scorecardresearch
Saturday, 16 November, 2024
होमएजुकेशन2021-22 का सत्र चलाने की कॉलेजों की कोशिशों के बीच ‘हाइब्रिड टीचिंग’ मददगार साबित होगी

2021-22 का सत्र चलाने की कॉलेजों की कोशिशों के बीच ‘हाइब्रिड टीचिंग’ मददगार साबित होगी

भारत ने कोविड वैक्सीनेशन की शुरुआत की है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि प्राथमिकता वाले चार समूहों में नहीं आने वाले लोगों को इसकी खुराक के लिए 2022 तक इंतजार करना पड़ सकता है. कॉलेजों का इस पर पूरा ध्यान है.

Text Size:

नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी ने 2020-21 के शैक्षणिक सत्र को—मार्च में स्कूल-कॉलेज बंद कराने से लेकर पूरे अकादिमक सत्र को बाधित कर देने तक—बुरी तरह प्रभावित किया है.

2021-22 के शैक्षणिक सत्र में इसकी पुनरावृत्ति से बचने के लिए देशभर के उच्च शिक्षण संस्थान नोवेल कोरोनोवायरस के खिलाफ भारत की आखिरी चरण के लड़ाई के तहत, इसके असर को घटाने के हरसंभव तरीके तलाशने में जुटे हैं.

यद्यपि भारत ने कोविड वैक्सीनेशन की शुरुआत कर दी है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि प्राथमिकता वाले चार समूहों में नहीं आने वाले लोगों को इसकी खुराक के लिए 2022 तक इंतजार करना पड़ सकता है.

इस बीच, कई कॉलेजों ने यथास्थिति बनाए रखने के साथ एक ‘हाइब्रिड’ मोड में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत करने का फैसला लिया है.

कोविड दिशानिर्देशों के तहत परस्पर दूरी बनाए रखने के नियमों के मुताबिक इस मोड में केवल उन छात्रों को कैंपस में आने की अनुमति मिल सकती है जिनके पाठ्यक्रम में लैब का इस्तेमाल या शोध कार्य शामिल हों.

इनमें प्रमुख भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) शामिल हैं, जो कहते हैं कि वे केंद्र सरकार के अगले निर्देश तक पढ़ाने का ‘मिला-जुला मॉडल’ जारी रखेंगे.

कुछ संस्थानों ने ऑनलाइन कक्षाएं बेहतर ढंग से चलाने के लिए अपना बुनियादी ढांचा काफी सुधारा है, जबकि अन्य का कहना है कि यह मॉडल आगे भी महामारी से बचाने में अहम साबित होगा.


य़ह भी पढ़ें: सरकार का सुझाव- क्लास 2 तक कोई होमवर्क नहीं, स्कूल बैग शरीर के वज़न के 10% से अधिक भारी न हों


‘लर्निंग के नए तरीके’

केंद्र सरकार ने कॉलेजों को अंतिम वर्ष और पीएचडी के छात्रों को परिसर में बुलाने की अनुमति दे दी है, लेकिन संस्थान फिर से खोलने का अंतिम निर्णय राज्यों के रुख पर निर्भर है.

अधिकांश कोर्स में प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिए कक्षाएं अभी ऑनलाइन ही आयोजित की जा रही हैं, जबकि अंतिम वर्ष के कोर्स वाले छात्रों ने कैंपस जाना शुरू कर दिया है.

दिल्ली-एनसीआर स्थित निजी संस्थान शिव नाडर यूनिवर्सिटी उन विश्वविद्यालयों में शामिल है जिन्होंने शिक्षा के ‘हाइब्रिड मॉडल’ को ही जारी रखने की योजना बना रखी है.

शिव नाडर यूनिवर्सिटी में वीसी डॉ. रूपमंजरी घोष ने कहा, ‘शिव नाडर यूनिवर्सिटी भारत के उन पहले संस्थानों में एक है जिन्होंने महामारी की मार के बाद ‘ऑनलाइन-ओनली’ माध्यम से पढ़ाई की व्यवस्था की, और हमारा ये मॉडल पिछले दो सेमेस्टर में बहुत सफल रहा है.’

घोष के मुताबिक, विश्वविद्यालय ने ‘पढ़ने-पढ़ाने का एक हाइब्रिड मॉडल को अपनाया है जो प्रौद्योगिकी के सकारात्मक इस्तेमाल के साथ व्यक्तिगत रूप से परामर्श देने और प्रयोगों में हाथ आजमाने का मौका देता है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मेरा अनुमान है कि कोविड-19 अभी निकट भविष्य में दुनिया को अपनी चपेट में लिए रहेगा.

उन्होंने कहा, ‘हम अपने शोध आधारित बहुआयामी पाठ्यक्रम के लिए उपयुक्त वातावरण मुहैया कराना जारी रखेंगे. लैब में काम करने के इच्छुक हमारे शोधकर्ता और पीएचडी छात्र पहले से ही परिसर में आ चुके हैं.’

दिल्ली स्थित एक निजी फैशन कॉलेज पर्ल एकेडमी में प्रो. नंदिता अब्राहम ने कहा कि कोविड ने ‘हमें पढ़ने-पढ़ाने के नए तरीके खोजने के लिए प्रेरित किया.’

अकादमी में प्रेसीडेंट के तौर पर कार्यरत अब्राहम ने कहा, ‘हमारे छात्रों के लिए बने होम स्टूडियो जैसे आइडिया आने वाले सालों में भी कारगर बने रहेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘पर्ल अकादमी के सभी परिसरों में फिर से कॉलेज आने वाले छात्रों के लिए लैब और स्टूडियो खोल दिए गए हैं. परिसर में परामर्श और मीटिंग के लिए फैकल्टी उपलब्ध हैं. जब तक सरकार कक्षाएं पूरी तरह बहाल करने की अनुमति नहीं देती, मुख्य तौर पर ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था जारी रहेगी.

