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Friday, 22 November, 2024
होमडिफेंसक़तर में कैद नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों पर लगे सुपर-सीक्रेट सबमरीन प्रोग्राम की जासूसी करने के आरोप

क़तर में कैद नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों पर लगे सुपर-सीक्रेट सबमरीन प्रोग्राम की जासूसी करने के आरोप

क़तर का दावा है कि उसने ऐसे इलेक्ट्रोनिक संवादों को पकड़ा है जिनसे सिद्ध होता है कि वे नौसैनिक अधिकारी पनडुब्बी कार्यक्रम की खुफियागीरी कर रहे थे लेकिन ये सबूत भारत से साझा नहीं किए गए हैं

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नयी दिल्ली: खुफिया सूत्रों ने ‘दिप्रिंट’ को बताया है कि भारतीय नौसेना के जिन आठ पूर्व सैनिकों पर मुकदमा चल रहा है उन पर आरोप लगाया गया है कि वे तेल के मामले में अमीर मुल्क कतर के एक गोपनीय कार्यक्रम की जासूसी कर रहे थे. क़तर, इटली में बनी उस अत्याधुनिक पनडुब्बी को हासिल करने की कोशिश कर रहा है जिस पर ऐसे ‘मेटा मेटेरियल’ की परत चढ़ी है जिनकी वजह से दुश्मन उनका पता नहीं लगा सकते.

नौसेना के इन आठ अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई 29 मार्च को शुरू की गई और अगली सुनवाई मई में होगी.

ट्रिएस्टे की पोत निर्माता कंपनी ‘फिन्सांशिएरी एसपीए’ से करार किया गया था कि वह उक्त दो पनडुब्बियां 2021 में ही दे देगी, और इस तरह यह अमीरात समुद्र के अंदर से ऑपरेट करने वाला वाहन रखने वाला पहला अरब मुल्क बन जाता. क़तर ने अपनी नौसेना को बड़ी मजबूती देने के लिए चार कोर्वेट (छोटे युद्धपोत) और एक हेलिकॉप्टरवाही पोत के लिए भी ऑर्डर दिए थे.

नाम न बताने की शर्त पर एक खुफिया अधिकारी ने ‘दिप्रिंट’ को बताया कि “दोहा के खुफिया अधिकारियों को हमने यह समझाने की बहुत कोशिश की कि भारत और उसके नागरिक अमीरात के खिलाफ ऐसी आक्रामक खुफियागीरी नहीं करते. लेकिन क़तर वालों ने ज़ोर देकर कहा कि पनडुब्बी से संबंधित उनके कार्यक्रम की खुफिया सूचनाएं इजरायल को दी गई हैं.”

उस अधिकारी ने यह भी कहा कि क़तर की सरकारी खुफिया एजेंसी क़तर स्टेट सिक्यूरिटी का दावा है कि उसने ऐसे इलेक्ट्रॉनिक संवादों को पकड़ा है जिनसे यह सिद्ध होता है कि वे नौसैनिक अधिकारी पनडुब्बी कार्यक्रम की खुफियागिरी कर रहे थे. उसने यह भी कहा कि ये सबूत भारत से साझा नहीं किए गए हैं.

भारतीय नौसेना के पूर्व कमांडर पूर्णेंदु तिवारी को, जिन्हें देश की सेवाओं के लिए 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजा गया था, पिछले साल सितंबर से कैद में रखा गया है. उनके साथ उनके साथी अधिकारियों नवतेज सिंह गिल, बीरेंद्र कुमार वर्मा, सुगुणाकर पकाला, संजीव गुप्ता, अमित नागपाल, सौरभ वशिष्ठ, और रागेश गोपाकुमार को भी कैद में रखा गया है. इन सबको एक करार के तहत क़तर नौसेना को प्रशिक्षण सेवाएं देने के लिए भेजा गया था.


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रिकॉर्ड बताते हैं कि उनमें से एक पूर्व अधिकारी को सबमरीन प्रोजेक्ट्स का अनुभव था. लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक सुगुणाकर 2016 से 2018 के बीच विशाखापत्तनम में हिंदुस्तान शिपयार्ड में पनडुब्बी मरम्मत विभाग के एडिशनल जनरल मैनेजर थे.

