मेहसाणा: जिस दिन उनकी मौत हुई, उस दिन 19-वर्षीय दलित होम्योपैथी छात्रा ने अपने चचेरे भाई को फोन करके डॉक्टर के पास ले जाने की गुज़ारिश की. फिर उन्होंने दोबारा फोन किया और कहा कि उन्हें कॉलेज कैंपस से बाहर जाने की इज़ाज़त नहीं मिल रही है. कुछ घंटों बाद, गुजरात के मेहसाणा में मर्चेंट होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की फर्स्ट इयर की स्टूडेंट ने आत्महत्या कर ली.
पुलिस को बाद में मिले एक नोट में उन्होंने लिखा, “मेरी आत्महत्या मेरे दोस्तों की मदद करेगी.”
29 जनवरी को उनकी मौत ने दलित समुदाय, कैंपस और कॉलेज को हिलाकर रख दिया. इसने संस्थान को उत्पीड़न, धमकी और दुर्व्यवहार के आरोपों के तहत जांच के दायरे में ला दिया है. छात्रों के विरोध की लहर ने प्रशासन को चार दिनों के लिए कक्षाएं बंद करने पर मज़बूर कर दिया.
तब से प्रिंसिपल सहित चार प्रोफेसरों को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, लेकिन अब वह सभी ज़मानत पर बाहर हैं. उनके दोस्तों ने आरोप लगाया कि पिछले दो महीनों से प्रोफेसर उन्हें लगातार निशाना बना रहे थे — गाली-गलौज कर रहे थे और उन्हें सज़ा देने के मकसद से अलग-थलग रख रहे थे.
अब कैंपस में क्लास बहाल हो गई हैं, लेकिन तनाव की स्थिति बनी हुई है. हालांकि, चारों आरोपी प्रोफेसरों को क्लास लेने से रोक दिया गया है. दिप्रिंट ने जिन फैकल्टी मेंबर्स से बात करने की कोशिश की, उन्होंने दलित छात्रा की मौत पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और स्टूडेंट्स परेशान हैं कि जिन विरोध प्रदर्शनों में उन्होंने भाग लिया था, उनका इस्तेमाल उनके खिलाफ किया जाएगा, क्योंकि वह अप्रैल में होने वाले फाइनल एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं.
मैंने अपनी बेटी से कहा कि प्रोफेसरों को गुरुजी कहा जाता है और उनका कोई गलत इरादा नहीं होता…
— परवीन श्रीमाली, पीड़िता के पिता
पीड़िता की एक दोस्त ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हम बहुत डरे हुए हैं. हम यह एग्जाम पास करना चाहते हैं.”
इस बीच, छात्रा का परिवार अभी भी यह समझने की कोशिश कर रहा है कि आखिर उनकी मौत की वजह क्या थी.
जब उन्होंने आखिरकार अपने पिता को बताया, तो उन्हें यकीन नहीं हुआ — टीचर्स को ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए.
सुरेंद्रनगर जिले के पाटडी कोर्ट में वकील उनके पिता परवीन श्रीमाली ने कहा, “मेरी बेटी बचपन से ही डॉक्टर बनना चाहती थी, वह प्रतिभाशाली और मेहनती थी, काश मुझे पहले ही इस सब के बारे में पता होता, तो आज मेरी बेटी ज़िंदा होती.”
हालांकि, प्रिंसिपल कैलाश जिंगा पटेल ने इन आरोपों से इनकार किया है.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “मुझे उम्मीद नहीं थी कि हमारे कॉलेज में ऐसा होगा. मैं यहां 35 साल से पढ़ा रहा हूं.”
छात्रा की आत्महत्या के दो दिन बाद, पुलिस को उनके हॉस्टल के कमरे से एक नोट मिला जिसमें उन्होंने अपने प्रोफेसरों को “हैवान” और “यमराज” कहा था.
यह भी पढ़ें: ‘हमें ज़मीन का पर्चा चाहिए’, बिहार के नवादा में आगज़नी से प्रभावित दलित बस्ती के लोग भविष्य को लेकर परेशान
टीचर्स कथित तौर पर बने उत्पीड़क
छात्रा की करीबी दोस्त अंजीता पटेल बहुत दुखी थीं, लेकिन हैरान नहीं. एक महीने पहले, फर्स्ट इयर की होम्योपैथी स्टूडेंट को उनके प्रोफेसर ने पूरी क्लास के सामने डांटा था. पटेल ने आरोप लगाया कि यह मर्चेंट होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद से उनके साथ होने वाले उत्पीड़न का एक और उदाहरण था.
