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Saturday, 23 November, 2024
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भारत ने चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर शुरू किया सैन्य अभ्यास, G20 के दौरान सुरक्षा रहेगी चाक-चौबंद

G20 बैठक के दौरान हवाई क्षेत्र की सुरक्षा की पूरी ज़िम्मेदारी भारतीय वायुसेना की होगी. जिसके लिए दिल्ली और उसके आसपास के एरिया में एक बड़ी संख्या में रक्षात्मक और हमलावर एसेट्स को तैनात किया गया है.

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नई दिल्ली: भारत ने सोमवार को चीन और पाकिस्तान से लगी सीमा पर एक बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू किया, जिसमें भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के सभी बेहतरीन फ्रंटलाइन एसेट्स – राफेल जैसे लड़ाकू विमान और एस -400, एमआरएसएएम और स्पाइडर जैसी वायु रक्षा प्रणालियां – शामिल होंगी. यहां तक कि सेना की टुकड़ियां लद्दाख में अलग-अलग अभ्यास भी कर रही हैं.

यह अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब भारत जी-20 बैठक की मेजबानी करेगा जिसमें वैश्विक नेता राष्ट्रीय राजधानी में आएंगे, जिसे कड़ी सुरक्षा घेरे में रखा गया है.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि हवाई अभ्यास – त्रिशूल – पहले से ही 4 से 14 सितंबर तक निर्धारित था और यह 8 से 10 सितंबर तक जी-20 बैठक के दौरान जारी रहेगा.

उन्होंने कहा कि बैठक के लिए हवाई क्षेत्र की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करना भारतीय वायुसेना की जिम्मेदारी है, जहां हाल के दिनों में किसी भी समय भारत द्वारा सबसे अधिक संख्या में वैश्विक नेताओं (20 से अधिक) की मेजबानी की जाएगी.

आखिरी बार ऐसा आयोजन 1983 में हुआ था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) के सातवें शिखर सम्मेलन के हिस्से के रूप में लगभग 70 वैश्विक नेताओं की मेजबानी की थी.

सूत्रों ने कहा कि त्रिशूल अभ्यास, जो पाकिस्तान और चीन के साथ उत्तरी सीमाओं पर आयोजित किया जा रहा है, जी-20 बैठक के लिए एक एकीकृत वायु रक्षा कवर सुनिश्चित करने की समग्र योजना में मदद करता है, जिसमें भारतीय वायुसेना को बड़ी संख्या में दिल्ली और उसके आस-पास के एरिया में रक्षात्मक और हमलावर एसेट्स को तैनात करना भी शामिल होगा.

जी-20 की तैयारियों के बारे में बोलते हुए, सूत्रों ने कहा कि मिराज 2000 और राफेल जैसे लड़ाकू विमान कॉम्बैट एयर पेट्रोलिंग (सीएपी) करेंगे, जबकि 25 किलोमीटर की दूरी के आकाश और एंटी-एयरक्राफ्ट गन जैसी वायु रक्षा प्रणालियां भी होंगी. लगभग मध्यम दूरी की यानी कि 70 किलोमीटर की दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) को दिल्ली और उसके आसपास के एरिया में तैनात किया गया है.

एस-400 जैसी लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणालियां भी निरंतर मल्टी-लेयर कवर प्रदान करने वाली कार्रवाई में रहेंगी.

सूत्रों ने कहा कि त्रिशूल अभ्यास में भारत के एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AEW&CS) की तैनाती भी देखी जाएगी जो G20 बैठक के लिए भी काम में आएगी.

सूत्रों ने कहा कि ड्रोन रोधी प्रणालियां भी लगाई गई हैं.

G20 में भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्राजील, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं.

सेना लद्दाख में अभ्यास करेगी

जहां भारतीय वायुसेना त्रिशूल का अभ्यास कर रही है, वहीं भारतीय सेना भी लद्दाख में अपना खुद की ट्रेनिंग एक्सरसाइज़ कर रही है.

सूत्रों ने कहा कि सर्दियों से पहले अभ्यास के लिए और अधिक सैनिक आए हैं, जबकि जिन सैनिकों को वहां से ड्यूटी फ्री किया जाना था उन्हें अस्थायी रूप से रोक लिया गया है.

इसका मतलब यह है कि लद्दाख में एक या दो महीने पहले की तुलना में सैनिकों की संख्या ज्यादा होगी, लेकिन सूत्रों ने बताया कि यह घटना स्थायी नहीं है और सैनिक वापस चले जाएंगे.

सूत्रों ने कहा कि लद्दाख में अभ्यास करने वाले सैनिकों में स्पेशलाइज़्ड माउंटेन वॉरफेयर यूनिट्स और पैरा के सैनिक भी शामिल होंगे.

उन्होंने कहा, यह अभ्यास का सीज़न है और इसलिए, विचार यह है कि सैनिक अपना फैमिलियराइज़ेशन अभ्यास करें और सर्दियों के लिए नए सैनिक लाए जाएं.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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