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Tuesday, 25 February, 2025
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हरियाणा खाप ने गांवों के बीच 100 साल पुरानी शादी की परंपरा तोड़ी, अब पहली शादी का इंतिज़ार

हरियाणा में युवा जोड़ों को समाज के बनाए नियमों का पालन करना पड़ता है. अगर वे इन नियमों को तोड़ते हैं, तो उन्हें खाप पंचायतों का गुस्सा झेलना पड़ता है.

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झज्जर: हरियाणा की एक खाप ने सदियों पुराना टेबू तोड़ दिया है. अब युवा पुरुष और महिलाएं अपने पड़ोसी गांवों में शादी कर सकते हैं. दस साल पहले तक, इसे अपराध माना जाता था, जिसकी सजा कभी-कभी ऑनर किलिंग के रूप में मिलती थी.

यह हरियाणा में एक सामाजिक क्रांति से कम नहीं है. अब झज्जर और बेरी उपमंडल के छह गांवों के बुजुर्ग पहली ऐसी शादी के इंतजार में हैं, जो इस बदलाव को हकीकत में बदलेगी.

इस बदलाव का गवाह एक सफेद कागज़ का टुकड़ा है. राजिंदर सिंह सोलंकी, जिनकी अध्यक्षता में गांवों के बीच यह सहमति बनी, ने कहा, “सरपंचों की सहमति सिर्फ़ एक साइन नहीं थी, बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत थी. एक ऐसा अध्याय जिसे हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए लिख रहे हैं.”

कई पीढ़ियों से चली आ रही स्थानीय मौखिक परंपराओं, जिन्हें विज्ञान और रीति-रिवाजों का नाम दिया गया था, को बदलना आसान नहीं था. गोधड़ी गांव की एक युवती की कहानी, जो सौ साल से चली आ रही थी, यहां गांव की प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गई थी.

गोधड़ी गांव के सरपंच मनबीर बेनीवाल ने अपने पूर्वजों से सुनी कहानी को याद करते हुए कहा, “करीब 100 साल पहले, जब हमारे पांच गांवों में से एक महिला झज्जर जा रही थी, तो किसी ने उसे छेड़ने की कोशिश की. उस समय ग्वालिसों गाँव के लोगों ने उसकी रक्षा की.”

गोधड़ी गांव ने इस उपकार को सामाजिक नियम बना दिया. तभी से ग्वालिसों और गोधड़ी गांवों के लोग भाई-बहन बन गए और उनके बीच विवाह वर्जित हो गया. हरियाणा के कई गांवों में ऐसे ही सामाजिक नियमों को मानना पड़ता है, और अगर कोई इसका उल्लंघन करता है, तो खाप पंचायतों का कोपभाजन बनता है.

अब यह परंपरा टिकाऊ नहीं रही.

मनबीर ने कहा, “ग्वालिसों गांव के लोगों ने हमारे गाँव की इज़्ज़त बचाई थी. हम आज भी उनके आभारी हैं, लेकिन अब समय आ गया है कि हम आगे बढ़ें.”

झज्जर के छह गांवों के 150 से अधिक निवासियों ने पहाड़ीपुर गांव में आईटीआई के परिसर में आयोजित पंचायत में भाग लिया। फोटो विशेष व्यवस्था

खाप जिसने सब कुछ बदल दिया

इतिहास का भार इस महीने की शुरुआत में हुई ऐतिहासिक पंचायत सभा पर भारी था. ग्रामीण जानते थे कि वे बदलाव की दहलीज पर खड़े हैं.

साहबी नदी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित छह गांव—मालिकपुर, पहाड़ीपुर, गोधड़ी, साफीपुर, आछेझ और ग्वालिसन—के 150 से अधिक निवासी अपने पारंपरिक सफेद परिधान, लंबी शॉल और पगड़ियों में सजे-धजे पहुंचे.