पटेल ने बताया, “(उस घटना के बाद), उसने मुझसे कहा, ‘मैं आत्महत्या करना चाहती हूं’.” एक महीने बाद, वे अपने हॉस्टल के कमरे में मृत पाई गई.
युवती कॉलेज में सीट मिलने पर खुश थीं. वे हमेशा से ही डॉक्टर बनना चाहती थीं, बचपन से ही. उनके पिता के अनुसार, वे बिना ट्यूशन और कोचिंग के एडमिशन पाने में कामयाब रहीं. 2024 में, उन्होंने अपने सपने को साकार करने के लिए ज़िंदगी में पहली बार सुरेंद्रनगर जिले के नागवाड़ा गांव में अपना घर छोड़ा. वे परिवार में पहली होम्योपैथ बनने की राह पर थीं.

लेकिन पिछले कुछ महीनों में यह सपना एक बुरा ख्वाब बन गया था. नाम न बताने की शर्त पर एक अन्य स्टूडेंट ने एक घटना को याद किया जिसमें एफआईआर में नामित प्रोफेसरों में से एक ने दलित छात्रा का अपमान किया था.
उन्होंने दावा किया कि “उसने (प्रोफेसर) उसे (छात्रा) डांटते हुए कहा, ‘तुम्हारी औकात में रहा करो’” — हालांकि, एफआईआर में इसका कहीं ज़िक्र नहीं है.
आत्महत्या के दो दिन बाद पुलिस को उनके हॉस्टल के कमरे से एक नोट मिला, जिसमें मृतिका ने अपने प्रोफेसरों को “हैवान” और “यमराज” कहा था. उन्हें पढ़ाने वाले छह प्रोफेसरों में से उन्होंने चार को नामित किया — होम्योपैथिक मेटेरिया मेडिका की प्रोफेसर विपाक्षी सुरेश राव वासनिक; मेडिसिन के प्रोफेसर प्रशांत चांदमलजी नुवाल, फार्मेसी के प्रोफेसर वाई चंद्र बोस और फिजियोलॉजी के प्रोफेसर संजय रीठे — साथ ही प्रिंसिपल कैलाश जिंगा पाटिल.
सभी पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 54 (अपराध होने पर मौजूद रहना) तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(2)(v) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
कॉलेज की नियमित अनुशासनात्मक प्रक्रियाएं हैं और सभी छात्रों को उनका पालन करना होता है. हमें अटेंडेंस मेंटेन रखनी पड़ती है और अगर छात्र 70-80 प्रतिशत अटेंडेंस नहीं कर पा रहे हैं, तो हम उन्हें एग्जाम में बैठने की इज़ाज़त नहीं दे सकते. यह उत्पीड़न नहीं है
— प्रिसिंपल कैलाश जिंगा पटेल
एफआईआर में उनके पिता श्रीमाली ने आरोप लगाया कि वासनिक उनकी बेटी पर चिल्लाया और उन्हें एग्जाम में फेल करने की धमकी दी. उन्होंने दावा किया कि नुवाल ने उन्हें तीन बार जर्नल फिर से लिखने को कहा और बिना किसी गलती के भी उन्हें तीन घंटे तक क्लास से बाहर खड़ा रहने के लिए मजबूर किया. एफआईआर में यह भी कहा गया है कि नुवाल ने उन्हें गलत तरीके से छुआ. बोस कथित तौर पर उन्हें अकेले क्लासरूम में बुलाता और अश्लील टिप्पणियां करता था.
श्रीमाली ने कहा कि उनकी बेटी ने उन्हें बताया था कि फिजियोलॉजी पढ़ाने वाला रिठे उन्हें क्लास में कैसे अपमानित किया करता और फिर दिलासा देने के बहाने गलत तरीके से छूने की कोशिश करता था. पुलिस को दिए अपने बयान में, जब उन्होंने प्रिंसिपल से शिकायत की, तो रिठे ने कथित तौर पर उन्हें कहा कि अगर वे कॉलेज में पढ़ना चाहती हैं तो उन्हें यह सब सहना होगा.
पाटिल ने दिप्रिंट से कहा, “ये आरोप हैं. मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता.”
महिला के परिवार ने मेहसाणा जिला कोर्ट में आरोपी के खिलाफ बीएनएस 74 (महिला पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और 75 (अवांछित और स्पष्ट यौन प्रस्ताव) के तहत मामला दर्ज करने की याचिका दायर की, लेकिन उनकी याचिका इस आधार पर खारिज कर दी गई कि पुलिस के पास यौन उत्पीड़न के पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
श्रीमाली के अनुसार, उनकी बेटी ने उन्हें जनवरी में कॉलेज ट्रिप के बाद जो कुछ हुआ था, उसके बारे में बताया.
