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Friday, 10 October, 2025
होमफीचरबजट शॉर्ट-स्टे होटल भारत के नए सेक्स कल्चर की रीढ़ हैं, यह उनकी रोज़ाना की लड़ाई है

बजट शॉर्ट-स्टे होटल भारत के नए सेक्स कल्चर की रीढ़ हैं, यह उनकी रोज़ाना की लड़ाई है

बजट शॉर्ट-स्टे होटल युवाओं को प्राइवेसी और सेक्स लाइफ देते हैं, लेकिन अब ये मोरल पुलिसिंग के नए निशाने पर हैं. ‘हमारी परेशानियों की किसी को परवाह नहीं—हम सबकी नज़र में खलनायक हैं’.

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गाज़ियाबाद: देर शाम एक होटल छापे के दौरान कई लोगों को पकड़कर डराया-धमकाया गया. छापामारी करने वाले दादा-दादी, मां-बाप और मध्यवयस्क पुरुष थे. ‘संदिग्ध’ तीन जोड़े थे, जिन्होंने गाज़ियाबाद के भीड़-भाड़ वाले नवयुग मार्केट के दो बजट होटलों में चेक-इन किया था.

उस रात गुस्साए हुए लोगों का कहना था कि अविवाहित प्रेमी-प्रेमिकाएं इलाके की “सभ्य संस्कृति को बर्बाद” कर रहे हैं. इलाके में लगभग 75 घर हैं, जो ज्यादातर निचली और मध्यमवर्गीय हैं. जोड़े का छुपकर आना-जाना—महिलाओं के अक्सर चेहरे ढके हुए—युवाओं को गलत रास्ते पर ले जाने वाला बताया गया. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि होटल मेट्रो और होटल मेट्रो-II सेक्स वर्क के लिए छुपे हुए ठिकाने हैं. पुलिस जल्दी पहुंची और “सख्त कार्रवाई” का वादा किया. परिवार और समाज से दूर प्राइवेसी चाहने वाले युवा जोड़ों के लिए एक सुरक्षित जगह एक रात में खतरनाक बन गई.

छोटे और किफायती होटल, जो रात भर रुकने पर ज़ोर नहीं देते, अब रोमांस के हॉटस्पॉट बन गए हैं, लेकिन ये कानून और समाज के कलंक के बीच नाज़ुक संतुलन पर चलते हैं. भले ही ये हर नियम का पालन करें, स्थानीय लोग, दुकानदार और पुलिस इन्हें अनैतिक ठिकानों के रूप में देखते हैं.

भीड़ के हमले के बाद होटल मेट्रो का मैनेजमेंट संभालने वाले दीपक ने कहा, “वो कहते हैं कि महिलाओं का कैरेक्टर खराब है और हमें उन्हें कमरे नहीं देने चाहिए, लेकिन हम कुछ भी गैरकानूनी नहीं कर रहे. हम आईडी लेते हैं और सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद चाबी देते हैं.” हालांकि, होटल खुद को “शांत एसी कमरे के साथ एक कम्फर्ट वाला” बताता है, लेकिन उस रात का फुटेज दिखाता है कि एक पुरुष ग्राहक सड़क पर दौड़ते हुए थप्पड़ खा रहा था.

गाज़ियाबाद में होटल मेट्रो पर भीड़ के हमले का फुटेज. (बाएं) एक बुज़ुर्ग महिला प्रवेश द्वार पर चौकसी करती हुई; (दाएं) एक होटल अतिथि को ‘सभ्यता’ के नाम पर कुछ थप्पड़ लगते हुए | फेसबुक स्क्रीनग्रैब्स
गाज़ियाबाद में होटल मेट्रो पर भीड़ के हमले का फुटेज. (बाएं) एक बुज़ुर्ग महिला प्रवेश द्वार पर चौकसी करती हुई; (दाएं) एक होटल अतिथि को ‘सभ्यता’ के नाम पर कुछ थप्पड़ लगते हुए | फेसबुक स्क्रीनग्रैब्स

ऐसे होटल पूरे भारत में तेज़ी से बढ़ रहे हैं, दिल्ली और गाज़ियाबाद से लेकर सूरत और पटना तक. इनका ज़्यादातर बिजनेस जोड़ों से आता है. पहले ये होटल केवल रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट के पास होते थे, अब छोटे दो-और तीन सितारा होटल शाहदरा, राजौरी गार्डन, लाजपत नगर और दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस जैसे इलाकों में भी दिखाई देते हैं.

