नई दिल्ली: वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन का सामना करने के लिए सेना ने उत्तरी सीमाओं पर और अधिक के9 वज्र होवित्जर तोप तैनात करने का विचार बना लिया है. इसके लिए सेना निजी रक्षा प्रमुख लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) को 100 और k9 वज्र ट्रैक्ड सेल्फ-प्रोपेल्ड होवित्जर तोपों का ऑर्डर देने के लिए तैयार है.
सेना स्वदेशी उन्नत टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस) 155 मिमी/52 कैलिबर होवित्जर के बाकी के ट्रायल्स को भी तेजी से पूरा करने की कोशिश कर रही है. इनका इस्तेमाल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर औपचारिक फायरिंग के लिए किया गया था.
155mm/52 कैलिबर वज्र यानी दक्षिण कोरियाई तोपों के लिए फिर से 100 और ऑर्डर दिए जाएंगे. ये तोपें एलएंडटी द्वारा गुजरात में स्वदेशी रूप से निर्मित की जाती हैं.
2017 में एलएंडटी ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत K9 वज्र की 100 यूनिट की सप्लाई के लिए 4,500 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था. इसके लिए एलएंडटी ने दक्षिण कोरियाई कंपनी हनवा कॉर्पोरेशन के साथ तकनीकी हस्तांतरण के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए.
एलएंडटी के मुताबिक, के9 वज्र को 80 फीसदी स्वदेशी वर्क पैकेज के साथ डिलीवर किया जाता है और इसके निर्माण से जुड़े कार्यक्रम के स्तर पर (वैल्यू के आधार पर) 50 फीसदी स्वदेशीकरण हो चुका है.
कंपनी का कहना है कि उसने प्रोजेक्ट की शुरुआत से ही स्वदेशीकरण शुरू कर दिया था. ट्रायल के लिए कोरियाई ‘के9 थंडर’ में 14 महत्वपूर्ण प्रणालियों को स्वदेशी रूप से विकसित और उत्पादित सिस्टम के साथ बदला गया है.
एलएंडटी ने तय समय से पहले ही सभी तोपों की डिलीवरी कर दी थी और आखिर में बची कुछ तोपों को पिछले साल फरवरी में सौंप दिया गया था.
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और 200 ऑर्डर दिए जाने की योजना
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक सूत्र ने बताया, ‘हमें 100 और वज्रों के ऑर्डर के लिए रक्षा मंत्रालय से मंजूरी मिल गई है. प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जल्द ही एलएंडटी को जारी किया जाएगा जिसके बाद लागत पर बातचीत की जाएगी. हम इस पर तेजी से काम करेंगे और उम्मीद है कि जल्द ही डिलीवरी शुरू हो जाएगी.’
दिप्रिंट को पता चला है कि नए वज्र के इस ऑर्डर के पूरे हो जाने के बाद 100 और वज्र के लिए एक और ऑर्डर दिया जा सकता है. सेना की योजना कुल 300 तोपों को तैनात करने की है. इन तोपों को शुरू में रेगिस्तानी इलाकों में इस्तेमाल के लिए खरीदा गया था.
मई 2020 में एलएसी पर तनाव बढ़ने के साथ सेना ने ट्रायल के तौर पर इनमें से तीन ट्रैक किए गए होवित्जर को पूर्वी लद्दाख में तैनात करने का फैसला किया. इन तोपों को विंटराइजेशन किट से लैस किया गया था ताकि होवित्जर को शून्य से नीचे के तापमान में काम करने के लायक बनाया जा सके. क्योंकि उन्हें रेगिस्तान में संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था.
दिप्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, इसने अपनी ताकत साबित की जिसके बाद सेना ने अपनी मारक क्षमता बढ़ाने के लिए पूर्वी लद्दाख में इन तोपों की एक पूरी रेजीमेंट (20 बंदूकें एक रेजीमेंट बनाती हैं) तैनात की.
