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Thursday, 18 April, 2024
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मुम्बई, केरल और तेलंगाना में विदेश जाने वाले छात्रों को टीकाकरण में दी जाएगी प्राथमिकता

अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में, अभी वैक्सीन पासपोर्ट का प्रावधान नहीं है. लेकिन जब वो इसे खोलेंगे, तो भारतीय छात्र फायदे में रहेंगे.

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नई दिल्ली : केरल और तेलंगाना राज्यों तथा मुम्बई शहर ने तय किया है कि जो छात्र उच्च शिक्षा के लिए बाहर जा रहे हैं, उन्हें टीकाकरण में प्राथमिकता दी जाएगी.

केरल सरकार ने फैसला किया है कि जो लोग काम और उच्च शिक्षा के लिए बाहर जा रहे हैं, उन्हें पहले डोज़ के चार से छह हफ्ते बाद, दूसरा डोज़ लेने की अनुमति दे दी जाएगी, जबकि इस महीने केंद्र की ओर से सिफारिश की गई कि ये अंतराल 12 से 16 हफ्ते का होना चाहिए.

बृहन्मुम्बई महानगरपालिका ने भी घोषणा की है कि जो लोग पढ़ाई के लिए विदेश जा रहे हैं, उन्हें मुम्बई में 18-44 आयु वर्ग में टीकाकरण के लिए प्राथमिकता दी जाएगी.

तेलंगाना सरकार ने भी छात्रों के लिए प्रक्रिया में ढील देने का ऐलान किया है और कहा है कि इस दिशा में जल्द ही, गाइडलाइन्स जारी की जाएंगी.

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वैक्सीन पासपोर्ट जब भी आएगा, ये प्रक्रिया अहम उसके लिए अहम होगी

अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने जहां सबसे अधिक भारतीय छात्र जाते हैं, अभी तक वैक्सीन पासपोर्ट का प्रावधान नहीं किया है- एक ऐसा दस्तावेज़ जिससे साबित हो कि आवेदनकर्ता को कोविड-19 का टीका लग चुका है.

लेकिन, शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि जब भी वैक्सीन पासपोर्ट सामने आएंगे, भारतीय छात्र फायदे की स्थिति में रहेंगे, अगर वो समय से टीकाकरण करा लें. उन्होंने ये भी अनुरोध किया कि और अधिक राज्यों तथा मेट्रो शहरों को इस पर अमल करना चाहिए.

अभी तक केवल यूरोपीय संघ पूरी तरह टीका लगे हुए लोगों के अपने यहां आने पर सहमत हुआ है. ख़बरों के अनुसार, अमेरिका वैक्सीन पासपोर्ट्स को अनुमति देने पर ‘बारीकी से विचार’ कर रहा है. लेकिन अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. ऑस्ट्रेलिया के साथ भी यही है.

वैक्सीन पासपोर्ट न होते हुए भी, एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर छात्रों का प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण हो जाता है तो इससे उन्हें बहुत सहायता मिलेगी.

विदेशों में पढ़ाई के एक प्लेटफॉर्म यॉकेट के सह-संस्थापक और उच्च शिक्षा एक्सपर्ट सुमीत जैन ने कहा, ‘अगर राज्य सरकारें बाहर जाने वाले छात्रों को प्राथमिकता के आधार पर टीका लगाने पर विचार कर रही हैं, तो ये एक बहुत सकारात्मक क़दम है. ये दर्शाता है कि छात्रों को लेकर चिंता है’.

उन्होंने कहा, ‘हालांकि अमेरिका और कनाडा में, जहां सबसे अधिक भारतीय छात्र जाते हैं अभी तक वैक्सीन पासपोर्ट नहीं है, लेकिन इस पर विचार चल रहा है…स्थिति बेहद गतिशील है और जब भी वो वैक्सीन पासपोर्ट का फैसला करेंगे, टीकाकरण करा चुके छात्र फायदे में रहेंगे’.

जैन ने और अधिक राज्यों का आह्वान किया कि वो आगे आकर प्राथमिकता के आधार पर छात्रों का टीकाकरण करें.