लोकप्रिय संस्कृति ने इनके बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. फिल्म ‘जब वी मेट’ में शाहिद कपूर और करीना कपूर कुछ घंटे के लिए होटल डीसेंट में चेक-इन करते हैं, जो अविवाहित जोड़ों की परेशानी का सांस्कृतिक प्रतीक बन गई. इसने मेकमाईट्रिप को “अविवाहित जोड़े की अनुमति” वाला फिल्टर बनाने के लिए प्रेरित किया. अब ऑनलाइन कमरे बुक करना आसान और गोपनीय है. कई होटल घंटे या छह घंटे के लिए कमरे देते हैं. पहले स्थानीय जोड़ों को “नो लोकल आईडी” जैसी पॉलिसी के कारण रोका जाता था, लेकिन अब कई जगहों ने इसमें छूट दी है.

बजट शॉर्ट-स्टे होटल भारतीय युवाओं के बीच रोमांस और सेक्स कल्चर के लिए अहम बन गए हैं—बड़े शहरों और छोटे कस्बों दोनों में. जो शुरुआत में OYO ब्रांड के ज़रिए आया, वह अब छोटे होटल्स में आम हो गया है, लेकिन समुदाय की चिंताएं, स्थानीय राजनीति और पुलिस कार्रवाई इन होटल्स को अक्सर टारगेट करती हैं, क्योंकि ये समाज में बदलाव लाने वाले समझे जाते हैं.

“हम कानूनी काम कर रहे हैं. वे स्वतंत्र लोग हैं. अगर दोनों वयस्क हैं और असली आईडी है, तो हमें उन्हें कमरा देने से नहीं रोकना चाहिए. हमारे पास लाइसेंस है और यह हर साल रिन्यू होता है”

— साहिल सैनी, मैनेजर, सिटी इन, पहाड़गंज

पुलिस और कुछ निवासी अक्सर कहते हैं कि शॉर्ट-स्टे होटल अपराध को बढ़ावा देते हैं—“वेश्यावृत्ति” से लेकर बलात्कार तक. पिछले महीने राजकोट में, पुलिस ने होटल मालिकों को घंटे के हिसाब से कमरे देने से रोकने की सलाह दी ताकि महिलाओं का “शोषण” न हो.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमने कई बलात्कार और POCSO के मामले देखे हैं, जहां जोड़े पहले कुछ घंटे होटल में रहे थे. इसलिए होटल मालिकों से कहा गया कि वे आईडी की जांच सख्ती से करें.” उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे आरोप आमतौर पर गुस्साए परिवार के सदस्यों की तरफ से आते हैं.

“कई बार युवा जोड़े बस से शहर आते हैं, कुछ घंटे होटल में रहते हैं और बाद में परिवार बलात्कार या POCSO की शिकायत करता है. इसे रोकने के लिए हमने होटल मालिकों से सख्ती बरतने को कहा.”

होटल सिटी इन, पहाड़गंज में अगले जोड़े के आने से पहले लॉन्ड्री के लिए लाए गए बिस्तर | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
होटल सिटी इन, पहाड़गंज में अगले जोड़े के आने से पहले लॉन्ड्री के लिए लाए गए बिस्तर | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

इस साल की शुरुआत में, OYO ने मेरठ में अपने नियम बदल दिए और कहा कि अविवाहित जोड़े अब कमरे नहीं बुक कर पाएंगे. भारतीय युवाओं ने इसे धोखा माना.

होटल रूम का यह चलन होटल मालिकों के लिए आसान नहीं रहा है. उन्हें प्राइवेसी देनी होती है, आईडी चेक करनी होती है, बिजनेस संभालना होता है और समाज के रूढ़िवादी मानदंडों का भी ध्यान रखना होता है.

लाइसेंस और CCTV कैमरे उन्हें पुलिस जांच या पड़ोसियों की निगरानी से पूरी तरह सुरक्षित नहीं रख सकते.

