अयोध्या: बृजभूषण शरण सिंह की ट्रेडमार्क भगवा पगड़ी में उनकी तस्वीरों वाले पोस्टर पूरे अयोध्या में लगे हैं, जिसमें लोगों से 5 जून को ‘जन चेतना महारैली’ के लिए शहर आने का आग्रह किया गया है. इसके पीछे साधु-संतों की एक मांग है: यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) को लचीला बनाना. उत्तर प्रदेश में जनता को लामबंद करने में खुद बृजभूषण सिंह लगे हुए हैं, जिन पर महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है.
कुश्ती चैंपियन साक्षी मलिक, विनेश फोगट, बजरंग पुनिया और अन्य 23 अप्रैल से दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे है. जनवरी में उनके दिन भर के विरोध के कारण एक जांच हुई जिसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई और दो प्राथमिकी भी दर्ज हुई लेकिन अभी तक सिंह की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
दर्ज की गई दो एफआईआर में से एक नाबालिग के कथित यौन उत्पीड़न से संबंधित है. लेकिन भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी के सांसद सिंह को यहां के अधिकांश मठों का समर्थन प्राप्त है. अयोध्या वह जगह है जहां वह पले-बढ़े हैं और यहां उन्हें हर किसी का समर्थन हासिल है. उनके समर्थक उन्हें ‘नेताजी’ कहते हैं वहीं इस रैली को शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है.
जन चेतना महारैली 5 जून को अयोध्या के राम कथा पार्क में होगी. राज्य परिवहन की बसें आयोजन के पोस्टरों से पटी पड़ी हैं. बृजभूषण सिंह ने बीते हफ्ते कहा था कि रैली में लगभग 11 लाख लोगों के भाग लेने की उम्मीद है.
जहां गंगा में पदक विसर्जित करने की धमकी देने वाले पहलवानों को जंतर-मंतर से जबरदस्ती हटा दिया गया, वहीं सिंह रैली की जमीन तैयार करने के लिए अवध और पूर्वांचल के दौरे कर रहे हैं. पिछले दो हफ्तों में, उन्होंने बहराइच, श्रावस्ती, बस्ती, गोंडा और बलरामपुर का दौरा किया और अपने समर्थकों में जान फूंकी.
हनुमान गढ़ी मंदिर के सगरिया पट्टी के महंत बलराम दास ने कहा, “हम चाहते हैं कि कानून (पोक्सो) का दुरुपयोग न हो और इस तरह के संगीन आरोप लगने के बाद आरोपी को भी अपनी बात रखने का अधिकार हो. ऐसे मामले में सबसे पहले व्यक्ति का सम्मान खोता है. अगर व्यक्ति दोषी नहीं पाया जाता है तो उसका सम्मान कैसे लौटेगा.”
लेकिन खुद भाजपा ने इस रैली से दूरी बना ली है.
भाजपा पार्षद संजय शुक्ला ने कहा, “इस रैली का आह्वान संतों ने किया है, भाजपा ने नहीं. पार्टी कार्यकर्ता भाग नहीं लेंगे.”
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भाजपा ने रैली से बनाई दूरी
राम कथा पार्क में मुश्किल से 4,000-5,000 लोग जमा हो सकते हैं, लेकिन इससे उत्साह में बिल्कुल भी कमी नहीं आई है. स्थानीय विक्रेताओं का कहना है कि उनका व्यापार बढ़ेगा.
नाम न छापने की शर्त पर एक विक्रेता ने कहा, “बृजभूषण सिंह को कौन नहीं जानता? वह इतना बड़ा आदमी है. वह आसपास के इलाके में दर्जनों स्कूल चलाते हैं. लेकिन महिला पहलवानों ने उन पर आरोप लगाया है. हम देखेंगे कि क्या होता है.”
जन चेतना महारैली की सफलता सुनिश्चित करने के लिए संतों ने एक समिति का गठन किया है और बृजभूषण की टीम उनकी मदद कर रही है. कानूनी विशेषज्ञों, पूर्व न्यायाधीशों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं और सामाजिक समूहों को निमंत्रण भेजा गया है. और सोमवार को, अयोध्या के 50 से अधिक प्रमुख संत वैदेही भवन में एकत्रित हुए जहां उन्होंने रैली के उद्देश्य पर चर्चा की.
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उपस्थित लोगों में मंगल भवन के प्रमुख महंत रामभूषण दास कृपालु, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता महंत गौरीशंकर दास, सगरिया पट्टी के महंत बलराम दास और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास थे.
