scorecardresearch
Saturday, 2 November, 2024
होमएजुकेशनपैनल ने सरकार से कहा- फैकल्टी भर्ती में जाति आधारित आरक्षण से IITs को बाहर रखा जाए

पैनल ने सरकार से कहा- फैकल्टी भर्ती में जाति आधारित आरक्षण से IITs को बाहर रखा जाए

आईआईटी निदेशकों और सरकारी अधिकारियों के एक पैनल का कहना है कि इन संस्थानों को ऐसे आरक्षण से छूट दी जानी चाहिए क्योंकि ये ‘राष्ट्रीय महत्व के संस्थान’ हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के निदेशकों और कुछ अधिकारियों वाले एक पैनल ने सुझाव दिया है कि संस्थानों को संकाय भर्ती के लिए जाति-आधारित आरक्षण का पालन करने से छूट दी जानी चाहिए.

जून में सरकार को सौंपी एक रिपोर्ट में पैनल ने कहा कि आईआईटी को ऐसे आरक्षण से छूट दी जानी चाहिए क्योंकि ये ‘राष्ट्रीय महत्व के संस्थान हैं और अनुसंधान में शामिल हैं.’

दिप्रिंट को मिली एक प्रति के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘संसद के एक अधिनियम के तहत राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में स्थापित और मान्यता प्राप्त होने के नाते आईआईटी को आरक्षण से छूट के लिए सीईई (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम 2019 के तहत (क्लॉज-4) सूचीबद्ध होना चाहिए.’

इसमें कहा गया है, ‘इन संस्थानों में आरक्षण का मामला बोर्ड के प्रस्तावों, संविधान और उपनियमों के अनुसार निपटाने के लिए उनके संबंधित बोर्ड ऑफ गवर्नर्स पर छोड़ा जा सकता है.’

सीईआई अधिनियम के क्लॉज-4 के तहत, उत्कृष्ट संस्थानों, अनुसंधान संस्थानों और राष्ट्रीय और सामरिक महत्व के संस्थानों को फैकल्टी भर्ती में जाति-आधारित आरक्षण देने से छूट दी गई है.

अभी आठ संस्थान इस क्लॉज के तहत सूचीबद्ध हैं जिसमें टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (मुंबई), गुड़गांव स्थित नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर, नॉर्थ-ईस्टर्न इंदिरा गांधी रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल साइंस (शिलांग), जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च (बेंगलुरू), अहमदाबाद स्थित फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी, तिरुवनंतपुरम स्थित स्पेस फिजिक्स लैबोरेटरी, देहरादून का इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग और मुंबई स्थित होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान और इससे जुड़ी सभी इकाइयां शामिल हैं.

पैनल की रिपोर्ट पर टिप्पणी के लिए दिप्रिंट ने शिक्षा मंत्रालय से संपर्क साधा लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित होने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी. हालांकि, मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा, ‘आईआईटी पैनल की रिपोर्ट पर विचार किया जा रहा है और उसके मुताबिक उचित कार्रवाई की जाएगी.’


यह भी पढ़ें: UP की सियासत में बड़ी हलचल बनी ओवैसी और राजभर की मुलाकात, अपने मोर्चे में शिवपाल को भी जोड़ने की तैयारी


केवल ‘एसोसिएट प्रोफेसर’ के लिए आरक्षण

समिति ने अपने सुझाव दो भागों में दिए हैं, यह ध्यान में रखते हुए कि यदि पार्ट ए को लागू नहीं किया जा सकता हो तो पार्ट बी पर विचार किया जा सकता है.

पूरी तरह छूट के अपने पहले सुझाव के विकल्प के तौर पर पैनल ने सिफारिश की है कि आरक्षण केवल सहायक प्रोफेसर के स्तर पर दिया जा सकता है जबकि एसोसिएट प्रोफेसरों और प्रोफेसरों को इससे बाहर रखा जाना चाहिए.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, ‘यदि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों के लिए आरक्षित भर्तियों में इन श्रेणियों के उपयुक्त उम्मीदवार न मिल पाएं तो एक वर्ष के बाद संकाय भर्ती के लिए नियुक्ति प्राधिकारी यानी बोर्ड ऑफ गवर्नर की मंजूरी के साथ इनमें आरक्षण खत्म किया जा सकता है.’

आरक्षित वर्ग के उपयुक्त पीएचडी अभ्यर्थियों को आकृष्ट करने के लिए पैनल का सुझाव है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के वित्त पोषण से आईआईटी में आरक्षित वर्ग के आकांक्षी छात्रों के लिए दो साल का ‘प्रारंभिक कार्यक्रम’ शुरू किया जाना चाहिए.

शिक्षा मंत्रालय ने समिति का गठन अप्रैल में आईआईटी में स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रमों के साथ-साथ संकाय और गैर-संकाय भर्ती में आरक्षण ‘प्रभावी ढंग से लागू करने’ के लिए किया था.

इसमें आईआईटी दिल्ली के निदेशक रामगोपाल राव, आईआईटी कानपुर के निदेशक अभय करंदीकर और सामाजिक न्याय, जनजातीय मामलों और कार्मिक और प्रशिक्षण विभागों के सचिव शामिल थे.

समिति ने 1 मई और 12 मई को वीडियो कांफ्रेंस के जरिये अपने एजेंडे पर चर्चा के लिए दो बार बैठकें की थीं. उन्होंने इस विषय पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पहले के आदेशों की समीक्षा की, आरक्षण के बाद के हालिया पत्राचार को देखा और साथ ही यह पता लगाया कि संकाय आरक्षण में आईआईटी की तरफ से क्या प्रक्रिया अपनाई जा रही है.

शिक्षा मंत्रालय ने पिछले साल नवंबर में सभी आईआईटी, भारतीय प्रबंधन संस्थानों और भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों को फैकल्टी भर्ती में आरक्षण लागू करने के लिए लिखा था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस विधायक पद से दिया इस्तीफा, भाजपा में हो सकते हैं शामिल


 

share & View comments