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शुक्रवार, 18 अप्रैल, 2025
होमफीचरमेरठ ड्रम, जयपुर कांड से लेकर औरैया सुपारी तक — पति की हत्या भारत के छोटे शहरों का नया मुद्दा है

मेरठ ड्रम, जयपुर कांड से लेकर औरैया सुपारी तक — पति की हत्या भारत के छोटे शहरों का नया मुद्दा है

हाल के हफ्तों में पत्नियों द्वारा पतियों की हत्या के मामले राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गए हैं. ‘अवैध’ प्रेमियों और खून-खराबे के पीछे एक कहानी और भी है.

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जयपुर: अपने पिता की तेरहवीं के दिन 10-वर्षीय मोनिका सैनी एक कोने में बैठी हैं और अपनी मां गोपाली देवी के गिरफ्तार होने से पहले कही गई आखिरी बात को दोहरा रही हैं: “मेरा भीतर भर गया था तेरे बाप से, इसलिए मैं मारी उसने”.

मोनिका उन शब्दों को पड़ोसियों, रिश्तेदारों, दोस्तों, यहां तक ​​कि अजनबियों को भी एक टेप की तरह सुनाती हैं. हर बार, यह आंसुओं के साथ खत्म होता है. जयपुर में धन्नालाल सैनी की उनकी पत्नी गोपाली द्वारा की गई नृशंस हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया, लेकिन यह कोई अकेला मामला नहीं था. पिछले कुछ हफ्तों में खासकर छोटे शहरों में पत्नियों द्वारा अपने पतियों की हत्या करने का स्पष्ट सिलसिला राष्ट्रीय जुनून बन गया है.

महिलाओं द्वारा अपने पतियों को ज़हर देने, चाकू घोंपने, पीटने की खबरें लगातार सुर्खियों में हैं. मेरठ में, मुस्कान रस्तोगी ने कथित तौर पर अपने पति का गला रेत दिया और शव को सीमेंट और नमक के साथ ड्रम में भर दिया. औरैया में नवविवाहिता प्रगति पर आरोप है कि उसने शादी के 15 दिन बाद ही अपने पति को गोली मार दी. मुजफ्फरनगर में, पिंकी ने कथित तौर पर अपने पति की कॉफी में ज़हर मिला दिया, जिससे वह अस्पताल में ज़िंदगी और मौत से जूझ रहा है.

महिलाएं, जिन्हें कभी केवल बतौर पीड़िता पेश किया जाता था, अब हत्यारन, प्रतिशोधी वीरांगनाओं के रूप में पेश किया जा रहा है जो अपने पतियों को आत्महत्या के लिए मजबूर कर रही हैं. पुरुषों के खिलाफ हिंसा ऑनलाइन चर्चा का विषय बन गई है, जहां वीडियो, हेडलाइन और हताश अपीलें रोज़ाना वायरल होती रहती हैं. इस कथित लहर ने एक बड़ी बहस को जन्म दिया है: क्या यह असली बदलाव है, या सिर्फ मीडिया द्वारा फैलाया गया नैतिक आतंक है? कुछ लोग तर्क देते हैं कि इन मामलों को लैंगिक हिंसा पर दशकों से चली आ रही बहस को कमजोर करने के लिए हथियार बनाया जा रहा है, लेकिन पुरुष अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये मामले एक ऐसे संकट को उजागर करते हैं जिसे समाज स्वीकार करने से इनकार करता है.

पुरुषों के अधिकारों के लिए काम करने वाली कार्यकर्ता दीपिका नारायण भारद्वाज ने कहा, “पुरुषों के खिलाफ हिंसा हमेशा से होती रही है, लेकिन किसी ने इसे दर्ज करने की परवाह नहीं की. पुलिस उनकी शिकायतों को तब तक गंभीरता से नहीं लेती जब तक कि मामला क्रूर न हो. हमारे पास सड़कों पर बैठे पुरुष हैं, अपनी जान के लिए डरते हैं, कहते हैं कि उनकी पत्नियां उन्हें मार डालेंगी, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.”

उनके समूह, एकम न्याय फाउंडेशन ने अनौपचारिक रूप से 2023 से 306 मामलों का दस्तावेजीकरण किया है, जहां पतियों की हत्या की गई, जिसमें अक्सर पत्नी के विवाहेतर संबंध शामिल थे.

धन्नालाल सैनी की फोटो, जिस पर गेंदे के फूलों की माला चढ़ी है, उनके जयपुर वाले घर के फर्श पर रखी है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
धन्नालाल सैनी की फोटो, जिस पर गेंदे के फूलों की माला चढ़ी है, उनके जयपुर वाले घर के फर्श पर रखी है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

चिल्लाना, दरवाज़े बंद करना, लंबी खामोशी और रोज़ाना झगड़े — गोपाली देवी और धन्नालाल के चार बच्चे अपने माता-पिता की शादी की कहानी ऐसे ही सुनाते हैं. जयपुर के मुहाना में अपने दो मंजिला घर में एक साथ बैठे 8 से 22 साल के भाई-बहन जब अपने पिता के बारे में बात करते हैं तो उनकी आंखें नम हो जाती हैं और जब वह अपनी मां के बारे में बात करते हैं तो गुस्सा हो जाते हैं.

