नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा कि चार वर्षीय ग्रेजुएशन कार्यक्रम के पूरी तरह से लागू होने तक तीन वर्षीय ग्रेजुएशन पाठ्यक्रम को बंद नहीं किया जाएगा.
ग्रेजुएशन पाठ्यक्रमों के लिए नये क्रेडिट और पाठ्यक्रम ढांचे की घोषणा इस सप्ताह की शुरुआत में की गई थी और यह ऑनर्स डिग्री पाठ्यक्रमों को चार साल के कार्यक्रम के रूप में परिभाषित करता है. हालांकि, कुमार ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय तीन और चार साल के कार्यक्रमों के बीच चयन कर सकते हैं.
उन्होंने बुधवार को ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘यह विश्वविद्यालयों पर छोड़ दिया गया है.’ उनसे पूछा गया था कि क्या विश्वविद्यालयों के लिए ऑनर्स डिग्री के चार साल के ढांचे की तरफ बढ़ना अनिवार्य है.
यूजीसी अध्यक्ष ने कहा कि चार वर्षीय ग्रेजुएशन डिग्री वाले उम्मीदवार सीधे पीएचडी कर सकते हैं और उन्हें मास्टर डिग्री की आवश्यकता नहीं होगी.
चार साल के ग्रेजुएशन कार्यक्रम (एफवाईयूपी) के फायदों के बारे में कुमार ने कहा, ‘पहला फायदा यह है कि उन्हें पीएचडी प्रोग्राम में शामिल होने के लिए ग्रेजुएशन डिग्री लेने की जरूरत नहीं है. किसी विषय में गहरे ज्ञान के लिए वे एक से ज्यादा विषय भी ले सकते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘चूंकि बहु-विषयक पाठ्यक्रम, क्षमता वृद्धि पाठ्यक्रम, कौशल वृद्धि पाठ्यक्रम, मूल्य वर्धित पाठ्यक्रम और इंटर्नशिप एफवाईयूपी में शामिल हैं, यह छात्रों के लिए रोजगार लेने या उच्च अध्ययन के लिए अवसरों को बढ़ाएगा.’
यूजीसी ने सोमवार को ग्रेजुएशन कार्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम और क्रेडिट ढांचे को अधिसूचित किया जो छात्रों को प्रवेश और निकास के लिए कई विकल्प प्रदान करेगा.
मौजूदा ‘च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम’ को संशोधित करके प्रारूप विकसित किया गया है. कार्यक्रम के अनुसार, छात्र मौजूदा समय की तरह तीन साल के पाठ्यक्रम के बजाय केवल चार साल की ऑनर्स डिग्री हासिल कर सकेंगे. ऑनर्स डिग्री भी दो श्रेणियों में-ऑनर्स और ऑनर्स विद रिसर्च प्रदान की जाएंगी.
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