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मंगलवार, 17 जून, 2025
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हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में VC को हटाने की मांग, छात्रों ने परिसर को बनाया ‘युद्ध का मैदान’

10 जून को कुलपति कार्यालय के बाहर धरना देने वाले छात्रों को हटाने की कोशिश में छात्र घायल हो गए. एचएयू का कहना है कि उसने पहले ही विवादास्पद नई स्टाइपेंड पॉलिसी को वापस ले लिया है.

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गुरुग्राम: प्रशासन द्वारा हिंसक दमन के बाद, छात्रवृत्ति नीतियों में बदलाव के खिलाफ हिसार में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले छात्रों ने अपनी मांगों का दायरा बढ़ा दिया है और अब वह कुलपति को उनके पद से हटाने और कई नीतिगत बदलावों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

जबकि विश्वविद्यालय ने कहा है कि उसने विवादास्पद स्टाइपेंड पॉलिसी में बदलाव को रोक दिया है, लेकिन छात्रों का कहना है कि इस संबंध में कोई आधिकारिक अधिसूचना नहीं दी गई है.

जून के पहले हफ्ते में शुरू हुआ यह आंदोलन शुरू में मास्टर ऑफ साइंस (MSc) और PhD छात्रों के लिए HAU की स्टाइपेंड पॉलिसी में बदलाव के कारण शुरू हुआ था. पहले, 7.5 से अधिक ओवरऑल ग्रेड पॉइंट एवरेज (OGPA) वाले छात्रों को MSc के लिए 6,000 रुपये और PhD के लिए 12,000 रुपये मासिक मिलते थे, जबकि बाकी को क्रमशः 3,000 रुपये और 5,000 रुपये मिलते थे.

नई नीति के तहत OGPA की परवाह किए बिना केवल शीर्ष 25 प्रतिशत छात्रों को स्टाइपेंड मिलने की बात कही गई.

10 जून को छात्रों ने कुलपति डॉ. बलदेव राज कंबोज के कार्यालय के बाहर शांतिपूर्ण धरना दिया और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के मानदंडों के अनुरूप मूल स्टाइपेंड स्ट्रक्चर को बहाल करने की मांग की.

उस शाम विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया जब कथित तौर पर रजिस्ट्रार पवन कुमार, प्रोफेसर राधेश्याम शर्मा और मुख्य सुरक्षा अधिकारी सुखबीर सिंह के आदेश पर काम कर रहे सुरक्षा गार्डों ने विरोध प्रदर्शन को तितर-बितर के लिए लाठी और डंडों का इस्तेमाल किया.

महिला स्कॉलर सहित 20 से अधिक छात्र घायल हो गए, जिनमें बीएससी (कृषि) के फर्स्ट इयर के छात्र दीपांशु कादियान को सिर में चोट लगने के कारण छह टांके लगाने पड़े और बीएससी (कृषि) के फाइनल ईयर के छात्र चक्षु को चोट लगने के कारण 30 टांके लगाने पड़े.

सिविल अस्पताल हिसार से प्राप्त मेडिकल लीगल रिपोर्ट (एमएलआर) ने पुष्टि की कि कई छात्रों को कुंद बल आघात का सामना करना पड़ा था.

11 जून को हिसार सिविल लाइंस थाने में एक एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें प्रोफेसर राधेश्याम शर्मा सहित आठ विश्वविद्यालय अधिकारियों पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 110 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 190 (अवैध सभा), 191 (2) और 191 (3) (घातक हथियारों सहित दंगा करना) और 351 (3) (गंभीर चोट पहुंचाने के लिए आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत आरोप लगाए गए.

13 जून को शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में विश्वविद्यालय ने उन्हें निलंबित कर दिया.

विश्वविद्यालय ने स्टाइपेंड पॉलिसी में बदलावों को स्थगित करने की भी घोषणा की और 14 जून को हरियाणा के मंत्री रणबीर सिंह गंगवा ने छात्रों को आश्वासन दिया कि मामले को सुलझाया जाएगा और हमले में शामिल लोगों को निलंबित किया जाएगा.

हालांकि, छात्र अभी भी असंतुष्ट हैं और आला अधिकारियों की ओर से जवाबदेही की कमी का हवाला दे रहे हैं.

छात्रों पर हमले की विपक्षी नेताओं ने तीखी आलोचना की है, जिन्होंने नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर हरियाणा के प्रमुख कृषि संस्थान में स्थिति को ठीक से न संभालने का आरोप लगाया है.