14 वर्षीय निशा ने कहा, “वह हमेशा लड़ते रहते थे”, लेकिन उन्होंने भी कभी नहीं सोचा था कि यह ऐसे खत्म होगा.

गोपाली की भाभी नाती देवी, जो अब छोटे बच्चों की देखभाल कर रही हैं, उन्होंने कहा, “झगड़े हर शादी में होते हैं, लेकिन पिछले पांच सालों में हालात और खराब हो गए हैं. तभी से उसने घर से बाहर काम करना शुरू कर दिया. नौकरी मिलने के बाद वह बदल गई.”

मम्मी हमसे बात भी नहीं करती थीं. उन्होंने कभी नहीं पूछा कि हमने खाना खाया है या नहीं. वह सब्ज़ियां पकाती थीं और मैं परिवार के लिए चपाती बनाती थी, लेकिन यह बिखर गया

— निशा, गोपाली देवी की 14-वर्षीय बेटी

इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज द्वारा 2024 में की गई एक स्टडी में पाया गया कि मोबाइल एक्सेस वाली आर्थिक रूप से स्वतंत्र कामकाजी महिलाओं के अपने पतियों के खिलाफ हिंसा करने की संभावना अधिक होती है क्योंकि सत्ता की गतिशीलता में बदलाव के कारण अधिक संघर्ष होते हैं.

फिर भी जब ये मामले वायरल होते हैं, तो उन्हें अक्सर इस बात के ‘सबूत’ के रूप में इस्तेमाल किया जाता है कि महिलाएं भी राक्षस हो सकती हैं या इससे भी बदतर, इस बात के सबूत के रूप में कि वह समाज की सुविधा के लिए बहुत स्वतंत्र हो गई हैं.

डेटा दिखाता है कि भारत में घरेलू दुर्व्यवहार की मुख्य शिकार महिलाएं बनी हुई हैं, लेकिन यह उलटी कहानी है जिसने अब सभी को जकड़ लिया है.

ग्राफिक: मनाली घोष/दिप्रिंट
ग्राफिक: मनाली घोष/दिप्रिंट

बॉलीवुड में, हत्यारी पत्नियां अपने आप में एक ब्लैक कॉमेडी जॉनर बन गई हैं — 7 खून माफ से, जहां प्रियंका चोपड़ा की सुज़ाना एक के बाद एक क्रूर पतियों को व्यवस्थित रूप से खत्म करती है, डार्लिंग्स तक, जहां आलिया भट्ट का किरदार अपने अपमानजनक साथी को उसकी ही हिंसा के चक्र में फंसाता है. 7 खून माफ में, सुज़ाना यहां तक कहती है, “अपनी लाइफ के किसी न किसी मोड़ पर, हर महिला ने खुद से सोचा होगा, मैं अपने पति से कैसे छुटकारा पाऊं?” रिलीज़ से पहले, चोपड़ा ने इस किरदार को “हर पत्नी का सपना” बताया.

लेकिन स्क्रीन के बाहर, असलियत अलग है, जबकि सुर्खियां कहती हैं “पत्नी कैसे बनी हैवान”, अपराधशास्त्रियों का तर्क है कि इनमें से ज़्यादातर महिलाएं निर्दयी हत्यारी नहीं थी. वह बिना पैसे या सहारे के ऐसी शादियों में फंसी हुई थीं जिनसे वह बच नहीं सकती थीं.

अपराध में लिंग के प्रभाव पर शोध करने वाली अपराध विज्ञानी नताशा भारद्वाज ने कहा, “ये हत्याएं सिर्फ जुनून के कारण नहीं होतीं; ये अक्सर फंसाने के लिए की जाने वाली हत्याएं होती हैं. इनमें से कई महिलाओं को कोई रास्ता नहीं सूझा. तलाक कोई विकल्प नहीं था, घर छोड़ना असंभव था और दुर्व्यवहार लगातार जारी था. उनके लिए, हत्या का मतलब सत्ता या नियंत्रण नहीं था, जैसा कि अक्सर होता है जब पुरुष अपनी पत्नियों को मारते हैं. यह भागने के बारे में था.”

एक वायरल सीसीटीवी क्लिप मोनिका और उसके भाई-बहनों के पास उनके माता-पिता की एक साथ आखिरी तस्वीर है. इसमें उनकी मां को बाइक पर दिखाया गया है, जो अपने हाथों में उनके पिता की लिपटी हुई लाश को पकड़े हुए हैं.