‘छात्रों के लिए यहीं पर टीका लगवाना बेहतर है’

विदेश जाने की इच्छा रखने वाले छात्रों के लिए टीकाकरण सबसे बड़ी प्राथमिकता रही है. दिप्रिंट ने पहले ख़बर दी थी कि उच्च शिक्षा की मंज़िल तय करने में, छात्रों के लिए स्वास्थ्य सेवा इन्फ्रास्ट्रक्चर एक प्राथमिकता बन गया है.

बेहतर स्वास्थ्य देखभाल की बात करते हुए छात्रों ने जिन चीज़ों का उल्लेख किया, उनमें एक जल्द टीकाकरण भी था.

छात्रों के लिए टीकाकरण पर बात करते हुए, छात्रों के करिअर और शिक्षा से जुड़े एक प्लेटफॉर्म, लीवरेज एजु के संस्थापक और चीफ एग्ज़िक्यूटिव, अक्षय चौधरी ने कहा, ‘ये एक अच्छी बात है कि केरल टीकाकरण में छात्रों को प्राथमिकता दे रहा है. पंजाब और आंध्र प्रदेश जैसे दूसरे राज्यों को भी ऐसा ही करना चाहिए, क्योंकि ज़्यादातर छात्र इन दो सूबों से जाते हैं. इसके बाद मेट्रो शहरों को भी, मुम्बई की तरह करना चाहिए…दिल्ली और बैंगलुरू को भी छात्रों को प्राथमिकता देनी चाहिए’.

उन्होंने ये भी कहा कि छात्रों को टीकाकरण में प्राथमिकता देने के अलावा, भारत सरकार को ये भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कोवैक्सीन को समय रहते वैश्विक स्वीकृति मिल जाए, क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता, तो जिन छात्रों को कोवैक्सीन टीका लगा होगा, वो वैक्सीन पासपोर्ट के पात्र नहीं होंगे, जब भी वो आता है.

टीका लगवा चुके मुसाफिरों के लिए यात्रा नीतियां तय करते हुए, दूसरे देश या तो उन टीकों पर विचार कर रहे हैं, जो ख़ुद उनकी नियामक एजेंसियों ने स्वीकृत किए हैं या उन पर जो डब्लूएचओ की आपात इस्तेमाल सूची में हैं. भारत में लगाए जा रहे टीकों में कोविशील्ड उस सूची में हैं, कोवैक्सीन अभी तक नहीं है.

राष्ट्रीय राजधानी में स्थित एक स्वतंत्र परामर्शदाता, निरूपमा डे भी इससे सहमत हैं कि छात्रों के लिए बेहतर यही है कि जाने से पहले टीके लगवा लें.

उन्होंने कहा, ‘छात्रों के लिए बेहतर है कि वो भारत में रहते हुए ही वैक्सीन लगवा लें. जब वो बाहर जाते हैं, तो उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिहाज़ से और वित्तीय एतबार से भी यही बेहतर है. आपको नहीं पता कि जिस देश में आप जा रहे हैं, वहां टीकाकरण के लिए उन्हें कितना ख़र्च करना पड़ सकता है’.

विदेशी शिक्षा के एक और प्लेटफॉर्म, लीप के सह-संस्थापक वैभव सिंह ने कहा, ‘मार्च 2020 में महामारी की शुरुआत के बाद से, अंतर्राष्ट्रीय छात्र अपनी क्लासेज़ को लेकर, भारी अनिश्चितताओं का सामना कर रहे हैं कि क्या वो जा पाएंगे या नहीं. बहुत से छात्र जिनकी क्लासेज़ पिछले साल शुरू होनी थीं, उन्हें अपनी डिग्री इस साल के लिए टालनी पड़ी, इस उम्मीद में कि वो ऑफलाइन क्लासेज़ में हाज़िर हो पाएंगे.

उन्होंने कहा, ‘दूसरी लहर ने उनकी योजनाओं में और अनिश्चितता भर दी. अब अमेरिका जैसे देश अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए उड़ानें खोल रहे हैं, या टीका लवाए हुए छात्रों को क्लासेज़ में आने दे रहे हैं, इसलिए छात्र अब वैयक्तिक रूप से अपनी क्लासेज़ कर पाएंगे. भारत के सभी राज्यों में प्राथमिकता के आधार पर उनका टीकाकरण कराना, एक बहुत अच्छा क़दम होगा, जिससे वो 2021 के सर्दी में अपनी डिग्रियां शुरू कर पाएंगे’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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