scorecardresearch
Tuesday, 10 December, 2024
होमडिफेंसबाइडन प्रशासन ने 450 मिलियन डॉलर की डील में पाकिस्तान के F-16 लड़ाकू विमान के अपग्रेड को दी मंजूरी

बाइडन प्रशासन ने 450 मिलियन डॉलर की डील में पाकिस्तान के F-16 लड़ाकू विमान के अपग्रेड को दी मंजूरी

प्रस्तावित बिक्री देश के एफ-16 बेड़े की निरंतरता को जारी रखेगी, जो 'अपनी मजबूत हवा से जमीन की क्षमता के माध्यम से आतंकवाद विरोधी अभियानों का समर्थन करने की पाकिस्तान की क्षमता में काफी सुधार करता है'.

Text Size:

नई दिल्ली: बाइडन प्रशासन ने पाकिस्तान के एफ-16 फाइटर एयरक्राफ्ट फ्लीट को अपग्रेड करने के लिए लगने वाले उपकरणों की बिक्री को मंजूरी दे दी है. पेंटागन ने अपने बयान में बताया कि इस डील की कीमत 450 मिलियन डॉलर है.

हालांकि इस डील में एयरक्राफ्ट के लिए किसी भी तरह की ‘नई क्षमता, हथियारों और युद्ध सामग्रियां’ शामिल नहीं हैं. यह पाकिस्तान की वायु सेना का मुख्य फाइटर है. हालांकि पाकिस्तान के पास बड़ी संख्या में जेएफ-17 भी मौजूद हैं.

2019 में पाकिस्तान ने इसी एयरक्राफ्ट का बालाकोट हमले के दौरान भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया था और अमेरिका से सप्लाई हुए एआईएम-120 सी-5 अमराम का उपयोग कर मिग21 बाइसन उड़ाने वाले विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के विमान को शूट किया था.

मध्यम रेंज के आर-77, जिनका इस्तेमाल एसयू-30 एमकेआई की तुलना में (जिसका इस्तेमाल उस समय भारतीय वायु सेना ने किया था) इन मिसाइलों की क्षमता ज्यादा होती है.

रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस को संभावित बिक्री के बारे में सूचित करने के लिए आवश्यक प्रमाणीकरण दिया, जब पाकिस्तान ने देश की वायु सेना के एफ-16 बेड़े को बनाए रखने के लिए पूर्व एफ-16 निरंतरता और समर्थन मामलों को मजबूत करने का अनुरोध किया.

अपग्रेड में शामिल हैं अमेरिकी सरकार और ठेकेदार इंजीनियरिंग, तकनीकी और रसद सेवाएं पाकिस्तान के एफ-16 बेड़े. इसमें विमान और इंजन हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के संशोधन और समर्थन के साथ-साथ जेट और इंजन के पुर्जों की मरम्मत और वापसी, वर्गीकृत और अवर्गीकृत सॉफ्टवेयर और सॉफ्टवेयर समर्थन शामिल हैं.

पेंटागन के बयान में कहा गया है कि यह प्रस्तावित बिक्री संयुक्त राज्य अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों का समर्थन करेगी, जिससे पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ चल रहे प्रयासों और भविष्य के आकस्मिक अभियानों की तैयारी में ‘अमेरिका और सहयोगी बलों के साथ अंतर बनाए रखने’ की अनुमति मिलेगी.

इसने यह भी कहा कि प्रस्तावित बिक्री देश के एफ-16 बेड़े की निरंतरता को जारी रखेगी, जो ‘अपनी मजबूत हवा से जमीन की क्षमता के माध्यम से आतंकवाद विरोधी अभियानों का समर्थन करने की पाकिस्तान की क्षमता में काफी सुधार करता है.’


यह भी पढ़ें: ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की दौड़ में कई वजहों से पिछड़े, नस्ल मुख्य वजह नहीं


पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमान का इतिहास

यह अपग्रेड पाकिस्तान को अमेरिकी सेना की सहायता का एक हिस्सा है जिसमें उसने तालिबान और हक्कानी नेटवर्क को देश के खुले समर्थन और भारत के खिलाफ एक राज्य नीति के रूप में आतंकवाद के उपयोग के बावजूद 1980 के दशक से एफ-16 को बेचा और अपग्रेड किया.

1981 में सबसे पहले अमेरिका एफ-16 को पाकिस्तान को बेचने पर सहमत हुआ था, जब सोवियत यूनियन ने अफगानिस्तान पर हमला किया था.

इन विमानों का उपयोग सोवियत और अफगान जेट के मद्देनज़र था जो समय-समय पर सीमा पार करके मुजाहिदीन प्रशिक्षण शिविरों पर बमबारी करते थे. विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा वेबसाइट वॉर ऑन द रॉक्स के मुताबिक 1986 और 1990 के बीच, पाकिस्तानी एफ-16 ने करीब 10 अफगान और सोवियत जेट, हेलीकॉप्टर और परिवहन विमानों को मार गिराया.

हालांकि, 1990 के दशक में, पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में अमेरिकी चिंताओं के कारण कार्यक्रम विफल हो गया, जिससे वाशिंगटन को 28 एफ-16 की डिलीवरी वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसके लिए पाकिस्तान ने लगभग 658 मिलियन डॉलर का भुगतान किया था.

9/11 के बाद स्थितियां एक बार फिर से बदलीं जब पाकिस्तान अमेरिका की आतंक के खिलाफ लड़ाई में शामिल हो गया. यूएस ने फिर से तकरीबन 1.4 बिलियन डॉलर में 18 एडवांस्ड ब्लॉक 52 एफ-16 विमान बेचे. साथ ही टार्गेंटिंग पॉड्स और इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर पॉड्स भी बेचे.

सिर्फ इतना ही नहीं, अमेरिका ने पाकिस्तान के एफ-16 विमानों के पुराने मॉडल के लिए मिड-लाइफ अपग्रेड किट्स भी बेचे, जिसकी वजह से यह एयरक्राफ्ट ब्लॉक 52 वर्जन के बराबर क्षमता वाली हो गईं. वॉर ऑन द रॉक्स के मुताबिक तुर्की जो कि खुद एफ-16 का इस्तेमाल करता है, उसने भी पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों को अपग्रेड किया है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: PM सेल्फी से लेकर गीता के पॉड तक, भारत में स्टफी म्यूजियम का कायाकल्प करने में जुटी है टैगबिन कंपनी


 

share & View comments