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‘धर्म का भाई’

आर्टिफिशियल गुलाब, धार्मिक कलाकृतियां और ‘Welcome’ ग्राफिटी गोपाली देवी और धन्नालाल के चार कमरों वाले घर को सजाते हैं. हरे रंग की बेल दरवाज़े पर फैली हुई हैं, लेकिन 25 साल की शादी के ज़्यादातर समय में, यह जोड़ा एक-दूसरे से झगड़ता रहा. उनके बच्चे, परिवार के सदस्य और पड़ोसी सभी ने उनके झगड़े देखे थे. शुरुआती सालों में, सब्ज़ी बेचने वाले धन्नालाल ने उन्हें मारा भी था.

लेकिन वक्त के साथ, हालात बदलने लगे.

जयपुर के मुहाना मोहल्ले में गोपाली देवी और धन्नालाल सैनी के घर की दीवार पर हाथ से पेंट किया गया “Welcome board” | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
जयपुर के मुहाना मोहल्ले में गोपाली देवी और धन्नालाल सैनी के घर की दीवार पर हाथ से पेंट किया गया “Welcome board” | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

गोपाली की भाभी नाती देवी ने कहा, “उनकी लड़ाइयां किसी से छिपी नहीं थीं. ऐसा नहीं था कि धन्नालाल उसे रोज़ पीटता था. शादी के शुरुआती सालों में उसने उसे कई बार थप्पड़ मारे थे, लेकिन हाल के सालों में उसने उस पर हावी होना शुरू कर दिया था. वह खाना बनाने से मना कर देती थी, अक्सर उसे बुरा-भला कहती और गाली-गलौज करना आम बात हो गई थी.”

पांच साल पहले चीज़ें बदलनी शुरू हुईं, जब गोपाली, जो अब 42 साल की है, ने घर से लगभग तीन किलोमीटर दूर एक कपड़े की फैक्ट्री में सिलाई का काम शुरू किया. दुबली-पतली महिला जो हमेशा बाहर निकलते समय सिर ढंकती थी, वह सुबह 10 बजे काम पर निकल जाती थी और शाम को 7 बजे के बाद लौटती थी, लेकिन यह सिर्फ काम नहीं था. वह दीनदयाल कुशवाह के और करीब आ रही थी, जो फैक्ट्री के पास एक दुकान पर काम करता था.

गोपाली देवी और धन्नालाल ने घर को करीने से लगे टेबलवेयर, धार्मिक तस्वीरें और आर्टिफिशियल फूलों से सजाया है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
गोपाली देवी और धन्नालाल ने घर को करीने से लगे टेबलवेयर, धार्मिक तस्वीरें और आर्टिफिशियल फूलों से सजाया है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

2023 में अपनी सबसे बड़ी बेटी की शादी की तैयारियों के दौरान, घर की स्थिति और भी बिगड़ने लगी. गोपाली ने शादी की खरीदारी में दीनदयाल को शामिल करने पर जोर दिया. उसने परिवार से उसे अपने धर्म के भाई के रूप में मिलवाया, लेकिन जब उसने एक सैर के दौरान उसे तीन साड़ियां तोहफे में दीं, तो धन्नालाल को शक हुआ. जब वह लौटे, तो एक बड़ा झगड़ा हुआ. धन्नालाल ने कहा कि वह शादी में दीनदयाल को नहीं बुलाना चाहता.

उसके बाद, घर और भी बंट गया. दंपति अलग-अलग कमरों में सोने लगे. गोपाली ने परिवार के लिए खाना बनाना भी बंद कर दिया.

बच्चे उसे एक अलग-थलग, चिड़चिड़ी महिला के रूप में वर्णित करते हैं जो शायद ही कभी किसी से बात करती थी. वह सामाजिक समारोहों, त्योहारों और यहां तक कि पारिवारिक बातचीत से भी बचती थी. उसकी जो कुछ तस्वीरें हैं, उनमें वह शायद ही कभी मुस्कुराती है.

गोपाली देवी और धन्नालाल सैनी 2023 में अपनी सबसे बड़ी बेटी की शादी में. इस समय के आसपास उनके बीच दरार गहरी होने लगी थी | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट
गोपाली देवी और धन्नालाल सैनी 2023 में अपनी सबसे बड़ी बेटी की शादी में. इस समय के आसपास उनके बीच दरार गहरी होने लगी थी | फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट

 

अपने भाई-बहनों के पास खड़ी निशा ने याद किया, “मम्मी हमसे बात भी नहीं करती थीं. उन्होंने कभी नहीं पूछा कि हमने खाना खाया है या नहीं. वह सब्ज़ियां पकाती थीं और मैं परिवार के लिए चपाती बनाती थी, लेकिन यह बिखर गया.”

तब तक, धन्नालाल ने रिश्तेदारों के घर खाना शुरू कर दिया था, लेकिन वह भी खत्म हो गया.

नाम न बताने की शर्त पर एक रिश्तेदार ने कहा, “उन्हें पता चल गया और उन्होंने सार्वजनिक रूप से हमारे साथ दुर्व्यवहार किया. इसलिए, हमने उन्हें खाना देना बंद कर दिया.”