बृजभूषण के प्रतिनिधि संजीव सिंह ने कहा, “देश भर से संत भाग लेंगे. ऋषिकेश, वाराणसी और हरिद्वार के संतों के साथ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष भी आएंगे. यह राजनीतिक रैली नहीं है, साधु और संतों ने इसे बुलाया है.”
महंत गौरीशंकर दास ने कहा कि रैली में देश भर से संत शामिल होंगे और सामाजिक न्याय पर चर्चा करेंगे.
उन्होंने कहा, “हमारे सांसद पर आरोप लगाए गए हैं जो देखने से ही षड्यंत्र लग रहा है. इससे पहले कई बार संतों पर भी आरोप लगे हैं, ऐसा करने वालों पर कार्रवाई की जाए. सिर्फ आरोप लगाने से व्यक्ति दोषी नहीं हो जाता लेकिन एक आरोप से जिंदगी जरूर बर्बाद हो जाती है.”
हालांकि बीजेपी की अयोध्या इकाई रैली से दूरी बनाए हुए है. भाजपा जिलाध्यक्ष संजीव सिंह ने कहा कि यह बृजभूषण की निजी रैली है और पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है.
उन्होंने कहा, “अभी तक हमें रैली में शामिल होने के बारे में पार्टी अध्यक्ष से कोई सूचना नहीं मिली है. संगठन तय करता है कि हमें किसमें शामिल होना चाहिए और किसमें नहीं.”
रैली से निकले निष्कर्ष को केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. संत अपना विरोध दर्ज कराने के लिए 100 मीटर के कपड़े पर हस्ताक्षर भी करेंगे. इसे भी नई दिल्ली भेजा जाएगा.
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छह बार सांसद रहे बृजभूषण सिंह का विवादों से गहरा रिश्ता रहा है. उन्हें 1990 के दशक के मध्य में आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था और उनके चुनावी हलफनामे के अनुसार, उनके खिलाफ चार मामले लंबित हैं.
सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया कि पॉक्सो एक्ट के तहत बृजभूषण को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया.
मंगलवार को कुश्ती की अंतरराष्ट्रीय गवर्निंग बॉडी, यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) ने एक बयान जारी किया और पहलवानों को हिरासत में लिए जाने की निंदा की. बयान के अनुसार, “यूडब्ल्यूडब्ल्यू… अब तक की जांच के परिणामों की कमी पर अपनी निराशा व्यक्त करता है.”
Wrestling's world governing body has issued its first statement about the protests by the Indian wrestlers. pic.twitter.com/7mJxWoomQv
— ESPN India (@ESPNIndia) May 30, 2023
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निराधार आरोप
बृजभूषण सिंह ने अपने छात्र जीवन का एक बड़ा हिस्सा अयोध्या में बिताया है और यहां उन्हें हर मठ और संत का आशीर्वाद हासिल है. हनुमानगढ़ी मंदिर के प्रधान पुजारी के उत्तराधिकारी महंत संजय दास के प्रतिनिधि शिवम श्रीवास्तव ने कहा कि अयोध्या बृजभूषण की कर्मभूमि रही है.
उन्होंने कहा, “उनकी शिक्षा-दीक्षा यहीं हुई है. वे हनुमान के भक्त हैं और उन पर लगे आरोप निराधार हैं. उनके साथ जनसमर्थन है. यहां का हर व्यक्ति उन्हें अच्छे से जानता है.”
हनुमत निवास के महंत मिथिलेश नंदिनी शरण ने कहा कि रैली का मकसद यह दिखाना है कि नागरिकों और उनके स्वाभिमान की रक्षा के लिए बने कानून और संविधान का दुरुपयोग हो रहा है.
उन्होंने कहा, “यह (पोक्सो अधिनियम) लोगों को प्रताड़ित करने के लिए हथकंडे की तरह इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. इस पर लोग, सरकार और नीतियां बनाने वाले जागृत हो और कानून की समीक्षा की जाए, इसलिए संतों ने यह बड़ा समागम बुलाया है.”
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लेकिन पहलवानों के विरोध पर कोई भी साधु टिप्पणी नहीं करना चाहता.
गौरी शंकर दास ने कहा, “धरने का राजनीतिकरण हो रहा है. हमारे यहां (अयोध्या) कुश्ती की परंपरा रही है. उस व्यक्ति ने बचपन से लेकर अब तक कुश्ती को सांतवें आसमान तक पहुंचाया है. हम देश की बहन-बेटियों के साथ हैं. अगर बृजभूषण शरण सिंह दोषी है तो उसे फांसी पर लटका दिया जाए लेकिन उस पर आरोप सिद्ध नहीं हुए तो उसका कौन दोषी होगा.”
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