उन्होंने एफआईआर में कहा, “मैंने अपनी बेटी से कहा कि प्रोफेसरों को गुरुजी कहा जाता है और उनका कोई गलत इरादा नहीं होता…”.
पुलिस ने अब तक अपनी जांच का ब्योरा देने से इनकार किया है.
मेहसाणा के एसपी तरुण दुग्गल ने कहा, “जांच अभी भी जारी है और हम छात्रों और प्रोफेसरों से पूछताछ कर रहे हैं. अभी तक आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया है.”
दिप्रिंट से बात करने वाले फर्स्ट इयर के कई स्टूडेंट्स ने दावा किया कि प्रोफेसरों द्वारा धमकाना और उत्पीड़न करना आम बात है
यह भी पढ़ें: हरियाणा में 2010 की मिर्चपुर घटना को बयां करती नई सीरीज़ ‘कांड’, कैसे हुई थी जातिगत हिंसा
धमकाना या ‘अनुशासन’?
60 एकड़ में फैले मर्चेंट एजुकेशन कैंपस में कई कोर्स करवाए जाते हैं, जिसमें इसके होम्योपैथिक कॉलेज में 5.5 वर्षीय होम्योपैथी प्रोग्राम भी शामिल है, जिसकी स्थापना 2017 में लगभग 33 प्रोफेसरों के फैकल्टी के साथ की गई थी. नया कैंपस मुख्य रूप से निम्न से मध्यम आय वाले परिवारों के छात्रों को शिक्षा प्रदान करता है, जिसकी सालाना फीस 95,000 रुपये है.
दिप्रिंट से बात करने वाले फर्स्ट इयर के कई स्टूडेंट्स ने दावा किया कि प्रोफेसरों द्वारा धमकाना और उत्पीड़न करना आम बात है.
पीड़िता की दोस्त पाटिल ने कहा, “यह हमारे कॉलेज में एक आम बात थी. सेमेस्टर की शुरुआत में स्टूडेंट्स को निशाना बनाया जाता था और यह पूरे साल चलता था.”
प्रिंसिपल ने इन आरोपों से इनकार करते हुए तर्क दिया कि छात्र अनुशासन और नियमों को उत्पीड़न के साथ जोड़ रहे थे.
उन्होंने कहा, “कॉलेज की नियमित अनुशासनात्मक प्रक्रियाएं हैं और सभी छात्रों को उनका पालन करना होता है. हमें अटेंडेंस मेंटेन रखनी पड़ती है और अगर छात्र 70-80 प्रतिशत अटेंडेंस नहीं कर पा रहे हैं, तो हम उन्हें एग्जाम में बैठने की इज़ाज़त नहीं दे सकते. यह उत्पीड़न नहीं है.”
हमें नहीं पता था कि वे इतना कुछ झेल रही है. मुझे भी टारगेट किया गया, हमने कॉलेज बदलने का फैसला किया था, लेकिन इससे पहले कि हम कोई हल निकलता, यह सब हो गया
— अंजीता पटेल
लेकिन दलित छात्रा के कई दोस्तों ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें अक्सर निशाना बनाया जाता था.
साल की शुरुआत में युवती और प्रशासन के बीच विवाद तब शुरू हुआ, जब फर्स्ट इयर के स्टूडेंट्स फार्मेसी विजिट के लिए जयपुर जाने की तैयारी कर रहे थे, उसके बाद 5-13 जनवरी तक हरिद्वार जाना था. पटेल और दलित छात्र यात्रा से पहले अपने घर जाने के लिए दो दिन की छुट्टी चाहते थे, इसलिए उन्होंने प्रिंसिपल से अनुमति मांगी.
पटेल ने कहा, “उन्होंने हां कहा, लेकिन जब हम क्लास में थे, तो प्रोफेसर विपाक्षी अंदर आए और प्रिंसिपल के पास जाने के लिए हम दोनों पर चिल्लाए. उन्होंने यहां तक धमकी दी कि वो हमें एग्जाम में पास नहीं होने देंगे.”
प्रोफेसर के गुस्से के बाद युवती पटेल के सामने रो पड़ी.
उन्होंने कहा, “मैं मरना चाहती हूं.” यह प्रकरण दो जनवरी को हुआ.
दोनों महिलाओं ने प्रिंसिपल और प्रोफेसर को माफीनामा लिखा, लेकिन पटेल के अनुसार, इसे स्वीकार नहीं किया गया. प्रोफेसर विपाक्षी ने घटना के बारे में अपनी टिप्पणी के लिए दिप्रिंट के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया.
