नई दिल्ली : औपचारिक नियुक्ति संबंधी आदेश पिछले हफ्ते जारी हो जाने के बाद रक्षा मंत्रालय के अधीन सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) में अब नामित वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती हो गई है, जिनमें एडिशनल सेक्रेटरी और ज्वाइंट सेक्रेटरी के तौर पर सैन्य वर्दी वाले अफसर भी शामिल हैं.
जनरल रावत के पास डीएमए के सेक्रेटरी और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) दोनों का पद है.
चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीआईएससी) के इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के प्रमुख वाइस एडमिरल अतुल कुमार जैन वाइस सीडीएस होंगे, लेकिन अभी इसके लिए औपचारिक आदेश आने बाकी हैं.
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी को डीएमए में एडिशनल सेक्रटरी के रूप में नियुक्त किया गया है. वह कैबिनेट की नियुक्ति समिति की तरफ से नियुक्ति के बाद औपचारिक तौर पर यह पद संभालने वाले पहले सैन्य वर्दीधारी अधिकारी बन गए हैं. यह पद पारंपरिक रूप से आईएएस अधिकारी ही संभालते रहे हैं.
मेजर जनरल के. नारायणन को ज्वाइंट सेक्रेटरी (सेना) और रियर एडमिरल कपिल मोहन धीर को ज्वाइंट सेक्रेटरी (नौसेना) नियुक्त किया गया है. एयर वाइस मार्शल हरदीप बैंस को ज्वाइंट सेक्रेटरी (वायु सेना) बनाया गया है.
सरकार ने पहले शांतनु को ज्वाइंट सेक्रेटरी (पार्लियामेंट एंड वर्क्स) और राजीव सिंह ठाकुर को ज्वाइंट सेक्रेटरी (इस्टैबलिशमेंट एंड कोऑर्डिनेशन) नियुक्त किया था.
अब तक वर्दीधारी अधिकारी केवल ऑफिशिएटिंग क्षमता में ही पदों को संभालते रहे है. इसका मतलब यह था कि सभी फाइलों को फैसलों के लिए सेक्रेटरी, डीएमए के पास भेजना अनिवार्य होता था.
लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि नियुक्तियों के कारण मिली शक्तियों के तहत अब ये अधिकारी ही फाइलों को निपटा सकेंगे.
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डीएमए की जिम्मेदारियां
दिप्रिंट ने जैसा 2019 में बताया था कि डीएमए सेना, नौसेना और वायु सेना से जुड़े मामलों को देखेगा. मौजूदा समय में सीडीएस का तीनों सेनाओं पर कोई ऑपरेशनल कंट्रोल नहीं होगा, जिसकी जिम्मेदारी संबंधित सेवा प्रमुखों के पास ही रहेगी.
डीएमए सभी तीनों सेनाओं और टेरीटोरियल आर्मी और बलों के लिए—कैपिटल एक्वीजिशन को छोड़कर—सभी खरीद सौदों और अन्य विभिन्न कार्यों को देखेगा.
संयुक्त प्लानिंग और जरूरतों को एक साथ जोड़कर रक्षा खरीद, ट्रेनिंग, और सैन्य बलों के लिए भर्ती की ‘साझा प्रक्रिया’ को बढ़ावा देना भी इसकी जिम्मेदारियों में शुमार है.
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