हम सुबह योग और ध्यान शिविर, आध्यात्मिक चर्चा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक चौपाल, शाम को गंगा आरती और कुंभ मेले का एक निर्देशित दौरा आयोजित करते हैं, जहां हम मेहमानों को अखाड़ों में ले जाते हैं और उन्हें संतों से मिलवाते हैं.”
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टेंट सिटी एक किलोमीटर से ज़्यादा में फैली हुई है. इसका सबसे आकर्षक हिस्सा ‘डोम सिटी’ है, जिसमें 176 सुसज्जित कॉटेज हैं, जो सभी सात्विक भोजन परोसते हैं. आधिकारिक महाकुंभ एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में इसे “दिव्य संगम के बीच एक तरह का शानदार अनुभव” बताया गया है. डोम सिटी को हाई-टेक 360-डिग्री पॉलीकार्बोनेट शीट से बनाया गया है. यूपी के अधिकारियों के अनुसार, ये बुलेटप्रूफ और फायरप्रूफ हैं, कॉटेज और टेंट की कीमत लगभग 1 लाख रुपये प्रति रात है.
दो कुंभों की कहानी
इस हफ्ते सुबह-सुबह हुई भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत और दर्जनों लोगों के घायल होने के बाद भी, कुंभ के आलीशान अनुभव की मांग में कमी नहीं आई है. कुछ आलीशान आवासों ने कहा कि एक या दो बुकिंग रद्द की गई हैं, लेकिन इसके अलावा सब कुछ ठीक है. टूर ऑपरेटरों ने कहा कि ज़्यादातर बुकिंग भारत से हैं.
संयुक्त राज्य अमेरिका की एक डॉक्यूमेंट्री निर्माता मेगन और उनकी बेटी कुंभ के इस विशेष भाग में आने वाले कुछ विदेशी लोगों में से हैं.
मेगन ने नाव में संगम जाते वक्त कहा, “हमें भीड़ के बारे में पता था, इसलिए हमने ITDC सुविधा में रहने का फैसला किय. यह एक दिव्य अनुभव रहा.”
यह गंगा के दूसरी ओर के दृश्यों से बिलकुल अलग है, जहां करोड़ों श्रद्धालु पवित्र स्नान और अन्य अनुष्ठानों के लिए एकत्र होते हैं. वीआईपी सेक्टर में मेहमान जहां ताजा नींबू पानी पीते हैं, शुद्ध घी में पका खाना खाते हैं और लौंगलता का स्वाद लेते हैं, वहीं दूसरी ओर श्रद्धालु जगह के लिए धक्का-मुक्की करते हैं, सार्वजनिक शौचालयों के बाहर कतार में खड़े होते हैं और सड़क किनारे के ठेलों से चना, भेलपुरी और मूंगफली खाते हैं.
डोम सिटी को लेकर इतना उत्साह और उत्सुकता है कि दूसरी ओर के श्रद्धालु इसे देखने के लिए अपने अनुष्ठानों से समय निकाल लेते हैं. गुंबदनुमा क्षेत्र का एक हिस्सा आम विजिटर्स के लिए खुला है, जो उन्हें यह देखने का मौका देता है कि अमीर लोग कुंभ का अनुभव कैसे कर रहे हैं.
मुफ्त आश्रय में बिस्तर रखने वाले मुकेश सिंह हैरान थे. प्रदर्शन पर मौजूद कलाकृति या रेस्तरां की कतारों से ज़्यादा, वह विशाल जगह और भीड़ की कमी थी जिसने उन्हें चौंका दिया.
उन्होंने कहा, “यह कुंभ जैसा नहीं लगता. इतनी खुली और खाली सड़कें. अमीर और गरीब के बीच की खाई धर्म में भी आ गई है.”
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