सभी खातों से पता चलता है कि धन्नालाल ने घर में जो थोड़ा बहुत अधिकार बचा था, उसे भी खो दिया था. फिर 15 मार्च को, उन्होंने गोपाली का पीछा करने का फैसला किया ताकि पता लगाया जा सके कि वह दिन में कहां जाती थी. फैक्ट्री के बजाय, वह दीनदयाल की दुकान पर चली गई. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि धन्नालाल ने दोनों को रंगे हाथ पकड़ा और गुस्से में आकर गोपाली पर चिल्लाया और जवाब मांगा.

मैंने जिन महिलाओं का इंटरव्यू लिया, उनमें से बहुत सी महिलाओं को इन पुरुषों से प्यार भी नहीं था. उनमें से कई ने इस रिश्ते को एक रास्ता समझा, जब पति को पता चलता है, तो अपनी ज़िंदगी की एक अच्छी चीज़ को खोने का डर उन्हें ऐसे कदम उठाने के लिए मजबूर करता है

नताशा भारद्वाज, अपराध विज्ञानी

परिवार के सदस्यों के अनुसार, इसके बाद जो हुआ वह बहुत ही सोच-समझकर किया गया और पुलिस के अनुसार, यह जुनून में किया गया अपराध था.

गोपाली देवी और दीनदयाल निजी बातचीत के बहाने सैनी को कपड़े की दुकान के ऊपर बने कमरे में ले गए. सबसे पहले उन्होंने उसके सिर पर लोहे की रॉड से वार किया और फिर उसका गला घोंट दिया, ताकि यह पक्का हो कि वह मर गया है.

जयपुर के पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) दिगंत आनंद ने कहा, “पीड़ित ने उनके संबंध पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद उसकी पत्नी और सह-आरोपी दीनदयाल ने गुस्से में उसके सिर पर लोहे की रॉड से वार किया. इससे वह बेहोश हो गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई.”

शव को ठिकाने लगाने के लिए उन्होंने उसे चादर में लपेटा, बाइक के पीछे बांधा और शहर से होते हुए बाहरी इलाके में एक जंगल में पहुंचे और वहां उन्होंने शव को आग लगा दी.

16 मार्च को पुलिस को सूचना मिली, जब एक स्थानीय व्यक्ति ने जंगल में अधजली लाश देखकर इमरजेंसी हेल्पलाइन पर कॉल किया. अधिकारियों ने सीसीटीवी फुटेज को स्कैन करना शुरू किया और जल्दी ही गोपाली और दीनदयाल को शव ले जाते हुए दिखाने वाले दृश्य पाए और 18 मार्च को उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

उस फुटेज से वायरल क्लिप मोनिका और उसके भाई-बहनों के पास उनके माता-पिता की एक साथ आखिरी तस्वीर है. इसमें उनकी मां को बाइक पर अपने पिता की लिपटी हुई लाश को अपनी बाहों में पकड़े हुए दिखाया गया है.

मोनिका ने कहा, “यह भयानक था, मैं इसे दो सेकंड से ज़्यादा नहीं देख सकती”, उसकी आवाज़ में मुश्किल से फुसफुसाहट थी.

सीसीटीवी फुटेज में कथित तौर पर गोपाली देवी और उसके प्रेमी को एक सफेद चादर में लिपटे धन्नालाल के शव को मोटरसाइकिल पर ले जाते हुए दिखाया गया है | स्क्रीनग्रैब
सीसीटीवी फुटेज में कथित तौर पर गोपाली देवी और उसके प्रेमी को एक सफेद चादर में लिपटे धन्नालाल के शव को मोटरसाइकिल पर ले जाते हुए दिखाया गया है | स्क्रीनग्रैब

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क्या पत्नियां उत्पात मचा रही हैं?

गोपाली की गिरफ्तारी उसी दिन हुई जिस दिन मेरठ में ड्रम कांड का खुलासा हुआ था. हर जगह डरावनी जानकारियां थीं — कैसे 26 साल की मुस्कान ने अपने पति सौरभ को कटहल कोफ्ता में नशीला पदार्थ मिलाकर खिलाया, उसका गला काटा, फिर उसके टुकड़े किए और अपने प्रेमी साहिल की मदद से शव को सीमेंट के ड्रम में भर दिया. सौरभ के साथ उसका ‘प्रेम विवाह’ होने की वजह से यह सब और भी ज़्यादा काव्यात्मक लगने लगा.

अब जयपुर में व्यभिचार और हत्या की अपनी सनसनीखेज़ कहानी सामने आई और रिपोर्टर शहर में घूमे.

दैनिक भास्कर ने इस मामले की हेडलाइन बनाई: “पत्नी ने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या की, लाश को जलाने का प्रयास”. राजस्थान पत्रिका ने मकसद पर प्रकाश डाला: “पति के विरोध पर पत्नी ने प्रेमी के साथ मिलकर की हत्या, सीसीटीवी में आए सबूत” और नवभारत टाइम्स ने तुरंत ड्रम मामले के साथ एक लिंक निकाला: “मेरठ के बाद जयपुर में खौफनाक कांड! पति की लाश को बोर में भरकर लगाया ठिकाने, सीसीटीवी से पर्दाफाश”.

