नई दिल्ली: शाम 6:30 बजे के आसपास, दिल्ली के सफदरजंग टॉम्ब के गेट पर करीब एक दर्जन लोग इंतज़ार कर रहे थे. विक्रम गुप्ता अपनी गर्लफ्रेंड के साथ यहां आए थे ताकि लाइट शो देख सकें और इस 18वीं सदी के मुगलकालीन मकबरे पर फोटो और रील्स बना सकें.
“आधे घंटे से ज़्यादा हो गया इंतज़ार करते हुए, पता नहीं कब जलाएंगे ये लोग लाइट,” गुप्ता ने अपनी गर्लफ्रेंड से कहा, जिसने उन्हें थोड़ी देर और रुकने को कहा. उनके जैसे कई लोग शो शुरू होने का इंतज़ार कर रहे थे.
कुछ ही मिनटों में लाइट्स ऑन हो गईं और मकबरे की बारीक नक्काशी, गुम्बद और मेहराबें रोशनी में नहाकर सुनहरे रंग की आभा में चमकने लगीं, जिससे इसकी खूबसूरती और बढ़ गई.
“मैंने इंस्टाग्राम पर सफदरजंग टॉम्ब की बहुत सारी फोटोज़ और रील्स देखी हैं और इसे रात में देखने और अनुभव करने की इच्छा थी. ये जगह डेट पर आने के लिए भी बेहतर है,” गुप्ता ने कहा.
दिल्ली के सैकड़ों साल पुराने स्मारकों को रात में खोले जाने से एक नई ज़िंदगी मिल गई है. पहले ये स्मारक सूरज ढलते ही बंद हो जाते थे, लेकिन अब 17 स्मारक रात 10 बजे तक खुले रहते हैं — कुतुब मीनार, सफदरजंग टॉम्ब, सुंदर नर्सरी, लाल किला, लोधी गार्डन से लेकर हुमायूं टॉम्ब तक. दिल्ली, जो कि एक सरकारी शहर है, पारंपरिक रूप से शाम होते ही शांत हो जाता था. लेकिन अब नई पीढ़ी, जो खुली जगहों और सेल्फियों की भूखी है, के चलते राष्ट्रीय राजधानी दूसरी भारतीय और विदेशी शहरों की तरह नाइटलाइफ में शामिल होने की कोशिश कर रही है. अब नाइटलाइफ का मतलब सिर्फ बार और क्लब नहीं बल्कि पार्क और स्मारक जैसे खुले स्थान भी बन रहे हैं.
सालों से, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को स्मारकों को ज़्यादा देर तक खोलने के अनुरोध मिलते रहे हैं. लेकिन ASI के स्मारकों में सुरक्षा गार्डों की कमी सबसे बड़ी रुकावट रही है.
2018 में जब महेश शर्मा संस्कृति मंत्री थे, तब वे एएसआई के तहत आने वाले 3,686 केंद्रीय संरक्षित स्मारकों के बंद होने के समय को बढ़ाने के पक्ष में थे.
“मंत्री और मंत्रालय के अधिकारियों का मकसद था कि लोग रात में भी हमारे धरोहर से जुड़ें — लाइट और साउंड शो और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के ज़रिए जो ज़्यादा पर्यटकों को आकर्षित करें,” एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा जो 2018 की उन बैठकों का हिस्सा थे.

राजधानी के 173 संरक्षित स्मारकों में से सिर्फ नौ स्मारक टिकट वाले हैं और रोशन भी किए गए हैं. दिल्ली में जिन 17 स्मारकों को रोशन किया गया है उनमें महरौली का आदम खान का मकबरा, सकरी गुमटी, छोटी गुमटी, बड़ा खंभा, दादी-पोती का गुम्बद, दिल्ली गेट, जंतर मंतर परिसर, क़िला-ए-कुहना मस्जिद, बड़ा गुम्बद, शीश गुम्बद (लोधी गार्डन) शामिल हैं.