उधार का वक्त, बजट और बाथटब

23 साल की महिमा दहिया एक साल से रिलेशन में हैं. यह कॉलेज रोमांस के रूप में शुरू हुआ था. शुरू में वे और उनके बॉयफ्रेंड राहुल कैफे, कॉलेज लॉन और पार्क में मिलते थे. जैसे-जैसे रिश्ता बढ़ा, उन्होंने एक दोस्त का फ्लैट उधार लिया, लेकिन जल्दी ही वह अनकम्फर्ट लगने लगा. इसलिए दहिया ने राहुल से कहा कि वह ऐसा होटल ढूंढे जो घंटे के हिसाब से कमरे देता हो. उन्हें रात भर नहीं रुकना था क्योंकि भारत में युवा वयस्कों के लिए माता-पिता की अनुमति लेना मुश्किल होता है. दिन में कुछ घंटे दूर जाना ही अक्सर ऑप्शन होता है.

दहिया ने कहा, जो आमतौर पर कैफे में भी इतना ही खर्च करती हैं, “हमने ऑनलाइन बहुत सारे ऑप्शन देखे. हमने रिव्यू पढ़े और शाहदरा में एक किफायती टू-स्टार होटल चुना. हम वहां गए, अपनी आईडी दी, सभी डिटेल्स भरी. हम वहां छह घंटे रहे और एसी कमरे के लिए 800 रुपये दिए. यह बुरा नहीं था.”

“मेरे 90 प्रतिशत ग्राहक कप्लस हैं. ज्यादातर कमरे घंटे के हिसाब से बुक करते हैं. यह मेरे लिए फायदेमंद है क्योंकि वे कुछ घंटे रहते हैं और पूरी कीमत का 80 प्रतिशत देते हैं”

—मोहन सिन्हा, शाहदरा के एक बजट होटल के मैनेजर

पूर्वी दिल्ली के जगत पुरी इलाके का यह होटल उनके घर से लगभग 38 किलोमीटर दूर है. उन्होंने ऐसा स्थान चुना ताकि किसी परिचित से टकराने का खतरा न हो. अब यह कपल्स का नियमित ठिकाना बन गया है.

दहिया ने कहा, “मुझे वहां पहुंचने में लगभग दो घंटे लगते हैं, लेकिन यह बहुत सुरक्षित है. अब स्टाफ भी हमें जानता है, इसलिए आराम महसूस होता है.”

एक छोटा फ्लेक्स बोर्ड होटल का नाम बताता है, जो दुकानों और घरों वाली एक संकरी सड़क पर स्थित है. अंदर पहले फ्लोर पर दस कमरे और एक छोटा रिसेप्शन है. ज़्यादातर बुकिंग कप्लस से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के ज़रिए आती है.

शाहदरा के होटल जोड़ों के लिए कमरे, सजावट और किफायती कीमतें दिखाते हैं. प्राइवेसी ही दरों में सबसे अनमोल चीज़ है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
शाहदरा के होटल जोड़ों के लिए कमरे, सजावट और किफायती कीमतें दिखाते हैं. प्राइवेसी ही दरों में सबसे अनमोल चीज़ है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

टू-स्टार होटल को मैनेज करने वाले मोहन सिन्हा ने कहा, “मेरे 90 प्रतिशत ग्राहक कपल्स हैं. ज्यादातर कमरे घंटे के हिसाब से बुक करते हैं. यह मेरे लिए फायदेमंद है क्योंकि वे कुछ घंटे रहते हैं और पूरी कीमत का 80 प्रतिशत देते हैं. एक दिन के लिए मैं 1,000 रुपये लेता हूं. छह से आठ घंटे के लिए कीमत 800 रुपये है.”

यह बिजनेस मॉडल पूर्व से पश्चिम दिल्ली तक तेज़ी से फैल रहा है. दिल्ली से गाज़ियाबाद तक की सड़क पर कई होर्डिंग्स लगे हैं, जैसे “एसी कमरे @399”, “सुरक्षा और प्राइवेसी गारंटीड” और “पूर्ण रूप से सैनिटाइज्ड कपल रूम.”

शाहदरा में सिन्हा का होटल अच्छी कंपनी में है. पूरी सड़क होटल विज्ञापनों से भरी है, जो कपल्स को लुभाते हैं. एक होटल रॉयल रेसिडेंसी एसी कमरे 599 रुपये में देने का वादा करता है, “न्यूनतम कीमत गारंटीड, पूर्ण सैनिटाइज, सेफ्टी और प्राइवेसी, रूम सर्विस.” कुछ मीटर दूर, एक अन्य होटल का होर्डिंग विज्ञापन करता है “कपल और पार्टी रूम उपलब्ध, मेट्रो स्टेशन के पास, रूम डेकोरेशन भी उपलब्ध.”

