नई दिल्ली: दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि भारतीय सेना और वायु सेना ने चीन के साथ लगती सीमाओं पर अपनी लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय से 156 अतिरिक्त लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) का ऑर्डर देने के लिए कहा है. इस हेलिकॉप्टर का नाम प्रचंड है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि इसका निर्णय रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) द्वारा लिया जाएगा. लेकिन प्रस्ताव यह है कि सेना को प्रचंडों में से 90 और भारतीय वायु सेना (IAF) को 66 विमान मिलेंगे.
ये भारतीय वायुसेना द्वारा संचालित 22 अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों और सेना के छह हेलीकॉप्टरों के अलावा होंगे, जिन्हें अगले साल अमेरिकी विमानन प्रमुख बोइंग द्वारा भारत को डिलिवर किया गया था.
प्रचंड भारत का पहला स्वदेशी बहुउद्देश्यीय लड़ाकू हेलीकॉप्टर है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किया गया है. इसे रेगिस्तान और ऊंचाई वाले इलाकों में संचालन के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
पिछले अक्टूबर में जोधपुर एयरबेस पर हेलीकॉप्टर को भारतीय वायुसेना में शामिल करने पर, HAL ने दावा किया था कि प्रचंड दुनिया का एकमात्र हेलीकॉप्टर है जो 16,400 फीट की ऊंचाई पर उतर सकता है और उड़ान भी भर सकता है. इसके चलते इसका इस्तेमाल सियाचिन में ऑपरेशन के लिए भी किया जा सकता है. यह हवा से जमीन और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें फायर भी कर सकता है और दुश्मन की वायु रक्षा प्रणालियों को तुरंत नष्ट कर सकता है.
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प्रचंड की विशेषताएं और क्षमताएं
प्रचंड के डिजाइन और निर्माण को कथित तौर पर अक्टूबर 2006 में मंजूरी दे दी गई थी. HAL ने चार LCH प्रोटोटाइप बनाए जिनका कई चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में लगभग एक दशक तक परीक्षण किया गया, जिसमें चेन्नई में समुद्री परीक्षण, लेह में अत्यधिक ठंड के मौसम में परीक्षण और जोधपुर के रेगिस्तान तथा सियाचिन की ऊंचाई शामिल हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हेलीकॉप्टर को आखिरकार 2017 में इस्तेमाल करने की मंजूरी मिल गई.
प्रचंड में शक्ति इंजन लगा गया है, जिसे HAL और फ्रांस की सफ्रान ने मिलकर डेवलप किया है.
हेलीकॉप्टर लड़ाकू खोज और बचाव (CSSR), शत्रु वायु रक्षा का विनाश (DED), काउंटर इंसर्जेंसी (CIA) ऑपरेशन, धीमी गति से चलने वाले विमानों और दूर से संचालित विमान (RPA) के खिलाफ, उच्च ऊंचाई वाले बंकर को नष्ट करने जैसे ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है. इसके अलावा इसका इस्तेमाल जंगल और शहर में आतंकवाद और उग्रवाद विरोधी अभियान तथा जमीन पर मौजूद सुरक्षाबलों की सहायता के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
युद्ध की भूमिका में इसे तैनात किया जाता है तो यह कम दृश्य, कम आवाज और रडार जैसी गुप्त सुविधाओं के साथ अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल किया गया है. यह हेलीकॉप्टर अगले तीन से चार दशकों तक उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए सुसज्जित है.
ग्लास कॉकपिट और मिश्रित एयरफ्रेम संरचनाओं जैसी कई विमानन प्रौद्योगिकियों का स्वदेशीकरण किया गया है.
LCH 5.8 टन वर्ग का लड़ाकू हेलीकॉप्टर है जो अधिकतम 288 किमी प्रति घंटे की गति से उड़ सकता है और इसका लड़ने का दायरा 500 किमी है. इसमें 21,000 फीट की सर्विस सीलिंग तक की जा सकती है.
पायलट और को-पायलट, जिन्हें हथियार सिस्टम ऑपरेटर के रूप में जाना जाता है, एक ग्लास कॉकपिट में एक साथ बैठते हैं. हेलीकॉप्टर ध्रुवास्त्र हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस होंगे. मिसाइल के आर्मी संस्करण को हेलिना कहा जाता है.
(संपादनः ऋषभ राज)
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