सौरभ राजपूत, साहिल शुक्ला और मुस्कान रस्तोगी | ग्राफिक श्रुति नैथानी/दिप्रिंट
सौरभ राजपूत, साहिल शुक्ला और मुस्कान रस्तोगी | ग्राफिक श्रुति नैथानी/दिप्रिंट

और यह यहीं खत्म नहीं हुआ. अकेले पिछले महीने में, हिंदी भाषा मीडिया में 20 से अधिक ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें से ज्यादातर छोटे शहरों से हैं.

बुलंदशहर की एक महिला ने कथित तौर पर एक नहीं बल्कि दो प्रेमियों की मदद ली. अमर उजाला की हेडलाइन थी: “किसी की न हो ऐसी बीवी: दो प्रेमियों संग मिल पति को मरवा डाला”.

सीतापुर में एक और महिला और उसके प्रेमी पर अपने पति की हत्या कर शव को नहर में फेंकने का आरोप लगा. आजतक डिजिटल ने रिपोर्ट की, “पत्नी ने प्रेमी संग मिलकर एक लाख रुपए की सुपारी दी, पति की हत्या के बाद शव को नहर में फेंका”.

इनमें से ज़्यादातर मामलों में प्रेमी के साथ मिलकर हत्या की योजना बनाई गई थी. विशेषज्ञों का कहना है कि उस रिश्ते को खोने का डर ही हत्या की वजह बनता है.

मुस्कान मामले में नीला ड्रम पत्नी द्वारा हत्या का अक्सर संदर्भ दिया जाने वाला प्रतीक बन गया है | फोटो: एक्स/@pranavmahajan
मुस्कान मामले में नीला ड्रम पत्नी द्वारा हत्या का अक्सर संदर्भ दिया जाने वाला प्रतीक बन गया है | फोटो: एक्स/@pranavmahajan

अपराध विज्ञानी भारद्वाज ने कहा, “मैंने जिन महिलाओं का इंटरव्यू लिया, उनमें से बहुत सी महिलाओं को इन पुरुषों से प्यार भी नहीं था. उनमें से कई ने इस रिश्ते को एक रास्ता समझा, जब पति को पता चलता है, तो अपनी ज़िंदगी की एक अच्छी चीज़ को खोने का डर उन्हें ऐसे कदम उठाने के लिए मजबूर करता है.”

गहरा सवाल, क्यों, शायद ही कभी पूछा जाता है.

भारद्वाज ने कहा, “‘विवाहेतर संबंध’ कहना और उसे खारिज करना आसान है, लेकिन असलियत जटिल है. ये महिलाएं पहले भागने के लिए इतनी बेताब क्यों हैं? यह हमें हमारे समाज में विवाह और रिश्तों के बारे में क्या बताता है?”

मैंने अपने उपन्यासों में निर्दयी महिलाओं को दर्शाया है जो धन, शक्ति या बदला लेने के लिए हत्या करती हैं, लेकिन अब, ये कहानियां सुर्खियां बन रही हैं. यह तथ्य कि ये मामले इतने बड़े पैमाने पर सार्वजनिक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, हमें कुछ परेशान करने वाला बताता है…

— अमित खान, अपराध उपन्यासकार

हालांकि, आम लोगों के लिए ऐसा लगता है कि रेलवे स्टेशनों पर बेची जाने वाली पल्पिट क्राइम फिक्शन अब एक के बाद एक खौफनाक हेडलाइन में सामने आ रही है.

हिंदी क्राइम थ्रिलर के मशहूर लेखक अमित खान ने कहा, “मैंने 100 से ज़्यादा मर्डर मिस्ट्री नॉवेल लिखे हैं, ऐसी कहानियां जहां चालाक महिलाएं दौलत या वासना के लिए हत्या करती हैं, लेकिन ये प्लॉट फिक्शन के दायरे में ही रहने चाहिए.”

उन्होंने कहा कि यह “सच में परेशान करने वाला” है कि कैसे पत्नियों द्वारा अपने पतियों की हत्या की साजिश रचने की सुर्खियां उनके उपन्यासों से मिलती-जुलती हैं.

खान ने कहा, “क्राइम फिक्शन को मनोरंजन करना चाहिए, न कि समाज के सबसे बुरे मोड़ को दिखाना चाहिए. मैंने अपने उपन्यासों में निर्दयी महिलाओं को दर्शाया है जो पैसे, पावर या बदला लेने के लिए हत्या करती हैं, लेकिन अब, ये कहानियां सुर्खियां बन रही हैं. काल्पनिक कहानियां एक सुरक्षित दूरी बनाती हैं; असल ज़िंदगी में ऐसा नहीं होता. यह तथ्य कि ये मामले इतने बड़े पैमाने पर सार्वजनिक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, यहां तक कि प्रेरणादायक गीत भी, हमें हमारे समाज में अपराध, विश्वासघात और खतरे के प्रति बढ़ते जुनून के बारे में कुछ परेशान करने वाला बताते हैं.”