इसका मकसद इन जगहों पर नाइट टूरिज़्म को बढ़ावा देना था, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि रात के समय पर्यटकों की संख्या बहुत कम है, और इन स्मारकों पर सुविधाओं की भी कमी है। ख़राब योजना, सुरक्षा चिंताएं और एजेंसियों के बीच टकराव के कारण लोग इन जगहों पर कम आ रहे हैं.
एएसआई की जॉइंट डायरेक्टर जनरल (मॉन्युमेंट) और प्रवक्ता नंदिनी भट्टाचार्य साहू ने कहा, “भारत भर में 49 स्मारक एएसआई के लाइटिंग प्रोग्राम का हिस्सा हैं ताकि इन संरचनाओं में नाइटलाइफ शुरू की जा सके. दिल्ली में यह काम तेज़ी से चल रहा है, जहां अब लोग रात में स्मारक देखने आ रहे हैं, जो पहले दिन में ही देखे जा सकते थे. उन्हें अच्छा नज़ारा मिलता है और लाइट शो भी होते हैं.”
साहू ने बताया कि स्मारकों पर यह काम कई सालों से चल रहा है.
एएसआई का यह लाइटिंग अभियान सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे भारत में 49 स्मारक इसमें शामिल हैं. 2022 में एएसआई ने भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस को मनाने के लिए अपने 100 से अधिक संरक्षित स्मारकों को रोशन किया था.
चारमीनार, सांची स्तूप, हम्पी के खंडहर, हुमायूं का मकबरा और कोलकाता का मेटकॉफ हॉल जैसे स्थानों को तिरंगे के रंगों में रोशन किया गया था. जी20 सम्मेलन के दौरान भी कई ऐतिहासिक ढांचों को जी20 के लोगो से सजाया गया. हाल ही में, पूरे भारत में एएसआई स्मारकों को ‘एक देश एक धड़कन’ अभियान के तहत केसरिया, सफेद और हरे रंगों में रोशन किया गया था ताकि पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में सशस्त्र बलों के शौर्य का जश्न मनाया जा सके.
उन्होंने कहा, “ये एक सतत प्रक्रिया है एएसआई की, जो पूरे देश में स्मारकों के लिए चलती रहती है. समय-समय पर नए स्मारकों में लाइटिंग की सुविधा दी जाती रही है.”
हालांकि, इतिहासकारों ने स्मारकों की स्थिति पर सवाल उठाए हैं.
प्रसिद्ध इतिहासकार नारायणी गुप्ता ने पिछले महीने दिल्ली पर दिए अपने एक लेक्चर में कहा, “दिल्ली के मध्यकालीन स्मारकों की सादगी, वहां किसी नाशवान चीज़ का न होना जो देखरेख की मांग करे, उन्हें बाहरी दुनिया से कहीं ज़्यादा पुराना महसूस कराता है. ये ऐसे भव्य ढांचे लगते हैं जो सदियों से किसी के उन्हें सजाने का इंतज़ार कर रहे हैं. इस अंतर का कारण ढूंढना मुश्किल नहीं है. उपनिवेशवाद एक अस्तित्वगत बदलाव था; इसके कारण जो स्वामित्व परिवर्तन हुआ, उसने इन स्मारकों को निष्क्रिय बना दिया जिन्हें औपनिवेशिक राज्य ने अपने नियंत्रण में ले लिया था.”
सीमित इन्फ्रा, सिर्फ लाइटिंग
चौबीस साल के गुप्ता अपनी गर्लफ्रेंड के साथ आए थे। उन्होंने फोटो खिंचवाई, सेल्फी ली और तुरंत सोशल मीडिया पर शेयर भी कर दी। लेकिन वे इस बात से निराश थे कि उन्हें सफदरजंग टॉम्ब के पास जाकर देखने की इजाजत नहीं मिली.
