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Friday, 29 March, 2024
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लद्दाख में तनाव घटाने के लिए सरकार चीन के ‘अत्यंत गोपनीय’ प्रस्ताव पर कर रही है विचार

एलएसी पर बरक़रार गतिरोध के बीच, लद्दाख़ की कड़कड़ाती सर्दी में आगे की तैनाती बनाए रखने के लिए, भारत और चीन दोनों अपनी अपनी सैनिक टुकड़ियों की, अदला-बदली जारी रखे हुए हैं.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि भारत सरकार वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव घटाने के लिए चीन की ओर से पेश एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जबकि दोनों सेनाएं लद्दाख में यथास्थिति बनाए हुए हैं.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने ये कहते हुए प्रस्ताव का ब्यौरा देने से मना कर दिया कि ये ‘अत्यंत गोपनीय’ है. ये पूछे जाने पर कि क्या प्रस्ताव में बख़्तरबंद तत्वों और तोपख़ाने के एलएसी से पीछे हटने की बात की गई है. सूत्रों ने इसका जवाब ना में दिया.

उन्होंने कहा कि अथॉरिटीज़ को, प्रस्ताव पर अभी अंतिम फैसला लेना है, लेकिन ‘बातचीत चल रही है.’

एक सूत्र ने बताया, ‘12 अक्तूबर को हुई सैन्य स्तर की बातचीत के दौरान चीनियों ने एक प्रस्ताव सामने रखा था. उस प्रस्ताव पर ग़ौर किया जा रहा है.’ सूत्र ने आगे कहा, ‘मामले पर शीर्ष स्तर पर विचार किया जा रहा है और ये गोपनीय है. इसी प्रकार हमने भी तनाव कम करने के लिए प्रस्ताव दिए हैं.’

भारत और चीन महीनों से लद्दाख़ में एक गतिरोध में उलझे हैं, जब एलएसी पर चीनी अतिक्रमण से पहली बार तनाव शुरू हुआ था. दोनों देशों की सेनाएं लद्दाख़ की कड़कड़ाती सर्दी में आगे की तैनाती बनाए रखने के लिए तैयार नज़र आती हैं.

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अभी तक कई दौर की राजनयिक और सैन्य वार्ताएं हो चुकी हैं, लेकिन किसी समाधान पर पहुंचना अभी बाक़ी है. दोनों देशों के बीच आठवें दौर की सैन्य वार्ता अपेक्षित है, लेकिन अभी कोई तारीख़ तय नहीं की गई है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले हफ्ते कहा था, कि सीमा पर गतिरोध को सुलझाने के लिए, भारत और चीन के बीच बातचीत चल रही है, और उन्होंने ये भी कहा कि जो कुछ चल रहा है, वो ‘गोपनीय’ है.

सैनिकों की अदला-बदली जारी

विवाद का अंत न होते देख, सेना ने लद्दाख में गर्मियों की रणनीति बनानी शुरू कर दी है और इलाक़े में सैनिकों की और अधिक स्थाई तैनातियों पर विचार कर रही है.


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इस महीने के शुरू में शीर्ष सरकारी सूत्रों ने कहा था कि भारतीय सेनाएं फॉरवर्ड इलाक़ों में अपनी तैनातियों में कोई एक तरफा कमी नहीं करेंगी. उन्होंने आगे कहा कि ऐसा कोई भी क़दम आपसी होगा और एक उचित सत्यापन प्रक्रिया के ज़रिए होगा, जिसे दोनों पक्षों को तय करना होगा.

सूत्रों ने कहा कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि कुछ ऐसे प्वाइंट्स पर जहां दोनों सेनाएं एक गतिरोध में उलझी हैं. भारतीयों को उस जगह तक पहुंचने में, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के मुक़ाबले ज़्यादा समय लगेगा, जिसके पास बेहतर सड़क संपर्क, और अपनी ओर सपाट मैदान होने का फायदा है.

एक सूत्र ने कहा, ‘ इसलिए आप ऐसी स्थिति में नहीं हो सकते, कि दोनों पक्ष बख़्तरबंद गाड़ियां और टैंक्स पीछे हटा लें, और बाद में पता चले, कि चीनी बाद में फिर लौट आए हैं, और हमें फिर उनके पीछे भागना पड़ रहा है’.

एलएसी पर मौजूदा स्थिति का विवरण देते हुए, एक दूसरे सूत्र ने कहा कि दोनों पक्ष यथास्थिति बनाए हुए हैं. इसका मतलब है कि भारत और चीन टकराव के सभी बिंदुओं पर, अपनी अपनी जगहों पर डटे हुए हैं, जिनमें पैंगॉन्ग त्सो के दक्षिणी किनारे शामिल हैं.

सूत्र ने आगे कहा, ‘हो सिर्फ ये रहा है कि दोनों पक्ष, अपनी अपनी सैनिक टुकड़ियों की, अदला-बदली जारी रखे हुए हैं. भारत यही कर रहा है और चीन भी यही कर रहा है’.

टुकड़ियों की अदला-बदली ये सुनिश्चित करने के लिए की जाती है, कि सैनिक फिट बने रहें और अधिक ऊंचाई, या बहुत ज़्यादा ठंड का शिकार न हो जाएं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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