जयपुर : राजस्थान विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर चुनावी समर में उतरे चार पुजारी या महंत विधायक चुने गए हैं.
पार्टी ने कांग्रेस द्वारा कथित तौर पर अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के मुद्दे को उठाते हुए हिंदुत्व के मुद्दे पर मतदाताओं को लुभाया था. राज्य के इतिहास में संभवत: पहली बार चार पुजारी या महंत एक साथ राज्य विधानसभा में नजर आएंगे. इनमें हवामहल से बालमुकुंद आचार्य, पोकरण से महंत प्रताप पुरी, सिरोही से ओटाराम देवासी और तिजारा से बाबा बालक नाथ शामिल हैं.
देवासी पहले भी विधायक रह चुके हैं और वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार में मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं. अन्य तीनों विधायक विधानसभा में नए हैं.
अलवर से सांसद बाबा बालकनाथ तिजारा सीट से जीते हैं और अक्सर अपनी टिप्पणियों से विवादों में रहे हैं. हवामहल सीट से निर्वाचित बालमुकुंद आचार्य इलाके में मंदिरों के ‘विध्वंस’ के खिलाफ एक अभियान शुरू करने को लेकर चर्चा में आए थे.
आचार्य का एक वीडियो सोमवार को सामने आया जिसमें वह कथित तौर पर अपने निर्वाचन क्षेत्र के चांदी की टकसाल इलाके में सड़क किनारे ‘नॉन वेज’ भोजन बेचने वाली दुकानों को हटाने का निर्देश एक अधिकारी को फोन पर देते हुए नजर आ रहे हैं.
इसमें वह कह रहे हैं, ‘‘क्या सड़क पर खुले में नॉनवेज बेच सकते हैं? हां या ना में जवाब दें. क्या आप उनका समर्थन कर रहे हैं?’
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वह कह रहे हैं, ‘‘चांद की टकसाल इलाके में सड़क किनारे नॉन वेज बेचने वाली दुकानों को हटाएं. उनके लाइसेंस चेक करें. मैं शाम को आपसे रिपोर्ट लूंगा. रिपोर्ट आप मुझे देंगे या मुझे लेने आपके पास आना होगा?’
उन्हें फोन पर यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘सड़कों के किनारे नॉनवेज बनाने वाले ठेले वाले तुरंत प्रभाव से नहीं दिखने चाहिए. मैं शाम को आपसे रिपोर्ट लूंगा.’
बालमुकुंद ने हवा महल निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस के आर आर तिवारी को 914 वोटों के मामूली अंतर से हराया. इसी सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान जयपुर में रोड शो किया था.
आचार्य ने अपने प्रचार अभियान के दौरान दावा किया था कि हवा महल क्षेत्र में कई मंदिरों को एक साजिश के तहत ‘ध्वस्त’ कर दिया गया था और लोगों को आश्वासन दिया था कि अगर भाजपा सत्ता में आई, तो इनका पुनर्निर्माण किया जाएगा.
मुंडारा माता मंदिर के महंत ओटाराम देवासी वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार में मंत्री थे. वह 2018 के चुनाव में हार गए. इस बार वह सिरोही से निर्वाचित हुए हैं. अन्य तीनों पुजारी विधानसभा में नए हैं.
बाबा बालकनाथ ने तिजारा सीट पर जीत दर्ज की है जहां भाजपा 1951 से लेकर 2018 के के बीच केवल एक बार जीती थी. यहां अपने आक्रामक प्रचार के साथ बालक नाथ ने कांग्रेस के इमरान खान को हराकर 6173 वोटों के अंतर से जीत हासिल की. इस सीट पर मतदान में दूसरा सबसे ज्यादा 86.11 प्रतिशत मतदान हुआ.
चुनाव आयोग ने बालकनाथ को उनके उस बयान पर नोटिस दिया था जिसमें उन्होंने विधानसभा चुनावों की तुलना भारत-पाकिस्तान मैच से की थी. हालांकि बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि वह मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए लोगों को अधिक से अधिक संख्या में आने के लिए ‘प्रोत्साहित’ कर रहे थे.
उन्होंने कहा था, ‘‘इस बार चुनाव भारत-पाकिस्तान मैच जैसा है. यह सिर्फ जीत की लड़ाई नहीं है, यह मतदान प्रतिशत की भी लड़ाई है.’’
उन्होंने कहा था,’ ‘वे ‘कबिला’ एकजुट हो गए हैं और हमें मतदान प्रतिशत के साथ उनकी योजनाओं को हराना है ताकि भविष्य में वे कभी भी एकजुट होने और हमारे सनातन धर्म को हराने की साजिश करने की हिम्मत न करें.’’
हालांकि बाद में बालकनाथ ने कहा था, ”मैं चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए लोगों को अधिक से अधिक संख्या में मतदान करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा हूं.”
वहीं राज्य की सुदूर पोकरण सीट पर भाजपा ने एक बार फिर महंत प्रताप पुरी को कांग्रेस के सालेह मोहम्मद के खिलाफ खड़ा किया गया था. पुरी ने 2018 के चुनाव में मुस्लिम धार्मिक नेता गाजी फकीर के बेटे सालेह मोहम्मद के हाथों मिली अपनी हार का बदला लिया.
सालेह मोहम्मद ने गत विधानसभा चुनाव में महंत प्रताप पुरी को सिर्फ 872 वोटों से हराया था. इस बार भी दोनों के आमने सामने होने से यह राज्य की सबसे चर्चित सीटों में से एक रही. राज्य में इस सीट पर सबसे ज्यादा मतदान प्रतिशत रहा और महंत पुरी ने 35,427 वोटों के अंतर से जीत हासिल की. प्रताप पुरी बाड़मेर के तारातरा मठ के महंत हैं.
सिरोही के ओटाराम देवासी ने तब सुर्खियां बटोरी थीं जब उन्हें तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार में उन्हें गो-पालन मंत्रालय का प्रभार दिया गया. मुंडारा माता मंदिर के महंत देवासी ने 2023 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार और निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विशेषाधिकारी संयम लोढ़ा को 35805 वोटों से हराकर जीत हासिल की है.
भाजपा ने इस बार के विधानसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम को उम्मीदवार नहीं बनाया. पार्टी ने उदयपुर में दो मुसलमानों द्वारा दर्जी कन्हैया लाल की नृशंस हत्या, राज्य के विभिन्न शहरों में हुए दंगे आदि के लिए कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए इसे प्रमुख चुनावी मुद्दा बना दिया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर भाजपा के विभिन्न मुख्यमंत्रियों ने राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस पर जोरदार धावा बोला और ‘हिंदुत्व कार्ड’ से मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया.
राज्य की कुल 200 में से 199 विधानसभा सीट पर मतदान हुआ जिसके वोटों की गिनती रविवार को की गई. इसमें भाजपा को 115 सीटों के साथ बहुमत मिला जबकि कांग्रेस 69 सीट पर सिमट गई. तीन सीट भारत आदिवासी पार्टी, दो सीट बहुजन समाज पार्टी (बसपा), एक-एक सीट राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ने और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) और आठ निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. करणपुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के निधन के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया.
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