गुप्ता ने कहा, “सरकार ने नाइटलाइफ शुरू की है तो उसे पास से दिखना भी चाहिए. दूर से मकबरा देखने का क्या फायदा? अच्छा तभी लगेगा जब इसकी बारीकियां नजर आएंगी.”
लोग इन स्मारकों पर ट्रांजिशन वीडियो बना रहे हैं—दिन और रात के लुक की तुलना करते हुए—और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं. “सफदरजंग टॉम्ब दिन में ठीक है, लेकिन रात में लव है,” इंस्टाग्राम हैंडल Awesomedelhi ने पोस्ट किया.
लोगों ने स्मारकों की लाइटिंग का स्वागत किया, लेकिन कहा कि वहां सुविधाओं की कमी है.
गर्मियों में, सफदरजंग टॉम्ब पर लगभग 100 लोग आए, लेकिन रात में बहुत कम लोग पहुंचे. हालांकि, लाल किला और कुतुब मीनार जैसे स्थानों पर साउंड और लाइट शो के कारण भीड़ ज्यादा रही.
पिछले कुछ सालों में, कुतुब मीनार ने रात में भारी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित किया है. पहले कई जगहों से कुतुब मीनार का व्यू रुफटॉप बार से ही मिलता था.
“अब हम कुतुब मीनार की भव्यता को पास से महसूस कर सकते हैं, जो पहले संभव नहीं था,” अलेक्जेंड्रा ने कहा, जो कई बार महरौली क्षेत्र आ चुकी हैं. “पिछले साल में, मैं यहां कई बार आई हूं और हर बार कुछ नया देखने को मिला है इस सदी पुराने ऐतिहासिक स्थल पर.”

कुतुब मीनार, 2024-25 में भारत का तीसरा सबसे ज्यादा देखा जाने वाला स्मारक रहा, ताजमहल और कोणार्क के सूर्यमंदिर के बाद. यह कई ब्लॉगर्स और यूट्यूबर्स को आकर्षित करता है. 2023-24 में, कुतुब मीनार में 2.2 लाख विदेशी और 31 लाख घरेलू पर्यटक आए. विदेशी पर्यटकों की संख्या में इसने आगरा किले को पीछे छोड़ दिया.
“भारत में पर्यटन केवल एक यात्रा नहीं है, बल्कि इतिहास, संस्कृति और धरोहर से होकर गुजरने वाला अनुभव है. 2024-25 में, देशभर के एएसआई संरक्षित स्मारकों में रिकॉर्ड तोड़ भीड़ उमड़ी—जो लोगों के विरासत और अच्छे समय के प्रति प्यार को दर्शाता है,” ऐसा एक हालिया एएसआई पोस्ट में इंस्टाग्राम पर कहा गया.
2023 में, गृह मंत्री अमित शाह ने लाल किले पर साउंड और लाइट शो की शुरुआत की. यह 60 मिनट का शो “जय हिंद” नाम से है, जिसमें मराठाओं के उदय, 1857 की क्रांति और आज़ाद हिंद फौज के इतिहास को दिखाया गया है.
इस नई पहुंच ने दिल्ली के पुराने ढांचों में नई जान फूंकी है और ऐसे पर्यटकों को आकर्षित किया है जो पहले इनकी सुंदरता का अनुभव नहीं कर पाते थे.
लेकिन सीमित पहुंच और सुरक्षा एक चुनौती बने हुए हैं. गार्ड्स, सफदरजंग और हुमायूं टॉम्ब के पास जाने से रोकने के लिए बैरिकेड्स लगा देते हैं.

“रात में महिला पर्यटक तभी बढ़ेंगी जब वे खुद को सुरक्षित महसूस करेंगी. केवल लाइट लगाकर भीड़ नहीं खींची जा सकती,” रात में हुमायूं टॉम्ब देखने आईं प्रियांका सिंह ने कहा.
