नई दिल्ली: मोदी सरकार की ओर से लगातार स्वच्छ ऊर्जा पर जोर दिया जा रहा है. इसे देखते हुए सेना ने पीस स्टेशन में मौजूद अपनी कुछ यूनिट में सेडान, बस और मोटरसाइकिल जैसे कुछ इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल करने का फैसला किया है.
एक नई योजना के अनुसार, पीस स्टेशनों में मौजूद कुछ यूनिट में 25 प्रतिशत हल्के वाहन (कार), 38 प्रतिशत बसें और 48 प्रतिशत मोटरसाइकिल को इलेक्ट्रिक व्हीकल में बदल दिया जाएगा.
रक्षा सूत्रों ने बताया कि समयबद्ध रोड मैप के लिए भारतीय सेना की तैनाती, रिमोट लोकेशन की जरूरतों और ऑपेशनल प्रतिबद्धताओं सहित सभी फैक्टर पर विचार किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के दौरान क्या-क्या जरूरत होगी इस पर विचार करते हुए, इस बात का पूरा ध्यान रखा कि संस्थानों की भूमिका क्या होगी और कितने वाहनों की जरूरत पड़ेगी.
विश्व स्तर पर सैन्य टैंक सहित विभिन्न प्रकार के वाहनों के लिए ईवी या हाइब्रिड मॉडल देखे जा रहे हैं. उधर कई अमेरिकी कंपनियां भी अमेरिकी सेना के लिए हाइब्रिड और पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों पर काम कर रही हैं.
रक्षा सूत्रों ने बताया कि भारत 2030 और 2070 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के वैश्विक लक्ष्यों को पार करने वाले प्रमुख देशों में से एक के रूप में उभरा है.
एक सूत्र ने बताया, ‘कार्बन उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के लिए कई प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा हैं. इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) को इस दिशा में प्रभावी कदमों में से एक माना जाता है.
सूत्रों ने कहा कि इसलिए सेना ने ऑपरेशनल प्रतिबद्धताओं को ध्यान में रखते हुए जहां भी संभव हो ईवी को शामिल करने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है. इससे उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता में काफी कमी आएगी.
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सेना का रोडमैप
सेना के एक नोट में कहा गया है, ‘विभिन्न इलाकों में ईवीएस की जरूरत और रोजगार को ध्यान में रखते हुए, सेना पीस स्टेशनों में मौजूद यूनिट को धीरे-धीरे ईवी से लैस करेगी. सेना के एक नोट में कहा गया है कि लगभग 25 फीसद हल्के वाहन, 38 फीसद बसें और 48 फीसद मोटर साइकिल को पर्याप्त चार्जिंग बुनियादी ढांचे के साथ ईवी में बदल दिया जाएगा.
सूत्रों ने कहा कि सेना कैपिटल बजट के जरिए भी इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद कर रही है. इसका मतलब है कि आधुनिकीकरण और नए उपकरणों के लिए आवंटित बजट से उन्हें खरीदना है.
योजना के तहत शुरुआती चरण में चुनिंदा पीस स्टेशनों के लिए इलेक्ट्रिक बसें खरीदकर बसों की मौजूदा कमी को पूरा किया जाएगा.
सूत्रों ने कहा कि जल्द ही 60 इलेक्ट्रिक बसों और 24 फास्ट चार्जर के लिए ओपन टेंडर इंक्वायरी (ओटीई) निकाली जाएगी.
यह पूछे जाने पर कि क्या सेना ने इन बदलावों के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है, सूत्रों ने कहा कि ऑन बोर्ड चार्जिंग के लिए ऑफिस के पार्किंग एरिया और रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स में ईवी चार्जिंग पॉइंट्स बनाए जा रहे हैं.
इन चार्जिंग स्टेशनों में कम से कम एक फास्ट चार्जर और दो से तीन स्लो चार्जर होंगे.
सूत्रों ने कहा, हर स्टेशन में कितने ईवी आएंगे, उसके अनुमान के हिसाब से इलेक्ट्रिक सर्किट केबल और ट्रांसफार्मर लगाए जाएंगे. तो वहीं ईवी के कार्बन फुटप्रिंट को शून्य के करीब लाने के लिए चरणबद्ध तरीके से सौर पैनल से चलने वाले चार्जिंग स्टेशन बनाने की भी योजना है.
सेना को उम्मीद है कि ये वाहन सशस्त्र बलों में ईवी को आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगे.
सेना जो गाड़ियां सिविल हायर ट्रांसपोर्ट (सीएचटी) से हायर करती है उसमें भी पहले से ही इलेक्ट्रिक व्हीकल को हायर करना शुरू कर दिया है. दिल्ली कैंट जैसे स्टेशनों में चार्जिंग स्टेशन बना दिए गए हैं ताकि ईवी इंडक्ट किया जा सके. दिल्ली में कुछ चार्जिंग स्टेशन को सिविलियंस के लिए भी खोला गया है.
इस साल अप्रैल में सेना ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सामने मौजूद इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रदर्शन किया था.
टाटा मोटर्स, परफेक्ट मेटल इंडस्ट्रीज (पीएमआई) और रिवोल्ट मोटर्स जैसे ईवी निर्माताओं ने अपने संग्रह का प्रदर्शन किया और पिछले कुछ सालों के दौरान हासिल की गई तकनीक और ऑपरेशन रेंज पर प्रकाश डाला.
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