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Sunday, 3 November, 2024
होमफीचरहरियाणा की एथलीट और कोच जिसने एक मंत्री पर यौन शोषण का आरोप लगाया, अब उनका करियर ही दांव पर है

हरियाणा की एथलीट और कोच जिसने एक मंत्री पर यौन शोषण का आरोप लगाया, अब उनका करियर ही दांव पर है

वह कहती हैं कि उसकी सुरक्षा के लिए सौंपी गई पुलिस ने उसके लिए और अधिक परेशानी खड़ी कर दी है. घर में रहने के लिए वह अपने मकान मालिकों से भी लड़ी जिसके बाद उन्होंने उसे घर से ही 'बाहर' कर दिया है.

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पंचकूला: उसका करियर अब दांव पर है. उसके सहयोगी उसके सामने चुप्पी साध लेते हैं. उसके ज्यादातर दोस्तों ने उसे भुला ही दिया है. और जहां भी वह जाती है, अचानक फुसफुसाहट शुरू हो जाती है और बगल वाली आंखें उसका वहां तक पीछा करती हैं जहां जहां वो जाती है. हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह पर सार्वजनिक रूप से यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के छह महीने बाद, जूनियर कोच और एथलीट को एहसास हो गया है कि यह उसका बहादुरी भरा कदम अब उसके करियर को तबाह कर रहा है और अब उसे शायद ऐसे ही जीना है.

30 दिसंबर 2022 को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने से पहले उन्हें कथित तौर पर पुलिस ने चेतावनी दी थी, “मंत्री के साथ पंगा मत लो.” लेकिन यह एक आसान निर्णय नहीं था, लेकिन राजनेताओं और खेल अधिकारियों के दरवाजे पर दस्तक देने से कुछ हासिल नहीं हुआ. भारत भर के मीडिया आउटलेट्स द्वारा उसकी कहानी को उठाए जाने के बाद पुलिस ने भले ही तत्परता से काम लिया हो, लेकिन तब से उसका जीवन लगभग रुक गया है. क्योंकि सच बोलने के बाद वह खेल बिरादरी के भीतर ही निंदा और विरोध का सामना कर रही हैं.

इस मामले में जिस तरह की जांच की जा रही है और अब तक का उसका अनुभव इस बात की गवाही देता है कि क्यों कई महिलाएं वर्षों तक अपने साथ हो रहे यौनाचार पर चुप्पी साधे रहीं और संघर्ष करती रही हैं. बोलने के लिए साहस की आवश्यकता होती है, लेकिन इसके बाद जो आता है उससे निपटने के लिए धैर्य और सहनशीलता की आवश्यकता होती है. एक अत्यधिक शक्तिशाली दुराचारी के खिलाफ न्याय की मांग करने वाली महिलाओं के लिए, एक कठिन लड़ाई है, जो पेशेवर और व्यक्तिगत – दिन-ब-दिन, कभी-कभी वर्षों तक सभी मोर्चों पर लड़ती हैं .

जूनियर कोच और एथलीट ने कहा, “मैं आजकल रात को मुश्किल से ही सो पाती हूं. मैं खाना नहीं खा पाती हूं, ट्रेनिंग में भी असमर्थ हूं… क्या एक देश उस महिला के साथ ऐसा करता है जो अपनी आपबीती बताती है और बोलने का साहस करती है?”

एक साल पहले, वह टीवी चैनलों को एशियाई खेलों के लिए अपनी योजनाओं के बारे में इंटरव्यू दे रही थीं, अपनी संभावनाओं के बारे में आत्मविश्वास से बोल रही थीं. अब वह पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में ट्रेनिंग नहीं कर सकती हैं. उसके मामले में अभियोजन शुरू नहीं हुआ है क्योंकि पुलिस को प्राथमिकी दर्ज होने के पांच महीने बाद भी चार्जशीट दायर करनी है. और उसके मकान मालिकों के साथ पहले से ही उसके बिगड़ रहे संबंध मीडिया और अदालतों में चल रहे हैं. उसके माता-पिता 200 किमी दूर झज्जर में अपने गृहनगर से उसे असहाय से देख रहे हैं.