जगतपुरी की इस लेन में कपल्स के लिए ऑप्शन की कोई कमी नहीं | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
जगतपुरी की इस लेन में कपल्स के लिए ऑप्शन की कोई कमी नहीं | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

केंद्रीय दिल्ली में, पहाड़गंज मुख्य जगह है. मनीषा यादव, जो एक बीपीओ में काम करती हैं, वीकेंड में अपने बॉयफ्रेंड के साथ वहां होटल में क्वालिटी टाइम बिताती हैं. दोनों अपने माता-पिता के साथ रहते हैं, इसलिए शॉर्ट-स्टे कमरे ही उनका अकेला ऑप्शन है. उनका मेजर फोकस था कि होटल लोकल आईडी स्वीकार करता है या नहीं—अविवाहित कपल्स के लिए यह एक संकेत है.

उन्होंने और उनके बॉयफ्रेंड ने ‘होटल सिटी इन DX’ नामक फ्लेक्स बोर्ड वाले होटल में वही पाया जो वे चाहते थे, अब वे रेगुलर ग्राहक हैं; एक फोन कॉल और कमरा उनकी पसंद के अनुसार तैयार हो जाता है, उन्हें अपनी आईडी और फोन नंबर, पता, चेक-इन का समय और सिग्नेचर देना पड़ता है, लेकिन चिंता अब नहीं रहती.

मैनेजर ने कहा, “जो लोग स्टे पसंद करते हैं, वे सीधे हमसे बुकिंग करते हैं. उन्हें छूट मिलती है और हमें कमिशन (एग्रीगेटर्स को) नहीं देना पड़ता. कई लोग विशेष कमरे मांगते हैं—खासकर वह जिसमें बाथटब है.”

पहाड़गंज के होटल सिटी इन में बाथटब. अन्यथा साधारण होटल में यह विलासिता का एकमात्र संकेत है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
पहाड़गंज के होटल सिटी इन में बाथटब. अन्यथा साधारण होटल में यह विलासिता का एकमात्र संकेत है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

दिल्ली का लव मोटल मैप

दिल्ली में ‘होटल डीसेंट’ जैसी कई जगहें हैं. हर होटल कपल्स के अलग-अलग वर्ग को टारगेट करता है और इलाके के हिसाब से सुविधाओं में थोड़ा बहुत अंतर होता है.

दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस के आसपास, जहां कई युवा रोमांस पनपते हैं, रेजिडेंशियल इलाके पीजी और स्टूडेंट रेंटल से भरे हैं, लेकिन होटल कम हैं. कैंपस और मॉडल टाउन इलाके में कई कपल्स की मदद के लिए होटल रेड चिली है, जो जीटीबी मेट्रो स्टेशन से सिर्फ 1.5 किलोमीटर दूर है.

डीयू के लॉ स्टूडेंट सोहित बंसल ने कहा, “उस होटल की सबसे अच्छी बात यह है कि यह बहुत आरामदायक है. मुझे इसके बारे में एक दोस्त ने बताया, जो अपनी गर्लफ्रेंड के साथ वहां गया था. उनके पास वीकडेज और वीकेंड के लिए अलग कीमतें हैं.”

दिल्ली-गाज़ियाबाद एक्सप्रेसवे पर छोटे होटल जैसे अविवाहित कपल्स के लिए बजट के ओएसिस | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
दिल्ली-गाज़ियाबाद एक्सप्रेसवे पर छोटे होटल जैसे अविवाहित कपल्स के लिए बजट के ओएसिस | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

होटल की रिव्यूज़ एक एग्रीगेटर साइट पर कपल कैटेगरी के पोस्टर्स से भरी हैं. किसी ने इसकी “सब्टल सर्विस” और “सपोर्टिव स्टाफ” की तारीफ की, तो किसी ने शिकायत की, “बहुत सारे सवाल पूछते हैं…अच्छा नहीं लग रहा.”

लाजपत नगर जैसे रेजिडेंशियल कॉलोनियों में, पड़ोसियों की नज़रें भी रहती हैं, कभी ग्राहकों को चुपचाप अपशब्द कहने से लेकर अगर “अनैतिक गतिविधि” लगे तो पुलिस को बुलाने तक.

लाजपत नगर के होटल कम्फर्ट इन के मैनेजर ने कहा, “लड़ाई या छापे का डर हमेशा रहता है. लोग अपने इलाके में होटल की सोच पसंद नहीं करते. पुलिस कभी भी आ सकती है, भले ही हम कुछ भी गलत न कर रहे हों, जिससे मेहमान अनकम्फर्ट हो जाते हैं, लेकिन हमारे मुद्दों की किसी को परवाह नहीं है—हम सबकी नज़र में खलनायक हैं.”

