तेहरान: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शनिवार को तेहरान पहुंच गये जहां वह अपने ईरानी समकक्ष से मुलाकात कर द्विपक्षीय रक्षा संबंधों पर चर्चा करेंगे. इससे एक दिन पहले ही उन्होंने फारस की खाड़ी के देशों से अपने मतभेदों को परस्पर सम्मान के आधार पर बातचीत से सुलझाने का अनुरोध किया था.
रूस की तीन दिवसीय यात्रा पूरी करने के बाद सिंह मास्को से तेहरान पहुंचे. उन्होंने मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया.
रक्षा मंत्री ने रूस, चीन और मध्य एशियाई देशों के अपने समकक्षों के साथ इस दौरान द्विपक्षीय बातचीत भी की.
रक्षा मंत्री ने ट्वीट किया, ‘मॉस्को से तेहरान के लिए निकल रहा हूं. वहां इस यात्रा में ईरान के रक्षा मंत्री (ब्रिगेडियर जनरल आमिर हतामी) से मुलाकात करूंगा.’
Leaving Moscow for Tehran. I shall be meeting the Defence Minister of Iran, Brigadier General Amir Hatami.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 5, 2020
भारत ने कहा था कि वह फारस की खाड़ी में स्थिति को लेकर ‘बेहद चिंतित’ है और क्षेत्र के देशों से परस्पर सम्मान पर आधारित बातचीत के जरिये अपने मतभेदों को सुलझाने का अनुरोध करता है.
फारस की खाड़ी में हाल के हफ्तों में ईरान, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात से संबंधित कई घटनाओं ने क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है.
यहां शंघाई सहयोग संगठन की एक बैठक को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, ‘हम फारस की खाड़ी में स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं.’
I had a wonderful meeting with Uzbekistan’s Minister of Defence, Major General Kurbanov Bakhodir Nizamovich in Moscow today.
Defence Cooperation remains an important pillar of India- Uzbekistan bilateral relations. pic.twitter.com/efUCKiHbDL
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) September 5, 2020
एलएसी का सम्मान करें
पूर्वी लद्दाख में तनावपूर्ण स्थिति के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंगही को स्पष्ट संदेश दिया कि चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का सख्ती से सम्मान करना चाहिए और यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश नहीं करना चाहिए.
यहां जारी एक आधिकारिक बयान में शनिवार को कहा गया कि मई की शुरुआत में पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर पैदा हुए तनाव के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली उच्चस्तरीय आमने-सामने की बैठक हुई. मास्को में शुक्रवार को हुई बैठक में सिंह ने वेई से कहा कि पैंगोंग झील समेत गतिरोध वाले सभी बिंदुओं से सैनिकों की यथाशीघ्र पूर्ण वापसी के लिये चीन को भारतीय पक्ष के साथ मिलकर काम करना चाहिए. यह बैठक आठ राष्ट्रों के शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षामंत्रियों की बैठक के इतर हुई.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सिंह ने वेई को दृढ़तापूर्वक बताया कि भारत “अपनी एक इंच जमीन नहीं छोड़ेगा” और देश की संप्रभुता व अखंडता की ‘हर कीमत’ पर रक्षा करने के लिये प्रतिबद्ध है.
उन्होंने कहा कि सिंह ने चीनी पक्ष की तरफ से उठाए गए हर सवाल का जवाब दिया और उनके ‘झूठे दावों’ का खंडन किया. उन्होंने कहा कि चीन द्वारा बातचीत के लिये यह उत्सुकता अगस्त के आखिरी हफ्ते में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पैंगोंग इलाके में रणनीतिक बिंदुओं और ऊंचाइयों पर कब्जे के बाद दिखाई गई है.
बयान के मुताबिक, सिंह ने कहा कि बड़ी संख्या में सैनिकों का जमावड़ा, आक्रामक व्यवहार और यथास्थिति को बदलने की एकतरफा कोशिश जैसे चीन के कदम द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन हैं.
बयान में कहा गया कि सिंह ने अपने चीनी समकक्ष से स्पष्ट किया कि मौजूदा हालात को जिम्मेदारी से सुलझाने की जरूरत है और दोनों पक्षों की ओर से आगे कोई ऐसा कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जिससे मामला जटिल हो और सीमा पर तनाव बढ़े.
बयान में कहा गया कि सिंह ने सलाह दी कि यह महत्वपूर्ण है कि चीनी पक्ष कड़ाई से एलएसी का पालन करे और उसे यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
सिंह ने यह भी रेखांकित किया कि दोनों पक्षों को राजनयिक और सैन्य माध्यमों से चर्चा जारी रखनी चाहिए ताकि एलएसी पर यथाशीघ्र सैनिकों की पुरानी स्थिति में पूर्ण वापसी और तनाव में कमी सुनिश्चित की जा सके.
भारतीय बयान में कहा गया, ‘सिंह ने जोर देकर कहा कि बड़ी संख्या में चीनी टुकड़ियों का जमावड़ा, उनका आक्रामक बर्ताव तथा एकतरफा तरीके से यथास्थिति को बदलने की कोशिशें द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन हैं तथा दोनों पक्षों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति के अनुरूप नहीं है.’
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पांच जुलाई को करीब दो घंटे तक बातचीत की थी. यह बातचीत तब हुई थी जब 15 जून को भारत और चीनी सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई और भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए. चीन की ओर से झड़प में हताहतों की जानकारी नहीं दी गई है लेकिन अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक गलवान झड़प में चीन के 35 सैनिक मारे गए. इस झड़प के बाद सीमा पर तनाव काफी बढ़ गया था.