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Thursday, 25 April, 2024
होमएजुकेशनज्यादा काम करने को मजबूर डॉक्टर, तनाव में छात्र: हर साल NEET में देरी की क्या कीमत चुकानी पड़ रही है

ज्यादा काम करने को मजबूर डॉक्टर, तनाव में छात्र: हर साल NEET में देरी की क्या कीमत चुकानी पड़ रही है

प्रथम वर्ष के पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के देर से वर्कफोर्स में शामिल होने के कारण डॉक्टरो को ज्यादा घंटे तक काम करना पड़ रहा है. इस बीच, परीक्षा की तैयारी कर रहे अंडरग्रेजुएट डिमोटिवेट हो रहे हैं.

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नई दिल्ली: मेडिकल से जुड़े लोगों का कहना है कि भारत में अंडरग्रेजुएट (यूजी) और पोस्टग्रेजुएट (पीजी) मेडिकल छात्रों के लिए क्वालीफाइंग परीक्षा नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एंट्रेंस टेस्ट (नीट) को पिछले कुछ वर्षों में कोविड महामारी के मद्देनजर शेड्यूल से हटा दिया गया है. जिसके परिणामस्वरूप डॉक्टरों और छात्रों को काफी तनाव का सामना करना पड़ रहा है.

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित एनईईटी अंडरग्रेजुएट्स के लिए परंपरागत रूप से मई के पहले सप्ताह में और पोस्ट ग्रेजुएट्स के लिए एनईईटी जनवरी के महीने में आयोजित किया जाना निर्धारित है.

लेकिन 2020 में, जबकि NEET-PG समय पर आयोजित किया गया था, NEET-UG सितंबर तक के लिए टाल दिया गया.

2021 में, नीट-पीजी में दो बार देरी हुई, जनवरी से अप्रैल और फिर सितंबर तक. उस वर्ष देरी भी नीट प्रवेश के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग कोटा निर्धारित करने के लिए आय मानदंड को संशोधित करने पर सुप्रीम कोर्ट में एक मामले के कारण हुई थी. 2021 में नीट-यूजी दोबारा मई की जगह सितंबर में हुई थी.

2022 में पीजी की परीक्षा मई में हुई थी, जबकि यूजी की परीक्षा जुलाई में हुई थी.

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देरी के परिणामस्वरूप, बाद की काउंसलिंग (या प्रवेश प्रक्रिया) भी पटरी से उतर गई है.

उदाहरण के लिए, पिछले साल मई में हुई नीट-पीजी परीक्षा के लिए 1311 सीटों के लिए अंतिम दौर की काउंसलिंग अभी जारी है. इसका मतलब है कि भारत भर के कॉलेजों में 2022 के लिए 1,000 से अधिक मेडिकल सीटें अभी भी खाली हैं.

सामान्य कार्यक्रम के अनुसार, परिणाम घोषित होने के दो महीने के भीतर काउंसलिंग शुरू हो जाती है. छात्रों का कहना है कि इसे अब चार से छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है.

2022 में, 18 लाख से अधिक छात्र नीट-यूजी के लिए उपस्थित हुए थे और 2 लाख से अधिक उम्मीदवार PG परीक्षा के लिए उपस्थित हुए थे.

डॉक्टरों और विशेषज्ञों का कहना है चूंकि एनईईटी एक अत्यधिक प्रतिस्पर्धी परीक्षा है, इसलिए इसके कार्यक्रम में देरी से छात्रों और चिकित्सा संस्थानों को भारी कीमत चुकानी पड़ती है.

सफदरजंग अस्पताल के एक रेजिडेंट डॉक्टर डॉ मनीष (जो केवल अपने पहले नाम से जाने जाते हैं) ने दिप्रिंट को बताया, “परीक्षा में देरी ने वर्तमान चिकित्सा कर्मचारियों में भारी तनाव पैदा कर दिया है. पहले वर्ष के छात्रों (पीजी) के निर्धारित तारीखों के बाद आने की वजह से उतने दिनों तक डॉक्टरों को दोगुना काम करना पड़ता है.”


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शेड्यूल बिगड़ गया

एनईईटी पास करने वाले अंडरग्रेजुएट मेडिकल छात्रों के लिए नियमित सत्र अगस्त में शुरू होता है, जबकि पीजी छात्रों के लिए यह मई में शुरू होता है.

परीक्षा में देरी से होने वाले चेन इफेक्ट के बारे में बताते हुए डॉ. मनीष ने कहा, ‘पीजी मेडिकल कोर्स तीन साल का होता है. स्नातक बैच परीक्षा देता है और अपने समय से चला जाता है, लेकिन प्रथम वर्ष के छात्र आठ से नौ बाद आते हैं. हम इस तरह से अस्पतालों में काम कर रहे हैं जहां एक तिहाई कर्मचारी गायब हैं. इसके कारण, 24 घंटे की शिफ्ट जो हर डॉक्टर की महीने में लगभग पांच बार लगाई जाती है, अब महीने में 10-12 बार लगाई जा रही है.