यह सभा पहाड़ीपुर गांव के आईटीआई मैदान में हुई, जो आमतौर पर तकनीकी प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं का केंद्र है. उस दिन वहां हरियाणवी बोली में फुसफुसाहट और हुक्के की गुड़गुड़ाहट सुनाई दे रही थी.

गांवों के बीच शादी की अनुमति देने पर चार घंटे तक गहन चर्चा हुई.

“आखिरकार, गहन विचार-विमर्श के बाद, हमने भाईचारे (सौहार्द) को रिश्तेदारी (वैवाहिक संबंध) में बदलने पर सहमति बनाई, क्योंकि हमारी गोत्र (उप-जातियां) अलग हैं,” आछेझ गांव के सरपंच और पंचायत के अध्यक्ष राजिंदर सिंह सोलंकी ने कहा. हरियाणा में अलग-अलग उप-जातियों के बीच विवाह सामाजिक रूप से स्वीकार्य है.

लेकिन यह फैसला खून से सना हुआ रास्ता तय करके यहां तक पहुंचा है. स्थानीय खाप पंचायतें अक्सर समानांतर अदालतों की तरह काम करती रही हैं और उन युवाओं के भाग्य का फैसला करती रही हैं जो इन सामाजिक नियमों को तोड़ते हैं. 2000 के दशक में ऐसी हत्याओं ने उत्तर भारत के सामाजिक विवेक को झकझोर दिया, और इस बहस को परंपरा बनाम प्रेम के रूप में देखा गया. इसे गांव की “इज्जत” से जोड़ दिया गया, जिसके तहत युवाओं को न सिर्फ अपने गांव में बल्कि पड़ोसी गांवों या अपने गोत्र में प्रेम करने की मनाही थी.

2007 में हुए मनोज और बबली मामले के बाद, तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने भारतीय दंड संहिता में संशोधन कर तथाकथित “ऑनर किलिंग” को एक अलग अपराध घोषित किया.

“आधुनिक समय में खापों पर अपनी सोच बदलने का दबाव है। खापों में नई नेतृत्व पीढ़ी के आने से, पुरानी सामाजिक मान्यताओं को छोड़कर आगे बढ़ने के उदाहरण देखने को मिल रहे हैं,” कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के समाजशास्त्री और प्रोफेसर विजेंद्र सिंह ने कहा. “खाप अपनी प्रासंगिकता और अस्तित्व बनाए रखने के लिए खुद को बदल रहे हैं.”

गोत्र का संबंध

अभी सिर्फ कुछ हफ्ते ही बीते हैं और भाईचारे को रिश्तेदारी में बदलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. मनबीर अब धनखड़ खाप के प्रधान और ग्वालिसन गांव के निवासी युधवीर सिंह से मिलने की योजना बना रहे हैं ताकि इस नए युग की पहली शादी करवाई जा सके.

“पहला उदाहरण जल्द ही पेश किया जाना चाहिए। सिर्फ पंचायत बुलाने और फैसला लेने से कुछ नहीं होगा। पंचायत के फैसले का असर तब दिखेगा जब पहली शादी होगी,” 42 वर्षीय मनबीर ने हुक्का पीते हुए कहा.

मनबीर ने बताया कि अपनी पूरी जिंदगी में उन्होंने इन गांवों के बीच कभी कोई घनिष्ठता या आपसी संबंध नहीं देखा.

“भाईचारा था, लेकिन सिर्फ नाम का। कोई भी किसी की खुशी या दुख में शामिल नहीं होता था. इसलिए इस पुराने रिश्ते को खत्म कर एक नया अध्याय शुरू करना सही था,” उन्होंने कहा. उन्होंने यह भी बताया कि आजकल कई गांवों के बच्चे स्कूल और कॉलेज में साथ पढ़ते हैं. “अगर बच्चे एक-दूसरे को पसंद करने लगें और रिश्ते बना लें, तो इससे बदनामी होती. इसलिए ग्वालिसन के साथ संभावित रिश्तों के लिए जगह बनाई गई.”