केंद्रीय दिल्ली का पहाड़गंज इलाका अलग ही दुनिया है. न्यू दिल्ली रेलवे स्टेशन के पीछे की गलियों में लगभग 2,000 होटल हैं—सस्ते लॉज से लेकर मिड-रेंज प्रॉपर्टीज तक. यहां चेक-इन करने वाले कपल लगभग नज़रअंदाज़ होते हैं. इलाके के फ्रीवीलिंग बैकपैकर कल्चर और लगातार आने-जाने वाले बजट टूरिस्टों की वजह से गुमनामी आसान है.

होटल सिटी इन के मैनेजर 28 साल के साहिल सैनी ने कहा, होटल की 90 प्रतिशत बुकिंग कपल्स से आती है—लगभग 25 रेगुलर ग्राहक हैं.

उन्होंने कहा, “हम कानूनी काम कर रहे हैं. वे स्वतंत्र लोग हैं. अगर दोनों वयस्क हैं और उनके पास असली आईडी है तो हमें उन्हें कमरा देने से इंकार नहीं करना चाहिए. हमारे पास लाइसेंस है और यह हर साल रिन्यू होता है.”

लेकिन किसी को भी पुलिस केस के खतरे से बचाव नहीं है, चाहे वह ‘लिबरल’ पहाड़गंज हो या ‘पारंपरिक’ मेरठ.

मैनेजर के अनुसार, होटल सिटी इन में कम से कम 25 कपल्स रेगुलर ग्राहक हैं. व्यू उनकी सबसे छोटी चिंता है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
मैनेजर के अनुसार, होटल सिटी इन में कम से कम 25 कपल्स रेगुलर ग्राहक हैं. व्यू उनकी सबसे छोटी चिंता है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

ओयो मेरठ: अविवाहित कपल्स पर रोक

गोपनीयता की अपनी सीमा होती है, भले ही होटल इसे अपनी खासियत बताता हो. मैनेजर कहते हैं कि उन्हें हर नाम के पीछे चेहरा देखना होता है, आईडी अच्छी तरह जांचनी होती है और यह सुनिश्चित करना होता है कि उनके होटल में कोई कानूनी या धार्मिक समस्या न पैदा हो.

पहाड़गंज में सिटी इन के साहिल सैनी ने कहा कि सावधानी ज़रूरी है.

उन्होंने कहा, “कपल्स बिजनेस लाते हैं, लेकिन हमें बेहद सतर्क रहना पड़ता है. कई बार लड़कियां अपनी असली आईडी नहीं दिखातीं, इसलिए हमें क्रॉस-चेक करना पड़ता है. एक बार मैंने एक लड़की को नकली आईडी इस्तेमाल करते पकड़ा और कमरा देने से इनकार कर दिया.”

सैनी यह भी सुनिश्चित करते हैं कि मेहमान रिसेप्शन और गलियारों में लगे सीसीटीवी कैमरों को छिपाने की कोशिश न करें.

होटल सिटी इन द्वारा इस्तेमाल किया गया अस्थायी ‘NOC’, खासकर जब अंतरधर्मीय जोड़े आते हैं
होटल सिटी इन द्वारा इस्तेमाल किया गया अस्थायी ‘NOC’, खासकर जब अंतरधर्मीय जोड़े आते हैं

उन्होंने कहा, “हम लड़कियों से कहते हैं कि मास्क, वेल या स्कार्फ हटाएं ताकि उनका चेहरा सीसीटीवी में दिखे. हम लड़की से रजिस्टर में साइन करवाते हैं. अगर पुलिस पूछे तो हम साबित कर सकते हैं कि वह अपनी मर्ज़ी से आई थी.”

लेकिन अंतरधर्मीय जोड़ों के लिए ये सावधानियां हमेशा मदद नहीं करतीं. कई होटल उन्हें सीधे नकार देते हैं; कुछ अतिरिक्त दस्तावेज़ मांगते हैं.

सैनी ने कहा, “हिंदू-मुस्लिम कपल्स के लिए अलग फॉर्म है, या जो शक पैदा कर सकते हैं. हम दोनों से इसे भरवाते हैं ताकि दिखाया जा सके कि वे अपनी मर्ज़ी से साथ आए.”