ऐसे काम के घंटों को “अमानवीय” करार देते हुए, उन्होंने कहा कि “24 घंटे की शिफ्ट अक्सर खत्म हो जाती है और 36 घंटे की शिफ्ट बन जाती है”.

कोटा में रेजोनेंस कोचिंग सेंटर के डॉ गौरव गुप्ता ने कहा, जहां तक एनईईटी-यूजी की तैयारी कर रहे स्कूली छात्रों का संबंध है परीक्षा कार्यक्रम में लगातार देरी की वजह से उनमें मोटीवेशन की कमी हो रही है, और इसकी कमी के साथ-साथ तनाव भी बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा, “परीक्षा में देरी का दोतरफा प्रभाव होता है – पहला तो यह कि छात्रों को कॉलेज के पहले साल कोर्स को पूरा करने के लिए कम समय मिलता है. इस साल वे मानव शरीर से जुड़ी मूल बातें सीखते हैं. यदि यह साल खराब हो जाता है, तो उनके सीखने की जो स्थिति है उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.”

दूसरी बात, उन्होंने कहा, छात्र एक शिड्यूल के मुताबिक तैयारी करते हैं, और यदि परीक्षा में देरी होती है, तो उनकी पूरी दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो जाती है, जिससे उनके प्रदर्शन पर असर पड़ता है.

नीट-यूजी, बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस), बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी (बीडीएस), बैचलर ऑफ आयुर्वेद, मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस), बैचलर ऑफ सिद्ध मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएसएमएस) में प्रवेश के लिए अर्हक परीक्षा है. बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी (बीयूएमएस), और बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएचएमएस) और बीएससी (एच) नर्सिंग पाठ्यक्रम के लिए क्वालीफाइंग परीक्षा है.

अंडर ग्रेजुएट मेडिकल स्टडीज़ के बाद, डॉक्टरों के लिए एक साल की इंटर्नशिप अनिवार्य है.

हालिया विवाद

एनटीए नीट परीक्षा को नियत समय पर करवाने की कोशिश कर रहा है, और 2023 के लिए घोषणा की है कि यूजी परीक्षा मई में और पीजी परीक्षा मार्च में आयोजित की जाएगी.

लेकिन एनईईटी-पीजी उम्मीदवारों का एक वर्ग इस साल फिर से परीक्षा स्थगित करने की मांग कर रहा है ताकि तैयारी के लिए अधिक समय मिल सके और परिणाम घोषणा और प्रवेश प्रक्रिया के बीच के अंतर को कम किया जा सके. कई उम्मीदवार जिनकी इंटर्नशिप स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा निर्धारित समय सीमा तक समाप्त नहीं होती है, वे भी मार्च में परीक्षा में बैठने के लिए अयोग्य होंगे.

इंटर्नशिप की अंतिम तिथि संस्थानों और राज्यों में अलग-अलग होती है, लेकिन दिप्रिंट ने जिन छात्रों से बात की, उनके अनुसार, पहले ज्यादातर राज्य नवंबर-दिसंबर तक इंटर्नशिप पूरा कर लेते थे, जिससे छात्रों को जनवरी पीजी परीक्षा में बैठने की अनुमति मिल जाती थी. हालांकि, पिछले दो वर्षों में, महामारी के कारण, अकादमिक वर्षों ने भी हमेशा शेड्यूल का पालन नहीं किया है, जिससे इंटर्नशिप की समाप्ति तिथियां अलग-अलग होती हैं.

हालांकि, स्थगन की मांग को खारिज करते हुए, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने पिछले शुक्रवार को संसद में कहा: “हमने फैसला किया है कि अगस्त 2023 तक अपनी इंटर्नशिप पूरी करने वाले छात्रों को परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी ताकि देश में कोई भी विश्वविद्यालय इस प्रक्रिया से बाहर न रहे.”

उन्होंने कहा: “परीक्षा 5 मार्च को होने वाली है, और यह पांच महीने पहले घोषित की गई थी. इसलिए, जो छात्र तैयारी करना चाहते हैं, वे परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. अगर मैं इसे टालता रहूंगा तो हम ऐसी स्थिति में होंगे कि पहले इसमें सात या आठ महीने की देरी हुई. फिर चार महीने की देरी हुई. कोविड की वजह से पूरी व्यवस्था चौपट हो गई. इसे ठीक करना महत्वपूर्ण है.”

पिछले साल, सितंबर 2021 में आयोजित नीट-पीजी को पास करने वाले उम्मीदवारों ने त्वरित काउंसलिंग की मांग को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था.

मेडिकल प्रोफेशन से संबंधित लोगों का कहना है कि इस साल भी, मार्च के लिए निर्धारित पीजी परीक्षा और सितंबर के लिए निर्धारित काउंसलिंग के साथ, इच्छुक डॉक्टर केवल साल के अंत तक मेडिकल वर्कफोर्स को ज्वाइन कर पाएंगे.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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