नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि सात महीनों में पहली बार चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर देपसांग मैदानों समेत टकराव के सभी बिंदुओं पर चर्चा के लिए सहमत हो गया है.
चीन ने पहले चर्चा को पैंगांग त्सो के दक्षिणी और उत्तरी किनारों तक सीमित करने की कोशिश की थी लेकिन भारत ज़ोर दे रहा था कि टकराव के सभी बिंदुओं पर बातचीत होनी चाहिए.
पूर्वी लद्दाख में ज़मीनी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है और रक्षा व सुरक्षा अनुष्ठान के सूत्रों ने कहा कि कोर कमांडर स्तर की एक और दौर की वार्ता या तो इसी हफ्ते या फिर अगले हफ्ते हो सकती है.
एक सूत्र ने कहा, ‘चीन टकराव के सभी बिंदुओं पर बातचीत के लिए सहमत हो गया है. अगर सब कुछ सही रहा तो अगले दौर की वार्ता इसी हफ्ते हो सकती है, जहां आगे की बातचीत की जाएगी’.
चीन मांग कर रहा था कि दोनों पक्ष अपने टैंकों और तोपखाने को फॉरवर्ड इलाकों से पीछे हटाकर वापस अपनी शांति वाली जगहों पर ले आएं. उसने ये भी सुझाया था कि भारतीय सैनिक, पैंगांग त्सो के दक्षिणी किनारे पर रणनीतिक ऊंचाईयों को खाली कर दें और चीनी सैनिक फिंगर 4 एरिया से पीछे हट जाएंगे, जिसे फिर नो-गो ज़ोन की तरह माना जाएगा.
लेकिन भारत का रुख ये रहा है कि लद्दाख में टकराव के सभी बिंदुओं पर पीछे हटने और तनाव कम करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का दायित्व चीन पर है चूंकि आक्रामक वही है.
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आखिरी दौर की वार्ता
शुक्रवार को हुई आठवें दौर की बातचीत के बाद रविवार को बीजिंग और नई दिल्ली की ओर से जारी एक साझा बयान में कहा गया कि बकाया मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों पक्ष सैन्य और कूटनीतिक चैनलों के ज़रिए संवाद और संचार बनाए रखने और बातचीत को आगे बढ़ाने पर सहमत हो गए हैं. दोनों सेनाएं भी जल्द ही एक और दौर की बैठक के लिए रज़ामंद हो गईं.
शुक्रवार को हुई वार्ता में भारतीय डेलीगेशन की अगुवाई 14 कोर के नए कमांडर ले. जन. पीजीके मेनन ने की.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने शुक्रवार को कहा था कि एलएसी पर पीछे हटने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए भारत और चीन सैन्य और कूटनीतिक स्तरों पर लगातार करीबी संपर्क बनाए हुए हैं.
शुक्रवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने भी इस मुद्दे पर बात की थी और भारत के रुख को ये कहते हुए स्पष्ट किया था कि यथास्थिति को बहाल करना होगा और भारत एलएसी में किसी बदलाव को मंज़ूर नहीं करेगा.
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