यह फॉर्म असल में एक नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट है, जिसका शीर्षक है “NOC for Declaration of married/unmarried couple stay together in hotel/guest house” पुरुष और महिला दोनों को अपना नाम, उम्र, पिता का नाम, मोबाइल नंबर और आधार, वोटर आईडी या ड्राइविंग लाइसेंस नंबर देना होता है. दोनों एक लगभग समान घोषणा पर साइन करते हैं. महिलाओं के लिए इसमें लिखा है: “मैं अपने पुरुष मित्र के साथ आपके होटल में रहना चाहती हूं, जिसमें मुझे या मेरे पुरुष मित्र को किसी प्रकार का कोई आपत्ति नहीं है.”

दिल्ली और मेरठ के कई छोटे होटल भी इसी तरह के सुरक्षा उपाय अपनाते हैं.

ज़्यादातर अधिकांश बजट शॉर्ट-स्टे होटल नियमों का पालन सावधानी से करते हैं. होटल मेट्रो में लाइसेंस सीसीटीवी स्क्रीन के पास फ्रेम में लटका है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
ज़्यादातर अधिकांश बजट शॉर्ट-स्टे होटल नियमों का पालन सावधानी से करते हैं. होटल मेट्रो में लाइसेंस सीसीटीवी स्क्रीन के पास फ्रेम में लटका है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

लेकिन कुछ होटल, जो कभी कपल्स का स्वागत करते थे, अब जोखिम को ज्यादा मानने लगे हैं. जनवरी 2025 में, ओयो ने मेरठ में बयान जारी किया कि “अविवाहित कपल्स अब होटल में चेक-इन नहीं कर पाएंगे.” कपल्स को ऑनलाइन बुकिंग के लिए भी “रिश्ते का वैध प्रमाण” दिखाना होगा. कंपनी ने कहा कि यह नियम “ग्राउंड पर प्रतिक्रिया के अनुसार और शहरों में लागू हो सकता है.”

हाईवे पर ओयो की प्रॉपर्टी. कपल्स के लिए यह एक ठिकाना है, सिवाय मेरठ के जहां अब अविवाहित कपल्स पर रोक है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
हाईवे पर ओयो की प्रॉपर्टी. कपल्स के लिए यह एक ठिकाना है, सिवाय मेरठ के जहां अब अविवाहित कपल्स पर रोक है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

इस पॉलिसी में बदलाव के पीछे स्थानीय अभियान था, जो बजट होटल में कथित “अवैध गतिविधियों” के खिलाफ था. कई महिलाएं जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय के बाहर आईं और अपने घर की चाबियां जमा कर दीं. उन्होंने कहा कि वे अब उन कॉलोनियों में नहीं रह सकतीं, जो ‘अवैध’ होटलों से दागदार हो गई हैं, जिनमें फ्लैट्स को लव नेस्ट में बदल दिया गया था. बाद में, मेरठ डेवलपमेंट अथॉरिटी ने कुछ होटलों का निरीक्षण किया और कुछ को बिना अनुमति संचालित करने के लिए दंडित किया गया.

ओयो नॉर्थ इंडिया के क्षेत्र प्रमुख पवस शर्मा ने कहा, “हम निजी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं, लेकिन यह भी समझते हैं कि हमें कानून प्रवर्तन और नागरिक समाज समूहों के साथ काम करना चाहिए, जहां हम ऑपरेट करते हैं.”

हम अभी भी कपल्स को कमरे देते हैं. यह घंटे के आधार पर नहीं है, न्यूनतम 24 घंटे, लेकिन हम उन्हें इनकार नहीं करते. अगर किसी को दिक्कत है, तो उन्हें कोर्ट जाना चाहिए. कभी-कभी निवासियों से विरोध देखने को मिलता है लेकिन हमें पता है कि हम कुछ भी गैरकानूनी नहीं कर रहे हैं.

—राहुल, होटल सुभद्रा रेसिडेंसी, मेरठ के मैनेजर

यह कदम कुछ निवासियों को पसंद आया, लेकिन दूसरों ने इसकी आलोचना की और इसे पीछे हटने वाला बताया, साथ ही कहा कि इससे जोड़े अनियंत्रित जगहों की ओर मुड़ सकते हैं. एक पोस्ट ने चेतावनी दी, “अश्लीलता सड़कों, ट्रेनों और पार्कों में फैल जाएगी.” जबकि दूसरे ने कहा, “कम से कम दिल्ली सुरक्षित है.”

