सीहोर: वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी भोपाल के छात्र महीनों से चुपचाप “गंदे पानी”, “बेस्वाद मेस के खाने” और पीलिया के मामलों को झेल रहे थे. वे दूषित पानी से बचने के लिए बोतलबंद पानी खरीद रहे थे. यह सब सिर्फ कैंपस के अंदर ही सीमित था. जिस रात यह संस्थान राष्ट्रीय सुर्खियों में आया, उससे पहले कई छात्र किताबों में डूबे हुए थे और परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. लेकिन मंगलवार रात शांति अचानक अराजकता में बदल गई. वार्डन द्वारा एक विरोध कर रहे छात्र को थप्पड़ मारने का एक रेडिट वीडियो तेजी से वायरल हुआ और कैंपस दंगे जैसे माहौल में बदल गया. रात 3 बजे तक वहां भारी पुलिस बल तैनात था और पूरा परिसर किले जैसा दिख रहा था.
शांतिपूर्ण प्रदर्शन ब्लॉक 6 में चल रहा था, जिसे मुश्किल से एक साल पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उद्घाटित किया था.
कई वाहनों में आग लगा दी गई और कई क्षतिग्रस्त हो गए. विरोध में छात्रों ने कुलपति के बंगले में भी तोड़फोड़ की. छात्र कैंपस में फैले पीलिया के मामलों को लेकर एकजुट हुए. एक निजी विश्वविद्यालय में हुई इस हिंसा ने जिला प्रशासन और पुलिस व्यवस्था को हिला दिया.
वीआईटी भारत की उच्च शिक्षा में एक नेशनल ब्रांड है और इसे ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस’ का दर्जा मिला है. देशभर से छात्र भोपाल कैंपस में पढ़ते हैं. अब चिंतित छात्र अपने हॉस्टल छोड़कर घर जा रहे हैं और कैंपस भुतहे शहर जैसा दिख रहा है. लेकिन मंगलवार की हिंसा ने एक नई बहस छेड़ दी है—हजारों छात्रों के करियर की जिम्मेदारी संभालने वाले निजी विश्वविद्यालय आखिर उनके संकट को कैसे संभालते हैं. राज्य सरकार की जांच के अधीन पहुंच चुकी यह हिंसा उस विश्वविद्यालय के लिए कठिन सवाल खड़े करती है, जो खुद को राष्ट्रीय स्तर का संस्थान कहता है, लेकिन अपने कैंपस को अव्यवस्था और अविश्वास में डूबने से रोक नहीं सका.

वीडियो ने छात्रों को भड़का दिया और कुछ ही मिनटों में हजारों छात्र कैंपस में इकट्ठा हो गए—यह स्थिति विश्वविद्यालय प्रशासन ने सोची भी नहीं थी. हालांकि संकेत स्पष्ट थे. बस सब कुछ ऑनलाइन हो रहा था. रेडिट पेज धीरे-धीरे उन घटनाओं के गवाह बन रहे थे, जो आगे होने वाली थीं. छात्र महीनों से विश्वविद्यालय प्रशासन के प्रति नाराजगी व्यक्त कर रहे थे. वे साफ पानी और बेहतर भोजन की अपनी मांगों को नजरअंदाज किए जाने से परेशान थे.
अब विश्वविद्यालय प्रशासन इसे सोशल मीडिया से भड़की घटना के रूप में देख रहा है.
“इस घटना से हमें सोशल मीडिया की ताकत को समझने की जरूरत है. किसी भी स्थिति को कई बातों को जोड़कर, उसे सनसनीखेज बनाकर और भावनात्मक अपील करके बेहद गंभीर बनाया जा सकता है और परिणाम कुछ भी हो सकते हैं. यही एक सीख है जो हमें इस पूरे मामले से मिलती है,” वीआईटी के रजिस्ट्रार केके नायर ने प्रशासनिक भवन में अपने कार्यालय में बैठकर कहा.

