नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा तैयार एक मसौदा दिशानिर्देश के मुताबिक, पाठ्यक्रम की अवधि के दौरान एक विषय से दूसरे विषय में जाने की सुविधा और हासिल किये गये क्रेडिट की संख्या के आधार पर प्रमाणपत्र, डिप्लोमा या डिग्री के साथ कभी भी ‘एंट्री या एग्जिट’ करना आदि चार वर्षीय अंतर-स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) की विशेषताएं हैं.
‘चार वर्षीय अंतर-स्नातक कार्यक्रम के लिए पाठ्य ढांचा एवं क्रेडिट प्रणाली’ शीर्षक वाला मसौदा प्रथम तीन सेमेस्टर के लिए प्राकृतिक विज्ञान, मानविकी और सामाजिक विज्ञान में एक साझा प्रारंभिक पाठ्यक्रम का प्रस्ताव करता है, भले ही छात्र किसी भी विषय में विशेषज्ञता करने का विकल्प क्यों नहीं चुनते हों. इसमें क्षेत्रीय भाषा, अंग्रेजी, योग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा एनालिटिक्स सहित अन्य विषय शामिल हैं.
मसौदा के मुताबिक, हस्तांतरित की जाने वाले क्रेडिट आधारित एक प्रणाली ने 160 क्रेडिट के साथ चार वर्षीय अंतर-स्नातक कार्यक्रम का प्रस्ताव किया है, जिसमें कक्षा में 15 घंटों की शिक्षा के लिए एक क्रेडिट मिलेगा. तीसरे वर्ष में, छात्र को एक ऐसा विषय चुनना होगा जिसमें वह विशेषज्ञता हासिल करना चाहते हैं. छात्र राजनीतिक विज्ञान से लेकर खगोल विज्ञान तक के विषयों को चुन सकते हैं.
अंतिम दो सेमेस्टर में, छात्र को अपने मुख्य विषय के आधार पर शोध कार्य करना होगा.
यूजीसी ने सिफारिश की है कि एक सेमेस्टर 90 कामकाजी दिवस का होगा और एक अकादमिक वर्ष को दो सेमेस्टर में बांटा जाएगा.
मसौदा के मुताबिक, ‘प्रत्येक कामकाजी सप्ताह में शिक्षण के 40 घंटे होंगे और ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रम त्वरित आधार पर कराया जा सकता है ताकि छात्र 99 दिनों में या 100 से 199 दिनों में पहले से शेष रहे पाठ्यक्रम पूरा कर सकें.’
भाषा सुभाष माधव
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