कुछ दिनों बाद, छात्रा का एफआईआर में नामित एक अन्य प्रोफेसर के साथ फिर से झगड़ा हुआ.
नाम न बताने की शर्त पर क्लास के एक स्टूडेंट ने कहा, “प्रोफेसर ने सभी स्टूडेंट्स से क्लास में एक स्पेशल बुक लाने को कहा था. जो नहीं लाए, उन्हें बाहर खड़े रहने को कहा गया. फिर अचानक, उन्होंने उन दो लड़कियों के नाम जानना चाहा, जिन्होंने कॉलेज ट्रिप से पहले छुट्टी मांगी थी. उन्होंने अंजिता और पीड़िता को बाकी स्टूडेंट्स के साथ बाहर खड़ा कर दिया, जबकि उनके पास किताब थी.”
प्रिसिंपल जिंगा पाटिल ने इस बारे में जानकारी होने से इनकार किया. उन्होंने कहा, “मैंने दोनों लड़कियों को छुट्टी दे दी थी.”
बहुत देर
कॉलेज ट्रिप से लौटने के बाद, युवती ने अपने माता-पिता को सारी बात बताई. उनके पिता सदमे में थे और बहुत चिंतित थे.
श्रीमाली ने कहा, “मैंने कॉलेज जाने की योजना बनाई थी ताकि मैं प्रोफेसरों से बात कर सकूं, लेकिन जाने से पहले ही मेरी बेटी ने आत्महत्या कर ली.”
उन्हें प्रिंसिपल से बात करने का मौका ही नहीं मिला. श्रीमाली कोर्ट में थे, जब उन्हें कॉलेज से फोन आया कि उनकी बेटी ने अपनी जान लेने की कोशिश की है और उसे मेहसाणा सिविल अस्पताल ले जाया जा रहा है. जब तक वे पहुंचे, तब तक उनकी बेटी मर चुकी थी.
कुछ दिनों बाद, वे फिर से कोर्ट में आए — बतौर वकील नहीं बल्कि न्याय की मांग करने वाले एक दुखी पिता के रूप में. कमज़ोर और स्पष्ट रूप से हिलते हुए, वे वकील डेस्क से कोर्ट रूम में भागे और फिर सर्दियों की धूप में खड़े होकर उन छात्रों के नंबर डायल करने लगे जो तथ्यों की पुष्टि करने में मदद कर सकते थे.
उसकी सहेलियों, पटेल और पूजा मकवाना ने उन्हें ढूंढा था. 29 जनवरी को तीनों सहेलियां फार्मेसी तक जाने के लिए निकली थीं, लेकिन युवती ने कहा कि वे हॉस्टल वापस जाना चाहती हैं.
पटेल ने कहा, “जब हम हॉस्टल पहुंचे, तो हमने पूछा कि क्या वो लंच के लिए आना चाहती है, लेकिन उसे खाने का मन नहीं था और वह नहाने चली गई.”
जब बाकी लड़कियां लंच के बाद लौटीं, तो उन्होंने दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वो अंदर से बंद था.
पटेल ने कहा, “पूजा दरवाजे के ऊपर छोटी खिड़की से झांकने के लिए स्टूल पर चढ़ीं, तभी हमने उन्हें कमरे में लटके हुए देखा.”
उनके दोस्त उन्हें एक खुशमिजाज व्यक्ति की तरह याद करते हैं, जो भोली थी.
उन्होंने कहा कि वह शायद ही कभी अपने मन की बात किसी को बताती थी.
पटेल ने कहा, “हमें नहीं पता था कि वो इतनी मुश्किलों से गुज़र रही है. उस ट्रिप पर हमने खूब मस्ती की. मुझे भी टारगेट किया गया था और हमने कॉलेज बदलने का फैसला किया था, लेकिन इससे पहले कि हम कोई हल निकलता, यह सब हो गया.”
जिला कोर्ट में वापस आकर युवती के बड़े भाई देवेंद्र ने अपने फोन पर कुछ दस्तावेज़ देखे. तभी उनकी नज़र उस आखिरी वीडियो रील पर पड़ी जो युवती ने उन्हें क्लास ट्रिप से भेजी थी. वे अपने दोस्तों के साथ कार में थीं, कैमरे पर विक्टरी साइन दिखा रही थीं, उनके चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान थी.
(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: ‘सपने देखना हमारे लिए बहुत बड़ी चीज है’, दलित मजदूर के बेटे ने पास की UPSC, अब हैं ‘IRS साहब’