यहां सभी ग्रामीण जाट समुदाय से हैं, लेकिन उनकी गोत्र अलग-अलग हैं. ग्वालिसन गांव के लोग धनखड़ गोत्र से हैं, जबकि बाकी पांच गांवों के लोग विभिन्न उपजातियों से आते हैं. मलिकपुर, साफीपुर और गोधड़ी गांवों में बेनीवाल और फोगाट गोत्र के लोग रहते हैं, आछेझ गांव में सोलंकी गोत्र के लोग हैं, और पहाड़ीपुर में सिवाच गोत्र के लोग बसते हैं.

प्रोफेसर विजेंद्र सिंह ने बताया, “हरियाणा में विवाह के लिए गांव और गोत्र बहिर्विवाह (exogamy) का पालन किया जाता है, लेकिन जाति के भीतर विवाह (endogamy) को प्राथमिकता दी जाती है. हालांकि, हिंदू विवाह अधिनियम में इस क्षेत्रीय विविधता की अनदेखी की गई. युवा जो प्रेम विवाह कर रहे थे, वे कानून का पालन कर रहे थे, लेकिन समाज में इसे सम्मान का मुद्दा माना गया, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ.”

सिंह ने कहा कि इस कारण कई पुरुषों और महिलाओं की हत्या कर दी गई, परिवार तबाह हो गए. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में खापों में कुछ हद तक बदलाव आया है.

हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने फरवरी 2024 में बताया कि 2019 से 2023 के बीच हरियाणा में 24 तथाकथित ऑनर किलिंग के मामले दर्ज किए गए. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2014 से 2021 के बीच देशभर में ऐसे 559 मामले सामने आए.

सिंह ने बताया कि पहले दादी, नानी और पिता के गोत्र में विवाह की अनुमति नहीं थी. अब यह सामाजिक परंपरा बदल रही है.

प्रोफेसर विजेंद्र सिंह ने इस बदलाव के पीछे कुछ कारण गिनाए। शहरीकरण के बढ़ने से ग्रामीण मूल्यों और परंपराओं का प्रभाव कमजोर हो रहा है. जनसांख्यिकी (demography) में भी तेजी से बदलाव आ रहा है. हरियाणा में प्रवासियों की संख्या बढ़ रही है क्योंकि राज्य के युवा रोजगार के लिए बाहर जा रहे हैं और नए जीवनशैली के संपर्क में आ रहे हैं.

सिंह ने कहा कि हरियाणा में पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान की तुलना में अधिक बहु-गोत्रीय (multi-gotra) गांव हैं. “अगर सभी गोत्रों को भाईचारे के नाम पर त्याग दिया जाए, तो विवाह होना ही मुश्किल हो जाएगा,” उन्होंने कहा.

खाप से पहले आम सहमति

झज्जर खाप में इस ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत एक व्यक्ति ने की. ग्वालिसन गांव के खाप नेता युधवीर सिंह धनखड़ को इस विचार को सामने लाने, बुजुर्गों को समझाने और सामाजिक सहमति बनाने में पूरा एक साल लग गया. परंपरा की मजबूत दीवारों में दरारें पड़ने लगी थीं.

एक साल पहले, ग्वालिसन के निवासियों ने उनसे इस मुद्दे पर दखल देने की गुजारिश की. यह पहली बार था जब लोग धनखड़ खाप प्रमुख के पास इस मामले को लेकर पहुंचे थे. इससे पहले भाईचारे को खत्म करने का कोई प्रयास नहीं हुआ था. लेकिन इस बार ग्रामीण अड़े हुए थे.

“यह बहुत जटिल काम था क्योंकि ये संबंध लंबे समय से चले आ रहे थे, लेकिन मुझे महसूस हुआ कि इस पर काम होना चाहिए,” सिंह ने झज्जर स्थित अपने कार्यालय में बैठकर कहा. उन्होंने बिना समय गंवाए सभी पांच गांवों के सरपंचों की बैठक बुलाई.

