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Saturday, 21 December, 2024
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चीन ने गलवान में होने वाली मौतों की संख्या बढ़ाकर 5 की, कहा- PLA सैनिकों को ‘घेरा’ गया था

चीन की न्यूज़ एजेंसी शिन्हुआ ने कहा कि रेजीमेंटल कमांडर की फेबाओ के साथ साथ कई सैनिकों को घेरा गया था.

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नई दिल्ली: पिछले साल जून में भारतीय सैनिकों के साथ झड़पों में उसके चार सैनिकों के मारे जाने का दावा करने के पांच महीने बाद चीन ने अब मरने वाले सैनिकों की संख्या को संशोधित करके पांच कर दिया है.

गलवान घाटी संघर्ष का ताजा ब्योरा देते हुए चीन की राज्य संचालित शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने सोमवार को बताया कि ‘रेजिमेंटल कमांडर की फेबाओ सहित कई सैनिकों को भारतीय सैनिकों द्वारा घेर लिया गया था.’

ग्लोबल टाइम्स द्वारा कोट की गई रिपोर्ट में इस बात का ब्यौरा दिया गया है कि ‘कैसे चीनी अधिकारियों और सैनिकों ने 2020 में गलवान घाटी संघर्ष में अपने प्राणों की आहुति दी, जिसमें शहीद चेन होंगजुन शामिल हैं.’

इसमें कहा गया है कि बटालियन के कमांडर 33 वर्षीय चेन होंगजुन ने जून 2020 में गलवान घाटी में भारत के साथ ‘फ्रंटलाइन डिफेंस लड़ाई’ में अपने चार साथियों जो कि काराकोरम माउंटेन्स के शिनजियांग मिलिट्री कमांड में मौजूद थे- के साथ अपने जीवन को बलिदान कर दिया.

चीन में एक बटालियन कमांडर भारतीय सेना में एक बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर के बराबर के रैंक का होता है.


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चीन से अलग अनुमान

इस साल फरवरी में चीन ने पहली बार स्वीकार किया था कि इस संघर्ष में पीएलए के चार सैनिक मारे गए थे. चीन ने बात ऐसे समय में स्वीकार की थी जब पैंगोंग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर भारत और चीन की सेनाएं डिसइंगेज हो रही थीं.

हालांकि, भारतीय रक्षा और सुरक्षा सूत्रों का मानना था कि मरने वालों की संख्या चीन द्वारा आधिकारिक तौर पर बताई गई संख्या से काफी अधिक थी. दिप्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक इसका कारण यह था कि भारत के साथ विभिन्न स्तरों की वार्ताओं के दौरान, चीनी अधिकारियों ने अनधिकृत रूप से-उनके गलवान संघर्ष में मरने वालों के विरोधाभासी आंकड़े दिए.

अनौपचारिक रूप से साझा किए गए आंकड़े में यह संख्या पांच से 14 तक थी.

दिप्रिंट ने यह भी बताया था कि इस धारणा के विपरीत कि भारतीय पक्ष की तुलना में पीएलए की संख्या गलवान घाटी ज्यादा थी. चीन को नुकसान हुआ और उन्हें रात में और सेना बुलानी पड़ी.

चीन की भी मीडिया में भी ऐसी ही रिपोर्ट सामने आई थी. चेन होंगजुन के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है, ‘लड़ाई के दौरान, जब रेजिमेंटल कमांडर की फेबाओ को भारतीय सैनिकों ने घेर लिया, चेन होंगजुन दो अन्य सैनिकों को साथ ले गए और भारतीय सैनिकों द्वारा फेंके जा रहे पत्थरों के खिलाफ आगे बढ़कर मुकाबला किया.

अपने शरीर को ढाल के रूप में इस्तेमाल करते हुए चेन ने की को बचाया. जैसे ही उन्होंने देखा कि कई सैनिकों को भारतीय सैनिकों ने घेर लिया है, चेन होंगजुन एक बार फिर बिना किसी हिचकिचाहट के घूमे और सैनिकों को फिर से युद्ध के मैदान में प्रेरित किया. भारत ने इस संघर्ष में 20 सैनिकों को खो दिया था.

जहां कुछ मौतें झड़पों की वजह से हुईं, वहीं नदी के ठंडे पानी में गिरने के बाद बड़ी संख्या में सैनिकों की हाइपोथर्मिया से मौत हो गई.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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