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Friday, 19 April, 2024
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लश्कर घुसपैठियों के खिलाफ 15 दिन से जारी तलाश जल्द हो सकती है खत्म, सुरक्षा बलों ने पुंछ में जंगली गुफाओं को घेरा

सितंबर अंत/अक्टूबर की शुरुआत में भारत में घुसपैठ करने वाले लश्कर आतंकवादियों की संलिप्तता वाली दो अलग-अलग घटनाओं में नौ सैनिकों को शहादत देनी पड़ी है.

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नई दिल्ली: सेना के नौ जवानों की जान लेने वाले लश्कर-ए-तैयबा के कथित आतंकवादियों के एक समूह की तलाश में पिछले 15 दिनों से जारी अभियान अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है. कहा जा रहा है कि इस समूह ने सितंबर अंत/अक्टूबर की शुरुआत में ही जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की थी.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने कहा कि जम्मू क्षेत्र के पुंछ जिले में दुर्गम नर खास जंगलों में जारी तलाशी अभियान को तेज करते हुए इसमें अतिरिक्त सैनिकों और सेना के विशेष बलों को शामिल किया गया है.

इस ऑपरेशन में पूरा ध्यान फिलहाल जंगल के पिछले हिस्से पर केंद्रित किया जा रहा है, जिसमें कई गुफाएं हैं. सूत्रों ने कहा कि सैनिक हर एक गुफा की तलाशी ले रहे हैं, जिनमें से कुछ इतनी बड़ी हैं कि चार से पांच आतंकवादी तक आसानी से छिप सकते हैं. और इनमें से कई गुफाओं में फायरिंग और ग्रेनेड धमाके कर उन्हें ‘सैनिटाइज’ किया जा रहा है.

सुरक्षा बलों को शुरू में तो यही संदेह था कि आतंकवादियों का समूह भाग गया है, लेकिन रविवार को स्थापित कुछ संपर्कों—जिसमें पुलिस की तरफ से वहां ले जाए गए जेल में बंद एक आतंकी को गोली मार दी गई—के बाद अब यह पुष्ट हो गया है कि भले ही पूरा समूह न हो लेकिन कम से कम दो आतंकवादी वहां छिपे हुए हैं.

एक सूत्र ने कहा, ‘ऑपरेशन अब पूरा होने के करीब है. हमें मंगलवार तक कुछ नतीजे मिलने की उम्मीद है. गहन तलाशी जारी है.’
सूत्रों ने कहा कि आमतौर पर आतंकियों के संपर्क में आने के बावजूद इतने लंबे समय तक जारी रहने वाले अभियान को बंद कर दिया जाता है. लेकिन यह ऑपरेशन जारी है क्योंकि सेना को गंभीर क्षति उठानी पड़ी है. सूत्रों ने कहा, ‘उम्मीद’ यही है कि आतंकी जंगल से भागने में कामयाब नहीं हो पाए होंगे जो बहुत घना और दुर्गम इलाका है, खासकर बारिश होने पर और कठिन स्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं, जैसा शनिवार को हुआ था.

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कार्रवाई के दौरान नौ सैनिकों की मौत

गौरतलब है कि अब तक दो अलग-अलग स्थानों पर दो अलग-अलग घटनाओं में नौ जानें जा चुकी हैं.

पुंछ स्थित डेरा की गली इलाके में 11 अक्टूबर की रात कार्रवाई के दौरान एक जूनियर कमीशंड ऑफिसर (जेसीओ) समेत पांच जवान शहीद हो गए थे. माना जा रहा है कि आतंकियों ने जवानों पर घात लगाकर हमला किया था. इसी के साथ तलाशी अभियान शुरू किया गया था.


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दूसरी घटना जंगल में मेंढर की तरफ हुई, जहां 14 अक्टूबर को तलाशी अभियान में जुटे सैनिकों पर आतंकियों की तरफ से चलाई गोलियों में चार जवान शहीद हो गए.

इसके बाद विशेष बलों को भी अभियान में शामिल किया गया, और अतिरिक्त सैनिकों और सैन्य उपकरणों को भी लाया गया.
सूत्रों ने कहा कि जिस विशेष क्षेत्र में ऑपरेशन चल रहा है वह ‘घुसपैठ का एक पुराना रास्ता’ है और सुरक्षा बलों को पहले भी वहां कैजुअल्टी का सामना करना पड़ा है.

पिछले हफ्ते, जनरल एम.एम. नरवणे ने पुंछ का दौरा किया और सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की. यह पहला मौका था जब किसी सेना प्रमुख ने ऐसे क्षेत्र का दौरा किया था जहां सक्रिय तौर पर मुठभेड़ जारी हो.

आतंकवादियों की सही संख्या के बारे अभी कुछ पता नहीं

सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा बलों के पास अभी इसका कोई सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं है कि इसमें कितने आतंकवादी शामिल हैं. सुरक्षा एजेंसियां यह अनुमान जरूर लगा रही है कि इनकी संख्या छह हो सकती है. माना जा रहा है कि उनमें से चार भाग गए, लेकिन केवल दो के अभी जंगल में ही छिपे हैं.

उन्होंने कहा कि इस समूह के भिंबर गली सेक्टर से भारतीय सीमा में घुसपैठ करने का अनुमान है.

सूत्रों ने यह भी बताया कि आतंकवादियों में से एक पिछले हफ्ते पास के गांव स्थित एक घर में पहुंचा था और उसने वहां खाना खाया था. साथ ही अपने साथियों के लिए अतिरिक्त खाना पैक भी कराया.

सुरक्षा एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि फोन इंटरसेप्ट के आधार पर माना जा रहा है कि आतंकियों का अंतिम ठिकाना दक्षिणी कश्मीर का शोपियां था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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