तिवारी रक्षा मामलों की सलाहकार कंपनी दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज़ ऐंड कंसल्टिंग सर्विसेज़ में प्रबंध निदेशक थे. इस कंपनी के सीईओ खामिस अल-आजमी को, जो ओमान के पूर्व वायुसेना अधिकारी थे, इन गिरफ्तारियों के समय थोड़े समय के लिए हिरासत में रखने के बाद रिहा कर दिया गया था. सूत्रों का कहना है इस कंपनी ने दोहा में अपना कामकाज फिर शुरू कर दिया है और उसने कुछ भारतीय नागरिकों को भी काम पर बनाए रखा है.

गिरफ्तार नौसेना अधिकारियों के परिजन उनकी रिहाई के लिए अभियान चला रहे हैं, लेकिन उन्होंने ‘दिप्रिंट’ के अनुरोध पर कोई टिप्पणी देने से मना कर दिया. पिछले साल दिसंबर में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत ने वाणिज्य दूतावास के जरिए उन अधिकारियों से संपर्क बनाया है. अब, इस महीने के शुरू में उसने कहा है कि वह “इस मामले को ऊंची प्राथमिकता दे रहा है और इस मामले में क़तर के अधिकारियों के साथ संपर्क बनाए हुए है”.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि “इंतजार कीजिए… अब कानूनी प्रक्रिया शुरू हो गई है. हम इस पर करीबी नज़र बनाए रखेंगे.” उन्होंने यह भी कहा कि आरोपों को अभी तक खुली अदालत में नहीं पेश किया गया है.

सबमरीन डील का भारत के लिए मतलब

नयी पीढ़ी की पनडुब्बियों के डिजाइन कंपनी एम23 एस.आर.एल. की बेरगामो स्थित फ़ैक्टरी में पनडुब्बी निर्माता सीएबीआइ काट्टानिओ के सहयोग से बनाए जा रहे हैं. इन डिज़ाइनों को सार्वजनिक नहीं किया गया है. लेकिन 2021 में सीएबीआइ काट्टानिओ ने इटली के रक्षा मंत्रालय के सामने जो प्रेजेंटेशन दिया था उसमें उसकी प्रतिकृति का कंप्यूटर निर्मित ग्राफिक्स पेश किया गया था.

इस उद्योग से जुड़े प्रकाशनों के अनुसार, ये पनडुब्बी यू-212 नियर फ्यूचर पनडुब्बी जैसी ही है, जिसे इटली जर्मन कंपनी थाइस्सेंक्रुप्प मरीन सिस्टम के सहयोग से बना रहा है. यू-212 में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम है जिसकी वजह से यह समुद्री सतह के ऊपर आए बिना लंबे समय तक ऑपरेशन चला सकता है. यू-212 में इलेक्ट्रॉनिक क्षमता भी है, जो समुद्र के अंदर काम करने वाले ड्रोन के लिए मदरशिप की भूमिका निभा सकती है.

क़तर द्वारा पनडुब्बियां हासिल करना भारत और इजरायल, दोनों के लिए मायने रखता है. पाकिस्तानी नौसेना इटली की कंपनी द्वारा निर्मित कॉस्मॉस वर्ग की छोटी पनडुब्बियां चलाता है, जिनका इस्तेमाल भारतीय नौसैनिक साधनों के खिलाफ स्पेशल फोर्सेज़ ऑपरेशनों में किया जा सकता है. क़तर और पाकिस्तानी सेना के संबंध गहरे हैं, और भारत को आशंका है कि वह नयी पनडुब्बियों के लिए गुप्त रूप से मार करने वाली तकनीक (स्टेल्थ टेक्नॉलजी) हासिल कर सकता है.

इजरायल और क़तर के बीच भी सैन्य संबंध काफी गुप्त हैं, लेकिन तेल अवीव मध्यपूर्व क्षेत्र में अत्याधुनिक युद्ध तकनीकों के विस्तार को रोकने की लंबे समय से कोशिश कर रहा है, क्योंकि उसे डर है कि वह उसकी सैन्य बढ़त को कमजोर कर सकती हैं.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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