उन्होंने कहा, ‘फिर भी, अभी हम कॉलेज वापस न आ पाने वाले छात्रों के लिए शेष सत्र की पढ़ाई ऑनलाइन ही जारी रखेंगे. हम बीम्ड टेक्नोलॉजी के साथ स्थायी क्लासरूम भी बना रहे हैं, ताकि छात्र घर या कैंपस से क्लास अटैंड कर सकें, जिसमें उन्हें ज्यादा सहूलियत हो.’

देहरादून स्थित एक निजी संस्थान, यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) के कुलपति डॉ. सुनील राय ने कहा, ‘2021 में पढ़ाई उससे बहुत अलग होगी जैसी हम अभी तक देखते रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘2021 में कदम रखने के साथ हम शिक्षा को और अधिक सुलभ, समावेशी, सहयोगी, सहायक और मानवीय जरूरतों के प्रति संवेदनशील बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘यूपीईएस में 2021 में शिक्षा उससे बहुत ही अलग होगी जैसा हम अब तक देखते रहे हैं. डिग्री के साथ हम उन कौशल पर ध्यान केंद्रित करने जा रहे हैं जो किसी छात्र के पास होने चाहिए.’


य़ह भी पढ़ें: 2021 में कालेज शेड्यूल्स पर बोर्ड परीक्षाओं में देरी के असर का अध्ययन और उसे कम करने के लिए पैनल बनाएगी सरकार


सरकार के निर्देशों का इंतजार

अधिकांश सरकारी संस्थानों द्वारा अभी यह तय किया जाना बाकी है कि आने वाले शैक्षणिक सत्र को वे कैसे चलाएंगे और उन्हें केंद्र सरकार के निर्देशों का इंतजार है.

बोर्ड परीक्षाओं में भी देरी करा देने वाली इस महामारी के मद्देनजर केंद्र सरकार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के तहत आने वाले केंद्रीय और सरकारी विश्वविद्यालयों और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की निगरानी में रहने वाले तकनीकी संस्थानों के लिए अगले शैक्षणिक सत्र के संबंध में फैसले के लिए एक समिति गठित करने की योजना बनाई है.

बाद वाला समूह आईआईटी और एनआईटी को बाहर रखता है, जो सीधे तौर पर शिक्षा मंत्रालय की निगरानी में आते हैं.

विभिन्न आईआईटी ने दिप्रिंट से बातचीत के दौरान कहा कि वे अभी मिला-जुला लर्निंग मॉडल ही इस्तेमाल करने की योजना बना रहे हैं.

आईआईटी-मद्रास ने कहा कि जुलाई तक स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है और तभी वह छात्रों को कैंपस में बुलाने में सक्षम होगा.

आईआईटी-मद्रास के एक अधिकारी ने कहा, ‘अभी तो संस्थान को यही उम्मीद है कि जुलाई 2021 तक स्थिति आंशिक रूप से सामान्य हो जाएगी और संस्थान कुछ निश्चित कक्षाएं शुरू कर पाएगा—रिसर्च स्कॉलर, पहले और अंतिम वर्ष के छात्रों को हॉस्टल में आने की अनुमति मिल सकती है.’

आईआईटी-गुवाहाटी ने अभी प्रोजेक्ट वर्क पूरा कराने के लिए सिर्फ अंतिम वर्ष के छात्रों को बुलाने की योजना बनाई है. आईआईटी-गुवाहाटी के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमारी योजना पिछले सेमेस्टर की तरह ही है—कक्षाएं ऑनलाइन चलेंगी और अंतिम वर्ष के छात्रों को प्रोजेक्ट वर्क के लिए बुलाया जाएगा.’

आईआईटी-गांधीनगर में भी कक्षाएं ऑनलाइन ही चल रही हैं. हालांकि 2021-22 के लिए अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है.

आईआईटी-मंडी के अधिकारियों ने कहा कि वे फिलहाल ऑनलाइन कक्षाएं जारी रखने की ही योजना बना रहे हैं और ऑफलाइन कक्षाएं शुरू करने के बाबत सरकार के निर्देशों का इंतजार करेंगे.

आईआईटी-मंडी के डीन एकेडमिक्स डॉ. प्रदीप परमेश्वरन ने कहा, ‘जब से देशव्यापी लॉकडाउन हुआ था, आईआईटी-मंडी ने मिले-जुले लर्निंग मॉडल का विकल्प चुना है.’

उन्होंने कहा, ‘ऑफलाइन कक्षाओं को शुरू करने के संबंध में संस्थान सरकार के निर्देशों का पालन कर रहा है और आगे के दिशानिर्देशों के अनुसार ही कोई निर्णय करेगा.’

उन्होंने बताया कि संस्थान ने ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा के लिए 15 समर्पित कक्षाएं स्थापित की हैं. उन्होंने आगे कहा, ‘हर ऑनलाइन क्लास रूम में एक कंप्यूटर के साथ छात्रों को देखने के लिए एक बड़ी स्क्रीन, एक कॉलर माइक्रोफोन, पढ़ा रहे शिक्षक को दिखाने के लिए ट्राइपोर्ट पर लगा एक हाई रिजोल्यूशन वाला वेब कैमरा, लिखने के लिए चाक का इस्तेमाल करने के लिए ग्रीन बोर्ड, और यदि कोई इस्तेमाल करना चाहे तो स्टाइल के साथ एक हाई-रिजोल्यूशन वाला स्मार्ट राइटिंग पैड भी उपलब्ध है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


य़ह भी पढ़ें: कोविड वैक्सीन अभियान को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से UGC ने मांगा समर्थन


 

share & View comments