मुस्कान-साहिल गीत नामक मेरठ ड्रम मामले के बारे में एक भोजपुरी गीत है: “नारी पे के करी भरोसा, बड़ी झमेला हो गईल. सीमेंट के खेले सखी, बड़ी अलबेला हो गईल”.

एक और गीत है जिसका नाम है ड्रम में राजा.

कई लोग कहते हैं कि ऐसे मामलों पर अतिरंजित आक्रोश इस तथ्य को छिपाता है कि डेटा कमज़ोर है. भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बारे में अभी भी बहुत अधिक अनुभवजन्य सबूत हैं.


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मेरठ प्रभाव

सीसीटीवी फुटेज में दिखाया गया है कि गोंडा में एक महिला घर से बाहर निकलती है और अपने पति को वाइपर से पीटना शुरू कर देती है. फिर वह सीमेंट के ढेर की ओर इशारा करती है. पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार, यहीं से मामला डरावना हो गया. उसने कथित तौर पर कहा: “अगर तुम ज़्यादा बोलोगे, तो मैं तुम्हें मेरठ मामले की तरह काटकर ड्रम में पैक कर दूंगी.”

यह सीसीटीवी क्लिप, कई अन्य लोगों की तरह, व्हाट्सएप फॉरवर्ड और सोशल मीडिया वीडियो की बढ़ती संख्या में शामिल हो गई है, जिसमें महिलाएं अपने पतियों के साथ शारीरिक दुर्व्यवहार करती हुई दिखाई दे रही हैं, पुरुष अपनी पत्नियों को दोषी ठहराते हुए वीडियो सुसाइड नोट रिकॉर्ड कर रहे हैं और “पछतावे से रहित” पत्नियों की रीलें दिखाई दे रही हैं.

सबसे ज़्यादा वायरल होने वाले वीडियो में से एक में मुस्कान कथित तौर पर अपने पति की हत्या के 10 दिन बाद अपने प्रेमी साहिल के साथ होली मनाती नज़र आ रही है.

ये मामले सड़कों, व्हाट्सएप ग्रुप और सामाजिक समारोहों में मीम और हॉट टॉपिक बन गए हैं. लगभग हर दूसरे दिन कोई नया मामला सामने आता है, जिससे डर बना रहता है.

दिल्ली के उत्तम नगर में 28-वर्षीय रोहित कुमार का कहना है कि वह अपने परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों से लगातार मेरठ ड्रम केस के बारे में सुन रहे हैं. इसकी वजह यह है कि उन्होंने प्रेम विवाह किया था. “ज़्यादा बोलेगा तो ड्रम मिलेगा” जैसे मज़ाक आम हो गए हैं.

जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तो महिलाओं के प्रति मौजूदा पूर्वाग्रह उन्हें अनुपातहीन रूप से बढ़ा देते हैं. विवाहेतर रिश्ते सिर्फ महिलाओं तक सीमित नहीं हैं; जब घर में खुशी और संतुष्टि की कमी होती है, तो लोग अक्सर कहीं और तलाश करते हैं

— जगमती सांगवान, सामाजिक कार्यकर्ता

हर शाम, उनके सेवानिवृत्त पिता के दोस्त सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा होते हैं और उनका नवीनतम पसंदीदा विषय “हत्यारी पत्नियां” है, जो अक्सर आधुनिक, स्वतंत्र महिलाओं के बारे में व्यंग्यात्मक टिप्पणियों में बदल जाता है.

कुमार जो कि एक इंजीनियर हैं, ने कहा, “उनका इरादा नुकसान पहुंचाना नहीं है, लेकिन यह उनके लिए बहुत नया और चिंताजनक है, जब भी मैं अपनी पत्नी पर आवाज़ उठाता हूं, तो वह मुझे चेतावनी देती है कि मैं ड्रम में मिलूंगा. अब उन्होंने औरैया का यह नया मामला भी उठा लिया है.”

19 मार्च को, दिलीप यादव नामक एक युवक को यूपी के औरैया में गेहूं के खेत में गोली लगने के बाद खून से लथपथ पाया गया. तीन दिन बाद उसकी मौत हो गई. इससे भी अधिक दुखद बात यह है कि उसकी शादी सिर्फ दो हफ्ते पहले हुई थी. उसकी दुल्हन, जो अब विधवा है, कथित तौर पर फूट-फूट कर रोई, जबकि रिश्तेदार उसे सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे.

लेकिन कुछ ही दिनों में, पुलिस ने जो कहा वह एक सुनियोजित हत्या थी. दुखी विधवा, प्रगति यादव कथित तौर पर इसकी मास्टरमाइंड थी. उसका मकसद: उस आदमी से दूर होना जिसे वह प्यार करती थी. फेरों के कुछ समय बाद ही दिलीप से छुटकारा पाने की साजिश रची गई.