वे सभी आसानी से उनके प्रस्ताव पर सहमत हो गए. सिंह ने कहा, “मैंने सोचा भी नहीं था कि जो काम मुझे कठिन लग रहा था, वह इतनी आसानी से हो जाएगा.”

लगभग 12,000 की आबादी वाले इन जाट बहुल गांवों में विवाह को लेकर संकट बना हुआ था. माता-पिता को अपनी बेटियों की शादी कई किलोमीटर दूर के परिवारों में करनी पड़ती थी.

राजिंदर सिंह सोलंकी, आचेज गांव के सरपंच जिन्होंने 2 फरवरी को आयोजित पंचायत की अध्यक्षता की | फोटो: कृष्ण मुरारी | दिप्रिंट

“हालांकि पास में ही जाटों का गांव था, फिर भी शादी हमारे लिए कोई विकल्प नहीं थी. इस आधुनिक युग में, जब इन गांवों के गोत्र अलग हैं, तो विवाह पर प्रतिबंध लगाने का कोई तार्किक कारण नहीं है. इसलिए हम सब साथ बैठे और इस मुद्दे को हल किया,” ग्वालिसन गांव के निवासी और धनखड़-12 खाप (12 गांवों के मुखिया) के प्रधान युधवीर धनखड़ ने कहा, जिन्होंने एक साल पहले गांवों के बीच सहमति बनाने का काम शुरू किया था.

पचास के दशक में पहुंचे धनखड़ झज्जर के सिविल अस्पताल के पास स्थित अपने कार्यालय में बैठे थे. यह जगह हमेशा लोगों से भरी रहती है, जहां अक्सर लोग हुक्का पीते हुए सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करते हैं. पेशे से किसान धनखड़ ने केवल हाई स्कूल तक की पढ़ाई की है, लेकिन सामाजिक मुद्दों पर उनकी समझ और विचारों के कारण वह क्षेत्र में लोकप्रिय हैं.

धनखड़ की छवि एक प्रगतिशील नेता की है, जो चुनौतियों से डरते नहीं हैं। उन्होंने उस समय हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह को पद से हटाने की मांग की थी, जब हॉकी खिलाड़ी से नेता बने मंत्री पर यौन शोषण के आरोप लगे थे.

धनखड़ लगातार पांच गांवों के संपर्क में थे और अब निर्णय की जिम्मेदारी उन गांवों पर थी, जिनका नेतृत्व उनके-अपने सरपंच कर रहे थे.

आचेझ गांव के सरपंच राजिंदर सोलंकी ने बताया कि ग्वालिसन के साथ विवाह संबंध स्थापित करने से पहले पूरे गांव में सहमति बनाना जरूरी था। यह एक लंबी प्रक्रिया थी.

इस मुद्दे पर सुबह और शाम की चौपालों में चर्चा की गई, ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके. “हम चाहते थे कि यह निर्णय आम सहमति से लिया जाए, ताकि बाद में कोई सवाल न उठे,” सोलंकी ने कहा. सभी सरपंचों ने यही तरीका अपनाया. चूंकि ये गांव बड़े थे, इसलिए हर किसी तक यह बात पहुंचाने में लगभग एक साल लग गया.

फिर महापंचायत की तिथि तय हुई, जहां इस फैसले को औपचारिक रूप से अपनाया गया. ऐसा हर दिन नहीं होता कि छह गांवों के लोग एकत्र होकर किसी मुद्दे पर फैसला लें. सोलंकी ने बताया कि पिछली बार ऐसा 2007 में हुआ था, जब नौ गांवों की पंचायत बुलाई गई थी. उस समय मुद्दा डीजे पर प्रतिबंध लगाने का था.

सोलंकी ने कहा कि इस फैसले को लेकर सभी उत्साहित थे और पंचायत में समय पर पहुंचे. “यह मेरे जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों में से एक था और मैं इस पंचायत की अध्यक्षता भी कर रहा था.”