हालांकि, कुछ मेरठ के होटल मालिकों ने सार्वजनिक रूप से कहा कि वे अपनी पॉलिसी नहीं बदलेंगे जब तक कोई कानूनी निर्देश नहीं आता.

पड़ोस की नज़र

छप्पन साल की रेखा वर्मा हर दिन शाम 5 बजे वॉक पर जाती हैं. उनका रास्ता होटल रेड चिली के पास से गुज़रता है. वे अक्सर कपल्स को होटल से बाहर निकलते देखती हैं और इससे उन्हें हमेशा बुरा लगता है. उन्होंने कभी सीधे होटल में शिकायत नहीं की, लेकिन पड़ोसियों के साथ इस बारे में अक्सर चर्चा करती हैं, जो उनकी नापसंदगी से सहमत हैं. वो मानते हैं कि यह होटल सभी की प्रतिष्ठा को प्रभावित करता है.

वर्मा ने कहा, “बदचरित्र महिलाएं ऐसे होटलों में आती हैं. होटल इससे फायदा उठा रहे हैं, लेकिन पड़ोस प्रभावित होता है. हम इज़्ज़तदार लोग हैं और ऐसी चीज़ें अच्छी नहीं दिखती. हमारे रिश्तेदार भी आते हैं और ये बातें देखते हैं.”

“हम लड़की से रिसेप्शन पर स्कार्फ हटाने को कहते हैं और उनकी आईडी जमा कराते हैं…हम इससे नुकसान में जाएंगे. बस, कपल्स को रोकना संभव नहीं. अगर यहां नहीं, तो वे कहीं और जगह ढूंढ लेंगे.”

— राजकोट के एक बजट होटल के मैनेजर

कभी-कभी, परिवारों के नाटक बाहर दिखते हैं. माता-पिता अपने बच्चों को ढूंढने आते हैं, कभी-कभी पुलिस के साथ. जैसा कि दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट की है कि 2015 में दिल्ली के जिला अदालतों में आए रेप मामलों में से एक-तिहाई मामले माता-पिता ने दर्ज किए थे. अपनी 2023 की किताब Whole Numbers and Half Truths में डेटा जर्नलिस्ट रुकमणी एस ने भी लिखा कि एक साल में उन्होंने दिल्ली के 475 यौन उत्पीड़न ट्रायल्स में से लगभग 200 मामले माता-पिता द्वारा सहमति वाले रिश्तों को अपराध साबित करने के लिए दर्ज किए गए और करीब 120 मामले “शादी का वादा तोड़ने” के थे.

गाज़ियाबाद के नवयुग मार्केट में, निवासी स्थानीय नेताओं और अधिकारियों को पत्र लिख चुके हैं कि शॉर्ट-स्टे होटल बंद किए जाएं, लेकिन पुलिस का कहना है कि ऐसा करने का कोई आधार नहीं है.

होटल सिटी इन, पहाड़गंज का एक कमरा. दीवारों के बाहर भी, इलाके की एक खासियत इसका लचीला माहौल है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
होटल सिटी इन, पहाड़गंज का एक कमरा. दीवारों के बाहर भी, इलाके की एक खासियत इसका लचीला माहौल है | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

नाम न बताने की शर्त पर कोतवाली थाने के एक जांच अधिकारी ने कहा, “हमें कुछ गलत नहीं मिला. एक झगड़ा हुआ था जो सुलझ गया. होटल के पास लाइसेंस है, और अगर हमें कुछ समस्या मिलेगी तो हम कार्रवाई करेंगे.”

लाजपत नगर और शाहदरा में, ज्यादातर निवासियों ने आपत्ति नहीं जताई, लेकिन आसपास के दुकानदार नाराज़ हैं.

लाजपत नगर के बर्तन दुकान मालिक महेंद्र कुमार ने कहा, “परिवार अपने बच्चों के साथ हमारी दुकानों में आते हैं. इससे बुरा असर पड़ता है. कपल्स हाथ में हाथ डालकर, एक-दूसरे को छूते हुए आते हैं. यह सभ्य नहीं लगता. वैसे भी, मार्केट में होटल की क्या ज़रूरत है?”