औरैया के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अभिजीत आर शंकर ने बताया, “जांच में दिलीप की पत्नी प्रगति यादव और उसके प्रेमी अनुराग यादव के बीच साजिश का पता चला. दोनों के बीच पिछले चार साल से रिश्ता था. उन्होंने हत्या को अंजाम देने के लिए 2 लाख रुपये में एक कॉन्ट्रैक्ट किलर को हायर किया था.”

औरैया की प्रगति यादव अपने पति दिलीप के साथ शादी के दिन (बाएं) और करीब दो हफ्ते बाद पुलिस हिरासत में ली गईं (दाएं) | तस्वीरें: एक्स/@NCMIndiaa
औरैया की प्रगति यादव अपने पति दिलीप के साथ शादी के दिन (बाएं) और करीब दो हफ्ते बाद पुलिस हिरासत में ली गईं (दाएं) | तस्वीरें: एक्स/@NCMIndiaa

उन्होंने जिस हत्यारे को किराए पर लिया था, उसका नाम रामजी नागर था. प्रगति की शादी के शगुन से निकालकर आधी सुपारी एडवांस दी गई थी.

सीसीटीवी फुटेज से पुलिस प्रगति, अनुराग और रामजी तक पहुंची और सभी को गिरफ्तार कर लिया गया.

एक्स पर एक यूज़र ने लिखा, “दुनिया एक खतरनाक जगह की ओर बढ़ रही है, जहां नैतिकता चुनिंदा है.”

दूसरे ने पूछा, “यह पागलपन कब खत्म होगा?”

कई लोगों का कहना है कि ऐसे मामलों पर अतिरंजित आक्रोश इस तथ्य को छिपाता है कि डेटा कमज़ोर है. भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के बारे में अभी भी बहुत ज़्यादा अनुभवजन्य सबूत मौजूद हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता जगमती सांगवान ने कहा, “मीडिया का ऐसे मामलों पर असंगत ध्यान देना अनुचित है. दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामले कहीं ज़्यादा प्रचलित हैं, जिनमें अभी भी महिलाएं ही मुख्य शिकार हैं.”

उन्होंने सामान्य तौर पर बढ़ती हिंसा की व्यापक प्रवृत्ति की ओर इशारा किया.

“जैसे-जैसे हत्या के मामले कुल मिलाकर बढ़ते हैं, यह स्वाभाविक है कि आधी आबादी वाली महिलाएं भी इसमें शामिल होती हैं. जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तो महिलाओं के खिलाफ मौजूदा पूर्वाग्रह उन्हें अनुपातहीन रूप से बढ़ा देते हैं. विवाहेतर संबंध सिर्फ महिलाओं तक सीमित नहीं हैं; जब घर में खुशी और संतुष्टि की कमी होती है, तो लोग अक्सर कहीं और तलाशते हैं.”

विकास और राधिका ने संत कबीर नगर के एक मंदिर में शादी की. शादी की व्यवस्था उनके पति बबलू ने की, जिन्होंने कहा कि वह उनके संबंध का पता चलने के बाद मेरठ में ड्रम जैसी स्थिति से बचना चाहते थे | एक्स/स्क्रीनग्रैब
विकास और राधिका ने संत कबीर नगर के एक मंदिर में शादी की. शादी की व्यवस्था उनके पति बबलू ने की, जिन्होंने कहा कि वह उनके संबंध का पता चलने के बाद मेरठ में ड्रम जैसी स्थिति से बचना चाहते थे | एक्स/स्क्रीनग्रैब

कई बार कुछ पुरुष विवाद से बचने के लिए अपरंपरागत रास्ता अपनाते हैं. वह अपनी पत्नियों की शादी उनके प्रेमियों से करवा देते हैं. उदाहरण के लिए बिहार में एक पति ने दावा किया कि वह अपनी पत्नी को उसके बचपन के प्रेमी से फिर से मिलाने में मदद करना चाहता था.

लेकिन इस तरह का ताज़ा मामला — जिसमें यूपी के संत कबीर नगर के बबलू ने अपनी पत्नी की शादी उसके प्रेमी से स्थानीय मंदिर में करवा दी — उदारता से ज्यादा आत्मरक्षा का मामला था.

बबलू ने कहा, “हाल के दिनों में हमने देखा है कि पतियों की हत्या उनकी पत्नियों ने की है. मेरठ में जो हुआ उसे देखने के बाद, मैंने अपनी पत्नी की शादी उसके प्रेमी से करवाने का फैसला किया ताकि हम दोनों शांति से रह सकें.”


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‘दर्द, आघात और नुकसान’

कुछ पतियों ने घरेलू हिंसा की अपनी कहानियां बताने के लिए ज़िंदा बचे हैं. इस साल एक मामले में, दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि पुरुषों को महिलाओं के समान ही कानूनी सुरक्षा मिलनी चाहिए.