सीहोर जिले के आष्टा उपखंड के उप-खंडीय दंडाधिकारी नितिन कुमार ताले ने कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों का भरोसा जीतने में विफल रहा.
“अगर वे समय पर छात्रों से बात करते तो यह घटना नहीं होती. छात्रों और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच दूरी थी,” ताले ने कहा.
वो रात जब वीआईटी जल उठा
मंगलवार रात की हिंसा के निशान अभी भी कैंपस में ताजा हैं. जली हुई गाड़ियां, टूटे कांच और टूटी हुई दरवाजे उस रात की भयावहता दिखाते हैं. महिला हॉस्टल की दीवारों पर नीली स्याही से ‘रिवोल्यूशन’ और ‘इंकलाब’ लिखा हुआ है.
“(हिंसा से पहले) छात्र बेहतर भोजन और पानी की मांग करते हुए शांतिपूर्ण विरोध करना चाहते थे. लेकिन वार्डन ने उन्हें रोका और कुछ को मारा,” आर्यन ने कहा, जो ब्लॉक 6 हॉस्टल में रहते हैं, जहां मंगलवार रात का प्रदर्शन शुरू हुआ था.
मंगलवार रात करीब 10 बजे छात्र ब्लॉक 6 के बाहर जमा हुए थे और कैंपस में पीलिया फैलने के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे. चर्चा थी कि पिछले दो हफ्तों में 33 (11 लड़कियां और 22 लड़के) छात्र बीमार पड़े थे और तीन छात्रों की मौत की खबर भी फैल रही थी. इन दावों को फैलाने का एक स्रोत रेडिट पोस्ट भी था.

छात्रों का कहना था कि विश्वविद्यालय ने खाने और पानी की गुणवत्ता को लेकर शिकायतों को बार-बार नजरअंदाज किया. उनकी नाराजगी ऑनलाइन साफ दिख रही थी.
“दोस्तों यह गंभीर है! वीआईटी भोपाल में कैंटीन की अस्वच्छ व्यवस्था के कारण कई छात्र 60-70 की संख्या में पीलिया से बीमार हो गए,” रेडिट पर एक पोस्ट में लिखा था, जिसे 3,000 से ज्यादा लाइक्स और 100 कमेंट मिले. एक अन्य पोस्ट में लिखा था, “जब छात्रों ने विरोध किया तो उन्हें कैंपस में पीटा गया. यह बात उच्च अधिकारियों तक पहुंचनी चाहिए.”
जल्द ही प्रशासन के खिलाफ छात्रों को एकजुट होने की अपीलें आने लगीं. एक कमेंट में लिखा था, “भाई पूरा हॉस्टल एक साथ आ जाओ किसी के बाप में दम नहीं है कुछ कर ले.”
कुछ छात्र अपने जूनियर्स को भी विरोध में शामिल होने के लिए उकसा रहे थे. “क्या मेरे जूनियर इतने कमजोर हैं? पोस्ट (पीलिया के बारे में) में लिखा है: मृतक संख्या 3. आगे बढ़ सकती है. अगला तुम हो सकते हो, तुम्हारी गर्लफ्रेंड हो सकती है, तुम्हारा भाई हो सकता है.”
आधे घंटे के भीतर हजारों छात्र कैंपस में जमा हो गए और प्रशासन के खिलाफ नारे लगाने लगे. कई छात्रों ने चेहरा ढक रखा था. उन्होंने विश्वविद्यालय की बसों, एक एंबुलेंस और कारों में आग लगा दी.
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में कैंपस में उठती ऊंची लपटें और नारे लगाते छात्र दिखाई दे रहे हैं.
विश्वविद्यालय प्रशासन को कैंपस में हिंसा की जानकारी तब हुई जब भीड़ कुलपति के बंगले तक पहुंच गई. रात करीब 3 बजे पुलिस को कॉल किया गया.