इस प्रस्ताव का किसी ने विरोध नहीं किया और यह सर्वसम्मति से पारित हो गया।

“भविष्य में किसी भी रिश्ते में कोई रुकावट नहीं होगी,” पारित प्रस्ताव में लिखा गया.

ग्वालिसन और पांच गांवों को इस बदलाव की प्रेरणा झज्जर के ही दिग्गल और इस्माइला गांवों से मिली. इन दो गांवों के बीच लगभग 200 वर्षों से कोई वैवाहिक संबंध नहीं था. 2023 में दोनों गांवों के लोगों ने इस दूरी को समाप्त कर दिया.

दिग्गल गांव के निवासी और अहलावत खाप के प्रमुख जय सिंह अहलावत ने कहा, “पूर्वजों का काम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अच्छा मार्ग बनाना होता है. हमारे फैसले के बाद, इन दोनों गांवों के बीच कई शादियां हो चुकी हैं.”

दिग्गल और इस्माइला का मामला ग्वालिसन और पांच गांवों के लिए मील का पत्थर साबित हुआ.

धनखड़ ने कहा,”यहीं से हमें भी महसूस हुआ कि हम भी ऐसा कर सकते हैं. यह समय की जरूरत है.”

छह गांवों के बुजुर्गों द्वारा लिया गया यह फैसला महिलाओं को प्रभावित करेगा, लेकिन उन्हें इस निर्णय में कोई भूमिका नहीं दी गई. उनके पति ही उन्हें इस फैसले की जानकारी दे रहे थे.

“इस पंचायत में महिलाओं की कोई भूमिका नहीं थी. लेकिन हम इस फैसले से बहुत खुश हैं और यह बहुत पहले हो जाना चाहिए था. हर कोई चाहता है कि उनके बच्चे पास के ही गांवों में शादी करें,” मलिकपुर गांव की महिला सरपंच बलकेश ने कहा. पंचायत में उनकी जगह उनके पति और ससुर मौजूद थे.

सम्मान के लिए हत्या

जो एक छोटे से सामाजिक सुधार के कदम के रूप में दिख सकता है, वह उन लोगों के लिए एक बड़ी छलांग है जिनकी ज़िंदगियां इससे प्रभावित होने वाली हैं. पिछली पीढ़ियों को यह अवसर नहीं मिला था.

“अगर ऐसे सामाजिक बदलाव के फैसले नहीं लिए गए, तो आने वाली पीढ़ियां हमें सम्मान की नजर से नहीं देखेंगी,” मनबीर ने कहा. उन्होंने आगे जोड़ा कि दुनिया तेजी से बदल रही है और “हमें भी पुराने रीति-रिवाजों को तोड़कर अपने बच्चों का जीवन आसान बनाने के लिए खुद को ढालना होगा.”

झज्जर हरियाणा में एक दुर्लभ उदाहरण है, जहां कई युवा सम्मान के नाम पर मारे जाते हैं. 2024 में ही जींद, सिरसा और हिसार से ऐसे तीन मामले सामने आए.

सिरसा में 27 वर्षीय सर्वजीत कौर की उसके पिता ने हत्या कर दी. कौर अपने पड़ोसी गांव के एक युवक के साथ रिश्ते में थी. दोनों कम्बोज जाति से थे, लेकिन लड़की का परिवार इस रिश्ते के लिए राज़ी नहीं था.

कौर के परिवार ने रिश्तेदारों और पड़ोसियों से उसकी मौत की वजह दिल का दौरा बताया, लेकिन पुलिस जांच में सच्चाई सामने आ गई.

ऐसा ही एक और मामला पिछले साल हिसार में सामने आया, जब 24 वर्षीय तेजबीर और 22 वर्षीय मीना की दो अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी. दोनों ने अप्रैल 2024 में गाज़ियाबाद के आर्य समाज मंदिर में शादी की थी.