नए साल के दिन सुबह 3 बजे, 28-वर्षीय सूरज सैनी सो रहे थे, जब उनकी पत्नी ज्योति ने कथित तौर पर उनके पास आकर मिर्च पाउडर मिला हुआ उबलता पानी उनके चेहरे और छाती पर डाल दिया. फिर वह दिल्ली के नांगलोई में अपने घर से कोहरे वाली रात में भाग गई, उसका मोबाइल फोन ले गई, लेकिन अपने रोते हुए बच्चे को वहीं छोड़ गई. उसने बाहर से दरवाजा भी बंद कर दिया.

इस हमले में सूरज गंभीर रूप से जल गया और उसकी तस्वीरें पुरुष अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा सोशल मीडिया पर फैल गई.

स्टील कंपनी में काम करने वाले और अपने माता-पिता के साथ अपने सात महीने के बच्चे के साथ रहने वाले सूरज ने कहा, “उसकी पहले सात या आठ बार शादी हो चुकी थी, जब मुझे पता चला और मैंने शिकायत दर्ज कराई, तो उसने मुझ पर खौलता हुआ पानी फेंक दिया.”

उसके कंधे और छाती पर अभी भी चोट के निशान हैं और वह सदमे से अभी तक उबर नहीं पाया है.

जब ज्योति ने अग्रिम ज़मानत के लिए आवेदन किया, तो उसके वकील ने दावा किया कि वह घरेलू हिंसा की असली शिकार थी. उन्होंने कहा कि सूरज को दूसरी महिलाओं से बात करते हुए देखने के बाद दंपति ने बहस की थी, लेकिन अदालत ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया, यह देखते हुए कि वह उन अनुरोधों से सावधान है जो “केवल आरोपी के लिंग के आधार पर नरमी” की मांग करते हैं.

न्यायाधीश स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा, “दर्द, आघात और नुकसान…को लिंग के आधार पर अलग-अलग कैटेगरी में नहीं रखा जा सकता.”

तब से यह मामला पुरुषों के खिलाफ घरेलू हिंसा का प्रतीक बन गया है और इस महीने उसकी गिरफ्तारी तक ऐसे मामलों में कथित पुलिस की ढिलाई के बारे में सोशल मीडिया पोस्ट नियमित रूप से सोशल मीडिया पर दिखाई देते रहे हैं.

पुलिस अधिकारी और अपराधशास्त्री मानते हैं कि ऐसे मामले हमेशा से होते रहे हैं, लेकिन पुरुष अधिकार कार्यकर्ताओं का दावा है कि अब ऐसी घटनाओं में वृद्धि हुई है.

डीसीपी नॉर्थ बैंगलोर सैदुलु अदावथ ने कहा, “यह लंबे समय से हो रहा है, लेकिन अब इन मामलों पर ज़्यादा फोकस है.”

लेकिन कुछ मामलों में, हिंसा वैवाहिक संबंधों में गहराई से समाहित हो गई है.

धन्नालाल सैनी की हत्या के मामले में, पुलिस और परिवार के सदस्यों ने आपसी आक्रामकता के लंबे पैटर्न का वर्णन किया. गोपाली देवी कभी-कभी बहस के दौरान उसे जोर से धक्का देती थी.

मोनिका अपने पिता के अंतिम संस्कार के दौरान अपनी कलाई पर सोने का धागा बांधती हैं, जो उनके साथ बची हुई कुछ कड़ियों में से एक है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
मोनिका अपने पिता के अंतिम संस्कार के दौरान अपनी कलाई पर सोने का धागा बांधती हैं, जो उनके साथ बची हुई कुछ कड़ियों में से एक है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

अपनी मृत्यु से दो महीने पहले, धन्नालाल का पैर टूट गया था और वह दो महीने तक बिस्तर पर पड़ा रहा, इस दौरान झगड़े बढ़ गए क्योंकि उसने उससे उसकी देर रात की शिफ्ट के बारे में सवाल किया — एक ऐसा विषय जिससे वह बहुत नाराज़ थी.

एक पड़ोसी ने बताया, “एक बार उसने उसे मारने के लिए लाठी उठाई, लेकिन उसके ससुर ने बीच-बचाव किया और फिर वह चली गई.” उसके आस-पास की कई महिलाओं ने सदमे में अपना मुंह ढक लिया.

सैनी के घर में कोई पारिवारिक फोटो नहीं है. मोनिका ने अपने पिता से स्कूल असाइनमेंट के लिए एक फोटो खिंचवाने के लिए कहा था, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ.

मोनिका ने अपने पिता के अंतिम संस्कार के समय अपनी कलाई पर बंधे सुनहरे धागे को छेड़ते हुए कहा, “मेरे माता-पिता के बीच लगातार झगड़े के कारण हमारे पारिवारिक चित्र को स्थगित कर दिया गया था. अब जब मेरी मां जेल में है और मेरे पिता चले गए हैं, तो फोटो खिंचवाने के लिए कोई परिवार नहीं बचा है.”

(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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