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Friday, 22 November, 2024
होमचुनावकर्नाटक विधानसभा चुनाव‘मोदी पर हमला, हिंदुत्व की आलोचना’ के बजाय कांग्रेस का कर्नाटक चुनाव प्रचार में 'लोकल मुद्दों' पर रहा फोकस

‘मोदी पर हमला, हिंदुत्व की आलोचना’ के बजाय कांग्रेस का कर्नाटक चुनाव प्रचार में ‘लोकल मुद्दों’ पर रहा फोकस

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार 8 मई को शाम 5 बजे थम गया. चुनाव के लिए वोटिंग 10 मई को होगी, जबकि चुनाव परिणाम 13 मई को आएंगे. इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने है जबकि जेडीएस मुकाबले को त्रिशंकु बना रही है.

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नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार थम चुका है. चुनाव के लिए वोटिंग 10 मई को होगी जबकि परिणाम 13 मई को आएगा. कांग्रेस और गांधी परिवार ने इस कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार में एक नई रणनीति अपनाई, जिसमें कांग्रेस नेताओं ने मुद्रास्फीति और बेरोजगारी सहित राज्य के अधिकतर मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करते हुए राष्ट्रीय मुद्दों को चुनाव प्रचार में कम उछाला.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व पर हमला, उनकी व्यक्तिगत छवि पर सवाल करना और हिंदुत्व के एजेंडे के खिलाफ खुद को खड़ा करने की कोशिश कांग्रेस के लिए हमेशा विनाशकारी साबित हुआ है. इसलिए पार्टी ने इस विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी के खिलाफ सीधी लड़ाई से दूर रहने का फैसला किया. पार्टी ने अपने कर्नाटक अभियान में इसके बजाय मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, शिक्षा और बीजेपी सरकार के तहत कथित भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर जोर दिया. इसके साथ ही पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में की गई पांच गारंटियों को भुनाने की भी कोशिश की.

इस विधानसभा चुनाव प्रचार में राहुल गांधी भी ‘अडानी-हिंडनबर्ग’ और ‘चीन’ जैसे मुद्दों से बचते रहे हैं. आम तौर पर इन मुद्दों को राहुल, पीएम मोदी और केंद्र की बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को निशाना बनाने के लिए उठाते रहते हैं.

प्रियंका गांधी ने भी कुछ ऐसी ही लाइन अपनाई. सोनिया गांधी ने भी अपनी रैली के दौरान अपने भाषण को केवल कर्नाटक के मुद्दों पर केंद्रित रखा.

यहां तक ​​कि अपने चुनावी विज्ञापनों और प्रचार में भी कांग्रेस ने बड़े पैमाने पर राज्य के लोगों को प्रभावित करने वाले रोज़ी-रोटी के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया.

हालांकि, भले ही कांग्रेस का चुनावी अभियान राज्य के मुद्दों पर केंद्रित था, लेकिन इसमें पार्टी ने कुछ राजनीतिक गलतियां भी कीं, जिसे बीजेपी और पीएम मोदी ने तुरंत भुना लिया.

इनमें से एक गलती तब हुई जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को ‘जहरीला सांप’ कहा. हालांकि, बाद में उन्होंने अपने बयान पर सफाई दी, लेकिन बीजेपी ने इस मुद्दे को पकड़ लिया.

उनके बेटे प्रियांक खड़गे ने भी प्रधानमंत्री को ‘नालायक बेटा’ कहा.

कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में पीपल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की तर्ज पर बजरंग दल पर प्रतिबंध सहित ‘कड़ी कार्रवाई’ का वादा किया था.

इसके अलावा सोनिया गांधी ने कर्नाटक की ‘संप्रभुता’ के बारे में कुछ नहीं कहा, लेकिन पार्टी की ट्विटर टीम के अनुवादक ने हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद करते समय उनके शब्दों का गलत अर्थ निकाला.

यह मामला कांग्रेस पर उलटा पड़ गया, क्योंकि बीजेपी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कार्रवाई की मांग की और चुनाव आयोग का रुख किया.

यहां तक ​​कि पीएम मोदी ने भी कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान आरोप लगाया था कि कांग्रेस कर्नाटक को भारत से अलग करने पर तुली हुई है.

कांग्रेस इस चुनाव में राज्य से संबंधित अधिकतर मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करने की कोशिश की और बीजेपी का पीएम मोदी के चेहरे, अपने कामों और हिंदुत्व के मुद्दे पर फोकस रहा. 

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने है जबकि जेडीएस मुकाबले को त्रिशंकु बना रही है.


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