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Thursday, 14 November, 2024
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2015 में FTII में हुई थी अनुशासनिक कार्रवाई और FIR. अब पायल कपाडिया हैं कांस विजेता

पायल कपाडिया की ‘अ नाइट ऑफ नोइंग नथिंग’ को कांस में सर्वश्रेष्ठ डॉक्युमेंट्री पुरस्कार से नवाज़ा गया है. 2017 में उनकी लघु फिल्म ‘आफ्टरनून क्लाउड्स’, समारोह में भारत की एक मात्र अधिकारिक एंट्री थी.

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नई दिल्ली: फिल्मकार पायल कपाडिया की ‘अ नाइट ऑफ नोइंग नथिंग’ ने शनिवार को, 74वें कांस फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ डॉक्युमेंट्री पुरस्कार जीत लिया. उनकी फिल्म को 27 दूसरी एंट्रीज़ में से चुना गया, जिन्हें समारोह के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शित किया गया था.

इस सूची में अन्य फिल्में थीं मार्क कज़िन्स की द स्टोरी ऑफ फिल्म: अ न्यू जेनरेशन, ओलिवर स्टोन की जेएफके रीविज़िटेड: थ्रू द लुकिंग ग्लास, टॉड हेन्स की दि वेल्वेट अंडरग्राउंड, और आंद्रिया आर्नॉल्ड की काउ.

एक ट्वीट में उन्हें बधाई देते हुए, डायरेक्टर्स फोर्टनाइट के अधिकारिक ट्विटर हैण्डल पर लिखा गया: ‘कांस फिल्म समारोह के सभी वर्गों में पेश की गई सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री का पुरस्कार, द ओइल डीओर, पायल कपाड़िया की फिल्म ए नाइट ऑफ नोइंग नथिंग को जाता है, जिसे डायरेक्टर्स फोर्टनाइट में चुना गया. पायल कपाड़िया और पूरे फिल्म क्रू को हमारी हार्दिक बधाई!’.

फ्रांस में भारतीय दूतावास ने भी एक बधाई संदेश पोस्ट किया, जिसमें जीत का श्रेय कपाडिया तथा भारतीय फिल्म और टेलिविज़न संस्थान (एफटीआईआई) दोनों को दिया गया.

ट्वीट में कहा गया, ‘भारतीय फिल्म अ नाइट ऑफ नोइंग नथिंग ने, जिसमें यूनिवर्सिटी छात्रों के जीवन पर रोशनी डाली गई है, सर्वश्रेष्ठ डॉक्युमेंट्री का प्रतिष्ठित ओइल डीओर (गोल्डन आइ) पुरस्कार जीता@फेस्टिवल_कांस;पायल और FTII को बधाई; भारत-फ्रांस में और जोश& @एफटीआईआईऑफीशियल-@ lafemisparis cooperation in Films (sic),’

डॉक्युमेंट्री में एक महिला की कहानी है जो कॉलेज में अपने प्रेमी से अलग हो जाती है, और फिर दोनों साथ रहने का अहसास करने के लिए, कैसे वो एक दूसरे को प्रेम पत्र लिखते हैं.

डायरेक्टर्स फोर्टनाइट की अधिकारिक वेबसाइट में लिखा गया, ‘इन पत्रों के ज़रिए हमें उसके (महिला) आसपास हो रहे बड़े बदलावों की झलक मिलती है. सच्चाई के साथ कल्पना, नाटक, यादें, फंतासी, और बेचैनियों को मिलाकर, एक आकारहीन कहानी सामने आती है’.

जूरी के अध्यक्ष थे अमेरिकी डॉक्युमेंट्री निर्माता एज़रा एडलमैन, और इसके चार सदस्य थे फ्रांसीसी फिल्म निर्माता जूली बर्टुसेली, फ्रांसीसी अभिनेता डेबोरा फ्रेंकोइस, फ्रांसीसी-अमेरिकी फिल्म समीक्षक आइरिस ब्रे तथा ओरवा न्याराबिया, और अंतर्राष्ट्रीय वृत्तचित्र फिल्म महोत्सव (आईडीएफए) एम्स्टर्डम के कलात्मक निदेशक.

ओइल डीओर पुरस्कार 2015 में, फ्रेंच-भाषी लेखकों की सोसाइटी लास्कैम और बर्टुसेली ने, कांस फिल्म समारोह और उसके सामान्य प्रतिनिधि थिएरी फ्रेमॉक्स के सहयोग से स्थापित किया था.


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FTII में जीवन

2015 में जब कपाडिया एफटीआईआई में एक छात्रा थीं, तो उन पर अनुशासनिक कार्रवाई की गई थी, क्योंकि उन्होंने टेलीविज़न अभिनेता से नेता बने गजेंद्र चौहान की संस्थान के अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति के ख़िलाफ, क्लासेज़ का बहिष्कार करते हुए चार महीने चले विरोध की अगुवाई की थी. उस घटना के बाद संस्थान ने उनकी छात्रवृत्ति में भी कटौती कर दी थी.

उनके खिलाफ एक एफआईआर भी दर्ज की गई थी, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर ‘तत्कालीन निदेशक प्रशांत पथराबे को उनके ऑफिस में बंद’ करके रखा था. दरअसल छात्रों ने निदेशक के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें 2008 बैच के छात्रों के अधूरे प्रोजेक्ट्स का आकलन करने की बात कही गई थी.

लेकिन, बाद में संस्थान ने कपाडिया की सहायता करने का फैसला कर लिया, और 2017 में जब उनकी लघु फिल्म आफ्टरनून क्लाउड्स कांस फिल्म फेस्टिवल के लिए चुनी गई, जो उस साल समारोह में भारत की ओर से एक मात्र एंट्री थी, तो संस्थान उनका यात्रा ख़र्च उठाने को तैयार हो गया.

कपाडिया ने 13 मिनट की फिल्म आफ्टरनून क्लाउड्स उस समय बनाई थी, जब वो एफटीआईआई में तीसरे वर्ष की छात्रा थीं.

पहला पुरस्कार नहीं

कपाडिया की फिल्मों की सूची में शामिल हैं एंड व्हॉट इज़ दि समर सेइंग (2018), आफ्टरनून क्लाउड्स (2017), दि लास्ट मैंगो बिफोर मॉनसून (2015).

एंड व्हॉट इज़ दि समर सेइंग एक प्रयोगात्मक फिल्म थी, जिसका वर्ल्ड प्रीमियर 2018 में बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में हुआ था. उसी साल उसे एम्सटर्डम के अंतर्राष्ट्रीय डॉक्युमेंट्री फिल्म समारोह (इडफा) में विशेष जूरी पुरस्कार, और 2020 में मुम्बई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में प्रमोद पति सर्वश्रेष्ठ प्रयोगात्मक फिल्म पुरस्कार से नवाज़ा गया.

दि लास्ट मैंगो बिफोर मॉनसून का प्रीमियर, 2015 में ओबरहॉज़न अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में हुआ, जहां उन्हें एफआईपीआरईएससीआई अवॉर्ड और विशेष जूरी पुरस्कार से नवाज़ा गया.

बर्लिन स्थित एक हुनर विकास कार्यक्रम बर्लिनेल टेलंट्स, जिसमें फिल्म-निर्माण की बारीकियों पर नज़र डाली जाती है, कपाडिया को एक ऐसा फिल्मकार बताता है जिनकी फिल्में ऐसे विषयों के इर्द-गिर्द होती हैं जो ‘आसानी से नज़र नहीं आते, और यादों और सपनों की परतों में कहीं छिपे होते हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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