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Thursday, 25 April, 2024
होमडिफेंसउत्तरी सेना के कमांडर ने बताया किस तरह चीन लद्दाख़ में पीछे हटने पर बातचीत करने को मजबूर हुआ

उत्तरी सेना के कमांडर ने बताया किस तरह चीन लद्दाख़ में पीछे हटने पर बातचीत करने को मजबूर हुआ

ले. जन. वाईके जोशी का कहना है, कि पीएलए फिंगर्स 4 और 8 के बीच से हटने को तैयार नहीं थी, लेकिन फिर कैलाश हाइट्स पर क़ब्ज़ा करके, भारत ने चीन को अपनी शर्तों पर बातचीत करने को मजबूर कर दिया.

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नई दिल्ली: लद्दाख़ में पैंगॉन्ग त्सो से भारत-चीन का पीछे हटना, जिन परिस्थितियों के तहत है, वो भारत के ज़्यादा अनुकूल हैं, जो हमारी एक कामयाबी है- ऐसा मानना है उत्तरी सेना के कमांडर ले. जन. वाईके जोशी का.

जोशी ने दिप्रिंट से कहा कि पिछले अगस्त में, सेना के झील के दक्षिणी किनारे की ऊंचाइयों पर क़ब्ज़े की कार्रवाई ने, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर पासा पलट दिया, और उसे बातचीत के लिए, आगे आने पर मजबूर कर दिया.

चीनी आक्रामकता के जवाब में, भारत के ऑपरेशन स्नो लैपर्ड की निगरानी करने वाले, ले.जन. जोशी ने कहा, ‘भारत और चीन के बीच जो समझौते और प्रोटोकोल्स थे, चीन ने उनका एकतरफा उल्लंघन किया. पीएलए ने अपने बल को, लामबंद, तैनात, और इस्तेमाल करके, एलएसी पर यथा स्थिति को एकतरफा तरीक़े से बदलने की कोशिश की’.

कारगिल युद्ध के हीरो और चीन में पूर्व रक्षा अताशे, जोशी ने कहा कि उत्तरी कमांड ने अतिक्रमण के जवाब में, ‘तेज़ी से अपने बलों को लामबंद किया, और उन्हें पूरी ताक़त के साथ, सीधे टकराव के बिंदुओं के सामने डटा दिया’.

उन्होंने कहा कि कोर कमांडर स्तर पर पांच दौर की बातचीत, और दूसरे स्तरों पर सिलसिलेवार वार्त्ता से भी, कोई समाधान नहीं निकल पाया.

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उन्होंने कहा, ’29-30 अगस्त की रात को पीएलए ने फिर से, पैंगॉन्ग त्सो के दक्षिणी किनारे के सामने के इलाक़ों में, एक आक्रामक कार्रवाई की. उसके बदले में उत्तरी कमांड ने कैलाश रेंज की सबसे प्रमुख ऊंचाइयों, रेचिन ला और रेज़ांग ला पर क़ब्ज़ा कर लिया. ये वो ऊंचाइयां हैं जहां से मॉल्डो गैरिसन, और एलएसी के बहुत आगे तक का इलाक़ा नज़र आता है’.

नॉर्दर्न आर्मी कमांडर का चार्ज संभालने से पहले, लेह स्थित 14 कोर की कमान संभाल चुके ले. जन. जोशी ने कहा, कि एक साथ की गई कार्रवाई में, झील के उत्तरी किनारे की फिंगर 4 की ऊंचाइयों पर भी, क़ब्ज़ा कर लिया गया.

उन्होंने कहा, ‘इस कार्रवाई ने पीएलए के खिलाफ पासा पलट दिया, और पीएलए बातचीत के लिए आगे आने पर मजबूर हो गई. 9वें दौर की वार्त्ता में, पीएलए ऐसी परिस्थितियों में पीछे हटने को तैयार हो गई, जो हमारे अनुकूल थीं’.


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सत्यापन प्रक्रिया

पीछे हटने की प्रक्रिया की व्याख्या करते हुए, जिसे उनके अनुसार लिखित रूप दिया गया है, और मुख्यालय से पुष्टि होने के बाद, जिसपर कार्रवाई भी शुरू हो गई है, ले. जन. जोशी ने कहा कि इसमें चार चरण हैं, जिसमें हर चरण के बाद निगरानी और सत्यापन किया जाना है.

अधिकारी, जिन्हें मैडरिन भाषा में निपुण माना जाता है, और जो चीनियों की मानसिकता को समझते हैं, ने कहा कि प्रक्रिया के पहले चरण में, बख़्तरबंद और मिकेनाइज़्ड यूनिट्स, निर्धारित लाइनों से पीछे हटेंगी. दूसरे और तीसरे चरण में, पैंगॉन्ग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से पैदल सैनिकों को हटाना है, और चौथे चरण में कैलाश रेंज से वापस आना है.

उन्होंने बताया कि जब दोनों ओर की सेनाएं, पहले चरण के पूरा होने से संतुष्ट हो जाएंगी, तभी दूसरा चरण शुरू किया जाएगा.

