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Friday, 29 March, 2024
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सैटेलाइट तस्वीरों ने पाकिस्तान की नई छोटी पनडुब्बी और चीन के साथ संयुक्त परियोजना स्थल का किया खुलासा

छोटी पनडुब्बी का आकार और लोकेशन इसके गोपनीय अभियान की तरफ इशारा करता है, और यह संभवत: भारतीय तट की ओर विशेष बलों को तैनात करने की पाकिस्तान की क्षमता को भी बढ़ाती है.

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नई दिल्ली: ताजा सैटेलाइट तस्वीरों ने पाकिस्तान की नई छोटी पनडुब्बी का खुलासा किया है, जिसका इस्तेमाल उसके विशेष बल गोपनीय अभियानों के लिए कर रहे हैं, साथ ही यह संभवत: नई पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए चीन के साथ उसकी संयुक्त परियोजना का स्थल भी है.

सैटेलाइट इमेजरी में विशेषज्ञता रखने वाले लोकप्रिय ट्विटर हैंडल @detresfa ने कराची बंदरगाह की तस्वीरें डाली हैं जिसमें अनजान टाइप की छोटी पनडुब्बी नजर आ रही है. ट्वीट में लिखा है, ‘आखिरकार बिना कवर के नजर आई.’

ट्विटर हैंडल @detresfa पर सक्रिय ओएसआईएनटी (ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस) विशेषज्ञ ने दिप्रिंट से बातचीत में यह भी बताया कि ये तस्वीरें संभवतः पनडुब्बी निर्माण के लिए निर्धारित क्षेत्र को भी दिखाती हैं, जिस परियोजना को पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर आगे बढ़ा रहा है.

Detresfa रक्षा और ओएसआईएनटी विशेषज्ञ एच.आई. सटन के साथ मिलकर काम करती है. सटन पिछले साल नई छोटी पनडुब्बियों के बारे में जानकारी देने वाले पहले व्यक्ति थे.

उस समय सटन ने फोर्ब्स के लिए लिखा था कि पनडुब्बी एक स्मॉल स्पेशल फोर्स टाइप है, जिसकी लंबाई लगभग 55 फीट और चौड़ाई 7 से 8 फीट है.

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उन्होंने लिखा था, ‘यह एक नियमित पनडुब्बी के आकार का महज छोटा-सा हिस्सा भर है. इसकी लोकेशन और आकार दोनों ही इसका इस्तेमाल पाकिस्तानी नौसेना के विशेष सैन्य समूह, जिसे एसएसजी (एन) के तौर पर जाना जाता है, द्वारा किए जाने की ओर इशारा करते हैं.’

उन्होंने यह जानकारी भी दी थी कि पाकिस्तानी नौसेना की भाषा में इस श्रेणी की पनडुब्बी को एक्स-क्राफ्ट कहा जाता है.

उन्होंने लिखा था, ‘यह शब्द इतालवी निर्माता सीओएस.एमओ.एस. (जिसे आमतौर पर कॉसमॉस लिखा जाता) की विरासत के तौर पर लिया गया है, जिसने कभी पाकिस्तान को छोटी पनडुब्बियों के दो सेट बेचे थे…’

सटन ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि सैटेलाइट की नई तस्वीरों में दिखाई देने वाली छोटी पनडुब्बी नई है और बहुत संभव है कि यह स्वदेशी है.

उन्होंने कहा कि हालांकि इसी तरह के प्रोजेक्ट में तुर्की की सहायता की खबरें आई हैं, लेकिन इसे 2016 में बनाया गया था, जो कि तुर्की सौदे की घोषणा से पहले की बात है.

तुर्की को पाकिस्तान से उसकी तीन अगोस्टा 90 बी डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों को अपग्रेड करने का ठेका मिला है.


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‘हैवीवेट टारपीडो ट्यूब से लैस’

सटन ने कहा कि नई छोटी पनडुब्बी पाकिस्तान के गोपनीय अभियानों पर विशेष बलों को तैनात करने की क्षमता को बढ़ाती है, खासकर किसी टकराव की स्थिति में भारतीय तट पर.

यह पूछे जाने पर कि क्या छोटी पनडुब्बी सशस्त्र है, उन्होंने कहा, ‘उपलब्ध तस्वीरों के विश्लेषण से ऐसा लगता है कि इस पनडुब्बी में दो भारी वजन वाली टारपीडो ट्यूब हैं. यह पाकिस्तान की पुरानी इतालवी डिजाइन वाली छोटी पनडुब्बियों की तरह ही है. ट्यूब आत्मरक्षा के लिए टॉरपीड लॉन्च कर सकते हैं फिर मौका मिलने पर लक्ष्य पर निशाना भी साधा जा सकता है.’

पाकिस्तानी रक्षा उत्पादन प्रभाग (एमओडीपी) की 2015-16 की ईयरबुक में ‘01 छोटी पनडुब्बी के स्वदेशी डिजाइन और निर्माण’ को 2016-2017 के लक्ष्य के रूप में सूचीबद्ध किया गया था.

पिछले साल अप्रैल में दिप्रिंट की तरफ से लिए गए एक इंटरव्यू में नौसेना स्टाफ के तत्कालीन उप प्रमुख (डीसीएनएस) वाइस एडमिरल एम.एस. पवार से पाकिस्तान की छोटी पनडुब्बी के बारे में पूछा गया था.

उन्होंने कहा था कि भारतीय नौसेना दुश्मनों की क्षमताओं से वाकिफ है और क्षेत्र के घटनाक्रमों और विभिन्न खरीद सौदों पर लगातार नजर रख रही है.

उन्होंने कहा था, ‘मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले के बाद पिछले 12 वर्षों में हमारे तटीय सुरक्षा तंत्र में लगातार सुधार होता रहा है. हम समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सतर्कता बरतते हैं और सभी समुद्री खतरों को नाकाम करने के लिए तैयार हैं.’

अधिकारी ने आगे कहा था कि तटीय सुरक्षा ठिकानों से संचालित एक इलेक्ट्रॉनिक नेट ‘किसी भी गुप्त गतिविधि का पता लगाने और उसे नाकाम करने में सक्षम है.’

चीनी पनडुब्बियों के लिए निर्धारित साइट का खुलासा

सटन ने बताया कि जहां छोटी पनडुब्बी नजर आई, उसके ठीक उत्तर-पूर्व में कुछ नई साइट दिखी हैं और इन्हें चीनी पनडुब्बी सौदे से संबंधित माना जा रहा है.

पाकिस्तान ने चार आधुनिक युद्धपोतों और आठ पारंपरिक पनडुब्बियों के लिए चीन के साथ एक करार किया है.

नई पनडुब्बियां चीनी नौसेना के टाइप-039ए युआन क्लास का एक वैरिएंट हैं. इसमें से चार पनडुब्बियां चीन में बनेंगी, बाकी चार को पाक में निर्मित किया जाना है.

सटन ने कहा, ‘पहली चीनी पनडुब्बी की आपूर्ति 2023 से पहले होने की उम्मीद है.’ साथ ही जोड़ा कि वे भारत की स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की क्षमताओं के समान हैं.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी पनडुब्बियों में एआईपी (एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन) मानक वाला सिस्टम होगा, जो स्कॉर्पीन में नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘चीन से नई पनडुब्बियां संख्या और क्षमता दोनों के लिहाज से एक बड़ा इजाफा करेंगी. यह निश्चित तौर पर भारतीय नौसेना के लिए चिंता का विषय होगा.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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