छात्रों की मांगें

12 जून को जारी एक चार्टर में छात्रों की मांगों की सूची में विस्तार किया गया है, जिसमें कुलपति का तत्काल इस्तीफा भी शामिल है, जो उनके अनुसार हिंसक कार्रवाई के लिए नैतिक और प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार हैं. उन्होंने कंबोज पर न केवल हमले के दौरान मौजूद रहने और हस्तक्षेप करने में विफल रहने का आरोप लगाया, बल्कि उन्हें वाहन के नीचे कुचलने की धमकी भी दी.

दिप्रिंट से बात करते हुए दीपांशु ने प्रशासन की ओर से सीधे संवाद की कमी पर जोर दिया. उन्होंने कहा, “विश्वविद्यालय का दावा है कि उन्होंने हमारी मांगें स्वीकार कर ली हैं, लेकिन हमें लिखित में कुछ भी नहीं दिया गया है. कुलपति छात्रों से बात क्यों नहीं करते और उन्हें यह क्यों नहीं बताते कि सभी मांगें स्वीकार कर ली गई हैं?”

उन्होंने आरोप लगाया कि कंबोज के नेतृत्व ने एचएयू में “माहौल खराब” किया है.

चक्षु ने कहा कि प्रशासन पुलिस का इस्तेमाल छात्रों पर दबाव बनाने के लिए कर रहा है कि वह विरोध के तौर पर जिन परीक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं, उनमें शामिल हों, जिससे विश्वास और कम होता जा रहा है.

ज्ञापन में रजिस्ट्रार, मुख्य सुरक्षा अधिकारी, छात्र कल्याण निदेशक डॉ. एम.एल. को तत्काल निलंबित करने और हटाने की भी मांग की गई है. खिचर के साथ ही घटना में शामिल सुरक्षाकर्मियों की बर्खास्तगी और उनकी पुनर्नियुक्ति पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की है.

छात्रों ने 10 जून को घायल हुए लोगों के मेडिकल खर्च की पूरी प्रतिपूर्ति करने और भूमि दान गांवों (एलडीवी) सीट नीतियों को बहाल करने की भी मांग की है. वे प्रदर्शनकारियों के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई के खिलाफ गारंटी भी मांग रहे हैं, जिसमें निष्कासन या कैरियर विकास समिति (सीडीसी) की जांच की चेतावनी शामिल है.

एचएयू के जनसंपर्क अधिकारी संदीप आर्य ने प्रशासन का बचाव करते हुए इस बात पर जोर दिया कि विश्वविद्यालय ने स्टाइपेंड पॉलिसी में बदलाव को निलंबित करके और एलडीवी सीट नियमों को बनाए रखते हुए छात्रों की मुख्य मांगों को संबोधित किया है.

उन्होंने प्रोफेसर शर्मा के निलंबन और गिरफ्तारी की पुष्टि की, यह तर्क देते हुए कि छात्रों द्वारा विरोध प्रदर्शन समाप्त करने से इनकार करना “राजनीतिक हस्तक्षेप” से प्रेरित था.

दिप्रिंट ने कुलपति कंबोज और रजिस्ट्रार पवन कुमार से मैसेज और कॉल के ज़रिए टिप्पणी के लिए संपर्क किया. जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.


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‘राजनीतिक हस्तक्षेप’ के आरोप

पूर्व छात्रों ने कहा है कि यह आंदोलन एचएयू में गहरे व्यवस्थागत मुद्दों का लक्षण है, जिसने 1960 के दशक में भारत की हरित क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

प्रोफेसर कुलदीप सिंह ढींडसा, जो 1971 से 2005 के बीच डीन थे, उन्होंने इस प्रकरण पर निराशा जताई. उन्होंने कहा, “एचएयू कभी अपनी अकादमिक उत्कृष्टता और खेल गतिविधियों के लिए जाना जाता था, लेकिन अब यह राजनीतिक चालबाजी का अड्डा बन गया है.”

सेवानिवृत्त कृषि अर्थशास्त्र प्रोफेसर और एचएयू पीएचडी के पूर्व छात्र अर्जुन सिंह ने कुलपति कंबोज के कार्यकाल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “अनुसूचित जातियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों में करोड़ों का घोटाला हुआ है. किसान मेले के लिए टेंडर कथित तौर पर ब्लैकलिस्टेड कंपनियों को दिए गए हैं और बीजों की कालाबाज़ारी हो रही है. फर्ज़ी बिलों पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने वाले वैज्ञानिकों का तबादला कर दिया जाता है या उन्हें चार्जशीट किया जाता है.”

