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Friday, 22 November, 2024
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इंफ्रास्ट्रक्चर पर बढ़ता बोझ, खत्म होता उद्देश्य- केंद्रीय विद्यालय ने सांसदों का एडमिशन कोटा क्यों खत्म किया

केंद्रीय विद्यालय संगठन ने विशेष प्रावधान सूची से सांसदों के कोटे को हटा दिया है. ये कदम कथित तौर पर स्कूलों को बहुत अधिक सिफारिशें मिलने की वजह से किया गया है. संगठन ने पिछले साल शिक्षा मंत्री का कोटा खत्म कर दिया था.

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नई दिल्ली: संसद सदस्य अब केंद्रीय विद्यालय (केवी) स्कूलों में विशेष कोटा के तहत प्रवेश की सिफारिश नहीं कर सकेंगे. केवीएस की गवर्निंग बॉडी की तरफ से मंगलवार को जारी नए दिशानिर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि सांसद अब लंबे से हासिल अपना यह विशेषाधिकार इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे. पिछले साल शिक्षा मंत्री को आवंटित समान कोटा खत्म कर दिया गया था.

जैसा दिप्रिंट ने पहले ही बताया था कि केंद्रीय विद्यालय स्कूलों की गवर्निंग बॉडी केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) विशेष कोटे के तहत प्रवेश रोकने के अपने फैसले की समीक्षा कर रही है. मंगलवार को जारी नोटिस के मुताबिक, केवीएस ने 16 विशेष प्रवेश कोटा की सूची से सांसदों को आवंटित कोटा खत्म करने का फैसला किया है. वहीं, पहले शिक्षा मंत्री को मिलने वाले इसी तरह के कोटे को खत्म करने के अपने पूर्व फैसले को उसने बरकरार रखा है, जिसे पिछले साल ही खत्म किया गया था.

संगठन ने प्रवेश संबंधी अधिकांश अन्य विशेष प्रावधानों को बरकरार रखा है, जिसमें सशस्त्र बलों के कर्मियों के बच्चे, केवीएस कर्मचारियों के बच्चे और बहादुरी पुरस्कार, राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले बच्चे आदि की श्रेणियां शामिल हैं. हालांकि, शिक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के बच्चों को प्रवेश का कोटा भी खत्म कर दिया है.

केवीएस अधिकारियों के मुताबिक, सांसदों और शिक्षा मंत्री का विशेष कोटा खत्म करने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि स्कूलों में इन दोनों कोटा के तहत होने वाले एडमिशन लगातार बढ़ रहे थे.

विशेष प्रावधान के तहत प्रत्येक सांसद को अपने निर्वाचन क्षेत्रों से 10 छात्रों के नामों की सिफारिश करने का अधिकार था. हालांकि, सूत्रों ने कहा कि सिफारिशें कई बार सीमा से अधिक हो जाती थीं, जिससे स्कूल के बुनियादी ढांचे पर अतिरिक्त बोझ पड़ता था.

शिक्षा मंत्री कितने छात्रों को प्रवेश की सिफारिश कर सकता है, इसकी कोई सीमा नहीं थी, और यह संख्या मंत्री के विवेक पर निर्भर थी.


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‘दो शिफ्ट में स्कूल चलाने को मजबूर’

केवीएस के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमें दो शिफ्ट में स्कूल चलाने को मजबूर किया जा रहा था और छात्रों की अतिरिक्त संख्या के कारण हमारा शिक्षक-छात्र अनुपात भी गड़बड़ा रहा था. यही कारण था कि हमें विशेष कोटे पर फिर से विचार करना पड़ा.’

अधिकारी ने यह भी कहा कि ऐसे छात्रों की संख्या जो सरकारी कर्मचारियों के बच्चे नहीं हैं, ऐसे परिवारों के बच्चों की संख्या से कहीं अधिक है, जिसके कारण केवी स्कूलों के गठन का उद्देश्य ही खत्म होता जा रहा है.’

अधिकारी ने कहा, ‘केवी स्कूलों की स्थापना केंद्र सरकार के कर्मचारियों और सशस्त्र बलों के कर्मियों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी, क्योंकि उनका अक्सर तबादला होता रहता है और केवी स्कूलों ने यह सुनिश्चित किया कि उनके बच्चे जहां भी जाएं, उन्हें अच्छी शिक्षा मिल सके. हालांकि, देर से ही सही यह महसूस किया गया कि विशेष कोटा के कारण यह अपने उद्देश्य से भटक रहा है. अभी, केवल 23 प्रतिशत छात्र ऐसे परिवारों से हैं जिनके अभिभावक सरकारी नौकरियों में हैं.’

केंद्रीय कर्मियों के परिवारों के बच्चों की संख्या 2011-12 में 60 प्रतिशत से घटकर 2017-18 में 47 प्रतिशत रह गई थी. अधिकारियों ने बताया कि ताजा आंकड़ों के मुताबिक केवी में सरकारी कर्मचारियों के बच्चों की संख्या 23 फीसदी है जो हाल के वर्षों में सबसे कम है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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