नई दिल्ली: आधुनिक असॉल्ट राइफलों के लिए भारतीय सेना की लम्बे समय से चल रही तलाश आखिरकार खत्म होने वाली है. भारत और रूस ने उत्तर प्रदेश के अमेठी के एक कारखाने में AK-203 राइफलों का संयुक्त उत्पादन शुरू किया है.
रूस के राज्य स्वामित्व वाले रक्षा समूह रोस्टेक के जनरल डायरेक्टर सर्गेई चेमेज़ोव ने एक बयान में कहा, ‘कलाश्निकोव AK-203 असॉल्ट राइफलों के सीरीज़ उत्पादन के शुरुआत के साथ उच्च गुणवत्ता, सुविधाजनक और आधुनिक छोटे हथियार भारत की रक्षा और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सेवा में प्रवेश करना शुरू कर देंगे.
इंडियन ऑर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी), कलाशनिकोव कंसर्न, और रोसोबोरोनेक्सपोर्ट, (रोस्टेक राज्य निगम की दोनों सहायक कंपनियों) के बीच स्थापित एक संयुक्त वेंचर, इंडो-रूस राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड के रूप में भारत में छह लाख से अधिक राइफलों का निर्माण किया जाएगा.
जबकि संयुक्त वेंचर में ओएफबी की 50.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है, कलाश्निकोव की 42 प्रतिशत और रोसोबोरोनेक्सपोर्ट की 7.5 प्रतिशत है.
रोडमैप के अनुसार, कम स्वदेशी सामग्री के साथ 70,000 राइफलों की प्रारंभिक खेप भारत में बनाई जानी है. पहले बैच में 5,000 राइफलें शामिल होंगी जिनमें केवल 5 प्रतिशत स्वदेशी घटक होने की उम्मीद है. सूत्रों ने बताया कि 32 महीनों में 70,000 का प्रारंभिक ऑर्डर पूरा होने पर यह बढ़कर 70 प्रतिशत हो जाएगा.
128 महीनों की अवधि में राइफलों को 100 प्रतिशत स्वदेशी कलपुर्जों से बनाने का विचार है.
भारत और रूस ने दिसंबर 2021 में उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में कोरवा ऑर्डनेंस फैक्ट्री के माध्यम से 6,01,427 7.63x39mm AK 203 असॉल्ट राइफलों की खरीद के लिए एक समझौता किया था, जिसका उद्घाटन 2019 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.
रोसोबोरोनेक्सपोर्ट के महानिदेशक एलेक्जेंडर मिखेव ने कहा कि भारतीय सेना को डिलीवरी जल्द शुरू होने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा, संयुक्त वेंचर अपने उत्पादों को तीसरे देशों में भी निर्यात करेगा.
रोस्टेक के बयान में यह भी कहा गया है कि रूस और भारत सैन्य-तकनीकी सहयोग परियोजनाओं को लागू करना जारी रखेंगे.
उन्होंने आगे जोड़ते हुए कहा कि ‘उनके वर्तमान और भविष्य के कार्यक्रम ज्यादातर तकनीकी सहयोग पर केंद्रित हैं, जिसमें संयुक्त उद्यमों के आधार पर, लाइसेंस प्राप्त उत्पादन और संयुक्त आर एंड डी परियोजनाए शामिल है.
2018 में हुई थी सौदे की घोषणा
AK-203 के सौदे की घोषणा पहली बार 2018 में गई थी, लेकिन कीमतों को लेकर बात नहीं बन पाई क्योंकि ओएफबी ने इतनी ज्यादा कीमत की मांग की कि उतने में सीधा रूस से आयात किया जा सकता था.
रक्षा मंत्रालय ने इस गतिरोध को दूर करने के लिए एक समिति का गठन भी किया था.
साथ ही देरी ने सेना को अपने सीमावर्ती सैनिकों को हथियार देने के लिए एक तेज़-ट्रैक प्रक्रिया के तहत अमेरिका से SiG 716 राइफलें मंगवाने के लिए मजबूर किया था.
AK-203 लेगी INSAS की जगह
नई राइफलें 5.56×45 मिमी INSAS (इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम) की जगह लेंगी, जो दो दशकों से अधिक समय से उपयोग हो रही है.
AK-103 की तुलना में, जो मूल रूप से संयुक्त उत्पादन के लिए था, AK-203 बंधनेवाला स्टॉक के साथ आता है जिसे एक शूटर की ऊंचाई के अनुसार एडजस्ट किया जा सकता है.
AK-203 में एक अलग सेफ्टी मैकेनिज्म भी है जो एक ऑपरेशन के दौरान फायरिंग मोड बदलते समय एक सैनिक को पकड़ नहीं खोने देता है. इसमें एक नया फ्लैश हैडर भी है जो नाइट विजन के साथ असॉल्ट राइफल का उपयोग करने में काम आता है.
राइफल एक नई बैरल एवं 30 से 50 राउंड वाले विनिमय योग्य मैगज़ीन के साथ आती है.
AK-47 मैगज़ीन का उपयोग एके 203 के साथ किया जा सकता है. इंडो-रूस राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड का नेतृत्व मेजर जनरल संजीव सेंगर करते हैं, जो फर्म के सीईओ हैं. अमेठी कारखाने के सीईओ के रूप में एक सेवारत मेजर जनरल को नियुक्त करने का फैसला सेना द्वारा लिया गया दशकों में पहला निर्णय है.
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(संपादन: अलमिना खातून)
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