नई दिल्ली: भारतीय सेना अपने पुनर्गठन की व्यापक योजना के तहत अपनी मैनपावर बढ़ाने के लिए तीन अतिरिक्त बटालियन— करीब 3,000 सैनिकों के साथ तैयार करने जा रही है. दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक इनकी संख्या और बढ़ाने के विकल्प भी खुले हुए हैं.
रक्षा सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि इस कदम के लिए योजना 2013 के आसपास बनी थी, जब 17वीं माउंटेन कोर के गठन की अनुमति दी गई थी. साथ ही आगे जोड़ा कि हालांकि, बटालियनों के गठन की निर्णायक मंजूरी कुछ हफ्तों पहले ही मिली है.
17वीं कोर में नियमित तौर पर तीन के बजाये दो डिवीजन रखी जानी थीं लेकिन अब केवल 59वीं डिवीजन, जो पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में तैनात है, को छोड़कर बाकी को आर्थिक बाध्यताओं के कारण खत्म कर दिया गया है.
अतिरिक्त तीन बटालियनों को सिख, कुमाऊं और जम्मू-कश्मीर राइफल्स रेजिमेंट के तहत गठित किया जाएगा.
सेना की तरफ से दिप्रिंट को बताया गया कि यह कदम मौजूदा पुनर्गठन योजना का हिस्सा है न कि लद्दाख में भारत-चीन के बीच गतिरोध का नतीजा.
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘सभी बटालियनों को एक साथ गठित करना संभव नहीं है इसलिए ये चरणबद्ध तरीके से निर्धारित किया गया है.’
ये फैसला ऐसे समय पर आया है जबकि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ चले एक लंबे गतिरोध के बाद सैनिकों की वापसी शुरू हुई है, जो प्रक्रिया अभी चल ही रही है.
भारत के रक्षा प्रतिष्ठान की तरफ से कई बार दोहराया जा चुका है कि भविष्य में चीन और पाकिस्तान के साथ दोहरे मोर्चे पर टकराव की आशंकाओं को खारिज नहीं किया जा सकता है.
एक सूत्र ने कहा, ‘पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य वापसी के बीच भारत सीमा प्रबंधन के हाल की समीक्षा करता रहेगा और क्षेत्र में किसी आकस्मिक स्थिति में अतिरिक्त सैनिकों की व्यवस्था रखने की जरूरत पड़ सकती है.’
सूत्रों ने कहा कि अभी तीन बटालियन तैयार की जानी है लेकिन भविष्य में ऑपरेशनल जरूरतों के आधार पर इनकी संख्या और बढ़ाने के विकल्प खुले हैं.
मौजूदा समय में सेना में 400 से अधिक इन्फैंट्री बटालियन हैं.
इस बीच, जबकि सेना में पुनर्गठन के तौर पर समग्र स्तर पर मैनपावर घटाने की बातें चल रही है, सेना के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि मुख्यत: इसका उद्देश्य टूथ टू टेल रेशियो बढ़ाना है और अतिरिक्त मैनपावर के साथ युद्धक हथियारों की व्यवस्था करना ही इसका एक तरीका है.
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अन्य संभावित कारण
एक दूसरे रक्षा सूत्र ने कहा कि पुनर्गठित स्ट्राइक कोर में भी अतिरिक्त सैनिकों की जरूरत होगी.
दिप्रिंट ने ही सबसे पहले रिपोर्ट की थी कि चीन की तरफ वाले पहाड़ों के लिए सेना दो स्ट्राइक कोर तैनात करने और इस उद्देश्य के लिए मथुरा स्थित 1 कोर को फिर इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है.
वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि खासकर पहाड़ों पर जमीनी मोर्चा संभालने और आक्रामक कार्रवाई करने दोनों के लिए हमेशा ही अतिरिक्त पैदल जवानों की आवश्यकता होती है.
दूसरे सूत्र ने स्पष्ट किया कि बटालियनों को बढ़ाना सैनिकों की शांत क्षेत्र में तैनाती और फील्ड प्रोफाइल के बेहतर प्रबंधन में मददगार साबित होगा.
लद्दाख गतिरोध के कारण बड़ी संख्या में यूनिटों, जो कि फील्ड तैनाती के बाद पीस लोकेशन में चली गई थीं, को शांत क्षेत्रों में कम समय मिला और उन्हें तत्काल तैनाती के लिए लद्दाख जाना पड़ा.
एक बटालियन को तैयार करने में लगभग छह महीने लगते हैं, जिसके लिए मैनपावर का इंतजाम रेजिमेंट की अन्य बटालियनों के साथ-साथ नई भर्तियों के जरिये होता है.
एक बार गठन हो जाने के बाद बटालियन को शांत माने जाने वाले किसी क्षेत्र में भेज दिया जाता है जहां से किसी मोर्चे पर भेजे जाने से पहले उन्हें प्रशिक्षित किया जा सकता है.
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‘पश्चिमी सेक्टरों में तैनाती का पुनर्संतुलन’
विशेषज्ञों ने कहा कि संभवत: भविष्य में पूर्वी लद्दाख में अतिरिक्त बलों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर नई बटालियनों के गठन की जरूरत महसूस की गई होगी.
14वीं कोर में कमांडर और सेना में एडजुटेंट जनरल रह चुके लेफ्टिनेंट जनरल राकेश शर्मा (सेवानिवृत्त), जिन्हें मैनपावर प्रबंधन का भी अनुभव रहा है, ने दिप्रिंट से कहा, ‘भविष्य में इस क्षेत्र में स्थायी रूप से अतिरिक्त बटालियन तैनात करने की आवश्यकता पड़ सकती है.’
उन्होंने कहा, ‘हो सकता है कि ये निर्णय पश्चिमी सेक्टर में तैनाती को पुनर्संतुलित करने और स्ट्राइक कोर, खासकर एक डिवीजन के साथ आंशिक तौर पर गठित 17वीं स्ट्राइक कोर, की जरूरतों को ध्यान में रखकर लिया गया हो.’
उन्होंने आगे जोड़ा, ‘हालांकि, यह भी जरूरी है कि पुनर्संतुलन के साथ-साथ साइबर और अंतरिक्ष हमलों जैसे तरीकों से निपटने को ध्यान में रखकर इस पर आगे बढ़ा जाए.’
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