वरिष्ठ अधिवक्ता और खेल कार्यकर्ता राहुल मेहरा ने पहले दिप्रिंट को बताया था, “भारत में खेलों में महिलाएं बहुत साधारण परिवारों और पृष्ठभूमि से आती हैं, और अपने लिए करियर बनाने के लिए बहुत सी बेड़ियों को तोड़ती हैं. ऐसे में उनके लिए बोलना आसान नहीं है खासकर तब जब उनके साथ कुछ गलत हो जाता है.”

दिल्ली के जंतर-मंतर पर रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों-बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगट द्वारा किए जा रहे विरोध से पता चलता है कि खेलों में कितना बड़ा दुरुपयोग है.

दिप्रिंट के साथ एक इंटरव्यू में विनेश फोगाट ने कहा,“बजरंग, साक्षी और मैं सुशिक्षित और कुशल खिलाड़ी हैं, ओलंपिक स्तर के खिलाड़ी हैं, और फिर भी हमें अपनी बातें लोगों तक पहुंचाने के लिए इतना संघर्ष करना पड़ रहा है. कल्पना कीजिए कि खेल में एक युवा महिला के लिए बोलना कितना मुश्किल होता होगा. उनका करियर बर्बाद हो सकता है.”

विनेश फोगाट ने बताया कि जब उन्होंने दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने की बात कही तो कैसे हरियाणा में कई युवा महिला पहलवानों के लिए यह डर का कारण बना.


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कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं

हर दिन के अंत में, जूनियर कोच पंचकुला की एक शांत रेसिडेंसियल सोसाइटी के एक इंडीपेंडेंट घर में अपने कमरे में चुपचाप आ जाती हैं. वह 9000 रूपये प्रति माह में एक पेइंग गेस्ट के रूप में कमरा किराए पर लिया है, लेकिन अब यह उनके लिए बिलकुल सेफ नहीं है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस के एक दिन बाद 31 दिसंबर को, पुलिस ने खेल मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और उन पर धारा 354, 354 ए और 354 बी (सत्ता में एक व्यक्ति द्वारा अपमान करना, अपमान करने का प्रयास), 342 (गलत तरीके से) और भारतीय दंड संहिता के 506 (आपराधिक धमकी)के तहत मामला दर्ज किया.

जनता के हंगामे और उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता के मद्देनजर, उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई थी. लेकिन वह दावा करती हैं कि उसे एस्कॉर्ट करने और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के बजाय, नियुक्त कर्मियों ने नियमित रूप से उसकी निजता भंग की और उसे मानसिक रूप से परेशान किया.

उसने आरोप लगाया, “यहां तैनात पुलिस कर्मी जानबूझकर रात में तेज संगीत बजाते हैं, और मेरे अनुरोध करने पर भी वॉल्यूम कम नहीं करते हैं. मेरी छोटी बहन मेरे साथ रह रही है, और उसे रात में पढ़ना है, लेकिन कर्मचारी टस से मस नहीं हुए. ”

फरवरी में उन्होंने हरियाणा पुलिस के डीजीपी को उनके व्यवहार के बारे में लिखा था कि कैसे वे घर में काम करने आने वाली और उनकी मकान मालकिन के साथ लड़ाई करते हैं

एक महीने बाद 25 जनवरी को रात साढ़े नौ बजे के करीब कुछ अज्ञात कर्मियों ने कथित तौर पर बिना इजाजत घर में घुसने की कोशिश की थी.

“…अन्य कई मौकों पर एसएचओ महिला पुलिस स्टेशन पंचकुला पुलिस की वर्दी में दो-तीन अन्य पुरुष व्यक्तियों के साथ बिना किसी अनुमति के मेरे घर आए, और 15-20 मिनट तक वहीं खड़े रहे, जबकि मैंने उन्हें आने के लिए नहीं कहा,” उन्होंने डीजीपी को लिखे अपने पत्र में, जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास है. उन्होंने कहा, “यह मुझे साफ साफ दिख रहा है कि ऐसे पुलिस अधिकारी मुझे मानसिक रूप से परेशान करने की कोशिश कर रहे हैं …”

एथलीट ने दावा किया कि उसे पुलिस से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. दिप्रिंट ने डीजीपी से संपर्क किया है और उनके जवाब आने पर लेख को अपडेट किया जाएगा.

