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Monday, 4 November, 2024
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JEE एडवांस्ड छात्रों को तीसरा प्रयास देने के पक्ष में नहीं हैं IITs, कहा- अगले बैच के लिए नहीं होगा उचित

पिछले दो महीने से छात्र आईआईटीज़ और शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर, तीसरा मौक़ा दिए जाने की गुज़ारिश कर रहे हैं, चूंकि महामारी की वजह से उनकी तैयारी बाधित हुई थी.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटीज़), ज्वायंट एंट्रेंस एग्ज़ाम (जेईई) एडवांस्ड के लिए छात्रों को तीसरा मौक़ा देने के पक्ष में नहीं हैं, जिन्होंने इस साल अपने प्रयास पूरे कर लिए हैं.

छात्रों को जेईई एडवांस्ड में बैठने के लिए दो, और जेईई मेन्स के लिए सिर्फ तीन मौक़े मिलते हैं. लेकिन, जिनके ये मौक़े इस साल ख़त्म हो गए हैं, आईआईटीज़ से अनुरोध कर रहे हैं कि अगले साल उन्हें एक मौक़ा और दिया जाए.

छात्रों के अनुसार, उन्हें एक और मौक़े की अनुमति दी जानी चाहिए, चूंकि कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन की वजह से उनकी तैयारी बाधित हुई थी. छात्र पिछले दो महीने से इस बारे में आईआईटीज़ और शिक्षा मंत्रालय को चिट्ठियां लिख रहे हैं. ताज़ा चिट्ठी 16 नवंबर को लिखी गई थी.

इस चिट्ठी में, जो सभी आईआईटीज़ को संबोधित थी, कहा गया था कि जेईई-एडवांस्ड एक करियर निर्धारित करने वाला इम्तिहान है, इसलिए जो छात्र महामारी के दौरान मानसिक तनाव की वजह से, अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए उन्हें अगले साल एक मौक़ा और मिलना चाहिए.

लेकिन आईआईटीज़ छात्रों की इस मांग से सहमत नहीं हैं.


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2021 में इम्तिहान देने वालों के लिए उचित नहीं रहेगा

अक्टूबर में संयुक्त प्रवेश बोर्ड (जेएबी) एक बैठक में, जो शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक इकाई है, और जो जेईई एडवांस्ड का काम देखती है, फैसला किया गया था कि जो छात्र, लॉकडाउन अथवा कोविड-19 की वजह से इम्तिहान नहीं दे पाए थे, उन्हें एक मौक़ा और दिया जाएगा. जेएबी के सदस्य सभी आईआईटीज़ के निदेशक और अन्य आईआईटी अधिकारी होते हैं.

लेकिन, जेएबी छात्रों को एक और मौक़ा देने पर सहमत नहीं हुई, जो पहले ही इम्तिहान दे चुके हैं. जेएबी सूत्रों ने बताया कि सदस्यों के बीच आम राय है कि इस निर्णय पर फिर से विचार न किया जाए.

कम से कम तीन सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि छात्रों को जेईई एडवांस्ड के लिए तीसरा मौक़ा देने का उनका कोई इरादा नहीं है, चूंकि ऐसा करना उन छात्रों के लिए उचित नहीं होगा जो 2021 में इस इम्तिहान में बैठने जा रहे हैं और इससे छात्रों के अगले बैच के लिए मुक़ाबला भी बढ़ जाएगा.

एक जेएबी सदस्य, जो इस विषय पर हालिया बैठकों में शरीक हुए हैं, ने कहा, ‘जिन छात्रों ने 2020 में इम्तिहान दिया, उन्हें कम से कम मार्च तक, स्कूलों में जाने का मौक़ा मिला था. वो कोचिंग क्लासेज़ में भी फिज़िकल रूप से शरीक हुए थे, और उन्हें स्टडी मटीरियल भी मिल गया था. बल्कि, उन्हें पढ़ने के लिए अतिरिक्त समय मिल गया, क्योंकि परीक्षाओं में काफी देरी हुई थी’.

सूत्र ने कहा, ‘ये उन छात्रों के बिल्कुल उलट है, जो इस समय स्कूल में हैं और अपने घरों में बंद हैं. उनकी अपने स्कूल की क्लासेज़ ऑनलाइन लेनी पड़ती हैं, और कोचिंग भी ऑनलाइन है. जब वो 2021 में परीक्षा देंगे, तो उनके लिए चीज़ें आसान नहीं होंगी’.

उन्होंने आगे कहा, ‘इन सभी बातों पर जेएबी मीटिंग (अक्टूबर में) में चर्चा की गई, और ये तय किया गया कि हमें उन छात्रों को एक और मौक़ा नहीं देना चाहिए, जो अपने प्रयास ख़त्म कर चुके हैं’.

एक दूसरे जेएबी सूत्र ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय भी इस निर्णय के पक्ष में है.

संपर्क किए जाने पर मंत्रालय के एक अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘हम जेएबी के फैसलों पर अपने विचार नहीं थोपते’.

फैसला आंतरिक स्टडी पर आधारित

जेएबी के एक तीसरे सूत्र ने कहा, ‘ये फैसला तमाम आईआईटीज़ द्वारा की गई एक अंदरूनी स्टडी के आधार पर भी किया गया है.’

‘पिछले कुछ सालों में हमें पता चला है कि आईआईटीज़ में दाख़िल होने की कामयाबी की दर, सबसे ज़्यादा पहली बार इम्तिहान देने वालों की होती है. जब छात्र अपना दूसरा प्रयास करते हैं तो ये गिरनी शुरू हो जाती है. हमने देखा है कि जो छात्र आईआईटीज़ में दाख़िल होते हैं, उनमें 70-80 प्रतिशत पहले प्रयास वाले होते हैं और बाक़ी 20-30 प्रतिशत दूसरे प्रयास वाले होते हैं. ऐसी सूरत में तीसरे प्रयास के लिए कोई गुंजाइश नहीं बचती’.

जेईई एडवांस्ड 2021 के आयोजन संस्थान, आईआईटी खड़गपुर के एक सूत्र ने दिप्रिंट से कहा, ‘प्रयासों के बारे में हमें जो भी फैसला लेना था, छात्रों और उनके पेरेंट्स को पिछले महीने ही उससे अवगत कराया जा चुका है’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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