“स्थिति नियंत्रण से बाहर थी. हमारे पास पुलिस बुलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. एक घंटे के भीतर वे आए और स्थिति को संभाला,” नायर ने कहा. उन्होंने यह भी बताया कि तब तक कैंपस को काफी नुकसान हो चुका था. प्रशासन अब संपत्ति के नुकसान का आकलन कर रहा है.
जिला प्रशासन ने सीहोर और आसपास के इलाकों से पुलिस बल तैनात किया.
“वह रात बहुत अराजक थी. भीड़ ने विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. हमारी टीमें मामले की जांच कर रही हैं और हिंसा के पीछे के कारणों की जांच कर रही हैं,” ताले ने कहा.
एक भव्य कैंपस और कुछ पुराने मुद्दे
300 एकड़ में फैले हरे-भरे वीआईटी कैंपस में 12 हजार से ज्यादा छात्र रहते हैं. कैंपस में कुल 10 हॉस्टल हैं, जिनमें आठ लड़कों और दो लड़कियों के लिए हैं. यहां बीबीए, एमबीए, एमसीयू, बी टेक, एम.टेक जैसे कोर्स होते हैं. देशभर के छात्र यहां पढ़ते हैं.
विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर लिखा है, “भारत के विभिन्न राज्यों से आए छात्र समुदाय कैंपस में विविध सांस्कृतिक माहौल बनाते हैं.”
लेकिन छात्रों के अनुसार, बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर और ऊंची फीस से बुनियादी सुविधाओं की गारंटी नहीं मिली. छात्र पिछले दो साल से साफ-सुथरा खाना और स्वच्छ पानी की मांग कर रहे थे.
“एक छात्र हर साल औसतन 4-5 लाख रुपये दे रहा है. फिर भी हमें अच्छी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. हमने कई बार अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ,” कैंपस के अंतिम वर्ष के छात्र हर्ष ने कहा.
वीआईटी की चार दशक लंबी यात्रा रही है. इसे डॉ. जी. विश्वनाथन ने स्थापित किया था, जो वर्तमान में भी कुलपति हैं. यह संस्थान अब एक बड़ा विश्वविद्यालय बन चुका है और वेल्लोर कैंपस को मेडिकल और इंजीनियरिंग छात्रों के बीच प्रतिष्ठित नाम मिला है.

विश्वनाथन राजनीतिक पृष्ठभूमि से आए थे. विश्वविद्यालय शुरू करने से पहले वे वंदावसी लोकसभा क्षेत्र से सांसद थे. वे जयललिता सरकार में मंत्री भी रहे.
भोपाल-इंदौर हाईवे पर सीहोर जिले में स्थित वीआईटी भोपाल 2017 में शुरू हुआ. इसके कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर हाल ही में बनाए गए हैं, जैसे कि वह ब्लॉक जहां छात्र विरोध कर रहे थे.
ब्लॉक 6 के छात्र अभिषेक ने कहा, “यह नया ब्लॉक है, फिर भी हम सुविधाओं की समस्याओं का सामना कर रहे हैं.”
10 ब्लॉकों में से हर एक को अलग-अलग दिक्कतें हैं. ब्लॉक 5, 6 और 8 में पानी की समस्या है. ब्लॉक 1 में बासी खाना परोसे जाने की शिकायतें थीं.
छात्रों ने कैंपस के खाने से जुड़े उदाहरण भी साझा किए. “कई बार हमने खाने में मक्खियां और बाल देखे हैं,” हर्ष ने बताया. उन्होंने कहा कि उनके एक दोस्त ने चिकन खाया तो उसमें बदबू आ रही थी.
हर्ष के अनुसार, सिर्फ पिछले एक महीने में ही छात्रों ने कई शिकायतें की हैं.
“लेकिन किसी ने हमारी बात नहीं सुनी और हमारी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया,” उन्होंने गुरुवार दोपहर कैंपस छोड़ते समय कहा.
पिछली गर्मियों में, कैंपस को एक हफ्ते तक पानी की सप्लाई बाधित रही थी.
सीहोर मध्य प्रदेश के पानी की कमी वाले जिलों में से एक है. “गर्मियों में पानी की कमी सबसे बड़ी चुनौती है. मार्च से जुलाई तक हर साल सीहोर के कई इलाकों के लिए समय बहुत कठिन होता है,” सीहोर एग्रीकल्चर कॉलेज के पूर्व डीन एच. डी. वर्मा ने कहा.
पिछले साल छात्रों ने प्रशासनिक ब्लॉक के बाहर एकत्र होकर पानी की सप्लाई बहाल करने की मांग की थी.
“उस समय कैंपस में बिल्कुल पानी नहीं था. छात्रों ने छुट्टी की मांग की, लेकिन कॉलेज ने मना कर दिया. इससे पूरे दिन विरोध चला,” आर्यन ने कहा.
खाने और पानी के अलावा, छात्र यह भी आरोप लगाते हैं कि विश्वविद्यालय ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर भी पाबंदियां लगा रखी हैं. छात्र रात 9 बजे के बाद कैंपस से बाहर नहीं जा सकते और तेज संगीत और पार्टियों पर रोक है.