होटल सिटी इन का रिसेप्शन काउंटर. केवल ऑनलाइन पेमेंट स्वीकार की जाती है, ताकि पुलिस या माता-पिता पूछताछ के लिए आए तो परेशानी से बचा जा सके | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
होटल सिटी इन का रिसेप्शन काउंटर. केवल ऑनलाइन पेमेंट स्वीकार की जाती है, ताकि पुलिस या माता-पिता पूछताछ के लिए आए तो परेशानी से बचा जा सके | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

राजकोट से गाज़ियाबाद तक: प्यार रास्ता ढूंढ लेता है

राजकोट के शॉर्ट-स्टे होटल “अच्छाई” की बहस के नवीनतम शिकार बने हैं. “अवयस्क लड़कियों” को लेकर दहशत ने यह सुनिश्चित किया है कि अब सभी अविवाहित कपल्स के पास प्राइवेसी पाने की जगहें कम हो गई हैं.

सितंबर में, राजकोट ज़ोन-2 के डीसीपी (डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस) ने आदेश जारी किए कि ए-डिवीजन क्षेत्र के होटलों को अब युवा कपल्स को घंटे के हिसाब से कमरे नहीं देने होंगे. ऐसे कपल्स जिनका दोनों का पता राजकोट में है, उन्हें भी कमरे नहीं दिए जाएंगे. अब होटलों को हर गेस्ट को पथिक सॉफ्टवेयर के ज़रिए रजिस्टर करना होगा और चेहरे की पहचान आधार कार्ड से मिलानी होगी. अगर किसी लड़की पर नाबालिग होने का शक हो, तो होटलों को तुरंत पुलिस को बुलाने का निर्देश दिया गया है. गुजरात समाचार ने इसे “युवा महिलाओं के यौन शोषण को रोकने का प्रयास” बताया.

“हम कुछ भी गैरकानूनी नहीं कर रहे, लेकिन एक गुस्साई भीड़ ही एक होटल को खाली करने के लिए काफी है”

— दीपक, होटल मेट्रो, गाज़ियाबाद के मैनेजर

सहमति वाले वयस्क और उन लोगों को सेवाएं देने वाले होटल दोनों ही अनजाने नुकसान बन जाते हैं.

शहर के एक बजट होटल के मैनेजर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “इससे हम नुकसान में जाएंगे. खबर के बाद से हमें कपल्स से ज्यादा बुकिंग नहीं मिल रही है. हम इन दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं. हम लड़की से रिसेप्शन पर स्कार्फ हटाने और अपनी आईडी जमा करने को कहते हैं. बस, कपल्स को रोकना संभव नहीं. अगर यहां नहीं, तो वे कहीं और जगह ढूंढ लेंगे.”

एक कपल, महिला का चेहरा ढका हुआ, गाज़ियाबाद के होटल मेट्रो में चेक-इन करता है. सितंबर में पड़ोसियों के ‘रेड’ के बाद बुकिंग्स घट गई हैं | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट
एक कपल, महिला का चेहरा ढका हुआ, गाज़ियाबाद के होटल मेट्रो में चेक-इन करता है. सितंबर में पड़ोसियों के ‘रेड’ के बाद बुकिंग्स घट गई हैं | फोटो: नूतन शर्मा/दिप्रिंट

क्लैम्पडाउन के बावजूद, राजकोट के “कपल-फ्रेंडली” होटल अभी भी ऑनलाइन आसानी से मिल जाते हैं. जल्टडायल या बुकिंग साइट्स पर एक क्लिक में होटल एम्पायर, होटल अयोध्या, होटल सिटी पैलेस, ब्लू लीफ, ग्लोरी होटल, होटल ग्रीन और होटल नोवा ब्लिस जैसे होटल दिखाई देते हैं, जिनकी कीमतें कुछ सौ रुपये से लेकर लगभग 2,000 रुपये प्रति रात तक होती हैं.

नवयुग मार्केट छापे के तीन हफ्ते बाद, होटल मेट्रो की गलियां सामान्य से ज्यादा शांत हैं, सिवाय एक कपल के, जिसकी महिला का चेहरा ढका हुआ है. मैनेजर दीपक कहते हैं कि भीड़ के हमले के बाद से केवल कुछ ही बुकिंग्स आई हैं.

उन्होंने कहा, “पुराना मैनेजर दबाव के कारण छोड़ गया और अब रेगुलर ग्राहक भी आने से डरते हैं. हम कुछ भी गैरकानूनी नहीं कर रहे, लेकिन एक गुस्साई भीड़ ही एक होटल को खाली करने के लिए काफी है.”

(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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