एक अन्य सूत्र ने बताया, ‘हम मौजूदा 100 वज्रों के लिए पहले ही विंटराइजेशन किट खरीद चुके हैं. अब नए वज्र को पहाड़ी इलाकों के लिए खरीदा जा रहा है और वह विंटराइजेशन किट के साथ आएंगे.’
विंटराइजेशन किट में एक विशिष्ट तेल, लुब्रिकेंट, हीटिंग सिस्टम और बंदूक के फायर और कंट्रोल सिस्टम में छोटे बदलाव सहित नौ आइटम शामिल हैं.
वज्र मूलरूप से रेगिस्तान के लिए बने थे
सेना ने 2017 में ऑर्डर देने से पहले वज्र का ट्रायल किया था, लेकिन यह ट्रायल रेगिस्तानी इलाकों के लिए था, न कि उच्च ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों के लिए. होवित्जर का सिस्टम ऐसे दुर्लभ वातावरण और अत्यधिक ठंड में अलग तरह से काम करता है.
एक तीसरे सूत्र ने बताया, ‘जब लद्दाख संकट शुरू हुआ, तो हमें अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ा. हमने इन तोपों को परीक्षण के लिए लद्दाख में रखा और उन्होंने हमारी उम्मीदों पर खरा उतरते हुए बेहतर प्रदर्शन किया. और इसलिए हमने इन तोपों को और अधिक संख्या में खरीदने का फैसला किया है.’
सूत्रों ने बताया कि सेना 200 और वज्रों की तरफ देख रही है, लेकिन वह पहले से ज्यादा संख्या में ऑर्डर नहीं दोहरा सकती है. उन्होंने कहा कि नया ऑर्डर 100 होवित्जर के लिए होगा और दूसरा ऑर्डर पूरा हो जाने के बाद ही अगला ऑर्डर दिया जा सकता है.
क्योंकि ये शक्तिशाली ट्रैक वाले होवित्जर हैं, सेना इन्हें पहाड़ों में बड़े पैमाने पर तैनात कर सकती है और इसे ज्यादा मारक क्षमता से लैस कर सकती है.
सेना पहले ही अमेरिका से 145 M777 हल्के होवित्जर खरीद चुकी है, जिन्हें विशेष रूप से पहाड़ों में तैनात किया जाएगा. इन हल्के होवित्जर को चिनूक हेलीकॉप्टरों द्वारा आसानी ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है और साथ ही इन्हें आसानी से एक घाटी से दूसरी घाटी में भी ले जाया जा सकता है.
ATAGS को तेजी से ट्रैक किया जा रहा है
एटीएजीएस का विवरण देते हुए सूत्रों ने बताया कि सेना गन सिस्टम को तेजी से शामिल करने के लिए बाकी बचे परीक्षणों पर नज़र रखे हुए है. इन्हें रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और निजी कंपनियों भारत फोर्ज और टाटा द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है.
सूत्रों ने बताया कि फायरिंग के ट्रायल पूरे हो चुके हैं और इसने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है.
यह मेंनेटेनेबिलिटी ट्रायल से भी गुजर चुका है और मौजूदा समय में पर्यावरणीय परीक्षणों से गुजर रहा है. इस चरण के दौरान होवित्जर के विभिन्न हिस्सों को धूल, ठंड और गर्मी जैसे मुश्किल पर्यावरणीय ट्रायल्स से गुजरना पड़ा, ताकि यह देखा जा सके कि वे मौसम की हर स्थिति में कैसा प्रदर्शन करते हैं.
एक सूत्र ने कहा, ‘दोनों कंपनियों ने हाल ही में हमें एक ही पीस के एक से अधिक हिस्से दिए हैं ताकि परीक्षण में तेजी लाई जा सके. बाद में अधिग्रहण की प्रक्रिया पर काम किया जाएगा, जिसमें कीमत को लेकर सौदेबाजी और अन्य चीजें शामिल होंगी. उम्मीद है कि पूरी प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी हो जाएगी.’
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