जोशी ने कहा, ‘हर दिन एक फ्लैग मीटिंग के साथ शुरू होता है, जिसमें उस दिन होने वाली गतिविधियों की पुष्टि की जाती है, और दिन ख़त्म होने पर, हॉटलाइन लाइन संदेशों की अदला-बदली होती है, जिसमें पुष्टि की जाती है कि दोनों पक्षों ने, अपने हिस्से का काम कर लिया है. हम सुविधाजनक स्थानों तथा यूएवीज़ से, निरंतर इसकी निगरानी कर रहे हैं. जब भी ज़रूरत महसूस होती है, तो सेटेलाइट चित्रों और एयरफोर्स फोटो रेकी मिशंस का भी सहारा लिया जाता है. अस्पष्टता अथवा संदेह की किसी भी स्थिति में, फ्लैग मीटिंग में उसे स्पष्ट कर दिया जाता है’.

नॉर्दर्न आर्मी कमांडर ने ये भी कहा, कि अगले दिन की फ्लैग मीटिंग में, वापसी की योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा भी की जाती है, और अगर कोई विवादास्पद मुद्दे सामने आ जाएं, तो उनपर भी चर्चा की जाती है.

उन्होंने कहा कि अभी तक की प्रगति संतोषजनक रही है, और पीएलए ने ‘उद्देश्य के प्रति ईमानदारी का इज़हार’ किया है. 200 से अधिक टैंक और तोपखाने के अंश हटा लिए गए हैं.

जोशी ने कहा, ‘इस गतिविधि की सेटेलाइट चित्रों और एयरफोर्स के फोटो रेकी मिशंस के ज़रिए पुष्टि की गई है. प्रेक्षण स्थलों से देखा जा सकता है, कि पीएलए ने आश्रयों को हटाने, तथा क़िलाबंदियों और हैलिपैड्स को उखाड़ने का काम शुरू कर दिया है’.

वापसी की स्थिति पर दिप्रिंट की, 15 फरवरी की रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए उन्होंने कहा, कि फिंगर 5 से चीन-निर्मित जैटी को हटा लिया गया है, और उससे जुड़ा इनफ्रास्ट्रक्चर भी वहां से हटाया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘इस बात पर सहमति बन गई है कि वो सभी ढांचे, जो अप्रैल के बाद बनाए गए थे, हटा दिए जाएंगे और वो इस प्रतिबद्धता का पालन करते दिख रहे हैं. हम कह सकते हैं कि दूसरा चरण पूरा कर लिया गया है, और अब तीसरा चरण चल रहा है’.


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नो-पैट्रोल ज़ोन

ले. जन. जोशी ने फिंगर 4 और 8 के बीच, उस क्षेत्र पर भी बात की, जहां कोई गश्त नहीं होती, और इस आलोचना का खंडन किया, कि भारत ने चीन से नुक़सान उठाया है.

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि दोनों पक्ष अपनी अप्रैल 2020 की स्थितियों पर लौट गए हैं- भारतीय सेना के पास धन सिंह थापा चौकी (फिंगर 2 और 3 के बीच) थी, और फिंगर 8 के पूर्व में पीएलए थी. उन्होंने कहा कि पीएलए फिंगर 4 तक गश्त लगाती थी. उन्होंने आगे कहा कि भारत एलएसी को फिंगर 8 के साथ साथ समझता है, जबकि चीन उसे फिंगर 4 तक मानता है.

उन्होंने कहा, ‘अप्रैल 2020 के बाद, पीएलए ने फिंगर 4 तक का इलाक़ा क़ब्ज़ा लिया, जहां उन्होंने डोंगियां, सैंगर्स, हैलिपैड्स बना लिए, टैंट्स गाड़ लिए और दूसरे ढांचे बना लिए थे. मौजूदा सहमति के अनुसार, दोनों पक्ष अप्रैल 2020 वाली स्थिति पर लौट गए हैं, जहां हमारी अंतिम चौकी धन सिंह थापा ही बनी हुई है, और पीएलए फिंगर 8 के पूर्व में चली गई है’.

ले.जन.जोशी, जिन्होंने लेह में 3 इनफैंट्री डिवीज़न को भी कमांड किया है, ने कहा कि कुछ लोग एक ग़लत धारणा पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं, कि इस नो-पैट्रोलिंग क्षेत्र को स्वीकार करके, भारत पीएलए के मुक़ाबले नुक़सान में रहा है.

उन्होंने कहा, ‘सच्चाई ये है कि हमारे लिए, ये एक बहुत बड़ी कामयाबी है. पहली, पीएलए उस लाइन से पीछे हट रही है, जिसका हम दावा करते हैं, जो फिंगर 8 है. दूसरी, इस समझौते के तहत वो फिंगर 4 तक, गश्त का फायदा नहीं उठाएंगे. बल्कि पीएलए उन इलाक़ों में, सैन्य या किसी भी तरह की, कोई गतिविधि नहीं कर पाएगी, जिनपर हमारा दावा है. तीसरे, वो हमारे दावे की लाइन से अंदर की सारी ज़मीन ख़ाली करेंगे, और वहां से वो सारे ढांचे उखाड़ेंगे, जो अप्रैल 2020 के बाद बनाए गए थे. इसलिए वास्तविकता को सही दृष्टिकोण से समझने की ज़रूरत है’.

अधिकारी ने ये भी कहा कि एक समय पीएलए, फिंगर 4 और 8 के बीच के इस इलाक़े को, ख़ाली करने से इनकार कर रही थी, लेकिन 29 और 30 अगस्त को पासा पलटने के बाद, ‘वो हमारी शर्तों के अनुसार, मोलभाव करने को मजबूर हो गई’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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