नई दिल्ली: वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक पिछले करीब डेढ़ महीने में भारत और चीन के बीच जमीन से आसमान पर पहुंच चुके तनाव को घटाने के इरादे से दोनों देशों के वरिष्ठ वायु सेना के अधिकारियों ने इस सप्ताह पहली बार बातचीत की.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख स्थित चुशुल मोल्दो मीटिंग प्वाइंट पर मंगलवार को बातचीत हुई. इस दौरान भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने स्पष्ट तौर पर इस मुद्दे को उठाया कि चीन ने एलएसी पर उड़ान मानदंडों पर मौजूदा समझौतों का उल्लंघन किया है.
सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि एलएसी के 10 किलोमीटर के दायरे में कोई भी लड़ाकू विमान नहीं आएगा, जबकि लॉजिस्टिक हेलीकॉप्टरों की सीमा एक किलोमीटर थी. 10 किलोमीटर के दायरे का नियम सशस्त्र हेलीकाप्टरों पर भी लागू है.
हालांकि, और जैसा दिप्रिंट की तरफ से रिपोर्ट भी किया गया है, चीनी लड़ाकू विमानों ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (पीएलएएएफ) द्वारा बड़े पैमाने पर हवाई अभ्यास की आड़ में कई बार 10 किलोमीटर के दायरे का उल्लंघन किया है.
17 जुलाई को पिछली कोर कमांडर स्तरीय वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष ने चीन के उल्लंघन का मुद्दा उठाया था. सूत्रों ने कहा कि चीन वार्ता के बाद भी सहमत दायरे में विमानों को भेजता रहा है.
इन उल्लंघनों के मद्देनजर भारतीय वायुसेना को न केवल लद्दाख में बल्कि अन्य जगहों पर भी पड़ोसी देश के विमान खदेड़ने के लिए अपने युद्धक विमानों को भेजना पड़ा है.
दोनों वायुसेनाओं के बीच पहली बार हुई बातचीत पर एक सूत्र ने कहा, ‘यह सुनिश्चित करने के लिए बातचीत की गई कि तनाव कम हो और समझौतों पर अमल किया जाए.
सेना और वायुसेना दोनों के अफसरों ने वार्ता में भाग लिया, जिसमें वायुसेना का का प्रतिनिधित्व ऑपरेशंस ब्रांच के सिंगल-स्टार अधिकारी एयर कमोडोर अमित शर्मा ने किया, जबकि सेना की तरफ से लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के एक मेजर जनरल-रैंक के अधिकारी मौजूद थे.
बैठक में चीन की तरफ से पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) और पीएलए-एयरफोर्स के अधिकारी मौजूद थे.
जून अंत में एक चीनी जे-11 लड़ाकू विमान ने सुबह लगभग 4 बजे एक तनाव वाले प्वाइंट के बहुत करीब उड़ान भरी थी. विमान की गतिविधि का भारतीय वायुसेना की राडार और विमान-रोधी प्रणालियों के जरिये पता चल गया और इसके जवाब में तुरंत आवश्यक कार्रवाई की गई.
ऐसे उल्लंघन बार-बार हुए और सूत्रों का मानना है कि यह सब पीएलएएएफ की ये पता लगाने की रणनीति का हिस्सा है कि भारत ऐसी किसी उड़ान पर कितने समय में प्रतिक्रिया देने में सक्षम है.
दिप्रिंट ने 2021 में बताया था कि भारतीय वायुसेना लद्दाख में मिसाइलों, राडार और लड़ाकू विमानों के साथ युद्धक भूमिका के लिए पूरी तरह तैयार है.
वायु सेना को चीन के खिलाफ सक्रिय रूप से तैनात किया गया है, जिसके तहत एलएसी के पास अग्रिम मोर्चों पर तैनात लड़ाकू विमान नए रडार और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस हैं.
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