सिंह ने वैज्ञानिक डॉ दिव्या फोगाट की 2024 में हुई मौत का ज़िक्र किया, जिन्हें कथित तौर पर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया था और मैक्सिको और बांग्लादेश में अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं में भाग लेने के अवसरों से वंचित किया गया था. उस वक्त HAU में प्रोफेसरों, वैज्ञानिकों और यूनियन प्रतिनिधियों द्वारा एक ज्ञापन तैयार किया गया था, जिसमें विश्वविद्यालय में व्यापक भ्रष्टाचार, बीजों की कालाबाज़ारी और वैज्ञानिकों, कर्मचारियों और छात्रों के मानसिक उत्पीड़न के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी. इसमें यह भी कहा गया था कि फोगाट को गंभीर मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था.

ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया है कि विश्वविद्यालय के कामकाज में सरकार के हस्तक्षेप से शोध और प्रशासनिक कार्य बाधित हो रहे हैं और शैक्षणिक समुदाय के कुछ वर्गों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें परेशान किया जा रहा है. उन्होंने कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा को ज्ञापन सौंपा.

सिंह ने छात्रों की कम्बोज को तत्काल हटाने की मांग का समर्थन करते हुए कहा, “एचएयू अब भ्रष्टाचार और राजनीति का अड्डा बन गया है.” उन्होंने आरोप लगाया कि हरियाणा और केंद्र में सत्तारूढ़ व्यवस्था के साथ तालमेल न रखने वाले शिक्षकों को विश्वविद्यालय में निशाना बनाया जा रहा है.

एचएयू के जनसंपर्क अधिकारी आर्य ने भ्रष्टाचार और फोगाट के उत्पीड़न के आरोपों को निराधार बताते हुए उन्हें नकार दिया.

इस मुद्दे ने राजनीतिक दलों का भी ध्यान खींचा और कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एचएयू को भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार के तहत “युद्ध का मैदान” करार दिया और कम्बोज, कुमार और सिंह की गिरफ्तारी और बर्खास्तगी के साथ-साथ छात्रवृत्ति निधि बढ़ाने की मांग की.

हरियाणा कांग्रेस इकाई के नेता और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने लाठीचार्ज की निंदा की और उनकी मांगों का समर्थन किया.

कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा और दीपेंद्र हुड्डा ने भी विरोध कर रहे छात्रों से मुलाकात की और उन्हें अपना समर्थन दिया.

जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नेता दिग्विजय चौटाला ने सोमवार को अपने एक्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा कि एचएयू के कुलपति ने सभी हदें पार कर दी हैं और छात्रों के लोकतांत्रिक और मौलिक अधिकारों को बेरहमी से कुचल दिया है. वीडियो में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है कि “ऐसी तानाशाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती. कुलपति को तुरंत हटाया जाना चाहिए”.

इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के विधायक अर्जुन चौटाला ने हिंसा की निंदा करते हुए इसे “शर्मनाक” बताया और धमकी दी कि अगर मांगों को नज़रअंदाज किया गया तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा.

हालांकि, भाजपा के राज्य प्रवक्ता संजय शर्मा ने विश्वविद्यालय के कामकाज में किसी भी तरह के हस्तक्षेप से इनकार किया. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों की तरह सीसीएसएचएयू भी एक स्वायत्त निकाय है. इसलिए, न तो भाजपा सरकार और न ही कोई अन्य संगठन इसके कामकाज में कोई हस्तक्षेप कर सकता है.”

इस बीच, एक्स पर एक पोस्ट में पहलवान बजरंग पुनिया ने प्रदर्शनकारी छात्रों के प्रति अपना समर्थन जताया. उन्होंने लिखा, “HAU के आंदोलनकारी छात्रों के बीच पहुंचकर उनके संघर्ष में शामिल हुआ. प्रशासन की लाठिया सिर्फ छात्रों की हड्डियां तोड़ पाई, हौंसला नहीं. ये सिर्फ स्कॉलरशिप की नहीं, हक और आत्मसम्मान की लड़ाई है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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