scorecardresearch
Thursday, 26 December, 2024
होमडिफेंसचीता और चेतक की जगह लेने के लिए HAL चॉपर्स को रक्षा मंत्रालय की मंज़ूरी, कामोव अभी अधर में

चीता और चेतक की जगह लेने के लिए HAL चॉपर्स को रक्षा मंत्रालय की मंज़ूरी, कामोव अभी अधर में

12 हेलिकॉप्टर्स- छह थल सेना और छह वायु सेना के लिए- अगस्त 2022 में डिलीवर किए जाएंगे.

Text Size:

नई दिल्ली: एक सरकारी बयान में बताया गया है कि रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को सरकारी उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएल) से 12 लाइट यूटिलिटी होलिकॉप्टर्स (एलयूएच) की ख़रीद को मंज़ूरी दे दी. इस क़दम से आख़िरकार चॉपर्स के चीता और चेतक बेड़े को बदलने का रास्ता साफ हो जाएगा.

ये 12 नए चॉपर्स एक सीमित सीरीज़ उत्पादन विन्यास के तहत आएंगे, जबकि निकासी और टोह के अलावा, ऊंचाई वाले क्षेत्रों तक लोगों तथा आपूर्ति के परिवहन के लिए काम आने वाले एलयूएच के लिए भारत की कुल मांग 400 से अधिक है.

अपेक्षा की जा रही है कि कुल ज़रूरत की कम से कम आधी एचएएल पूरी करेगा, जबकि एचएएल और दो रूसी कंपनियों- रशियन हेलिकॉप्टर्स तथा रोज़ोबोरोनएक्सपोर्ट- के बीच का एक संयुक्त उद्यम इंडो-रशियन हेलिकॉप्टर्स लि. (आआरजीएल) बाक़ी की आपूर्ति करेगा. आईआरजीएल भारत में रूसी कामोव 226टी हेलिकॉप्टर्स का उत्पादन करेगी.

लेकिन इस संयुक्त उद्यम के उत्पाद के लिए समझौता, जो 2015 में मोदी सरकार का पहला सरकार से सरकार का सौदा था, स्वदेशी अंश और लागत को लेकर अभी भी अधर में लटका हुआ है.

एलयूएच को अपेक्षा है कि सशस्त्र बलों को आपूर्ति की उसकी परियोजना गति पकड़ेगी, चूंकि रक्षा अधिग्रहण परिषद की मंज़ूरी ने, जिसके प्रमुख रक्षामंत्री राजनाथ सिंह हैं, एक औपचारिक समझौते का रास्ता साफ कर दिया है.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि 12 चॉपर्स की मंज़ूरी जिनमें छह थल सेना और छह भारतीय वायु सेना के लिए हैं, छोटी सी लगती है लेकिन ये सीमित सीरीज़ उत्पादन के तहत है.

एक सूत्र ने समझाया, ‘पहला एलयूएच अगस्त 2022 में डिलीवर किया जाएगा, जिसके बाद बल उन्हें इस्तेमाल करेंगे और अपने फीडबैक के साथ आगे के ऑर्डर देंगे’.

सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय को और 175 एलयूएच के लिए आवश्यकता की स्वीकृति देनी होगी, जिसका प्रस्ताव लंबित पड़ा है. ये डर व्यक्त किया जा रहा है कि समय रहते पर्याप्त ऑर्डर न मिलने से क्षमताएं बेकार पड़ी रहेंगी और ज़रूरी आइटम्स के उपलब्ध न होने से उत्पादन में देरी हो सकती है.

सूत्रों ने कहा कि एलयूएच ने सभी ट्रायल्स पूरे कर लिए हैं, जिनमें चीन के साथ चल रहे गतिरोध के दौरान, लद्दाख़ जैसे ऊंचे क्षेत्रों में ट्रायल्स भी शामिल हैं. एक दूसरे सूत्र ने कहा, ‘सशस्त्र बलों की जो ज़रूरतें थीं, उन सभी को एलयूएच ने पूरा कर लिया है. कर्नाटक के टुमाकुरू में एचएएल के नए हेलिकॉप्टर कारख़ाने में, उत्पादन पहले ही शुरू हो चुका है’.

ये चॉपर्स हेलिकॉप्टर्स के चीता और चेतक बेड़े की जगह लेंगे, जो 1960 के दशक में डिज़ाइन किए गए थे.


यह भी पढ़ें: भारत कश्मीर में चूक गया लेकिन LAC पर वो ऐसी गलती सहन नहीं कर सकता


LUH अधिक ऊंचाई पर ऑपरेशंस में सक्षम

चीता और चेतक चॉपर्स भले बहुत पुराने हो गए हों और इनके दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना तथा रख-रखाव का ख़र्च अधिक हो, लेकिन ख़ासकर सियाचिन ग्लेशियर जैसे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में, सशस्त्र बलों के लिए ये एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा हैं.

एलयूएच में, जिसे इसी साल ‘सेंटर फॉर मिलिट्री एयर वर्दीनेस एंड सर्टिफिकेशन से, सेना के लिए प्रारंभिक परिचालन मंज़ूरी मिल गई थी, सेफरान हेलिकॉप्टर इंजन फ्रांस का, एक सिंगल टर्बो शाफ्ट इंजन आर्दिदेन 1यू लगा है.

इसकी सेवा की सीमा 21,325 फीट है और अंदरूनी फ्यूल टैंक्स के साथ इसकी रेंज 500 किलोमीटर है. दो क्रू सदस्यों वाला ये चॉपर, अधिकतम 235 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकता है और अधिकतम 3150 किलो वज़न के साथ उड़ान भर सकता है.

एलयूएच चॉपर स्मार्ट कॉकपिट डिसप्ले सिस्टम (ग्लास कॉकपिट) और स्वास्थ्य और उपयोग निगरानी प्रणाली से भी लैस है, और इसे अलग अलग उपयोगों और सशस्त्र भूमिकाओं के लिए डिज़ाइन किया गया है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments