नई दिल्ली: भारत के 78 प्रतिशत ग्रामीण माता-पिता चाहते हैं कि उनकी बेटी ग्रेजुएट या उससे आगे की पढ़ाई करे. एक सर्वेक्षण में यह दावा किया है.
देश के 20 राज्यों के 6,229 परिवारों पर किए गए सर्वेक्षण के आधार पर ‘ग्रामीण भारत में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति-2023’नामक रिपोर्ट को केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यहां मंगलवार शाम को जारी किया.
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘बच्चों के लैंगिक वर्गीकरण का विश्लेषण करने पर संकेत मिला कि अभिभावकों का अपने बच्चों को टेक्नीकल डिग्री, ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री सहित हाइअर एजुकेशन दिलाने को लेकर समान झुकाव है, फिर चाहे उनकी संतान लड़की हो या लड़का. 82 प्रतिशत अभिभावकों ने कहा कि वे लड़के को ग्रेजुएट या उससे आगे की पढ़ाई कराना चाहते हैं जबकि लड़कियों के बारे में यह राय रखने वाले 78 प्रतिशत रहे.’’
सर्वेक्षण में खुलासा हुआ कि बीच में ही पढ़ाई छोड़ देने वाले बच्चों में एक चौथाई लड़के हैं जो प्राथमिक कक्षाओं में ही अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘तुलनात्मक रूप से पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों में लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या अधिक है और यह 35 प्रतिशत है. प्राथमिक शिक्षा पूरी कर पढ़ाई छोड़ने वाले लड़कों और लड़कियों की दर अधिक (लड़कों में यह 75 प्रतिशत और लड़कियों में यह 65 प्रतिशत है) है.’’
सर्वेक्षण के मुताबिक, ‘‘गांव या आसपास उच्च कक्षा के स्कूलों का नहीं होना बच्चों के पढ़ाई छोड़ने का बड़ा कारण हो सकता है क्योंकि संभव है वे प्राथमिक कक्षा की पढ़ाई पूरी कर आगे पढ़ने के लिए दूर नहीं जा सकते हों.’’
इस अध्ययन को छह से 16 साल के ग्रामीण बच्चों पर केंद्रित किया गया. अध्ययन इनिशिएटिव ट्रांसफॉर्मिंग रुरल इंडिया फाउंडेशन (टीआरआईएफ) की विकास आसूचना इकाई (डीआईयू) और संबोधी प्राइवेट ने भारत के ग्रामीण विकास के हितधारकों को सही विश्लेषण और स्थिति से अवगत कराने के दृष्टिकोट के साथ आंकड़े एकत्र करने के लिए किया.
सर्वेक्षण के मुताबिक 62.5 बच्चों की मां पढ़ाई के मामले में उनका मार्गदर्शन करती हैं जबकि 49 प्रतिशत बच्चों के पिता यह जिम्मेदारी निभाते हैं.
अध्ययन के मुताबिक, ‘‘ यह बच्चों के घर में शैक्षणिक कार्यों में माता-पिता के मार्गदर्शन और सहयोग को इंगित करता है. इसके अलावा 38 प्रतिशत अभिभावकों ने बच्चों के लिए निजी ट्यूटर रखे हैं. यह भी देखा गया कि ग्रामीण भारत में अकसर बच्चों के मां-बाप के अलावा दूसरे लोग भी मर्गदर्शन करते हैं. उदाहरण के लिए 25.6 प्रतिशत बच्चे अपने बड़े भाई बहन के मार्गदर्शन में पढ़ाई करते हैं. 3.8 प्रतिशत बच्चों का मार्गदर्शन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता करती है जबकि 7.6 प्रतिशत को सामुदायिक शिक्षक प्रेरित करते हैं.’’
सर्वेक्षण में बच्चों द्वारा स्मार्टफोन के इस्तेमाल का भी विश्लेषण किया गया.
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘कुल मिलाकर 73 प्रतिशत बच्चे रोजाना करीब दो घंटे स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं. उल्लेखनीय है कि बड़े बच्चे अधिक फोन का इस्तेमाल करते हैं. आठवीं कक्षा या इससे बड़ी कक्षाओं में पढ़ने वाले 25.4 प्रतिशत बच्चे रोजाना दो से चार घंटे स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं. इसके विपरीत पहली से तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले 16.8 प्रतिशत बच्चे भी इतना समय फोन पर व्यय करते हैं.’’
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