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Friday, 3 May, 2024
होमडिफेंसJ&K पुलिस ने 30 साल से फरार 8 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया, जो छिपे हुए थे, अन्य का पता लगाया जा रहा है

J&K पुलिस ने 30 साल से फरार 8 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया, जो छिपे हुए थे, अन्य का पता लगाया जा रहा है

जम्मू-कश्मीर पुलिस के एसएआई और सीआईडी द्वारा चलाए गए अभियान के तहत गिरफ्तारियां की गईं. अब तक 327 टाडा/पोटा मामलों में 734 ऐसे भगोड़ों की सूची में से 369 का सत्यापन और पहचान कर ली गई है.

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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गुरुवार को आठ फरार आतंकवादियों को गिरफ्तार कर लिया, जो छिप हुए थे और लगभग तीन दशकों तक गिरफ्तारी से बचने के लिए यहां-वहां छुप रहे थे. पुलिस के मुताबिक बीते तीन दशकों से इनका कोई अता-पता नहीं था.

इस दौरान, गिरफ्तार किए गए कुछ व्यक्तियों ने सरकारी रोजगार और कॉन्ट्रैक्ट भी हासिल कर लिए थे, जबकि कुछ अन्य निजी व्यवसाय में लगे हुए पाए गए थे. साथ ही बाकी कुछ न्यायिक अदालतों में कार्यरत पाए गए.

गिरफ्तार आतंकवादियों में आदिल फारूक फरीदी (एक सरकारी कर्मचारी), मोहम्मद इकबाल, मुजाहिद हुसैन, तारिक हुसैन, इश्तियाक अहमद देव, अजाज अहमद, जमील अहमद और इशफाक अहमद (डोडा के अदालत परिसर में एक लेखक के रूप में कार्यरत) शामिल हैं. उन पर अपहरण और हत्या सहित विभिन्न अपराधों का आरोप है.

ये गिरफ्तारियां राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) और जम्मू-कश्मीर पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) की एक संयुक्त टीम के नेतृत्व में फरार आतंकवादियों पर नज़र रखने के लिए केंद्रित अभियान के हिस्से के रूप में की गईं.

जम्मू-कश्मीर पुलिस के सूत्रों ने कहा कि गिरफ्तार आतंकवादी और उनके सहयोगी आतंकवादी कई बड़ी आतंकवादी गतिविधि के गंभीर अपराधों में शामिल थे और उन पर लगभग तीन दशक पहले जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, या टाडा के तहत मामला दर्ज किया गया था. साथ ही जम्मू की टाडा अदालत में आरोप पत्र दायर किया गया था.

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सूत्रों ने बताया कि आठों लोग दशकों तक छिपकर कानून के चंगुल से बचने में कामयाब रहे और कुछ समय बाद अपने-अपने पैतृक गांवों या कुछ दूर के स्थानों में सामान्य पारिवारिक जीवन का आनंद लेने के लिए फिर से सामने आए.

उनके अनुसार, एसआईए ने आतंकवाद से संबंधित मामलों में सभी भगोड़ों का पता लगाने और उन्हें कानून के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए संबंधित अदालतों में पेश करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है.

अब तक, एसआईए ने 327 टाडा/आतंकवाद निवारण अधिनियम (पोटा) मामलों में 734 ऐसे भगोड़ों (जम्मू में 317, कश्मीर में 417) में से 369 (जम्मू में 215, कश्मीर में 154) का सत्यापन और पहचान की है.

369 सत्यापित भगोड़ों में से 127 का पता नहीं चल पाया है, 80 की मौत हो चुकी है, 45 पाकिस्तान या पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और अन्य देशों में रह रहे हैं और चार जेल में बंद हैं.

सूत्रों ने कहा कि एसआईए इस बात की भी जांच करेगी कि ये आतंकवादी कानून से बचने में कैसे कामयाब रहे और इतने लंबे समय तक पता लगाए बिना सामान्य जीवन कैसे जी रहे थे. इसके अलावा बड़ी आपराधिक साजिशों और उनकी सांठगांठ के अन्य पहलुओं तथा उन्हें मदद कौन कर रहा था, इसकी भी जांच की जाएगी.

सूत्रों ने कहा कि एसआईए फरार आतंकवादियों के मामले में हर सुराग का पीछा कर रही है और इसमें खुफिया इनपुट के करीबी समर्थन के साथ कई साल पहले हुई घटनाओं का पता लगाना शामिल है. उन्होंने कहा कि बचे हुए 127 भगोड़ों को ट्रैक करने के प्रयास जारी हैं जिसका आजतक पता नहीं चला.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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