उसके लिए मामले को बदतर बनाने के लिए, जूनियर कोच अब उस खेल के लिए आवश्यक घंटे समर्पित नहीं कर सकती है जिससे वह प्यार करती है. सुरक्षा की कमी और लगातार धमकियों का मतलब यह भी है कि वह ताऊ देवी लाल स्टेडियम में ट्रेनिंग नहीं कर पा रही हैं.

उसने आरोप लगाया, “मुझे जिला खेल अधिकारी द्वारा अनौपचारिक अंदाज में स्टेडियम में प्रशिक्षण नहीं लेने के लिए कहा गया था क्योंकि मैं वहां खेलने वाले अन्य लोगों के लिए खतरा हो सकती हूं. इसने मेरे करियर को गंभीर रूप से खतरे में डाल दिया है.”

दिप्रिंट ने डीएसओ पंचकुला से संपर्क किया, उनके जवाब आने पर लेख को अपडेट किया जाएगा.

कोच ने फिलहाल एक निजी जिम में दाखिला लिया है, लेकिन यह एक ट्रैक एथलीट के लिए पर्याप्त नहीं है.

उसने कहा, “मैं 30 के करीब हूं, मुझे अपने बेस्ट प्रदर्शन करने की जरूरत है. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. ”

सरकार द्वारा प्रदान किए गए सुरक्षाकर्मी उसके साथ उसके कार्यस्थल या कहीं और नहीं जाते हैं बल्कि उसके आवास पर तैनात रहते हैं. उसने दावा किया कि इसने उसे हमलों के प्रति अधिक संवेदनशील बना दिया है.

26 अप्रैल की रात को, एक काले रंग की एसयूवी चला रहे एक व्यक्ति ने उसे लगभग सड़क से भागने को मजबूर कर दिया. उसने दावा किया कि वह अपने दोपहिया वाहन में पेट्रोल भरवाने के लिए रुकी थी, तभी एसयूवी कहीं से उसकी ओर आ गई. वह इस घटना में बाल-बाल बच गई और उसने पंचकूला के सेक्टर 5 पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. उसने पुलिस को दिए अपने बयान में ड्राइवर को लंबे बालों वाला शख्स बताया. वह उसके दोपहिया वाहन को टक्कर मारने और उसे नुकसान पहुंचाने के इरादे से तेज रफ्तार में एसयूवी चला रहा था. प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.

घटना को याद करते हुए जूनियर कोच ने कहा कि वाहन चलाना भी उनके लिए चिंता का कारण बन गया है.

“मैंने धीरे-धीरे गाड़ी चलाना शुरू कर दिया है, सड़क के एक तरफ 30 किमी प्रति घंटे की गति से आगे नहीं बढ़ रही हूं. मैं हमेशा किसी भी खतरे से डरती रहती हूं.”

पुलिस कार्रवाई में देरी

हर दिन जूनियर कोच के पास अपने वकीलों और पुलिस के लिए एक ही सवाल होता है: क्या कोई चार्जशीट है? उसके संदेशों को देख लिया जाता है ‘ब्लू टिक’ भी मिलता है, लेकिन पुलिस की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आती है. और ऐसा इसलिए है क्योंकि चार्जशीट नहीं है.

DANIPS (दिल्ली, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव पुलिस सेवा) के पुलिस उपाधीक्षक, पलक गोयल, जो इस मामले में जांच अधिकारी भी हैं, ने चार्जशीट दाखिल करने में देरी पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया .

उसने कहा, “यह एक संवेदनशील मुद्दा है, और हम जांच कर रहे हैं. मेरे पास आपको देने के लिए और कोई जवाब नहीं है.” जूनियर कोच उसे ‘दीदी’ (बहन) कहते हैं, और कहा कि गोयल उसकी शिकायतों को धैर्यपूर्वक सुनते हैं.

लेकिन कुछ पुलिस वाले ऐसे हैं जो अभी भी उन्हें शक की निगाह से देखते हैं. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “एक अधिकारी ने मुझे बताया कि मेरा उत्पीड़न अभी ‘शुरू’ ही हुआ है और मुझे और अधिक गंभीर जांच के लिए खुद को तैयार करना चाहिए.”