“हम महीने में सिर्फ दो बार माता-पिता की अनुमति लेकर कैंपस से बाहर जा सकते हैं,” आर्यन ने बताया. उन्होंने कहा कि पानी की समस्या पर विरोध करने पर कई छात्रों पर जुर्माना भी लगाया गया.
नायर ने कहा कि विश्वविद्यालय ने उन छात्रों पर भी जुर्माना लगाया है जिन्होंने नियम तोड़े और पानी व खाने को लेकर अफवाहें फैलाईं.
“2025 में, 250 से ज्यादा छात्रों पर नियमों के उल्लंघन के लिए जुर्माना लगाया गया है, जिसमें बिना अनुमति शहर से बाहर जाना, देर रात लौटना और ऐसा कंटेंट पोस्ट करना शामिल है जिससे विश्वविद्यालय की छवि खराब हो,” नायर ने कहा. उन्होंने दावा किया कि हमारा खाना और पानी सिस्टम मजबूत है.
विश्वविद्यालय ने अपने कैंपस में पानी शुद्धिकरण प्रणाली लगाई है. यहां भूजल को फिल्टर करके हॉस्टल तक भेजा जाता है. गुरुवार को, हिंसा के दो दिन बाद, कर्मचारी प्लांट क्षेत्र की सफाई करते दिखाई दिए.
‘पीलिया से कोई मौत नहीं’
हिंसा के एक दिन बाद, विश्वविद्यालय प्रशासन ने घटना की जांच के लिए एक आंतरिक कमेटी बनाई. रजिस्ट्रार केके नायर ने तीन छात्रों की पीलिया से मौत होने के आरोपों से इनकार किया.
“पीलिया से कोई मौत नहीं हुई है. दो हफ्ते पहले कुछ मामले सामने आए थे और हमने उन्हें नजदीकी चिरायु अस्पताल में भर्ती कराया था और सभी को छुट्टी मिल गई,” नायर ने कहा.
नायर ने माना कि 11 लड़कियों और 22 लड़कों ने पीलिया के लक्षण बताए थे और उन्हें पहले विश्वविद्यालय के मेडिकल सेंटर में दिखाया गया था. “इसके बाद उन्हें अस्पताल भेजा गया,” उन्होंने कहा. उन्होंने माना कि मौत की अफवाहों ने हिंसा को बढ़ाया.

ताले ने भी पीलिया से मौत के आरोपों को खारिज किया. लेकिन एसडीएम ने कहा कि अगर इतने छात्रों में पीलिया मिला है तो जरूर पानी और खाने में कोई समस्या है. “हमने सैंपल लिए हैं और रिपोर्ट का इंतजार है,” उन्होंने कहा.
24 नवंबर को साइबर सिक्योरिटी और डिजिटल फॉरेंसिक की छात्रा नेहा सहूकर की छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में घर पर मौत हो गई. इससे भी कैंपस में असंतोष बढ़ा.
जिला प्रशासन और विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि नेहा की मौत टीबी से हुई. “इसका पीलिया से कोई संबंध नहीं है,” नायर ने कहा.
बुधवार को विश्वविद्यालय ने छात्रों को ईमेल भेजकर 8 दिसंबर तक छुट्टियां घोषित कर दीं. 4 दिसंबर से शुरू होने वाली परीक्षाएं भी टाल दी गईं.
विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से भेजे गए ईमेल में लिखा था, “प्रिय छात्रों, आप अपनी छुट्टियों की योजना आगे बढ़ा सकते हैं.”
गुरुवार को हजारों छात्र अपना सामान लेकर कैंपस छोड़ गए. “अपनी जगह छोड़ना आसान नहीं है. हमने यहां सालों बिताए हैं और कभी नहीं सोचा था कि इस स्थिति में निकलना पड़ेगा,” हरियाणा के निवासी हर्ष ने कहा.
हालांकि नायर ने कहा कि छात्रों का जाना स्वैच्छिक था. “विश्वविद्यालय खुला है, सिर्फ क्लासेज़ 8 दिसंबर तक स्थगित की गई हैं.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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