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सोमवार, 21 अप्रैल, 2025
होमडिफेंस2019 में बालाकोट स्ट्राइक के बाद खुद के हेलिकॉप्टर को मार गिराने वाला IAF अधिकारी बर्खास्त

2019 में बालाकोट स्ट्राइक के बाद खुद के हेलिकॉप्टर को मार गिराने वाला IAF अधिकारी बर्खास्त

मिलिट्री कोर्ट ने ग्रुप कैप्टन सुमन रॉय चौधरी को 5 मामलों में दोषी पाया, जिसमें एमआई-17 हेलीकॉप्टर को मार गिराने का आदेश देना शामिल है, जिसके कारण 6 भारतीय वायुसेना कर्मियों, 1 नागरिक की मौत हो गई थी.

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नई दिल्ली: जनरल कोर्ट मार्शल (जीसीएम) ने सोमवार को ग्रुप कैप्टन सुमन रॉय चौधरी को भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के एमआई -17 हेलीकॉप्टर को मार गिराने के लिए वायुसेना से बर्खास्त करने की सिफारिश की. जनरल कोर्ट मार्शल को सैन्य अदालत के रूप में जाना जाता है. यह घटना 2019 में हुई थी जब हेलीकॉप्टर श्रीनगर वायु सेना स्टेशन से संपर्क कर रहा था. इस घटना में आईएएफ के छह कर्मियों और एक नागरिक की मौत हो गई थी.

IAF की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (CoI) ने उन्हें मानक संचालन प्रक्रियाओं के उल्लंघन और वायु सेना स्टेशन के तत्कालीन मुख्य संचालन अधिकारी (COO) के रूप में हेलीकॉप्टर को मार गिराने का दोषी पाया था.

जबकि यह सिर्फ एक सिफारिश है, जिसे वास्तविक कार्यान्वयन के लिए भारतीय वायुसेना प्रमुख द्वारा पुष्टि की जानी है, सूत्रों ने कहा कि जीसीएम के कार्यान्वयन के खिलाफ पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा एक स्थगन आदेश है, जब अधिकारी ने इसके लिए संपर्क किया था.

यह दुखद घटना बालाकोट हमले के एक दिन बाद हुई थी जब पाकिस्तानी वायु सेना ने जवाबी हमला किया था. हेलीकॉप्टर ने 10 मिनट की अवधि के भीतर उड़ान भरी और दुर्घटनाग्रस्त हो गया. यह घटना तब हुई थी जब झड़प वाला इलाका 100 किमी दूर था और क्षेत्र के एयरबेस और सैन्य प्रतिष्ठान हाई-ट्रिगर अलर्ट पर थे.

जैसा कि दिप्रिंट ने पहली बार 2019 में ही रिपोर्ट किया था, जब कोर्ट ऑफ इंक्वायरी चल रही थी, यह स्थापित किया गया था कि हेलीकॉप्टर को ‘फ्रेंडली फायर’ में मार गिराया गया था, जिसे तब सूत्रों द्वारा ‘फॉग ऑफ वार’ कहा गया था.

जनरल कोर्ट मार्शल विंग कमांडर श्याम नैथानी के खिलाफ भी था, जो तत्कालीन वरिष्ठ वायु यातायात नियंत्रण अधिकारी थे. हालांकि, उन्हें चार आरोपों से बरी कर दिया गया है, लेकिन एक आरोप के लिए कड़ी फटकार लगाई गई. इससे यह पता चलता है कि भारतीय वायुसेना के भीतर उनका करियर लगभग खत्म सा हो गया है.

दूसरी ओर, चौधरी को उनके खिलाफ लगे 9 आरोपों में से पांच प्रमुख मामलों में दोषी पाया गया, जिसमें वायु मुख्यालय द्वारा जारी निर्देशों का उल्लंघन करना भी शामिल है. इसमें अक्षांश 3200 एन के उत्तर में चलने वाले सभी विमानों की पहचान करना शामिल था. आईएफएफ एक ट्रांसपोंडर आधारित पहचान प्रणाली है.

एमआई-17 ने बिना आईएफएफ के बेस से उड़ान भरी थी. सूत्रों ने कहा कि अगर सिस्टम चालू होता, तो रडार पर आने के बाद सीओओ को पता चल जाता कि यह उनका अपना हेलीकॉप्टर है.

उन्हें बेस की वायु रक्षा इकाई द्वारा हेलीकॉप्टर को नीचे गिराने का आदेश देने का भी दोषी पाया गया था, जिसने हेलिकॉप्टर को गिराने के लिए इजरायली स्पाइडर सिस्टम का इस्तेमाल किया था.

दिप्रिंट ने सबसे पहले अगस्त 2019 में रिपोर्ट दी थी कि सीओआई ने दो अधिकारियों को दोषी पाया था और दोनों के खिलाफ जीसीएम की कार्यवाही शुरू की जानी थी.

अक्टूबर 2019 में, तत्कालीन IAF प्रमुख एयर चीफ मार्शल राकेश भदौरिया ने स्वीकार किया था कि हेलीकॉप्टर वाली घटना एक ‘बड़ी गलती’ थी.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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