जूनियर कोच के वकील दीपांशु बंसल ने कहा कि उन्होंने जनवरी के पहले हफ्ते में ही एसआईटी को सारे बयान और सबूत दे दिए थे, ऐसे में चार्जशीट दाखिल करने में देरी संदेहास्पद है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “अपराध स्थल की मैपिंग, गवाह के सबूत और बयान सभी जनवरी में ही किए गए थे. अगर किसी आम आदमी पर इस तरह की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाता है, तो उसे आमतौर पर तीन महीने के भीतर चार्जशीट मिल जाती है. इस तरह की देरी, खासकर जब एक मंत्री मामले में शामिल हो, उचित नहीं है.”

इस बीच, चंडीगढ़ पुलिस की एक विशेष जांच टीम ने 10 मार्च को पंचकुला जिला अदालत में मंत्री के पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए एक आवेदन दिया था. अदालत से चार बार आगे की तारीखें लेने के बाद, सिंह ने 5 मई को एक विस्तृत प्रतिक्रिया पोस्ट की, जिसमें उन्होंने पॉलीग्राफ लेने से इनकार कर दिया. उन्होंने एसआईटी पर “व्यथा” को लंबा करने, मामले को लंबा खींचने और विभिन्न परीक्षण करने के लिए आवेदन दायर करने का आरोप लगाया, जिन्हें साक्ष्य में स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर नीरज कुमार ने कहा कि चार्जशीट दायर करने या पॉलीग्राफ टेस्ट के लिए पुलिस के अनुरोध में देरी असामान्य नहीं है. कुमार ने बताया, “आयुक्त के रूप में मेरे कार्यकाल के दौरान, मैंने मामला दर्ज होने के 13 साल बाद चार्जशीट दायर की थी.”

उन्होंने कहा कि कोई भी जांच अधिकारी से देरी के बारे में नहीं पूछ सकता. कुमार ने कहा, “केवल पर्यवेक्षण अधिकारी या अदालतें ही यह सवाल पूछ सकती हैं.”

पुलिस ने 8 और 11 फरवरी 2022 को सिंह से गहन पूछताछ की थी. लेकिन गवाही में कुछ विसंगतियां हैं, जिनमें से एक उस समय की अवधि है जब कोच ने अपने आवास पर बिताया था जहां कथित हमला हुआ था, पुलिस ने अपने पत्र में लिखा था अदालत में इसका आवेदन शिकायतकर्ता ने Uber रिकॉर्ड उपलब्ध कराए थे. पॉलीग्राफ टेस्ट कराने से इनकार करते हुए, सिंह की बचाव टीम ने हमले से इनकार किया और कहा कि उन्होंने कोच के साथ एक सख्त औपचारिक संबंध साझा किया है.


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घर में परेशानी

पिछले कुछ महीनों की घटनाओं ने जूनियर कोच के पीजी मालिकों के साथ पहले से ही कटु संबंधों को और बढ़ा दिया है. स्थिति गाली-गलौज में तब्दील हो गई है और दोनों पक्ष एक-दूसरे के खिलाफ केस और काउंटर-केस दायर कर रहे हैं.

घर की मालिक पूजा और अरुण जोगी ने स्वीकार किया कि मीडिया का ध्यान और पुलिस की लगातार उपस्थिति समस्या पैदा कर रही है. रिपोर्टर देर रात भी गेट के बाहर खड़े रहते हैं. वे अपनी ऊपरी मंजिल की इकाई को किसी और को किराए पर देने में असमर्थ हैं और उन्होंने अपने घर का विस्तार करने के लिए और निर्माण शुरू करने की अपनी योजना को रोक दिया है.

दंपति का दावा है कि खेल मंत्री के खिलाफ अपनी शिकायत सार्वजनिक करने से चार दिन पहले उन्होंने उसे परिसर खाली करने के लिए कहा था. लेकिन कोच का आरोप है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के एक दिन बाद, जोगी ने उसके कमरे में तोड़फोड़ की, उसका सामान बालकनी से बाहर फेंक दिया और उसे तुरंत परिसर खाली करने के लिए कहा.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “वे मेरी रसोई में आए और इसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया, मेरा सामान इधर-उधर फेंक दिया और मुझे तुरंत चले जाने के लिए कहा.”