तेजबीर और मीना दूर के रिश्तेदार थे और दोनों जाट समुदाय से ताल्लुक रखते थे. लड़की का परिवार इस शादी से नाखुश था. पुलिस के अनुसार, मीना के भाई ने उसे और तेजबीर को हांसी के एक पार्क में बुलाया और दोनों की गोली मारकर हत्या कर दी.

इस घटना को एक साल बीत चुका है, लेकिन पीड़ितों के परिवार आज भी अपने फैसले को सही ठहराते हैं.

“एक ही गांव और आस-पास के गांवों में रहने वाले लोग भाई-बहन होते हैं. ऐसे में विवाह नहीं होना चाहिए. यह परंपरा के खिलाफ है. अगर ऐसे संबंधों को तोड़ने का फैसला लिया जा रहा है, तो इसका विरोध भी होगा,” एक सम्मान हत्या मामले के पीड़ित के परिवार के एक सदस्य ने नाम न बताने की शर्त पर कहा.

कैथल-सोनीपत-जींद-झज्जर बेल्ट का इतिहास ऐसे हिंसक मामलों से भरा पड़ा है. जब लोग अंतरजातीय या अंतरधार्मिक विवाह करते हैं, तो उनके अपने ही परिवार उनके साथ बर्बरता करते हैं.

“हरियाणा के कई हिस्सों में इसे सामाजिक अपमान से जोड़ा जाता है, और ऐसे में लोग अपने ही बच्चों के साथ अन्याय कर बैठते हैं,” समाजशास्त्री विजेंदर सिंह ने कहा.

प्रस्ताव के बारे में जानकारी देने वाला एक प्रेस नोट। | विशेष व्यवस्था

बदलाव की देर थी

लंबे समय तक यह स्मृति और गतिशीलता के बीच एक संघर्ष था. समाज में बदलाव को स्वीकार करने की एक जिद्दी अनिच्छा बनी रही. पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही कथाएं हवा में गूंजती रहीं और आधुनिक समय के निर्णयों को प्रभावित करती रहीं.

गांववाले याद करते हैं कि पहले के समय में जब इन पांच गांवों के लोग किसी काम से झज्जर जाते थे, तो ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर बैलगाड़ियों से यात्रा करते थे. जब वे थक जाते, तो रास्ते में आराम करते. ग्वालिसन गांव के लोग उनका स्वागत करते, उन्हें चाय, पानी और हुक्का पेश करते, जिससे भाईचारा विकसित हुआ.

यह देखभाल और भाईचारा लोगों की स्मृतियों में गहराई से बस गया.

“ग्वालिसन मलिकपुर, पहाड़ीपुर, गोधड़ी, आचहेज और साफीपुर के निवासियों के लिए एक आराम करने की जगह थी. ग्वालिसन के नियमित दौरों ने गहरे रिश्ते बना दिए,” मनबीर ने कहा. हालांकि, अब हालात बदल चुके हैं. झज्जर की यात्रा अब आसान हो गई है और लोग अपनी खुद की गाड़ियां रखने लगे हैं, जिससे ग्वालिसन अब एक विश्राम स्थल नहीं रहा.

21वीं सदी में विवाह पर पुरानी पाबंदी का कोई तर्क नहीं रह गया था. बदलाव समय की मांग थी.

लेकिन यह अभी भी पूरे हरियाणा में व्यापक बदलाव का संकेत नहीं है.

सम्मान हत्या के मामलों की जांच कर चुके पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लोगों की सोच में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है.

हरियाणा में एक सम्मान हत्या मामले की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “झज्जर का मामला एक अपवाद है. यह क्रांति सीमित स्तर पर हो रही है और अलग-अलग स्थानों तक सिमटी हुई है, इसे व्यापक प्रभाव डालना चाहिए था. लेकिन ऐसा होता हुआ ज़मीन पर नजर नहीं आ रहा.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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