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Thursday, 25 April, 2024
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बोर्ड परीक्षाओं के सुचारू संचालन के लिए डॉक्टरों से परामर्श करेगा CBSE, 2,000 परीक्षा केंद्र बढ़ाए

देश भर में कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच, अभिभावक और छात्रों ने परीक्षाओं को रद्द या स्थगित करने की मांग की है. राजनीतिक पार्टियां भी इस मांग में शामिल हो गई हैं.

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नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के अधिकारियों ने कहा कि 4 मई से शुरू होने जा रही बोर्ड परीक्षाओं के सुचारू संचालन के लिए बोर्ड डॉक्टरों से परामर्श करेगा.

देश भर में कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच, अभिभावक और छात्रों ने परीक्षाओं को रद्द या स्थगित करने की मांग की है. राजनीतिक पार्टियां भी इस मांग में शामिल हो गई हैं.

सप्ताहांत पर शिवसेना और कांग्रेस ने शिक्षा मंत्रालय से आग्रह किया कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए परीक्षाओं को स्थगित कर दिया जाना चाहिए.

इस बीच सीबीएसई अपने रुख पर कायम है कि परीक्षाओं को सुचारू ढंग से संचालित करने के लिए, वो तमाम एहतियाती उपाय कर रहा है. अभी तक, ऐसा कोई संकेत नहीं है कि परीक्षा के शेड्यूल में कोई बदलाव किया जा सकता है.

सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने, नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘छात्रों के बीच पर्याप्त दूरी बनाने के लिए, इस साल हमने परीक्षा केंद्रों की संख्या 5,000 से बढ़ाकर 7,000 कर दी है. इम्तिहान के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का बकायदा पालन किया जाएगा. इसके अलावा, हम बहुत से सरकारी विभागों और सहयोगी संस्थाओं के साथ संपर्क में हैं, ताकि सब कुछ सुचारू रूप से संचालित हो जाए’.

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अधिकारी ने आगे कहा, ‘अगर आप समय-सारिणी को देखें, तो हमने अलग-अलग विषयों के छात्रों को, दो पेपर्स के बीच पर्याप्त समय दिया है, ताकि उन पर पड़ने वाला बोझ हल्का हो जाए और ये भी सुनिश्चित हो जाए कि हर परीक्षा केंद्र पर छात्रों की संख्या नियंत्रण में रहे’.


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सीबीएसई परीक्षा नियंत्रक क्या कहते हैं

परीक्षा नियंत्रक संयम भारद्वाज ने भी शनिवार को एक सार्वजनिक चर्चा में इसी तरह की बात कही.

एसएआई इंटरनेशनल एजुकेशन ग्रुप की ओर से आयोजित ‘एसएआई थॉट लीडरशिप’ में बोलते हुए भारद्वाज ने कहा, ‘मैं पेरेंट्स से आग्रह करूंगा कि वो कोरोनावायरस की स्थिति और अपने बच्चे की तैयारी, दोनों पर नज़र रखें. हम अब डॉक्टरों की सलाह लेना शुरू करेंगे, ताकि परीक्षाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए उपयुक्त योजना बना सकें’.

उन्होंने अध्यापकों और निरीक्षकों से भी अनुरोध किया कि यदि वो पात्र हैं तो टीका ज़रूर लगवाएं, ताकि ‘इम्तिहान के दौरान अपनी ज़िम्मेदारियों को सुचारू ढंग से अंजाम दे सकें’.

अभिभावकों को संदेश देते हुए भारद्वाज ने कहा कि वो भी समझते हैं कि मां-बाप के लिए अपने बच्चों को परीक्षा केंद्रों पर भेजना मुश्किल है लेकिन फिर भी वो उनसे अनुरोध करेंगे कि बोर्ड को समर्थन देना ‘जारी’ रखें.

छात्रों के लिए उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान रखना चाहिए और ‘किसी अफवाह पर ध्यान नहीं देना चाहिए’.


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प्रैक्टिकल परीक्षाएं जारी, सिलेबस का बोझ घटा

इस बीच, सीबीएसई की प्रैक्टिकल परीक्षाएं पहले ही शुरू हो चुकी हैं, जिसमें स्कूलों को रियायतें दी जा रही हैं.

एक अप्रैल को बोर्ड ने एक सर्कुलर जारी किया था कि अगर कोई छात्र कोविड पॉज़िटिव होने की वजह से प्रैक्टिकल परीक्षा में हाज़िर नहीं हो पाता, तो स्कूल ऐसे छात्रों के लिए क्षेत्रीय अधिकारियों से परामर्श करके 11 जून से पहले किसी और समय परीक्षा कराएगा.

छात्रों पर बोझ कम करने और पढ़ाई के नुकसान की भरपाई के लिए, इस बार की सीबीएसई परीक्षाएं, घटे हुए सिलेबस पर आधारित होंगी. शैक्षणिक वर्ष 2020-2021 की शुरूआत में बोर्ड ने सिलेबस में 30 प्रतिशत की कमी कर दी थी. बोर्ड ने सैंपल प्रश्न पत्र, अपनी वेबसाइट पर भी अपलोड किए हैं.

सीबीएसई ने इस साल से क्षमता पर आधारित प्रश्न भी शुरू किए हैं, जिसका मतलब है कि छात्र को सिलेबस को रटने की ज़रूरत नहीं है बल्कि उसे विषय का ज्ञान अधिक होना चाहिए.

इसके अलावा, बोर्ड इस साल एक सुधार का विकल्प भी मुहैया करा रहा है. जो छात्र ऐसा चाहते हैं, उन्हें अपना स्कोर सुधारने का एक अवसर दिया जाएगा.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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