scorecardresearch
Wednesday, 24 April, 2024
होमडिफेंससेना में मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता, J&K और लद्दाख के UTs बनने से आतंकी गतिविधि कम हुईं: राजनाथ

सेना में मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता, J&K और लद्दाख के UTs बनने से आतंकी गतिविधि कम हुईं: राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पड़ोसी देशों के साथ बातचीत के ज़रिए समाधान निकालने की कोशिश की जानी चाहिए.

Text Size:

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि गलवान घाटी में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिकों के बलिदान को भारत कभी नहीं भूलेगा. रक्षा मंत्री तीन दिन के लद्दाख के दौरे पर हैं और उन्होंने रविवार को पूर्वी लद्दाख में स्थिति का जायजा भी लिया.

कारू मिलिट्री सेंटर में एक सभा को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारी सेना के पास हर चुनौती का मुंह तोड़ जवाब देने की क्षमता है.

उन्होंने कहा, ‘जिन भी जवानों ने भारत की सीमा की सुरक्षा करते हुए शहादत दी है, देश उनकी शहादत को कभी भूल नहीं सकता… हमको अगर किसी ने आंख दिखाने की कोशिश की है तो उसको मुंह तोड़ जवाब भी हमने दिया है.’

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का ये दौरा तब हो रहा है जब लद्दाख में भारत-चीन विवाद को एक साल पूरे हो गए हैं. अप्रैल के अंत में सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने भी पूर्वी लद्दाख और सियाचीन का दौरा किया था.

गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ दिल्ली में सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें परिसीमन सहित राज्य का दर्जा बहाल करने पर बात हुई.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें


यह भी पढ़ें: शरद पवार के घर पर हुई बैठक बेरोज़गार नेताओं की सभा थी


‘सेना में मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता’

रक्षा मंत्री ने कहा कि पड़ोसी देशों के साथ बातचीत के ज़रिए समाधान निकालने की कोशिश की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘मंशा साफ होनी चाहिए. हम न तो किसी को आंख दिखाना चाहते हैं, न किसी का आंख दिखाना मंज़ूर है. हमारी सेना में हर चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता है.’

उन्होंने कहा, ‘हम विश्व शांति के पुजारी हैं. हम शस्त्र भी धारण करते हैं तो शांति की स्थापना के लिए. भारत ने आज तक किसी भी देश पर न तो आक्रमण किया है न ही किसी भी देश की एक इंच ज़मीन पर हमने कब्ज़ा किया है.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे बताया गया है कि 14वें कोर के खर्ड डिविजन की स्थापना 1962 में भारत-चीन युद्ध के दरमियान हुई थी. अपने स्थापना के कुछ वर्षों में ही 1965 की भारत-पाकिस्तान युद्ध में आपने निर्णायक भूमिका निभाई. कारगिल युद्ध में भी आपके वीरता के कहानियों ने देशवासियों का सिर ऊंचा किया.’

राजनाथ सिंह ने कहा, ‘आपकी वीरतापूर्ण कारनामों की वजह से ही आपको ‘त्रिशूल’ डिविजन के नाम से अलंकित किया गया है. आज आप भगवान शंकर के त्रिशुल के समान प्रचंड होकर, देश की उत्तरी सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि सीमा पर उभरते किसी भी परिस्थिति का सामना करने में आप सक्षम है.’

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा निर्मित 63 बुनियादी परियोजनाओं का भी सोमवार को उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने कहा, ‘जिन सड़कों का निर्माण बीआरओ कर रहे हैं वह देश की विकास की गति को बढ़ाने वाले हैं. आज 63 पुल और सड़कों का लोकापर्ण हुआ. ये बीआरओ कर्मियों की सूझबूझ से हुआ है.’


यह भी पढ़ें: अयोध्या रियल एस्टेट बूम वाला UP का नया शहर- राम मंदिर ने निवेशकों को आकर्षित किया, जमीन की कीमतें बढ़ीं


‘केंद्रशासित प्रदेश बनने से आतंकी गतिविधियां कम हुईं’

रक्षा मंत्री ने कहा कि दो साल पहले सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने का ऐतिहासिक फैसला लिया था. जब मैं लद्दाख के लोगों और हमारे सांसद जामयांग नाग्याल से बात करता हूं तो मुझे अंतर दिखता है. वो कहते हैं कि लद्दाख के लोग खुश हैं.

राजनाथ सिंह ने कहा, ‘केंद्र शासित प्रदेश की जरूरत क्यों पड़ी? इसका कारण है आतंकवाद और सामाजिक-आर्थिक विकास की कमी. लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही थीं.’

सिंह ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि कोई भी संवेदनशील सरकार इसे चलने देती. उन्होंने कहा, ‘केंद्रशासित प्रदेश बनने से राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत हुई और आतंकी गतिविधियों में कमी आई है और सेना अच्छा काम कर रही है.’

गौरतलब है कि जब रक्षा मंत्री लद्दाख के तीन दिवसीय दौरे पर हैं उसी वक्त रविवार तड़के जम्मू एयर बेस पर ड्रोन से हमला हुआ. ऐसा हमला भारत में पहली बार हुआ है.


यह भी पढ़ें: जल्दबाजी में वोक समुदाय को खारिज करने की गलती न करें, पांच बातें याद रखें


 

share & View comments