जनवरी से दिसंबर 2024 के बीच, सिर्फ 4,310 पर्यटक लाल किला, कुतुब मीनार, सफदरजंग टॉम्ब और हुमायूं टॉम्ब आए. इनमें से 3,994 घरेलू और 326 विदेशी थे. 2023 में रात के वक्त 3,546 पर्यटक आए थे—3,257 घरेलू और 389 विदेशी, और 2022 में यह संख्या 2,923 थी—2,736 घरेलू और 187 विदेशी.
हर शाम सैकड़ों लोग कुतुब मीनार परिसर में साउंड और लाइट शो के लिए इकट्ठा होते हैं—जो इस ऐतिहासिक स्मारक को दिल्ली का अपना बुर्ज खलीफा बना देता है.
सुंदर नर्सरी हर दिन सैकड़ों लोगों को आकर्षित करती है, खासकर युवा जोड़ों को.
अपने बॉयफ्रेंड के साथ सुंदर नर्सरी आईं हिमांशी सिंह ने कहा, “इस शहर में कपल्स के लिए ज्यादा जगह नहीं है. शाम के वक्त, सुंदर नर्सरी हमारी फेवरिट जगहों में से एक है, जहां हम घंटों बैठ सकते हैं पुराने स्मारकों के बीच. जहां हमें अतीत की झलक और वर्तमान का अनुभव एक साथ मिलता है.”

एएसआई की जांच
जैसे-जैसे भीड़ और कैमरे इन ऐतिहासिक स्थलों पर उमड़ रहे हैं, संरक्षण, सुरक्षा और इन स्थलों की पवित्रता पर असर को लेकर चिंता भी बढ़ रही है.
एएसआई और उन कार्यकारी एजेंसियों के बीच समन्वय की समस्याएं भी सामने आ रही हैं, जो स्मारकों पर बुनियादी ढांचा सुधारने का काम कर रही हैं. डालमिया फाउंडेशन हुमायूं टॉम्ब और सफदरजंग टॉम्ब पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करना और एक कैफेटेरिया शुरू करना चाहती थी. लेकिन एएसआई ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी.
एएसआई ने खुद भी सफदरजंग टॉम्ब पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की अनुमति देने की योजना छोड़ दी है.
एक वरिष्ठ एएसआई अधिकारी ने कहा, “फिलहाल, इस योजना को स्थगित कर दिया गया है क्योंकि विभाग ने कब्रों की मौजूदगी के कारण आपत्ति जताई.”
2020 में, एएसआई ने पर्यटन-फ्रेंडली स्थलों के विकास के लिए “एडॉप्ट ए हेरिटेज” योजना शुरू की थी. लेकिन यह योजना कभी चल नहीं पाई. इसलिए पिछले साल, एएसआई ने “एडॉप्ट ए हेरिटेज 2.0” योजना शुरू की, ताकि संरक्षित स्मारकों पर पर्यटकों के अनुभव को बेहतर बनाया जा सके. स्मारकों की लाइटिंग परियोजना भी इसी योजना का हिस्सा है, जहां निजी कंपनियां निवेश करती हैं. उदाहरण के लिए, डालमिया भारत ग्रुप ने लाल किला अपनाया है, और सभ्यता फाउंडेशन ने हुमायूं टॉम्ब को अपनाया है.
इस समय दिल्ली में केवल कुछ ही स्मारकों जैसे महरौली पुरातात्विक उद्यान, सुंदर नर्सरी और लाल किले में कैफे हैं.
एएसआई अधिकारियों ने कहा कि कई स्मारक संवेदनशील हैं, और उनके अनुसार ही वहां पहुंच की अनुमति दी जाती है.
भट्टाचार्य ने कहा, “हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम बहुत पुराने ढांचों से जुड़े हुए हैं. इसलिए एक साथ बहुत ज्यादा लोगों को अनुमति नहीं दी जा सकती. भीड़ नियंत्रण जरूरी है.”
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