संदेशों की भरमार से भारत में स्मार्ट फ़ोनों की मेमोरी भर रही है. कुछ तकनीकी कंपनियां इसका समाधान खोजने में लगीं हैं और कुछ अन्य इससे पूँजी कमा रही हैं.
अगर आपने अपने मोबाइल में व्हाट्सअप पर आने वाले संदेशों की सूचना (नोटिफिकेशन) को म्यूट कर दिया है तो संभवतः आप उन भारतीयों में से एक हैं जो अपने परिवारी जनों, मित्रों और परिचितों से प्राप्त होने वाले “गुड मार्निंग” के संदेशों से थक चुके हैं। ऐसे आप अकेले नहीं हैं.
एक अमेरिकी समाचार पत्र “द वाल स्ट्रीट जर्नल” में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार जब सिलिकॉन वैली में गूगल के शोधकर्ता इस बात का पता लगा रहे थे कि भारतीयों के स्मार्ट फोन का स्टोरेज अन्य देशों के लोगों के फ़ोन के स्टोरेज की तुलना में जल्दी क्यों भर जाता है, तो पता चला कि सुबह सुबह भेजे जाने वाले शुभकामना सन्देश (गुड मॉर्निंग, शुभ प्रभात इत्यादि) इसका मुख्य कारण थे.
रिपोर्ट में बताया गया है कि “गुड मॉर्निंग” संदेश वाली तस्वीरों की तरफ रुझान में काफी तेजी आई है, गूगल पर ऐसी तस्वीरें सर्च करने के मामले में, पाँच सालों में दस गुना बढ़ोतरी हुई है. Pinterest ने इस मांग का लाभ उठाने के लिए एक नए अनुभाग (सेक्शन) को जोड़ा है इसके साथ ही कुछ उद्यमी लोगों ने इस बाजार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नई साइटों की भी स्थापना की है.
85 वर्षीय सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी वी.के. अहलूवालिया का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि इन संदेशों को कैसे डिलीट किया जाए. लेकिन वे इन संदेशों को आगे जरूर भेज देते हैं,
उनका कहना है, “मुझे अपने अलग अलग समूहों (Groups) में प्रतिदिन लगभग 15 से 20 संदेश प्राप्त होते हैं. मैं लगभग 200 लोगों के साथ हिमाचल सेवानिवृत्त संघ में हूँ. वे मुझे संदेश भेजना जारी रखते हैं और मैं उन संदेशों को आगे अपने परिवार और दोस्तों को भेज देता हूँ”.
केवल सेवानिवृत्त अधिकारी ही इन संदेशों के आदी नहीं है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कथित तौर पर अपनी पार्टी के सांसदों द्वारा नमो एप पर उनके प्रातःकालीन संदेशों का जवाब न दिए जाने पर वेदना व्यक्त की थी.
दिप्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, “गुड मार्निंग टू ऑल” से लेकर “हैप्पी बर्थडे” संदेशों तक, चैट इनबॉक्स में ऐसे संदेशो की बाढ़ के कारण, शायद यह दांव उल्टा पड़ गया है.
भारत में अनुमामित 200 मिलियन (20 करोड़) सक्रिय उपयोगकर्ता व्हाट्सअप का उपयोग कर रहे हैं और व्हाट्सअप ने अपने इस एप्लीकेशन में स्टेटस वाला एक नया फीचर भी जोड़ा है, जो लोगों को सभी कॉन्टेक्ट्स को एक साथ अपना सन्देश दिखाने की सुविधा देता है. लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उन संदेशों की भरमार इस फीचर से कम हुई है या नहीं.
तकनीक की सूझबूझ रखने वाले लोगों के पास पहले से ही इसका समाधान है.
22 वर्षीय वाणी चोपड़ा का कहना है कि “मैं व्हाट्सअप पर ऑटो डाउनलोड को ऑफ कर सकती हूँ और उसके बाद मुझे कोई परेशानी नहीं होती”.
लेकिन गूगल के पास इसका एक बेहतर समाधान है. ये है फाइल्सगो (Files Go) नाम की एक एप्लीकेशन, जो आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता) के इस्तेमाल से उपयोगकर्ताओं की अनुपयोगी फाइलों को डिलीट करने में सहायता करती है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, दिसम्बर 2017 में इस ऐप के लांच के दौरान इस घोषणा (कि ये ऐप गुड मोर्निंग जैसे संदेशों को फ़ोन से डिलीट कर सकती है) की काफी प्रशंसा की गयी और तब से भारत में इस एप्लीकेशन को सबसे ज्यादा डाउनलोड किया गया है.
लेकिन अब भी बहुत से भारतीयों को इसका उपयोग करने की शुरुआत करनी है, अभी भी वो इसके बजाय म्यूट बटन पर भी भरोसा कर रहे हैं.
महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए एप्लीकेशन ‘Safetipin’ की सह-संस्थापक और सीईओ कल्पना विश्वनाथ का कहना है कि “मैंने अपने फोन के नोटिफिकेशन्स को बंद (ऑफ) कर दिया है और मैं उन कई ग्रुप्स (समूहों) को बिलकुल भी नहीं खोलती हूँ जो मुझको अनुपयोगी या फेक (नकली) लगते हैं. मुझे इस एप्लीकेशन में बहुत दिलचस्पी रहेगी”.