जोगी ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि उन्होंने बस उसे खाली करने के लिए कहा क्योंकि कोच किराए के बकाया पर लगातार देर कर रही थीं, और उनके साथ रोज लड़ाई हो रही थी. पूजा ने कहा, “वह पूरी तरह से सुसज्जित कमरे में है. यहां तक कि किचन में क्रॉकरी भी हमारी है, हम इसे क्यों फेंकेंगे?”

कोच ने घर पर रहने के लिए एक अंतरिम निषेधाज्ञा की मांग के लिए जिला अदालत का रुख किया. 24 जनवरी को, पंचकुला जिला अदालत ने उसके पक्ष में फैसला सुनाया और जोगी पति पत्नी को अगली सुनवाई तक, जो 25 मई को है, उसे बेदखल करने से रोक दिया.

पूजा ने कहा, “हमें दिसंबर से किराया नहीं मिला है. उसने बिजली का बिल भी नहीं भरा है. आप इसे कब्जा नहीं तो और क्या कहेंगे?”

हालांकि, कोच ने कहा कि उसने फरवरी तक सभी किराए का भुगतान कर दिया था, “मैं अभी किराया नहीं दे रही हूं, मैं अदालत के निर्देश का इंतजार करूंगी. अगर मुझे किराया देने के लिए कहा जाएगा, तो मैं करूंगी.

अब टेंशन सिर पर आ गया है. दोनों पक्षों का कहना है कि दूसरा शारीरिक रूप से हिंसक रहा है. अब मीडिया में, पुलिस शिकायतों में और अदालत के समक्ष याचिकाओं में आरोप-प्रत्यारोप किए जा रहे हैं.

4 मई को मकानमालिक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की, जिसमें उन्होंने जनता के सामने उसकी पहचान उजागर की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में, जोगी पति पत्नी ने आरोप लगाया कि अज्ञात कर्मियों ने एक हथियार दिखाया था और बाजार में उनके बेटे को धमकाया था, और दावा किया कि शिकायतकर्ता द्वारा गुंडों को भेजा गया था.

कुछ समय के लिए, उसकी कहानी ने स्थानीय समाचार पत्रों में पहले पन्ने पर जगह बनाई, लेकिन प्रत्येक बीतते सप्ताह और जांच में थोड़ी प्रगति के साथ, जूनियर कोच को अंदर के पन्नों से हटा दिया गया. यह सार्वजनिक स्मृति के बैक बर्नर पर सिमट कर रह जाता है.

इस बीच, जूनियर कोच ने अपनी पहचान उजागर करने के लिए पंचकूला सेक्टर 5 पुलिस स्टेशन में मकान मालिकों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है. “खेल की दुनिया में केवल लोग जानते थे कि सिंह के बारे में शिकायत करने वाली मैं ही थी. अब हर कोई, यहां तक कि मेरे गृहनगर में भी, लोग जान गए हैं कि वो मैं हूं.”

अरुण जोगी ने अपने बचाव में कहा कि उन्हें और उनकी पत्नी को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा महसूस हुआ, इसलिए उन्होंने इसे सार्वजनिक किया. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “इसके अतिरिक्त, जूनियर कोच ने बिना फेस मास्क के मीडिया को इंटरव्यू दिए और सार्वजनिक रूप से आरोप लगाए. हम किसी राज़ को ‘आउट’ करने वाले पहले व्यक्ति नहीं हैं.”

जूनियर कोच केवल तभी अपने गार्ड को छोड़ती है जब वह अपने वकीलों के साथ उनके कक्ष में होती है. अपने वकीलों के साथ उन्हें ऐसा लगता हैं कि पंचकुला में वह उसके एकमात्र दोस्त हैं. वे खेल मंत्री को आड़े हाथों लेने वाली महिला के साथ खुद को जोड़ने से नहीं डरते. उनके कक्ष में, वह उनके साथ हंसी-मजाक करती हैं और राजमा चावल पर टूट पड़ती हैं जो उन्होंने उसके लिए खरीदा था. उन्होंने कहा, “मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि मुझे इतने अच्छे वकील मिले.”

जूनियर कोच पीछे हटने से इनकार करती हैं और इसके अंजाम तक जाना चाहती हैं.

उन्होंने कहा, “जितना अधिक वे मुझे दबाने की कोशिश करते हैं, मैं उतनी ही मजबूत होती जा रही हूं.”

(इस फीचर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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